उदयपुर। उदयपुर संभाग के हर जिले के मदरसों में हर साल की तरह इस साल भी ७० वां जश्न-ए- आज़ादी ( स्वतन्त्रता दिवस ) बड़ी धूम धाम और जोश के साथ मनाया गया।
कई छद्दम राष्ट्रवादियों ने मदरसों पर उँगलियाँ उठाई थी कि यहाँ पर स्वतंत्रता दिवस १५ अगस्त के दिन तिरंगा नहीं लहराया जाता है, जबकि हर मदरसे में हर साल पुरे जोश और एहतराम के साथ १५ अगस्त को आज़ादी का जश्न मनाया जाता है। सोशल मीडिया पर उदयपुर संभाग के हर जिले, कसबे और गाँव तक के मदरसों में आज़ादी के जश्न को सम्मान के साथ मनाते हुए फोटो शेयर हो रही है। यह फोटो इन कथित राष्ट्रवादी और नफरत फैलाने वालों व् मदरसों को बदनाम करने वालों के मुँह पर करारा तमाचा मार रही है। फेसबुक और व्हाट्सप्प मदरसों में तिरंगे को सलामी देते बच्चे, बूढ़े, मौलाना की तस्वीर खुद यह बयान करती है कि राष्ट्रीयता किसी के सड़कों पर चिल्लाने से आती या जाती नहीं है, यह वो ज़ज़्बा है जो हर हिन्दुस्तानी चाहे वो हिन्दू हो मुस्लिम हो सिख या ईसाई हो सब के दिलों में बराबर जन्म से समाई हुई है। मदरसों पर उंगलिया उठाने वाले सोशल मीडिया पर डाली गयी फोटो को देख कर चुप है।
अंजुमन के सेक्रेटरी रिजवान खान का कहना है कि कुछ ज़हर घोलने वाले लोगों ने झूठी अफवाह फैला रखी है कि मदरसों पर स्वतन्त्रता दिवस नहीं मनाया जाता जबकि हकीकत यह है कि संभाग या राजस्थान ही नहीं मै मानता हूँ कि हिन्दुस्तान के हर मदरसे में स्वतंत्रता दिवस का जश्न पुरे सम्मान के साथ मनाया जाता है और हर मदरसे में तिरंगा फहराया जाता है। रिजवान खान ने बताया कि उदयपुर जिले में अंजुमन से जुड़े हर मदरसे में हर साल स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है इस वर्ष भी मनाया गया। बच्चों ने देशभक्ति के गीत गाये। शहीदों का संस्मरण किया गया राष्ट्रगान पुरे सम्मान के साथ गाया गया। बांसवाडा के इमरान खान एडवोकेट एवं पार्षद ने बताया की बांसवाड़ा जिले में हर मदरसे में पुरे जोश और सम्मान के साथ आजादि का जश्न मनाया जाता है। मदरसों के बारे में गलत धारणा बनाना कुछ लोगों की साजिश है।
उदयपुर। एक तरफ जहाँ हर कोई अपने संस्थान या संगठन के कार्यालयों पर १५ अगस्त – आज़ादी का जश्न मना रहे थे वही दूसरी और मारवाड़ी युवा मंच उदयपुर एवं महिला लेक सिटी शाखा ने एक नयी पहल करते हुए कच्ची बस्ती के गरीब बच्चों के साथ आज़ादी का जश्न मनाया।
महिला लेक सिटी शाखा की अध्यक्ष डॉ. प्रियंका जैन ने बताया कि मारवाड़ी युवा मंच उदयपुर एवं महिला लेक सिटी के सदस्य आज उदयपोल मैं स्थित कच्ची बस्ती के मासूम बच्चों के साथ स्वतंत्रा दिवस मनाया। डॉ प्रियंका का कहना है कि गरीब बच्चों को भी इस बात का अहसास होना चाहिए कि हिन्दुस्तान की तरक्की में वह भी बराबर के भागीदार है। इससे पहले इन बच्चों के बिच बस्ती में कभी तिरंगा नहीं फहराया । कार्यक्रम के शुरुआत में बच्चों को एक लघु कथा के माध्यम से यह बताया गया कैसे हम अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुए, उसके बाद देशभक्ति के गीतों की गूंज के साथ ससम्मान राष्ट्रगान के साथ तिरंगा लहराया गया।
फिर शुरू हुआ उत्सव मनाने का दौर जिसमें सभी बच्चों ने खूब उत्साह के साथ देशभक्ति गीतों पर जमकर नाच किया तथा भारत माता की जयकारे से पूरी बस्ती गूंज उठी। कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव में पहुंचते-पहुंचते सभी बच्चों को नाश्ता करवाया गया एवं उनके अभिभावकों को इतने प्रतिभाशाली बच्चों को शिक्षित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
कार्यक्रम में मंच के युवा उपाध्यक्ष सौरभ जैन तथा महिला लेकसिटी की अध्यक्षा डॉ. प्रियंका जैन ,उपाध्यक्षा राजश्री वर्मा, सचिव जया कुचरू एवं सुश्री शिप्रा चेनानी शामिल थे।
Whooping cough is a bacterial infection of the upper respiratory tract, primarily effecting
Dr kajal Verma -Homoeopathy physician
both vaccinated and unvaccinated children. It’s highly contagious, and adult whooping cough is not uncommon. It starts as a common cold and develops into a spasmodic, persistent, suffocative cough accompanied by a sore throat, fever, mucus secretion and vomiting. Coughing continues until the lungs are emptied of air and the sudden, hard intake of breath causes the characteristic whooping sound. Coughing attacks are fierce and can occur up to 40 times daily, lasting for two months or longer.
