उदयपुर। लू के थपैड़े और गर्मी से निजात दिलाने के लिए बुधवार दोपहर को राहत की बरसात गिरी। और मौसम खुशनुमा कर दिया भीषण गर्मी और उमस से जूझ रहे शहर को आज बादलों ने अपनी आगोश में ले रखा था। दिन में ही सुहानी शाम का गुमान होने लगा था और दोपहर दो बजे बाद आधा घंटा गिरी बारिश ने माहोल भीगा भीगा सा कर दिया युवा मौसम का आनंद लेने झील के किनारे पहुंच गए, कहीं पकौड़ी तो कहीं चाय की चुस्कियां ली जा रही है। किसी के होंठो पे केसर कुल्फी, तो कोई कोल्ड ड्रिंक का मजा ले रहा है।
पिछले कई दिनों से उमस से राहत नहीं मिल पा रही थी और दिनभर लोग पसीने से तरबतर हो रहे थे। अन्य कई शहरों में प्री मानसून की दस्तक ने झीलों की नगरी का मौसम भी सुहाना कर दिया। आज सुबह से ही आसमान में बादल छाए हुए हैं। सुबह का तापमान 25.4 डिग्री रहा, जबकि अधिकतम 34.4 था, लेकिन आसमान में बादलों और ठंडी हवाओं ने मौसम का मिजाज बदल दिया। मौसम विभाग के अनुसार अगले तीन दिनों तक तापमान में तो कोई गिरावट नहीं आएगी, लेकिन आसमान में बादल छाए रहेंगे और बरसात की पूरी संभावना बनी हुई है।
मौसम हो गया ओसम
महेंद्रसिंह और लक्ष्यराज के समर्थक भिड़े
उदयपुर। महाराणा प्रताप जयंती पर मंगलवार सुबह मोती मगरी में पुष्पांजलि कार्यक्रम के दौरान मेवाड़ राजघराने का विवाद एक बार फिर सार्वजनिक हो गया। महेंद्रसिंह मेवाड़ के छोटे भाई अरविंदसिंह मेवाड़ के बेटे लक्ष्यराजसिंह पुष्पांजलि करके लौट रहे थे, तभी महेंद्रसिंह अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे। रास्ते में क्रोस होने पर लक्ष्यराजसिंह ने आदर पूर्वक अपने बड़े पिता को प्रणाम किया। महेंद्रसिंह ने अभिवादन का कोई जवाब नहीं दिया और दोनों आगे बढ़ गए, लेकिन उनके समर्थक एक-दूसरे को रास्ता नहीं देने पर अड़ गए। महेंद्रसिंह के समर्थकों ने तो लक्ष्यराज के समर्थकों को धकियाते हुए यह भी कह दिया कि हटो रे…!
इसके बाद महेंद्रसिंह मेवाड़ अपने समर्थकों के साथ सीढिय़ा उतर गए। सीढिय़ों के नीचे प्रताप स्मारक समिति के सचिव युद्धवीरसिंह और अन्य पदाधिकारी पांडाल में बैठे थे। तो महेंद्रसिंह के समर्थकों ने वहां जाकर कहा कि महाराणा साहब आ रहे हैं, तो उनके सम्मान में खड़े क्यों नहीं हो रहे हो? इस पर युद्धवीरसिंह ने कहा कि अपनी-अपनी मर्जी है, कोई खड़ा नहीं होना चाहता, तो नहीं होगा। कोई जबरदस्ती थोड़े ही है। दो तीन मिनिट तक असली और नकली महाराणा के बारे में गर्मागर्म बहस चलती रही। बाद में कुछ लोगों ने समझाइश करके मामला शांत किया। इस दौरान महेन्द्रसिंह और लक्ष्यराजसिंह दुर खड़े एक दुसरे को देखते रहे।
छात्रों को काबिल नहीं सफल बनाना चाहते हैं निजी स्कूल!
