फेसबुक पर उपलब्ध होगी चुनावी जानकारियां

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उदयपुर। विधानसभा चुनाव की तर्ज पर लोकसभा चुनाव में 75 से 80 फीसदी मतदान के लिए चुनाव विभाग ने अब सोशल मीडिया पर भी ध्यान केंद्रित किया है। इसके तहत फेसबुक पर चुनावी जानकारियां उपलब्ध कराई जाएगी। इसी तरह मोबाइल एप्लिकेशन (एप ) के जरिये वोटर मतदान केंद्र की जानकारी ले सकेंंगे और मोबाइल व टेलीफोन की कॉलर ट्यून से मतदाताओं को जागरूक किया जाएगा।
जानकारी के अनुसार मुख्य निर्वाचन अधिकारी अशोक जैन ने हाल ही में ही फेसबुक, मोबाइल एप और कॉलर ट्यून लांच किए तथा मतदान का महत्व जन -जन तक पहुंचने के लिए जागरूकता संदेश के पोस्टर भी जारी किए गए हैं।
निर्वाचन अधिकारी के अनुसार फेसबुक पेज, मोबाइल एप और कॉलर ट्यून क्रसमय है चुनने का…, सपनों को बुनने का…ञ्ज के माध्यम से लोक सभा चुनाव का संदेश जन-जन तक पहुंचेगा।
मोबाइल एप के माध्यम से मतदाता केंद्र, भाग संख्या आदि की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। निर्वाचन अधिकारी के अनुसार मतदाता जागरूकता अभियान के कारण ही दो बार मतदाता सूचियों में नाम जोडऩे के लिए मांगे गए आवेदनों के दौरान लोगों ने बढ़-चढ़कर आवेदन किया।
कैमरे की रहेगी नजऱ
उदयपुर लोकसभा सीट के सभी संवेदनशील और अति संवेदनशील मतदान केंद्रों पर स्वतंत्र और निष्पक्ष मतदान के लिए मतदान केंद्रों पर बूथ केप्चरिंग, मतदान को बलपूर्वक प्रभावित करने जैसी प्रवर्तियों को रोकने के लिए वेब कास्टिंग की व्यवस्था भी की जाएगी। इन केंद्रों पर हर पल की हर हरकत पर कैमरे की नजऱ रहेगी।
कॉलर ट्यून
मोबाइल फोन पर चुनावी गीत क्रसमय है चुनने…ञ्ज कॉलर ट्यून निशुल्क उपलब्ध करवाई जाएगी। यह सुविधा मोबाइल प्रदाता एयरटेल, एमटी एस, वोडाफोन, बीएसएनएल, रिलायंस एवं टाटा अपने मोबाइल फोन नंबरों पर उपलब्ध करवा सकेंगे।
यहां मिलेगा मोबाइल एप
चुनावी मोबाइल एप एंड्रॉयड सिस्टम पर आधारित होगा। जिसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकेगा। इस एप पर निर्वाचन संबंधी जानकारी के अलावा वोटर कार्ड क्रमांक के आधार पर मतदाता सूचि 2014 में अपना नाम और मतदान केंद्र का पता खोज सकेगा।

नाबालिग पत्नी ने पति पर लगाया छेड़छाड़ का आरोप

indexआरोपी पति गिरफ्तार
उदयपुर। वल्लभनगर क्षेत्र में दरोली निवासी एक नाबालिग पत्नी ने उसके पति के खिलाफ छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया। पुलिस ने मामला दर्जकर आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया। उसे न्यायालय ने जेल भेज दिया।
पुलिस ने अनुसार दरोली निवासी एक नाबालिग विवाहिता ने रिपोर्ट में बताया कि उसकी शादी दरोली निवासी जगदीश पुत्र सुखलाल डांगी से लगभग एक साल पहले हुई थी। विवाहिता कुछ समय पूर्व उसके पिता वल्लभनगर निवासी गहरीलाल डांगी के घर रहने के लिए आई थी। कुछ समय बाद आरोपी जगदीश उसके कुछ साथियों के साथ वहां पर आया और जबरन साथ ले जाने लगा। विरोध करने पर जगदीश ने उसकी पत्नी की पिटाई शुरू कर दी। बाद में विवाहिता ने पिता के साथ आरोपी पति के खिलाफ छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया। पुलिस ने मामला दर्जकर आरोपी जगदीश को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आरोपी को न्यायायल में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
हम न अजनबी है न पराये है, आपके ही जिस्मो जान के साए है।
जब भी जी चाहे महसूस कर लेना, हम तो आपकी ही साँसों में समाये है।।