Causes
Whooping cough is caused by the bacterium Bordetella pertussis. The bacterium is transmitted in tiny droplets that come from the nose and mouth and is spread from person to person. While most cases of pertussis occur in children under 5 years, it may be that the majority of carriers are older. It’s now believed that adults are a major source of infection to infants. Since many people reach adulthood without having been infected, it’s entirely possible for adults to develop whooping cough. After infants, the people most likely to suffer serious complications from whooping cough are seniors and those with chronic ill health. The disease takes 1 or 2 weeks to incubate. People become infectious to others by the end of the first week and they typically remain contagious for about 6 weeks. The disease is highly contagious and you will be advised to avoid contact with others while you are still able to infect people.
Symptoms
The disease has 3 stages.
The first stage begins about 10 days after infection and causes symptoms like a -common cold
sneezing,
watery eyes
tiredness, and
loss of appetite.
dry hacking cough.
The second stage occurs after 10 to 14 days and is signalled by a rapid increase in the frequency and severity of coughing. It’s this cough that gives the disease its name. Half a dozen or more rapid coughs follow each other in quick succession, followed by a “whooping” sound as the person inhales deep and fast. It may happen hundreds of times in a single day. The coughing may produce large amounts of thick mucus. Sometimes infants swallow it, but it may exit through the nostrils, often forming bubbles. Frequent coughing and mucus can cause vomiting, and choking is a risk in infants. Infants are actually less likely to make the whooping sound than are older children, but they’re more likely to have a choking spell. Infected adults rarely whoop – they just cough frequently and spasmodically.
After a month, most people start to look and feel better and cough less. This is the third stage – a gradual recovery taking a few weeks or occasionally a few months. The usual total course of the disease lasts 6 to 10 weeks.
Complications of Pertussis
The most common complication associated with whooping cough is pneumonia. Although the bacteria can lead to ear infections, dehydration, convulsions, and, in rare instances, brain damage or death. Pertussis poses a greatest risk to infants and small children due to the small size of their air passages. For this reason, they are at the highest risk for pertussis and its complications compared to older children and adults.
Homoeopathy aspect of Prevention and Treatment Options
There are many homeopathic remedies which can be used in the treatment of whopping cough depending on the stage of the illness and the symptoms the child is expressing. With the correct remedy contracted whooping cough can be resolved relatively quickly, ie in 2-10 days, thereby reducing the level of suffering and length of suffering. While antibiotics are used in conventional medicine to kill the bacteria. If the whoop has entered the spasmodic stage of the illness, in contract to the correct homeopathic remedy they will not change the course of the disease.
Use of whooping cough nosode (Pertussin) in ascending potencies as outlined on the STATUS SHEET for a standard prevention protocol (See schedule below). Doses are to be given over a few month period starting with 200C, repeating a triple dose of the 200C the following week then a triple dose of 10M followed one month later with a second round of the 10M.Use of Drosera, preventatively or if the disease is contracted as this remedies correspond to the common symptom manifestations of Measles. They can be used if there is known exposure or at the first signs of the disease and correspond to fluctuating temperatures, or runny nose and watery eyes, respectively. These remedies can be alternated if you are unsure, repeating the remedy that offers the most relief.Various other remedies in active disease: Ipecacuanha, Coccus cacti, antim tart, arsenic alb etc are helpful.
Pertussin may be used as a prophylaxis remedy for whooping cough, and may in fact abort a case of recently contracted whooping cough.
The goal of Homoeopathy is to introduce into the human system the energetic components of particular diseases in order to stimulate the immune system. Homeopathic Nosodes, such as Pertussin, are potentized preparations of the disease germ or discharges produced in response to whooping cough. Upon repetition of the particular remedy it is
understood that some aspect of susceptibility to the particular disease has been fulfilled.