उदयपुर। फिल्म थ्री इडियट में वर्तमान शिक्षा पद्धति पर कई कटाक्ष किए गए थे। इस फिल्म ने शिक्षा को लेकर अब तक का नजरियां ही बदल दिया। फिल्म का एक डायलॉग का आशय यह है कि सफल बनने के लिए नहीं, बल्कि काबिल बनने के लिए पढ़ाई करनी चाहिए, क्योंकि काबिल होते ही सफलता अपने आप पीछे-पीछे आएगी, लेकिन हमारे शहर के निजी स्कूलों ने एक तुगलकी आदेश जारी करते हुए ७० प्रतिशत से कम अंक लाने वाले छात्रों को आर्स सब्जेक्ट लेने पर बाध्य कर दिया है। सभी स्कूलों में परसेंटेज के आधार पर सब्जेक्ट बांटे जा रहे हैं। इस मनमानी से छात्र और अभिभावक दोनों ही परेशान है। साइंस, कॉमर्स और आर्स विषय छात्रों की रूचि को अनदेखा करते हुए परसेंटेज के आधार पर बांट दिए हैं। बच्चे अपने रूचि के विषय लेने के लिए स्कूलों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, उनके माता-पिता स्कूलों के अध्यापकों से मिन्नतें कर रहे है और इन निजी स्कूलों का प्रशासन परसेंटेज की दुहाई देते हुए छात्रों को वो ही विषय लेने पर मजबूर कर रहा है, जिसमे बच्चे की कोई रूचि ही नहीं है।
कहीं कोई अंकुश नहीं:
छात्रों के अभिभावक बच्चों के भविष्य को लेकर चिन्तित है और निजी स्कूलों ने अपनी मनमानी चला रखी है। इन पर कोई अंकुश नहीं होने से इन्होंने खुद ही तय कर लिया कि साइंस वो ही छात्र पढ़ सकता है, जिसके नंबर 90 प्रतिशत से अधिक आए। कुछ निजी स्कूलों में पूछने व विरोध करने पर जवाब मिला कि यह स्कूल की अपनी व्यवस्था है। यदि आप नहीं चाहते, तो स्कूल से बच्चे को निकाल सकते हो।
क्या होना चाहिए :
हर स्कूल प्रशासन दसवीं के छात्र व उनके माता-पिता के साथ बैठकर काउंसलिंग करे और जाने कि छात्र आगे भविष्य में क्या करना चाहता है और उसके लिए कौनसा विषय उपयुक्त रहेगा। उसके बाद ही तय किया जाए कि छात्र को कौनसा विषय लेना है, न कि परसेंटेज की तलवार लटका कर उसके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जाए।
नहीं है ऐसे नियम
राज्य सरकार या केंद्र सरकार ने आरबीएससी व सीबीएससी में ऐसे कोई नियम नहीं रखे है कि छात्र को उसके परसेंटेज के आधार पर विषय में प्रवेश दिया जाए। सरकारी स्कूलों में ऐसे कोई नियम लागू नहीं है। छात्र को उसकी रूचि और भविष्य को देखते हुए उसके द्वारा चुना हुआ विषय दिया जा रहा है। हर छात्र का हक है कि वह अपनी रूचि के हिसाब से विषय का चयन करे।
स्कूलों के मनमाने नियम
दसवीं के बाद छात्र को साइंस, कॉमर्स, और आट्र्स में से कोई एक सब्जेक्ट चुनना होता है। निजी स्कूलों ने परसेंटेज के आधार पर इन विषयों को बांट कर अपने मनमाने नियम छात्रों पर थोप दिए हंै। 100 से
85 परसेंटेज लाने वाले छात्र को साइंस, 85 से 70 लाने वाले को कॉमर्स और 70 से नीचे वालों के लिए सिर्फ एक ही विकल्प है कि वह आट्र्स ले ले। इस मनमानी के चलते कई बच्चों के माता-पिता को अपने बच्चे के भविष्य के प्लान के बारे में ही चिंता होने लगी है, क्योंकि 80 परसेंट लाने वाला छात्र भी साइंस में प्रवेश नहीं ले सकता है और 70 परसेंट से कम लाने वालों के लिए तो सिर्फ एक ही रास्ता है कि वह आट्र्स ले लो।
[quote_box author=”कृष्णा चौहान” profession=” डीओ (फर्स्ट) उदयपुर “]सरकार के ऐसे कोई आदेश नहीं है कि परसेंटेज के आधार पर विषय दिया जाए। मैं अपने स्तर पर मामले की जांच करवाती है। उचित कार्रवाई की जाएगी।[/quote_box]
आत्महत्या करने पहुंची महिला को लोगों ने बचाया