भींडर के साथ समर्थकों की सांवरियाजी पदयात्रा शुरू

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भींडर। राजस्थान विधानसभा चुनाव में वल्लभनगर विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज करने पर कार्यकर्ताओं की मांगी गई मन्नत पूरी होने की खुशी में वल्लभनगर विधायक रणधीरसिंह भींडर ने अपने सैंकडों कार्यकर्ताओं के साथ भींडर से चित्तौडग़ढ़ जिले में स्थित सांवरिया सेठ मंदिर तक पदयात्रा आज सुबह शुरू कर दी। पदयात्रा सुबह ११.३० बजे भींडर स्थित विधायक आवास से रवाना होकर धारता, कलवल, तेलनखेड़ी, ईडरा होते हुए मंगलवाड़ पहुंचेगी। वहां पर रात्रि विश्राम के बाद २१ मार्च सुबह मंगलवाड़ से रवाना होकर मोरवन, वेरीपुरा, भाटोली, गुजरान आदि गांवों से होते हुए सांवरिया सेठ मंदिर पहुंचेगी। यहां पर दोपहर दो बजे जनता सेना के कार्यकर्ताओं का महासम्मेलन आयोजित होगा, जिसमें जनता सेना के वरिष्ट पदाधिकारी कार्यकर्ताओं से आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति पर विचार-विमर्श के बाद कार्य योजना तैयार की जाएगी।
अहमदाबाद से भी आए ३० कार्यकर्ता
वल्लभनगर विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज करने पर कार्यकर्ताओं की मांगी गई मन्नत पूरी होने की खुशी में सांवरियांजी पदयात्रा में शामिल होने के लिए ३० कार्यकर्ता अहमदाबाद से आए हैं, जो पदयात्रा में शामिल हुए। इनमें मुकेश जाट, उदयलाल डांगी, जगदीश डगवाल, दिनेश प्रजापत, तोलीराम, खेमराज डगवाल, हीरालाल डगवाल, भगवानलाल गुर्जर, चुन्नीलाल, तरूण, जगदीश डगवाल, प्रकाश जाट, राजू जाट शामिल हैं।
संभव है लोकसभा उम्मीदवार की घोषणा
शुक्रवार को सांवरिया मंदिर प्रागंण में होने वाले जनता सेना के महासम्मेलन में कार्यकर्ताओं से रायशुमारी करने के बाद जनता सेना की तरफ से चित्तौडग़ढ़ लोकसभा सीट के लिए निर्दलीय प्रत्याशी की घोषणा भी की जा सकती है। इससे इस लोकसभा सीट पर भाजपा व कांग्रेस के साथ निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में होने से त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है।
शक्ति प्रदर्शन
विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने पर वल्लभनगर विधायक रणधीरसिंह भींडर द्वारा निकाली जा रही इस पदयात्रा का जुड़ाव आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए भी लग रहा है। पदयात्रा भींडर से रवाना होने के बाद चित्तौडग़ढ़ जिले के विभिन्न गांवों से होते हुए सांवरिया सेठ मंदिर पहुंचेगी। इसमें वल्लभनगर विधानसभा क्षेत्र के अलावा मावली, लसाडिय़ा, डूंगला, बड़ीसादड़ी, निम्बाहेड़ा, कपासन, बेंगू एवं चित्तौडग़ढ़ क्षेत्र से भी लोग इसमें शामिल हैं। २१ मार्च सुबह ११ बजे सांवरिया सेठ मंदिर के यहां पर हजारों कार्यकर्ताओं का सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। यह सम्मेलन एक तरह से लोकसभा चुनाव को देखते हुए शक्ति प्रदर्शन भी माना जा रहा है।

नहीं बदले हैं मुसलमानों के हालातः कुंडू

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मुसलमानों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक पिछड़ेपन की स्थिति जानने के लिए गठित सच्चर कमेटी की सिफ़ारिशों के क्रियान्वयन की हक़ीक़त को जानने के लिए प्रोफ़ेसर अमिताभ कुंडू की अध्यक्षता में बनी समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को सौंप दी है.

131224130011_prof_amitabh_kundu_304x171_bbc_nocreditइस रिपोर्ट में डाइवर्सिटी आयोग बनाने के साथ-साथ कई सुझाव दिए हैं. समिति का मानना है कि कई मामलों में सच्चर कमेटी की सिफ़ारिशों को लागू किए जाने का असर नज़र आ रहा है.
कुंडू ने कहा, “हमारी समिति का सुझाव है कि क्लिक करें आरक्षण से देश में परिवर्तन लाने की कोशिश की बहुत सी सीमाएं हैं क्योंकि सरकारी क्षेत्र में रोज़गार बढ़ नहीं रहा है बल्कि कम हो रहा है और आरक्षण सरकारी क्षेत्र तक सीमित है.”

उन्होंने कहा, “हमने सिफ़ारिश की है कि डाइवर्सिटी इंडेक्स के आधार पर अगर हम कुछ इंसेटिव दे सकें और इस इंसेंटिव सिस्टम में निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों को शामिल कर सकें तो उसका असर ज़्यादा कारगर साबित होगा.”