उदयपुर। भारत की एकमात्र और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी एकीकृत जस्ता उत्पादक कंपनी हिन्दुस्तान जिंक वर्ष 2019 तक पूरी तरह से भूमिगत खनन कंपनी बन जाएगी।
हिंदुस्तान जिंक की रामपुरा आगुचा खान, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी जस्ता उत्पादक खदान है जहां कंपनी के कुल उत्पादन का 75 प्रतिषत होता है जिसका धीरे-धीरे ओपन कास्ट खदान से भूमिगत खदान में संचालन होने जा रहा है। वर्ष 2019 तक कंपनी के ओपन कास्ट खनन के कार्य बंद होने की संभावना है तथा खदान का कार्य केवल भूमिगत खदानों में चलेगा। रामपुरा आगुचा खान में शाफ्ट सिंकिंग का 955 मीटर गहराई का कार्य पहले ही पूरा हो चुका है और कार्य शुरू कर दिया है।
वर्ष 2016-17 में रामपुरा आगुचा खदान में अयस्क का उत्पादन ओपन कास्ट और भूमिगत खदान दोनों से हुआ है। उत्पादन में ओपन कास्ट का 3.3 मिलियन टन और भूमिगत खदान का 1.4 मिलियन टन का योगदान रहा है। वर्ष 2019-20 तक रामपुरा आगुचा खदान की अयस्क उत्पादन क्षमता लगभग 4.50 मिलियन टन रह जाएगा। 31 मार्च 2017 को रामपुरा आगुचा खदान की अयस्क उत्पादन क्षमता 6.15 मिलियन टन है।
धातु एवं खनन विशेषज्ञों के अनुसार रामपुरा आगुचा ओपन कास्ट खान एवं भूमिगत खदान दोनों का ग्रेड 13 प्रतिशत है। जैसा कि विश्व स्तर पर औसतन श्रेणी 3 से 6 प्रतिशत के बीच होती है और इससे हिंदुस्तान जिं़़क को वैश्विक बाजार में बड़ा लाभ मिलता है। यद्यपि हिन्दुस्तान जिं़क की उत्पादन लागत लगभग 800 डॉलर प्रति टन आती है जो वैश्विक बाजार की तुलना में 30 प्रतिशत कम है।
हिंदुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री सुनील दुग्गल ने बताया कि ’’हिन्दुस्तान जिंक आधुनिक तकनोलोजी के साथ पूर्ण रूप से भूमिगत खनन की ओर अग्रसर है। यह परिवर्तन वित्त वर्ष के अंत तक या अधिकतम अगले साल की शुरुआत में पूरा हो जाएगा। निश्चित रूप से भूमिगत खदान की तुलना में ओपन कास्ट खदान में उत्पादन बहुत आसान होता है और शुरू में हम आषा करते हैं कि रामपुरा आगुचा में उत्पादन का स्तर थोड़ा चुनौतीपूर्ण होगा। लेकिन हम हमारी सभी अन्य खदानों का विस्तार कर रहे हैं जिससे हम हमारे स्मेल्टर्स की आवश्यकताओं और उत्पादन स्तर को पूरा करने के लिए तैयार रहेंगे। धीरे-धीरे रामपुरा आगुचा भूमिगत खदान में उत्पादन स्तर में सुधार होगा जिससे हमारी भविष्य की विस्तार योजनाओं को सहयोग मिलेगा।’’
’’यह परिवर्तन व्यवस्थित निर्णय की श्रृंखला का हिस्सा है और यही कारण है कि हम हमारी अन्य भूमिगत खदानों का पहले से ही विस्तार कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कंपनी के समग्र खनन उत्पादन प्रभावित न हो’’ सुनील दुग्गल ने कहा।
2019-20 तक हिंदुस्तान जिं़क बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपनी सभी खानों का विस्तार करेगा। राजपुरा दरीबा खान की मौजूदा उत्पादन क्षमता 0.9 लाख टन से बढ़ाकर 1.5 मिलियन टन तक की जा रही है। प्रचुर मात्रा में चांदी की उपलब्धता सिंदसेर खुर्द खदान की वर्तमान उत्पादन क्षमता 4 मिलियन टन से बढ़ाकर 6 मिलियन टन कर दी गई है। जावर खान की उत्पादन क्षमता चालू वित्त वर्ष में 1.8 मिलियन टन से बढ़कर 2.5 मिलियन टन हो जाएगी और इसके पश्चात् आगामी 3 सालों में उत्पादन क्षमता 4.5 मिलियन टन हो जाएगी। अजमेर में कंपनी की इकाई कायड़ खदान की विस्तार की प्रक्रिया जारी है जिसकी वर्तमान अयस्क उत्पादन क्षमता 1 मिलियन टन है।
सिंदेसर खुर्द खदान में शाफ्ट सिंकिंग का कार्य पूरा हो चुका है, जिसकी गहराई 1050 मीटर तक पहुंच चुकी है, सिंदेसर खुर्द खान में बढ़ाए गए अयस्क उत्पादन में सहयोग के लिए पिछले साल 1.5 मिलियन टन क्षमता की नई मिल पहले ही शुरू हो चुकी है। स्लेग से धातुओं की वसूली में सुधार के लिए कंपनी फ्यूमर प्लांट भी स्थापित कर रही है।