उदयपुर। दूधतलाई पर आज सुबह आत्महत्या करने पहुंची एक महिला को वहां पर घूमने वाले लोगों ने बचा लिया। महिला को पति ने छोड़ रखा है और वर्तमान में पे्रमी के साथ रह रही है। दो दिन पूर्व प्रेमी ने भी उसके साथ मारपीट की, जिससे वह नाराज थीं।
सूत्रों के अनुसार प्रतापनगर हाल रेलवे कॉलोनी (सिटी स्टेशन) निवासी पूजा जैन पत्नी अनंत कुमार जैन आज सुबह दूधतलाई पर पीछोला की पाल के पास घूम रही थी। उसी दौरान जब वह आत्महत्या के लिए पीछोला में कूदने लगी, तो वहां पर घूम रहे लोगों ने उसे बचा लिया। बताया जा रहा है कि पूजा ने छह साल पहले अनंत कुमार से शादी की, लेकिन दोनों के आपसी विवाद के कारण अनंत कुमार ने उसे छोड़ दिया। पूजा के पांच साल की एक लड़की व एक साल का लड़का है। पूजा ने बताया कि वह उसके पति को छोडऩे के बाद उदयपुर, रेलवे कॉलोनी निवासी सुरेंद्रसिंह राजपूत के साथ रह रही थी। दो दिन पूर्व सुरेन्द्रसिंह ने पूजा के साथ मारपीट की थी। जिससे परेशान होकर पूजा ने आज आत्महत्या का मन बना लिया और दूधतलाई चली गई, जहां लोगों ने उसे बचा लिया।
बरसों से फतह सागर का पानी चुरा रहा है पार्षद पति।
उदयपुर। फतहसागर से पानी चोरी हो रहा है और ये और कोई नहीं उस क्षेत्र का पार्षद पति ही कर रहा है। पार्षद पति द्वारा तालाब किनारे डीजी सेट लगाकर सिंचाई के लिए पानी चुराया जा रहा है। जब पार्षद पति से पूछा गया कि वो फतहसागर से पानी क्यों चुरा रहे हैं, तो उनका कहना था कि ऐसा तो वो बरसों से कर रहे हैं। उनकी नजर में ये कोई गुनाह भी नहीं है। सिंचाई विभाग के अशोक बाबेल को जब यह बताया गया, तो उन्होंने इस मामले की जानकारी होने से इनकार किया और आज ही अधिकारियों को भेजकर डीजी सेट जब्त करने की कार्रवाई करने की बात कही।
झूठ बोलते हैं यूआईटी सचिव!
उदयपुर। राज्य सरकार की योजना प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत बने साइट प्लान को बिना देखे ही यूआईटी सचिव ने उसकी दोबारा जांच के आदेश देकर लोगों के करोड़ों रुपयों को अटका दिया है। यूआईटी सचिव ने एक अखबार में दिए बयान में कहा है कि साइट प्लान में खामियां है, जबकि प्लान बनाने वाले कंसल्टेंट का कहना है कि फिल्म देखें बिना ही उसकी समीक्षा कैसे कर सकते हैं? जबकि साइट प्लान बनने के बाद ही लोगों ने पैसे जमा करवाएं और आवंटन पत्र भी वितरित कर दिए गए। अब पट्टे देने है, इसलिए अधिकारी अपना मुंह मोड़ रहे हैं।
यूआईटी की ओर से साइट प्लान बनाने के लिए तीन कंसल्टेंट नियुक्त किए गए थे। सभी ने साइट प्लान बना दिया था। बाद में पटवारियों ने जांच कर दस्तखत भी कर दिए। इसी आधार पर मूल नक्शा यूआईटी ने रखा और एक कॉपी आवेदक को दे दी। इस आधार पर आवेदक ने पैसे भी जमा कर दिए। अब जब लोग अपने पट्टे लेने के लिए यूआईटी के चक्कर काट रहे हैं, तो अचानक सचिव ने कह दिया कि प्लान में खामियां है। अगर यूआईटी के पटवारियों ने ही पहले पूरी जांच कर दस्तखत किए हैं, तो खामी कैसे सम्भव है।
कंसल्टेंट को फंसाने की साजिश : कंसल्टेंटों ने बताया कि कि लोगों ने पैसे जमा करा दिए है। साइट प्लान तैयार होने के बाद ही विभाग की ओर से यह कार्रवाई होती है। लेकिन सचिव आर.पी शर्मा ने फाइलें देखे बिना ही दुबारा जांच के आदेश दे दिए है। हमसे फाइलें ही नहीं ली गई हैं। बेवजह कंसल्टेंट का फंसाने का मामला है।