उन्होंने साथ ही कहा, “हमने सिफ़ारिश की है कि एक डाइवर्सिटी कमीशन बनाना चाहिए. जिन संस्थाओं ने डाइवर्सिटी को बनाकर रखा है, जिन्होंने अपनी नियुक्तियों में, फ़ायदे देने में अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति-जनजाति का ख़्याल रखा है, लैंगिक समानता का ध्यान रखा है- उसकी एक रेटिंग होगी. उस रेटिंग में जो ऊपर आएंगे उन्हें सरकार की ओर से कुछ छूट दी जा सकती है, कुछ उन्हें फंड दिए जा सकते हैं.”

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आरक्षण
प्रोफ़ेसर कुंडू ने कहा,  मुस्लिम समुदाय में ऐसे बहुत से पेशे हैं जिनमें वे अनुसूचित जातियों वाले काम करते हैं. हमने कहा है कि उन्हें भी अनुसूचित जाति के दर्जे में रखना चाहिए, उन्हें भी आरक्षण देना चाहिए. अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए जो क़ानून है (अनुसूचित जाति और जनजाति, अत्याचार निवारण, क़ानून, 1989) उसके दायरे में मुस्लिम समुदाय को भी लाया जा सकता है.”

उन्होंने कहा, “रोज़गार के क्षेत्र में मुसलमानों की ऋण ज़रूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं, उन्हें बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए. शिक्षा के क्षेत्र में भी मुस्लिम लड़कियां विशेषकर 13 साल के बाद स्कूल छोड़ देती हैं, उसमें सुधार की ज़रूरत है.”

कुंडू ने कहा, “यह कहना तो ग़लत होगा कि सरकार ने सच्चर कमेटी की सिफ़ारिशों को लागू करने की कोशिश नहीं की है. उन्होंने योजनाएं बनाई हैं, उन्हें लागू किया है लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त यह है कि जो परिणाम हासिल होने चाहिए थे वे नहीं हुए.”
उन्होंने कहा, ” गुजरात में मुसलमानों में ग़रीबी की जो दर है वह राष्ट्रीय दर से बहुत कम है, आधे से भी कम है लेकिन ऐसा नहीं है कि गुजरात की यह स्थिति अभी की ही है. आज से 10 साल पहले भी गुजरात में मुसलमानों में ग़रीबी बहुत अधिक नहीं थी.”

 

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गुजरात के मुसलमान

प्रोफ़ेसर कुंडू ने कहा, “इसके कारण ऐतिहासिक हैं और हमें देखना होगा कि मुस्लिम समुदाय किस तरह के रोज़गार कर रहा है. वह किसान नहीं हैं, वह व्यापार कर रहा है, उनके पास कुछ तकनीकी दक्षता वाली नौकरियां हैं, जिनके आधार पर उनकी आमदनी ठीक है और उनका उपभोग व्यय (जिसके आधार पर ग़रीबी निकाली जाती है) भी अधिक है.”

उन्होंने कहा, “दरअसल गुजरात में मुसलमानों की अच्छी चीज़ें हैं उसके लिए क्लिक करें नरेंद्र मोदी को श्रेय नहीं दिया जा सकता और जो ख़राब स्थिति है उसके लिए भी उन्हें ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.”
कुंडू ने कहा, “अगर आप भेदभाव को मानसिक स्थिति के रूप में देखें तो उसे मापने का कोई ज़रिया हमारी समिति के पास नहीं है. हमने यह देखा कि केंद्र के जो कार्यक्रम राज्य सरकार के मार्फ़त लागू होते हैं उनकी गुजरात में क्या स्थिति है?

उन्होंने कहा, “दो-तीन कार्यक्रमों में हमने देखा, जैसे कि छात्रवृत्ति के कार्यक्रम में गुजरात सरकार जो कर सकती थी उसने वह नहीं किया. इन मामलों में उसका प्रदर्शन अन्य राज्यों के मुकाबले कमज़ोर रहा.”

मेवाड़ की 4 सीटों पर रोमांच, कांग्रेसी दिग्गजों को टक्कर देंगी BJP की युवा ब्रिगेड

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उदयपुर. भाजपा द्वारा प्रत्याशियों की घोषणा के बाद बुधवार को मेवाड़ की चारों सीटों पर मुकाबले तय हो गए हैं। मेवाड़ की उदयपुर, राजसमंद, चित्तौडग़ढ़ व बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीटों पर भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच ही सीधा मुकाबला होना है। कांग्रेस ने बांसवाड़ा-डूंगरपुर से ही महेंद्रजीत सिंह मालवीया की पत्नी के रूप में नया चेहरा उतारा है। बाकी तीन सीटों पर मौजूदा सांसद का मुकाबला भाजपा के नए चेहरों से होना है। भाजपा के घोषित प्रत्याशी पहली बार लोकसभा का चुनाव लडऩे जा रहे हैं। छह माह पहले हुए विधानसभा चुनावों के परिणामों के मुताबिक कांग्रेस का आत्मविश्वास कमजोर दिखाई दे रहा है, लेकिन भाजपा के दिग्गज सामने नहीं आने से कांग्रेस में कुछ मायूसी कम हुई है।