यद्यपि सभी खानों की अयस्क उत्पादन क्षमता 12.20 एमटीपीए है, जबकि वर्ष 2016-17 में वास्तविक अयस्क उत्पादन 11.87 मिलियन टन रहा है। कंपनी चालू वित्त वर्ष में खदान उत्पादन के स्तर का विस्तार 13.10 एमटीपीए तक करना और अगले तीन वर्षों में वर्ष 2020 तक 17.50 एमटीपीए तक विस्तार करना कंपनी का लक्ष्य है।
हिन्दुस्तान जिं़क के हेड-कार्पोरेट कम्यूकिनकेषन पवन कौषिक ने बतया कि ’’2002 में विनिवेश के बाद से हिंदुस्तान जिंक ने दस लाख टन की धातु उत्पादन क्षमता के लिए विस्तार कार्यक्रमों के तहत 4 चरणों में 3 बिलियन यू.एस. डॉलर का निवेश किया है और आगामी तीन सालों के भीतर कंपनी अपनी धातु उत्पादन क्षमता 1.2 मिलियन टन तक बढ़ाने की उम्मीद है। अंततः आगामी 5 वर्षों में 1.5 मिलियन टन हो जाने की संभावना है।’’
2017 से 2021 की अवधि के दौरान वैश्विक जस्ता बाजार में सीएजीआर 3.96 प्रतिषत तक बढ़ने की संभावना है। भारत में जस्ता की खपत हर साल बढ़ रही है और ऑटोमोबाइल, रेलवे, तटीय स्ट्रक्चर के सरियों में गैल्वेनाईज़्ड का उपयोग तथा बिजली वितरण नेटवर्क जैसे नये क्षेत्रों में जंग का मुद्दा भारत में जस्ता खपत का भी संचालन करेगा।
कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जहां जस्ता फसलों की पैदावार में सुधार कर सकती है क्योंकि भारत में कृषि भूमि का एक बहुत बड़ा भाग जस्ता की कमी से खराब हो जाता है, जो न सिर्फ फसलों में खनिज मूल्य को प्रभावित करती है बल्कि समग्र उत्पादन को भी प्रभावित करती है।
हिंदुस्तान जिंक भारत की शीर्ष 50 कंपनियों में गिनी जाती है। न सिर्फ कंपनी में अयस्क ग्रेड की उच्च गुणवत्ता है बल्कि विस्तार योजनाओं को पूरा करने के लिए उत्कृष्ट टेक्नोलोजी का उपयोग, लागत पर नियंत्रण एवं पर्याप्त नकदी जमा करने का भी प्रावधान है।
उदयपुर . झीलोंकी नगरी में भाई-बहनों के अटूट प्रेम के पर्व रक्षा बंधन पर सोमवार को दिनभर खुशी-उत्साह छलका। बहनों ने भाइयों को सुबह 11.05 बजे से दोपहर 1.28 बजे के बीच रक्षा सूत्र बांधकर मुंह मीठा कराया। वहीं भाइयों ने बहनों को उपहार भेंट किए। घर-घर में खुशियों का माहौल रहा। शहर में ग्रहण के चलते जगदीश मंदिर, अस्थल मंदिर, श्रीनाथजी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में दोपहर 1.28 बजे तक विशेष पूजा-अर्चना की गई। इसी दौरान शिप भक्तों ने भोलेनाथ, मां पार्वती, श्रीगणेश, कार्तिकेय, नंदी का पूजन सुख-समृद्धि की कामना की। कई कन्याओं और महिलाओं ने सोलह सोमवार की कथा सुनकर प्रसाद बांटा। गुलाबबाग में लगा 5वां सुखिया सोमवार मेला दिनभर सखियों से गुलजार रहा। इस दिन फतह सागर, पीछोला, सज्जनगढ़, छोटी मदार, बड़ी मदार, थूर की पाल सहित अन्य स्थलों पर शहरवासियों की भीड़ उमड़ी, जहां बच्चों, युवाओं और महिलाओं ने समूह में खूब मौज-मस्ती की।
तार संस्थान के वृद्धाश्रम में सोमवार को सेवा भारती ने बुजुर्गों को राखी बांधकर रक्षाबंधन पर्व मनाया। मुख्य वक्ता चित्तौड़ प्रांत कार्यालय मंत्री गोपाल कनेरिया कहा कि जहां सेवा करनी है, वहां अगर अपनापन नहीं हुआ तो सेवा नहीं हो सकती। इस मौके पर वृद्धाश्रम व्यवस्थापक हेमराज पोद्दार ने आश्रम के बारे में जानकारी दी। इधर, मारवाड़ी युवा मंच उदयपुर एवं महिला लेकसिटी शाखा के सदस्यों ने सोमवार को चेतक सर्कल स्थित थियोसोफिकल सोसायटी में अनाथ बच्चों को राखी बांधकर उनकी सुरक्षा का संकल्प लिया।
Swine flu, also known as the H1N1 virus, is a relatively new strain of an influenza virus that causes symptoms similar to the regular flu. It originated in pigs but is spread primarily from person to person.
Swine flu made headlines in 2009 when it was first discovered in humans and became a pandemic. Pandemics are contagious diseases affecting people throughout the world or on
dr. kajal verma
multiple continents at the same time.
The World Health Organization (WHO)declared the H1N1 pandemic over in August 2010. Since then, the H1N1 virus has been known as a regular human flu virus. It continues to spread during flu season like other strains of the flu. The flu shot developed each year by the Centers for Disease Control and Prevention (CDC)usually includes a vaccination against a type of H1N1 virus.
Like other strains of the flu, H1N1 is highly contagious, allowing it to spread quickly from person to person. A simple sneeze can cause thousands of germs to spread through the air. The virus can linger on tables and surface areas like door knobs, waiting to be picked up.
The best means of dealing with swine flu is to prevent it. Hand sanitization is important to stop the spread of the virus. Staying away from infected people will help stop person-to-person transmission.
Risk factors for swine flu
When it first emerged, swine flu was most common in children 5 years and older and young adults. This was unusual because most flu virus infections are a higher risk for complications in older adults or the very young.
Today, risk factors for getting swine flu are the same as for any other strain of the flu. You’re most at risk if you spend time in an area with a large number of people who are infected with swine flu.
Some people are at higher risk for becoming seriously ill if they’re infected with swine flu. These groups include:
-adults over age 65
-children under 5 years old
-young adults and
-under age 19 who are receiving long-term aspirin(Bufferin) therapy
-people with compromised immune systems (due to a disease such as AIDS)
-pregnant women
-people with chronic illnesses such as asthma, heart disease, diabetes mellitus, or neuromuscular disease
CAUSES
Swine flu is caused by a strain of influenza virus that usually only infects pigs. Unlike typhus, which can be transmitted by lice or ticks, transmission usually occurs from person to person, not animal to person.
You can’t catch swine flu from eating properly cooked pork products.
Swine flu is very contagious. The disease is spread through saliva and mucus particles.
People may spread it by:
sneezing
coughing
touching a germ-covered surface and then touching their eyes or nose
Symptoms of swine flu
The symptoms of swine flu are very much like those of regular influenza. They include:
chills
fever
coughing
sore throat
runny or stuffy nose
bodyaches
fatigue
diarrhoea
nausea and vomiting
DIAGNOSIS
Your doctor can make a diagnosis by sampling fluid from your body. To take a sample, your doctor or a nurse may swab your nose or throat.
The swab will be analyzed using various genetic and laboratory techniques to identify the specific type of virus.
Treating swine flu
Most cases of swine flu don’t require medication for treatment. You don’t need to see a doctor unless you’re at risk for developing medical complications from the flu. You should focus on relieving your symptoms and preventing the spread of the H1N1 to other people.
Two antiviral drugs are recommended for treating swine flu: the oral drugs oseltamivir (Tamiflu) and zanamivir(Relenza). Because flu viruses can develop resistance to these drugs, they’re often reserved for people who are at high risk for complications from the flu. People who are otherwise generally healthy and get swine flu will be able to fight the infection on their own.
HOME TREATMENT
Methods for managing the symptoms of swine flu are similar to the regular flu:
-Get plenty of rest. This will help your immune system focus on fighting the infection.
Drink plenty of water and other liquids to prevent dehydration. Soup and clear juices will help replenish your body of lost nutrients.
-Take over-the-counter pain relievers for symptoms such as headache and sore throat.
PREVENTION
The best way to prevent swine flu is to get a yearly flu vaccination. Other easy ways to prevent swine flu include:
-frequently washing hands with soap or hand sanitiz
-not touching your nose, mouth, or eyes (The virus can survive on surfaces like telephones and tabletops.)
-staying home from work or school if you’re ill
-avoiding large gatherings when swine flu is in season
-It’s important to follow any public health recommendations regarding school closures or avoiding crowds during the flu season. These recommendations may come from the CDC, WHO, National Institutes of Health, or other governmental public health institutions.
Complications of Swine Flu can include:
* Pneumonia
* Bronchitis
* Sinus infections
* Ear infections
* Death
Is it possible to prevent Swine Flu [Influenza A(H1N1)] with homeopathy?
Yes, it is possible to prevent Swine flu (H1N1 Flu) with homeopathy. Not only swine flu but any epidemic can be kept under control when well selected “Homeopathic Genus Epidemicus” is given to healthy masses in that particular region. In the past homeopathy has helped in epidemics many times in different parts of the world.
Commonly indicated homeopathic medicines:
Depending on the individual symptoms of the patients, one or more of the medicines could be prescribed: Influenzinum, Gelsemium, Arsenic albub, Rhus toxicodendron, Occilococcinum, etc are some of the common medicines. They can also be used as a part of probable preventive measure.
Precaution:
If you have recently visited a country or place/city under Swine flu attack or have met a person suffering from the infection, it is advisable to get a test done.