भाजपा में नए चेहरे क्यों
पार्टी सूत्रों के मुताबिक छह माह पहले विधानसभा चुनावों में भाजपा ने मेवाड़ की 28 सीटों में से 12 सीटों पर नए चेहरे उतारे थे, जिसमें से दस जीते थे। कांग्रेस ने पांच नए चेहरों पर दांव खेला था, लेकिन सभी हार गए थे।

कांग्रेस में पुराने क्यों
सत्ता व कांग्रेस विरोधी लहर के कारण इस बार कांग्रेस में चुनाव लडऩे वाले दावेदारों की संख्या काफी कम थी। यही वजह है कि तीनों सीटों पर मौजूदा सांसदों को ही टिकट दिया गया है।

दोनों पार्टियों के लिए चुनौती
कांग्रेस- गत विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का जनजाति वोट बैंक खिसक गया था, जिसको दुबारा हासिल करना है। विधानसभा चुनावों में मेवाड़ की 28 सीटों में से 25 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। जनजाति उपयोजना क्षेत्र में कांग्रेस को सिर्फ दो सीट मिली थी। सत्ता व कांग्रेस विरोधी लहर में चुनाव जीतना बहुत मुश्किल है।

भाजपा- टिकटों को लेकर फिलहाल कोई विरोध सामने नहीं आया है। नए चेहरे होने से पूरे लोकसभा क्षेत्र में पहचान बनाने के लिए मशक्कत करनी पड़ सकती है। बड़े नेताओं का मार्गदर्शन लेना जरूरी होगा।

चारों सीटों पर सीधा मुकाबला
उदयपुर लोकसभा क्षेत्र
कांग्रेस : रघुवीर मीणा
चार विधानसभा व एक लोकसभा चुनाव जीता। अब तक नहीं हारे।

भाजपा : प्रत्याशी : अर्जुन मीणा
एक बार विधानसभा चुनाव जीते। पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे।

राजसमंद लोकसभा क्षेत्र
कांग्रेस : गोपाल सिंह शेखावत
दूसरी बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं।

भाजपा : हरिओम सिंह राठौड़
राजसमंद जिला प्रमुख रहे। लोकसभा का पहला चुनाव।

चित्तौडग़ढ़ लोकसभा क्षेत्र
कांग्रेस : डॉ. गिरिजा व्यास,
सातवीं बार लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं। चार बार जीती और दो बार हार का सामना करना पड़ा।

भाजपा : चंद्रप्रकाश (सीपी) जोशी
नया चेहरा। पहली बार चुनाव मैदान में ।

बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र
कांग्रेस : रेशम मालवीया
बांसवाड़ा की मौजूदा जिला प्रमुख। पति महेंद्रजीत सिंह मालवीया पूर्व कैबिनेट मंत्री व सांसद रह चुके हैं।

भाजपा : मानशंकर निनामा
घाटोल पंचायत समिति के प्रधान रहे। पहली बार बड़ा चुनाव लड़ेंगे।

उदयपुर में कैमिकल फैक्ट्री में आग से तबाही

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उदयपुर। राजस्थान के उदयपुर में बुधवार को एक कैमिकल फैक्ट्री में आग लग गई। आग दोपहर 2 बजे के लगभग शॉर्ट सर्किट से लगी। आग बुझाने को दमकलें लगी हुई है। अभी भी आग पर काबू नहीं पाया गया है।

जानकारी के अनुसार उदयपुर के कलड़वास रीको एरिया में स्थित सम्राट फैक्ट्री में दोपहर 2 बजे आग लग गई। कैमिकल होने के कारण आग काफी तेजी से फैली। आग इतनी भीषण थी कि लपटें काफी दूर तक नजर आई। सूचना मिलने पर नगर निगम की दमकलें मौके पर पहुंची।

समाचार लिखे जाने तक आग बुझ नहीं पाई। अभी भी करीब 20 प्रतिशत हिस्से में आग लगी हुई है। आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी। आग के चलते लाखों का नुकसान हुआ है। हालांकि गनीमत रही कि किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई।

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हत्या के दो आरोपी गिरफ्तार

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उदयपुर। होली के दिन सरेआम शास्त्रीसर्कल स्थित एक रेडिमेड शो-रूम में घुसकर हिस्ट्रीशीटर प्रवीण पालीवाल की हत्या के दो आरोपियों को पुलिस ने गुरूवार रात गिरफ्तार कर लिया। प्रारंभिक पूछताछ में आरोपी ने गैंगवार के चलते हुए झगड़े में प्रवीण की हत्या करना स्वीकारा है। हत्याकांड का मुख्य षड़यंत्रकर्ता नरेश ही था जो वारदात के बाद से फरार है।

arrested1पुलिस अधीक्षक अजयपाल लाम्बा ने बताया कि रामसिंह की बाड़ी सेक्टर-11 निवासी प्रवीण (34) पुत्र गणेशलाल पालीवाल की हत्या के मामले में नाड़ाखाड़ा सूरजपोल निवासी साहिल पुत्र सुन्दरलाल, रेलवे कॉलोनी अम्बामाता निवासी करणसिंह पुत्र मोतीसिंह को गोगुन्दा टोल नाके पर गिरफ्तार किया। आरोपी जोधपुर जाने के लिए वहां वीडियोकोच का इंतजार कर रहे थे। आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने साहिल के काका नरेश, हिरणमगरी थाने के हिस्ट्रीशीटर दलपतसिंह व चंचल महाराज को नामजद किया है।