उदयपुर। हाथीपोल थानाक्षेत्र के चमनपुरा क्षेत्र में शनिवार प्रात: एक मकान में बांस की छत गिरने से 15 लोग मलबे में दब गए। क्षेत्र के मौतबीर और समाजसेवी मौके पर पहुंचे और राहत कार्य में मदद की। पुलिस की और से एसडीआरएफ की टीम दो घंटे बाद मौके पर पहुंची जब तक सभी घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा चुका था।
प्राप्त सूचना के अनुसार पर शुक्रवार रात को जगदीश खटीक की पत्नी का देहांत हो गया था जिसकी शवयात्रा के लिए शनिवार सुबह तैयारी की जा रही थी। मकान के पहली मंजिल पर बांस की छत बनी हुई थी उस पर महिलाएं अंतिम क्रिया संपम्न्न करवा रही थी उसी दौरान छत भरभरा कर गिर गई। छत गिरने से लगभग 15 महिलाओं सहित कुछ पुरूष भी दब गए जिन्हें स्थानीय समाजसेवी और अंतिम यात्रा में शामिल होने आए लोगों ने बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया।
उदयपुर। बारिश के मोसम में उदयपुर में स्वाइन फ्लू के कहर ने चिकित्सा विभाग की नींद उड़ा दी है। शनिवार को भी पांच स्वाइन फ्लू के मरीज पोजेटिव निकले। इससे पहले एक की मृत्यु हो जाने से चिकित्सा विभाग सकते में आगया है। शनिवार को चिकित्सा विभाग की टीम दिन भर प्रभावित इलाकों में दवाइयां बांटने में लगी रही।
गर्मी के बाद बारिश के मौसम में जहाँ मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से बचने की कोशिश में रहता है चिकित्सा विभाग लेकिन अचानक स्वाइन फ्लू के मरीज आने से चिकित्साविभाग में हडकंप मच गया है। जनवरी से अब तक अकेले उदयपुर २१ मरीज स्वाइन फ्लू के आचुके है जिसमे पांच मरीज की पुष्ठी आज हुई इसके अलावा एक मरीज जयपुर का और २ मरीज चित्तोड़ के बताये जारहे है। स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मरीज भुवाणा निवासी 57 वर्षीय अनिल मेहता की शुक्रवार सुबह अहमदाबाद के अस्पताल में मौत हो गई। स्वाइन फ्लू से यह इस साल की दूसरी मौत है। दीप्ती सीएमेचो राघवेन्द्र रॉय ने बताया कि सर्दी-गर्मी के बाद अब बारिश में भी स्वाइन फ्लू के केस सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए पॉजिटिव मरीजों के परिजनों और आस-पास के लोगों के सैंपल लेकर लैब भेजे हैं। चिकित्सकों की टीम स्वाइन फ्लू से प्रभावित परिवारों और क्षेत्रों की स्क्रीनिंग कर रही है। कई लोगों का चेकअप करवा कर जांच करवाई गयी है। जहाँ जरूरत हो वहां दवाईया भी दी जारही है।
पिछले तीन दिन से जुकाम और बुखार से पीड़ित गोवर्धन विलास थानाधिकारी गीतांजलि हॉस्पिटल में भर्ती थे। शुक्रवार को दोपहर स्वाइन फ्लू जांच रिपोर्ट पॉजिटिव निकली। इसके बाद उन्हें अहमदाबाद के लिए रैफर कर दिया गया है। थानाधिकारी ने बताया कि उनकी हालत अभी सामान्य है। एहतियात के तौर पर सावधानियां बरती जा रही हैं। सीएमएचओ डॉ. संजीव टांक और डिप्टी सीएमएचओ डॉ. राघवेन्द्र राय ने बताया कि कई टीमें भेजकर भुवाणा, गिर्वा तहसील कार्यालय, गोवर्धन विलास, पानेरियों की मादड़ी सहित जिले के कई क्षेत्रों में इसकी दवाई बंटवाई।
गौरतलब है कि जिले में इस साल अब तक 21और 4 साल में 231 स्वाइन फ्लू के पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं। इनमें से 20 की मौत हो चुकी है। इस साल जनवरी से अभी तक एमबी हॉस्पिटल के 21 स्वाइन फ्लू के पॉजिटिव केस सामने आ चुका है। इस वर्ष पहली बार ऐसा हुआ जब गर्मी के मौसम में 30 अप्रैल को स्वाइन फ्लू का पहला केस सामने आया था। यह केस शहर के फतहपुरा के 60 वर्षीय बुजुर्ग पुरुष का था। इसके बाद 9 मई को आरएनटी मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट को स्वाइन फ्लू हुआ था। रेजीडेंट पिछले अहमदाबाद में वेंटिलेटर पर रखा गया था।