आवरी माता व जोगणिया माता के दिए दर्शन: चंचल व दलपत से अलग होने के बाद साहिल व करण जगत (कुराबड़) होते हुए जोगणिया माता पहुंचे। वहां से बेगूं होकर चित्तौड़गढ़ के आवरीमाता आए। यहां से पुन: उदयपुर आकर जोधपुर जाने के लिए गोगुन्दा जा पहुंचे जहां पुलिस ने उन्हें धर दबोचा। पुलिस ने बताया कि वारदात के बाद से ही मुख्य षड़यंत्रकर्ता नरेश अपने परिवार सहित घर से फरार है।

झगड़े के पीछे गैंगवार

एसपी ने बताया कि झगडे के पीछे गैंगवार ही सामने आया है। आरोपी प्रवीण व नरेश एक समय साथ-साथ ही अपराध व प्रोपर्टी का काम करते थे लेकिन बाद में उनके बीच झगड़े हो गए। दोनों ने अपनी-अपनी गैंग बना ली। हर छोटी-छोटी बातों पर इनके बीच कई बार झगड़े हुए। दोनों ही पक्ष आदतन अपराधी होने से थानों तक इसकी सूचनाएं भी नहीं पहुंची। उलझी हुई जमीनों को सौदों में भी यह आमने-सामने हुए।

सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गए थे आरोपी

एसपी ने बताया कि प्रवीण व नरेश के बीच चल रही रंजिश के बाद से आरोपी संदिग्ध थे। शो-रूम में लगे सीसीटीवी कैमरे में भी वे कैद हो गए। आरोपियों को पकड़ने के लिए एएसपी राजेश भारद्वाज के नेतृत्व में उपाधीक्षक गोवर्घनलाल खटीक, थानाधिकारी रतन चावला, डबोक थानाधिकारी जीतेन्द्र आंचलिया, गोगुन्दा हनुवंतसिंह टीम के साथ ही स्पेशल टीम ने अलग-अलग जगह दबिश देकर आरोपियों को धर दबोचा।

कवर फायरिंग में साहिल के लगी गोली

आरोपियो ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने प्रवीण की रैकी की थी। शो-रूम में प्रवीण के जाने पर साहिल व दलपत भी अंदर घुसे तथा करण बाहर ही खड़ा रहा। तीनों के पास अलग-अलग पिस्टल थी। प्रवीण से बातचीत के बाद दलपत व साहिल ने उस पर अंधाधुंध फायर किए। भागने के लिए बाहर से करण ने भी फायर दागा जो साहिल के दांये पैर पर जा लगा। साहिल अपना जूता वहीं छोड़ साथियों के साथ कार में भाग निकला। आगे जाकर चारों आरोपी अलग-अलग हो गए।

आधा बीघा जमीन से किसान ने कमाए 260000 रूपये

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चित्तौड़गढ़। कहते हैं कि किस्मत भी मेहनत करने वालों का साथ देती है। ऎसा ही कारनामा राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के एक किसान नंदलाल ने कर दिखाया है। नंदलाल ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आधा बीघा जमीन में शिमला मिर्च की खेती से ढाई लाख की खरी कमाई की। साथ ही नंदलाल की बोई शिमला मिर्च की डिमांड फाइव स्टार होटलों में है और मिर्च की कीमत वह खुद तय करता है। इसके साथ ही नंदलाल की शिमला मिर्च जापान भी जा चुकी है।

खर्चा एक लाख, कमाई 3.60 लाख
modern farming265319-03-2014-02-03-99Wचित्तौड़गढ़ जिले के जेसिंघपुरा के किसान नन्दलाल जाट ने तीन साल पहले खेती करना शुरू किया। इसके तहत उसने केवल आधा बीघा जमीन में 60 çक्ंवटल शिमला मिर्च पैदा की। इस पर लगभग 1 लाख का खर्चा आया और कमाई हुई 3.60 लाख की। इस तरह से नंदलाल को 2.60 लाख का शुद्ध लाभ हुआ। नंदलाल सरपंच भी रह चुका है, इस दौरान उसने देश में कई जगहों की यात्रा की और खेती के मॉडल जाने।

ऎसे की शुरूआत
नंदलाल ने तीन साल पहले खेती करना शुरू किया। इसके तहत उसने पॉली हाऊस बनाया। उम्दा खाद-मिट्टी के मिश्रण से परफेक्ट धोरे बनाए और केवल तीस ग्राम शिमला मिर्च बीजों की पौध से 3000 पौधे 50 से.मी की दूरी पर लगाए। इसके साथ ही एक बेड पर दो लाइनें और हर पौधे पर 10-12 फीट क्लिप के साथ धागे बांधे गए ताकि मिर्चियों के वजन को पौधे झेल सके। पौधों को खाद ड्रीप से दिया गया। इसके बाद तीन महीने बाद मिर्ची लगनी शुरू हो गई। एक मिर्ची का वजन रहा 200 ग्राम। फसल का भाव मिला 60 रूपये प्रति किलो। इसके अलावा नंदलाल ने टमाटर, तर ककड़ी जैसे सब्जियों को आधुनिक खेती के तहत बोया।

गुजरात का वाडियाः जहां सजती है देह की मंडी

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बीते 80 सालों से भी ज़्यादा अरसे से ये रिवाज गुजरात के इस गाँव में बदस्तूर जारी है. इस गाँव में पैदा होने वाली लड़कियां वेश्यावृत्ति के धंधे को अपनाने के लिए एक तरह से अभिशप्त हैं.
तक़रीबन 600 लोगों की आबादी वाले इस गाँव की लड़कियों के लिए देह व्यापार के पेशे में उतरना एक अलिखित नियम सा बन गया है. यह गुजरात के बनास कांठा ज़िले का वाडिया गाँव है. इसे यौनकर्मियों के गाँव के तौर पर जाना जाता है. इस गाँव में पानी का कोई कनेक्शन नहीं है, कुछ ही घरों में बिजली की सुविधा है, स्कूल, बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएँ और सड़कें तक नहीं हैं.
साफ़ सफ़ाई जैसी कोई चीज़ इस गाँव में नहीं दिखाई देती लेकिन ये वो विकास नहीं हैं, जो इस गाँव की औरतें चाहती हैं. वे ऐसी ज़िंदगी की तलबगार हैं जिसमें उन्हें किसी दलाल या ख़रीदार की ज़रूरत न पड़े. वाडिया की औरतों का उस भारत से कोई जुड़ाव नहीं दिखाई देता जिसने हाल की मंगल के लिए एक उपग्रह छोड़ा है.
भारत के विकास की कहानी का इन औरतों के लिए केवल एक ही मतलब है कि अब उनके ज़्यादातर ग्राहक कारों में आते हैं. पिछले साठ सालों से वे यही ज़िदगी जी रही हैं.

तवायफ़ों का गाँव

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गुजरात की राजधानी गाँधीनगर से क़रीब 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ये वाडिया गाँव बीते कई दशकों से देह व्यापार से जुड़ा हुआ है. गाँव के ज़्यादातर मर्द दलाली करने लगे हैं और कई बार उन्हें अपने परिवार की औरतों के लिए खुलेआम ग्राहकों को फंसाते हुए देखा जा सकता है. इस गाँव के बाशिंदे ज़्यादातर यायावर जनजाति के हैं. इन्हें सरनिया जनजाति कहा जाता है.
माना जाता है कि ये राजस्थान से गुजरात आए थे. सनीबेन भी इस सरनिया जनजाति की हैं. उनकी उम्र कोई 55 साल की होगी और अब वह यौनकर्मी नहीं है. पड़ोस के गांव में छोटे-मोटे काम करके वह अपना गुजारा करती हैं. वह कहती हैं, “मैं तब दस बरस की रही होउंगी जब यौनकर्मी बनी थी. ख़राब स्वास्थ्य और ढलती उम्र की वजह से मैंने यह पेशा अब छोड़ दिया है.”
सनीबेन की तरह ही सोनीबेन ने भी उम्र ढल जाने के बाद यह पेशा छोड़ दिया. उन्होंने कहा, “मैं 40 बरस तक सेक्स वर्कर रही. अब मेरी उम्र हो गई है और गुज़ारा करना मुश्किल होता जा रहा है.” सनीबेन और सोनीबोन दोनों ही ये कहती हैं कि उनकी माँ और यहाँ तक कि उनकी माँ की माँ ने भी शादी नहीं की थी और इसी पेशे में थीं.

गर्भ निरोध

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सोनीबेन कहती हैं, “वाडिया में कई ऐसे घर थे और अब भी हैं, जहाँ माँ, माँ की माँ और बेटी तीनों के ही ग्राहक एक ही घर में एक ही वक़्त में आते हैं.” उन्होंने बताया, “हमारे दिनों में बच्चा गिराना आसान काम नहीं था. इसलिए ज़्यादातर लड़कियों को 11 बरस की उम्र होते-होते बच्चे हो जाते थे लेकिन अब औरतें बिना किसी हिचक के गर्भ निरोधक गोलियाँ लेती हैं और बच्चा गिरवाती भी हैं.”
हालांकि सोनीबेन का कहना है, “वाडिया की औरतों के लिए यौनकर्मी बनने के अलावा कोई और उपाय नहीं रहता है. उन्हें कोई काम भी नहीं देता है. अगर कोई काम दे भी देता है तो वह सोचता है कि हम उसे काम के बदले ख़ुद को सौंप देंगे.”
रमेशभाई सरनिया की उम्र 40 साल है और वह वाडिया में किराने की एक दुकान चलाते हैं. रमेशभाई के विस्तृत परिवार के कुछ लोग देह व्यापार के पेशे से जुड़े हुए हैं लेकिन उन्होंने ख़ुद को इस पेशे से बाहर कर लिया. रमेशभाई ने किसी अन्य गाँव की एक आदिवासी लड़की से शादी भी की.