इस साल 29 मई को भी उदयपुर निवासी वंदना शर्मा (भानु कुमार शास्त्री के भाई की पत्नी) की अहमदाबाद में मौत हो गई थी। इसके बाद इस साल बारिश का स्वाइन फ्लू पॉजिटिव रोगी 5 जुलाई को सामने आया था। हाल कमला नगर निवासी एक एनआरआई पुरुष स्वाइन फ्लू संदिग्ध रोगी एक निजी अस्पताल में पहुंचा, जहां जांच में वह स्वाइन फ्लू पॉजिटिव निकला। गत 28 जून को चित्तौडग़ढ़ निवासी 30 वर्षीय एक स्वाइन फ्लू रोगी अस्पताल में भर्ती हुआ है, जो उपचार के बाद स्वस्थ होकर अपने घर लौट गया है।
.गिर्वा ब्लाॅक में दो नंदघरों का उद्घाटन एवं सराडा ब्लाॅक के 318 आंगनवाड़ी केन्द्र ‘ख़ुशी‘ में शामिल .हिन्दुस्तान जिंक व राजस्थान सरकार 3089 आंगनवाड़ी केन्द्रों के शुद्दिकरण के लिए कटिबद्ध। .उदयपुर में अब तक 1335 में से 1157 आंगनवाड़ी केन्द्र हो चुके हैं ‘ख़ुशी’ में शामिल .उदयपुर में अब तक 20 नंदघरों का एवं देष में 100 से अधिक नंदघरों का निर्माण
उदयपुर । कार्यक्रम की मुख्य अतिथि माननीया महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिता भदेल ने उदयपुर में रवाॅं गाॅंव में धावड़ीतलाई एवं रवाॅं नंदघरां का उद्घाटन करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि सबसे ज्यादा जरूरी एवं महत्वपूर्ण है इंसान को इंसान बनाना। उन्होंने बताया कि विगत 2-3 वर्षों में आंगनवाड़ी केन्द्रों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है स्थानीय लोग तथा पेरेंटस आगंनवाडी केन्द्रों की मूलभूत सुविधाएं देखे और अपने नौनिहालों को षिक्षा के लिए ‘खुषी’ आंगनवाड़ी केन्द्र जरूर भेजे। आंगनवाड़ी केन्द्र में षिक्षा के साथ-साथ पौष्टिक आहार भी मिलता है जिससे बच्चे कुपोषण से मुक्त होंगे और स्वस्थ रहेंगे। ग्रामीण बच्चों के विकास के लिए सुविधाएं युक्त ‘ख़ुशी’ आंगनवाड़ी केन्द्र उपलब्ध कराने के लिए वेदान्ता-हिन्दुस्तान जिंक का बहुत-बहुत आभार व्यक्त किया। स्थानीय लोगों का आव्हान किया कि आंगनवाड़ी केन्द्रों की सुविधाओं का भरपूर लाभ उठाएं तथा माताएं अपने बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए षिक्षा जरूर दिलाये। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी जोर देकर कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता यषोदा बनकर बच्चों की बालकृष्ण की तरह देखभाल करें तथा सुनिष्चित करें कि बच्चें नियमित केन्द्र पर आये। उन्होंने बताया कि सरकार आंगनवाड़ी केन्द्रों को नंदघर में कनवर्ट करना चाहती हैं जिससे बच्चों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं मिल सके।
इस अवसर पर माननीय ग्रामीण विधायक श्री फूल सिंह मीणा ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वेदान्ता-हिन्दुस्तान जिंक के बहुत-बहुत आभारी जिन्होंने गिर्वा पंचायत ग्रामीण क्षेत्र में सुविधाओं युक्त ‘ख़ुशी’ नंदघर आंगनवाड़ी केन्द्र उपलब्ध कराये हैं। इन सुविधाओं से निष्चित रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों के बच्चों का विकास होगा। आंगनवाड़ी केन्द्रों पर बच्चे प्रेरित होकर षिक्षा के लिए नंदघर केन्द्रों पर आएंगे और षिक्षत होकर आगे बढेंगे। उन्होंने बालिका षिक्षा पर जोर देते हुए बताया कि विद्यालयों में षिक्षा स्तर में पर्याप्त सुधार आया है। उन्होंने स्वयं ने भी बालिका षिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 80 प्रतिषत से अधिक अंक प्राप्त करने वाली बालिकाओं को हवाई यात्रा के लिए प्रोत्साहित किया है।
हिन्दुस्तान जिंक की सी.एस.आर. हेड श्रीमती नीलिमा खेतान ने नंदघर योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी। लोकार्पण समारोह में जिला प्रमुख श्री शांति लाल मेघवाल, गिर्वा पंचायत समिति के प्रधान श्री तख्त सिंह शक्तावत तथा हिन्दुस्तान जिं़क मजदूर संघ के महामंत्री श्री लालू राम ने भी अपने विचार व्यक्त किये तथा हिन्दुस्तान जिं़क की पहल को अनुकरणीय बताया। इस अवसर पर सरंपच पार्वती मीणा, उपनिदेषक महिला एवं बाल विकास श्रीमती तरूण सुराणा, गिर्वा पंचायत समिति के विकास अधिकारी, सेवा मंदिर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीमती प्रियंका, हिन्दुस्तान ज़िंक के सीएसआर अधिकारी, सेवा मंदिर के प्रतिनिधि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं स्थानीय जनसमुदाय के लोग उपस्थित रहे।