स्कूल नहीं

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रमेशभाई कहते हैं, “वाडिया एक प्रतिबंधित नाम है. इस गाँव के बाहर हम में से ज़्यादातर लोग कभी यह नहीं कहते कि हम वाडिया से हैं नहीं तो लोग हमें नीची नज़र से देखेंगे. अगर आज कोई औरत अपने बच्चों ख़ासकर बेटियों की बेहतर ज़िंदगी की ख़्वाहिश रखती भी हैं तो उसके पास कोई विकल्प नहीं होता है.”
वह बताते हैं, “वहाँ शादी जैसी कोई परंपरा नहीं है. कोई अपने बाप का नाम नहीं जानता. ज़्यादातर लड़कियों का जन्म ही सेक्स वर्कर बनने के लिए होता है और मर्द दलाल बन जाते हैं. वाडिया के किसी बाशिंदे को कोई नौकरी तक नहीं देता है.” रमेशभाई की तीन बेटियाँ और दो बेटे हैं. उन्होंने अपने बड़े बेटे को स्कूल भेजा लेकिन बेटियों को नहीं.
उनका कहना है, “कुछ गिने चुने परिवारों ने यह तय किया कि वे अपनी बेटियों को देह व्यापार में नहीं जाने देंगे. वे कभी भी अपनी बेटियों को नज़र से दूर नहीं करते, यहाँ तक कि स्कूल भी नहीं भेजते. गाँव में सक्रिय दलालों से ख़तरे की भी आशंका रहती है. सुरक्षा कारणों से मैं अपनी बेटियों को स्कूल तक जाने की इजाज़त नहीं दे सकता. वे केवल शादी के बाद ही घर से बाहर जा पाएंगी.”

अग़वा का डर

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रमेशभाई को हाल ही में नया गुर्दा लगाया गया है. उनकी पत्नी ने उन्हें किडनी दी है. रमेशभाई की तरह ही वाडिया गाँव में 13 से 15 परिवार ऐसे हैं जो कि देह व्यापार के पेशे में अपनी बेटियों को नहीं भेजते हैं. हालांकि गाँव की कई लड़कियों ने प्राइमरी स्कूल तक की तालीम हासिल की है लेकिन वाडिया में ऐसी कोई भी लड़की नहीं है जिसने छठी के बाद स्कूल देखा हो.
क्योंकि कोई भी माँ-बाप अपनी बेटी को गाँव के बाहर इस डर से नहीं भेजना चाहते हैं कि कहीं दलाल उनकी बेटी को अग़वा न कर ले. ऐसा लगता है कि जैसे वाडिया को किसी की परवाह नहीं है. वाडिया की यौनकर्मियों के ख़रीदार समाज के सभी वर्गों से आते हैं. इनमें मुंबई से लेकर अहमदाबाद तक के कारोबारी हैं, पास के गाँवों के ज़मींदार हैं तो राजनेता भी और सरकारी अफ़सर भी.
वाडिया गाँव का ये पेशा राज्य सरकार की नाक के नीचे फलता फूलता रहा है. इस गाँव में एक पुलिस चौकी भी है लेकिन कोई पुलिसकर्मी शायद ही कभी यहाँ दिखाई देता है. हालांकि कुछ ग़ैर सरकारी संगठनों के अलावा शायद ही किसी ने वाडिया और उसकी औरतों के लिए सहानुभूति दिखाई हो.

सामाजिक समस्या

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बांसकांठा के पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार यादव कहते हैं, “जब भी हमें ये ख़बर मिली कि गाँव में कोई देह व्यापार कर रहा है तो हमने वहाँ छापा मारा. लेकिन इसके बावजूद हम वहाँ वेश्यावृत्ति को पूरी तरह से नहीं रोक पाए हैं क्योंकि यह एक सामाजिक समस्या है. ज़्यादातर परिवार अपनी लड़कियों को इस पेशे में भेजते रहे हैं.”
हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस की निगरानी बढ़ी है लेकिन दलालों और मानव तस्करों पर लगाम नहीं लगाई गई है. स्थानीय लोग बताते हैं कि ज़्यादातर गाँव वालों को पता होता है कि पुलिस कब आने वाली है और इन छापों का कोई नतीजा नहीं निकलता.
देह व्यापार में कमी के दावों को ख़ारिज करते हुए पड़ोस के गाँव में अस्पताल चलाने वाले एक डॉक्टर बताते हैं कि उनके पास कम उम्र की कई ऐसी लड़कियाँ और औरतें गर्भपात करवाने या फिर गुप्तांगों पर आई चोट की तकलीफ का निदान करवाने आती हैं. डॉक्टर ने अपना नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर बताया कि उसने किशोर उम्र की लड़कियों को गर्भपात कराने में मदद की है.