हिन्दुस्तान जिंक की ’ख़ुशी‘ परियोजना के तहत सराडा ब्लाॅक के 318 आंगनवाडी केन्द्रों को शामिल करने हेतु चावण्ड में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर माननीया महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिता भदेल ने कहा कि सभी सराड़ा ब्लाॅक के आंगनवाड़ी केन्द्रों को ’ख़ुशी’ परियोजना से जुड़ने से यहां के ग्रामीण बच्चें लाभान्वित होंगे और इसी कार्यक्रम की वजह से आपसे मिलने का अवसर मिला है। हम आषा करते हैं कि गिर्वा ब्लाॅक की तरह सराड़ा ब्लाॅक में भी नंदघर योजना को क्रिन्यान्वित किया जाए। उदयपुर के सराडा ब्लाॅक के इन आंगनवाड़ी केन्द्रों को सुदृढ बनाने के लिये हिन्दुस्तान जिंक ने सेवा मंदिर को अनुबंधित किया है। इस अवसर पर जिला प्रमुख श्री शांति लाल मेघवाल, सलूम्बर के विधायक श्री अमृत लाल मीणा, सराड़ा पंचायत समिति के प्रधान श्री मोहन खराड़ी, सराड़ा के तहसीलदार एवं सराड़ा पंचायत समिति के विकास अधिकारी, हिन्दुस्तान जिंक एवं सेवा मंदिर के अधिकारी एवं स्थानीय लोग उपस्थित रहे।
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ज्ञातव्य रहे कि गिरवा ब्लाॅक के धावड़ीतलाई एवं रवाॅं के नंदघरो में अब अन्य आंगनवाडी केन्द्रों की सुविधा के अलावा आधुनिक सुविधाएं जैसे मनोरंजक शिक्षा हेतु टीवी, पंखे, शुद्ध पेयजल के लिये आरओ, बिजली हेतु सौलर पैनल, खिलौने एवं शौचालय का निर्माण किया गया है।
इन दोनो नंदघरों में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड एवं राजस्थान सरकार द्वारा इन केंद्रों पर ’’ख़ुशी’’ बाल विकास परियोजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों को बालसहज एवं सुविधाजनक बनाने के लिये आकर्षक चित्रकारी, सोलर सिस्टम, स्वच्छ पेयजल हेतु आर.ओ, बच्चों के लिये खिलौने आदि उपलब्ध करवाये गये।
उदयपुर में इन केन्द्रो के साथ ही अब तक 20 नंदघरों को निर्माण कराया जा चूका है एवं 100 नंदघरों का कार्य प्रगति पर है।
उल्लेखनिय है कि हिन्दुस्तान जिंक ने राजस्थान सरकार से उदयपुर, राजसमंद, चित्तौडगढ़, भीलवाडा एवं अजमेर जिलों की 3089 आंगनवाडियों के 6 वर्ष से कम की आयु के ग्रामीण बच्चों को आवष्यक सुविधाएं देने के लिए गोद लिया।
हिन्दुस्तान जिंक के हेड-काॅरपोरेट कम्यूनिकेषन एवं खुषी अभियान के फाउण्डर पवन कौषिक ने बताया कि ’’ख़ुशी’’ अभियान के माध्यम से ना सिर्फ हिन्दुस्तान जिंक ग्रामीण बच्चों के स्वास्थ्य षिक्षा व पोषाहार में परिवर्तन ला रहा है बल्कि वंचित बच्चों के प्रति संपूर्ण भारत में जागरूकता भी ला रहा है। वहीं वेदान्ता द्व
उदयपुर। चित्तौड़गढ़ जिले के सांवलिया चौराहे पर शुकवार तड़के टैम्पा ट्रेक्स रोड पर खड़े ट्रोले में जा घुसी, जिससे 5 महिलाओं की मौके पर ही मौत हो गई तथा एक अन्य ने अस्पताल ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया। हादसे में 8 घायल भी हुए है। सभी मृतक और घायल डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा कस्बे के निवासी है। हादसा सुबह 5 बजे हुआ।
घायलों को चित्तौड़गढ़ के सावलिया चिकित्सालय ले जाया गया जहां पर अफरा तफरी का माहौल बन गया। सूचना मिलते ही आला अधिकारी अस्पताल पहुंच घायलों को चिकित्सा मुहैया करवाने में मदद करने लगे। घायलों में 5 की हालत गंभीर बनी हुई है।
खाटू श्याम के दर्शन करने निकले थे
दो टेम्पो ट्रैक्स के साथ सागवाड़ा कस्बे में 24 महिलाए खाटू श्याम के दर्शन करने निकले थे। दर्शन कर लौट रहे थे रास्ते में सांवरियाजी के दर्शन के लिए जा रहे थे। दर्शन करने से पहले ही यह हादसा हो गया। सभी घायल व मृतक सागवाड़ा निवासी होकर सोमपुरा जाति के है।