लिंग परीक्षण

वह कहते हैं, “गर्भपात के लिए आई कई लड़कियों की हालत बेहद नाज़ुक होती हैं क्योंकि वे गर्भ ठहर जाने के बाद भी यौन संबंध बनाती रहती हैं. मैं जानता हूँ कि जो मैं कर रहा हूँ वो अनैतिक है लेकिन इस गाँव में कई लड़कियाँ डॉक्टरी इलाज के अभाव में मर जाती हैं.”
डॉक्टर ने बताया कि दलाल कई बार इस बात पर ज़ोर देते हैं और कई बार तो धमकाते भी हैं कि मैं बच्चे के लिंग की जाँच करूं और अगर वो बेटी हो तो उसका गर्भपात न किया जाए.
उन्होंने कहा, “वे ये नहीं समझते कि एक 11 साल की लड़की बच्चे को जन्म नहीं दे सकती लेकिन उनके लिए एक लड़की आमदनी का केवल एक ज़रिया भर होती है. इसलिए मैं गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग के बारे में बता देता हूँ.”
देह व्यापार से जुड़ी औरतों के लिए काम करने वाले ग़ैर सरकारी संगठन ‘विचर्त समुदाय समर्पण मंच’ से जुड़ी मितल पटेल कहती हैं कि किसी भी सरकारी एजेंसी ने वाडिया गाँव के लोगों के लिए सहानुभूति नहीं रखी. मुझे लगता है कि यह उनके हित में है कि वाडिया के लोगों के हालात वैसे ही बने रहें.

सोजन्य -अंकुर जैन अहमदाबाद से, बीबीसी रिपोर्टर

जमीनों के कारोबार पर माफिया राज

कई जमीनों के सौदों में करके अपराधी कर रहे हैं मोटी कमाई, पुलिस की जानकारी में हो रहा है संगठित अपराध
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उदयपुर। उदयपुर में जमीनों के दामों में हो रही बढ़ोतरी से अपराधियों की इस व्यवसाय में गहरी रूचि पैदा हुई है। कुछ समय पूर्व शराब तस्करी के लिए मशहूर उदयपुर के अपराधियों का अब तस्करी से मोह भंग हो गया है। ये सभी लोग गिरोह बनाकर जमीनों का धंधा कर रहे हैं, जिनमें जमीनों को खाली कराना, आदिवासियों और ग्रामीणों को डरा-धमकाकर उनकी जमीनों की रजिस्ट्री कराना और बड़े भू व्यवसायियों के साथ मिलकर प्लानिंंग काटने जैसे कामों में लगे हैं। इस सारे गोरखधंधे से पुलिस अनजान नहीं है। कुछ समय पूर्व उदयपुर पुलिस ने भू-माफियाओं और अपराधियों की एक सूची तैयार की थी, लेकिन उनके खिलाफ पुलिस की कोई कार्रवाई नहीं होने से अपराधियों के हौंसले बढ़ गए। इसी कारण गोगुंदा क्षेत्र में हिस्ट्रीशीटर नरेश हरिजन पर हमला हुआ और बदला लेने की नीयत से उसके रिश्तेदार साहिल हरिजन ने प्रवीण की हत्या कर दी। बताया जा रहा है कि नरेश पर हुए हमले के पीछे प्रवीण का हाथ था। इसी प्रकार जमीन के कारोबार में नये-नये बदमाश उतर रहे हैं। इनमें से कुछ तो देखते ही देखते लाखों-करोड़ों में खेलने लगे हैं। इसी कारण युवाओं की रूचि भी इन बदमाशों के साथ रहने में बढ़ रही है, जिससे इनका गिरोह मजबूत बनता जा रहा है। शराब तस्करी और माइंस मालिकों से उगाही के बाद अब सबसे ज्यादा मालदार धंधा उदयपुर में जमीनों का हो गया है, जिस पर पुलिस की कोई पैनी नजर नहीं है। इससे पूर्व भी जमीनों से जुड़ें मामलों में कई लोगों की जानें गई हैं, जिन पर सख्त कार्रवाई नहीं होने या फिर गवाहों की कमी के कारण अपराधियों को न्यायालय द्वारा छोड़ देने से नये-पुराने अपराधी बेखौफ होकर घूम रहे हैं।
॥सभी थानाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि भूमाफियाओं को चिह्नित करें और जो नये भूमाफिया हैं। उनकी सूची तैयार की जाए। इसके साथ ही भूमाफियाओं पर अब तक दर्ज हुए मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाए।
-अजय लांबा, एसपी, उदयपुर