अभियान को फेल करने की साजिश : राज्य सरकार ने प्रदेश में हर जगह पट्टा विहीन जनता को पट्टे देने के लिए लम्बे समय से अभियान चला रखा है, लेकिन उदयपुर नगर विकास प्रन्यास में बैठे अधिकारी नहीं चाहते है कि जनता को सरकारी योजना का फायदा मिले।
इन कॉलोनियों पर लटकी तलवार : गांधीनगर, गांधी काम्प्लेक्स, गरीब नवाज कॉलोनी, प्रताप कॉलोनी, आयड़ स्थित सोनीजी की बाड़ी, स्वामीनगर, न्यू स्वामी नगर, संतोष नगर, जनकपुरी आदि सैंकड़ों कॉलोनियों की फाइलों पर यूआईटी दुबारा से मेहनत करेगी।
जनता का करोड़ों रूपया अटका : प्रशासन शहरों के संग अभियान समाप्ति की ओर है। ऐसे में यूआईटी दुबारा इन फाइलों की जांच करवाती है, तो कम से कम छह माह से ज्यादा समय लग जाएगा और फिर आचार संहिता लग जाएगी। पट्टाविहीन जनता को फिर अगली सरकार तक इंतजार करना पड़ेगा।
ऐसे में लोगों द्वारा जमा कराया गया करोड़ों रुपया यूआईटी के खाते में ही रहेगा।
>सरकार की मंशा साफ है। पूरे प्रदेश में जनता को इसका फायदा मिल रहा है। अगर उदयपुर में अधिकारी बिना वजह इसे रोक रहे हैं, तो गलत है। सभी को पट्टे देने चाहिए।
-लालसिंह झाला, देहात जिलाध्यक्ष कांग्रेस
>इस पूरे मामले में कुछ तथाकथित लोग है, जिनकी रचाई गई साजिश की वजह से ऐसा हो रहा है। अध्यक्ष खुद इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। उन्हें चाहिए की इसकी जांच अपने स्तर पर करें। वह सिर्फ अधिकारियों के ऊपर निर्भर हो रहे हैं और अधिकारी फाइलें देखे बिना ही दुबारा जांच करवा रहे हैं। जिसका नुकसान जनता को उठाना पड़ रहा हैै। -नीलिमा सुखाडिय़ा, शहर जिलाध्यक्ष, कांग्रेस
>मैंने जब साइट प्लानरों से पूछा तो उन्होंने कहा कि अभी तक हमसे फाइल ली ही नहीं गई है, तो अधिकारी कैसे कह रहे हैं कि इनमें खामिया है। अगर यह फाइलें हमसे लेते तो रसीद भी काटकर देते तभी पता चलता कि प्लान में खामियां पाई गई है। ऐसे में यूआईटी अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर पर प्रश्नचिह्न लगता है।
-राजकुमारी मेनारिया, प्रभावित पार्षद
पुलिस के लिए मुसीबत बने ‘फेक कॉल
उदयपुर। हैलो, सुखेर पुलिस स्टेशन, एकंलिगजी रोड पर एक हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई। आप जल्दी आ जाइये। पर जब पुलिस एक लिंगजी रोड पहुंची, तो पता चला कि वहां तो कोई ऐसी घटना ही नहीं हुई। इस एक कॉल से शहर में पुलिस प्रशासन व प्रेस में हड़कम्प मचा दिया। ऐसे सैकड़ों फेक कॉल्स से पुलिस वालों का आए दिन सामना होता है। कंट्रोल रूम के १०० नंबर पर भी पुलिसकर्मियों को आए दिन झुठे कॉल्स का सामना करना पड़ता है। यहीं नहीं वहां पर पुलिसकर्मियों को परेशान करने के लिए भी कई कॉल किए जाते हैं।
मेरा मोबाइल रिचार्ज करो
कंट्रोल रूम पर कई बार ग्रामीण इलाकों से ऐसे भी कॉल आते हैं, जिसमें कहा जाता है कि मेरा मोबाइल रिचार्ज करवा दो या फिर उनकी मोबाइल की समस्या बताना शुरू कर देते हैं। समझाने पर भी ऐसे लोग नहीं मानते हैं और फिर कॉल कर देते हैं। फेक कॉल्स की वजह से पुलिस के साथ-साथ दूसरे कॉलर्स को भी परेशानी होती है। ऐसे कॉल्स की वजह से कई बार इंर्पोटेंट कॉल्स मिस हो जाते हैं या कॉलर्स को देर तक वेट करना पड़ता है।
मिलते-झुलते नम्बर भी एक कारण
एक अधिकारी ने बताया कि सभी मोबाइल कंपनियों के टोल फ्री नंबर और पुलिस कंट्रोल रूम के नम्बर मिलते-झुलते होने के कारण भी कई लोगो की कॉल आती है। इन नम्बरों के कारण कई बार पुलिस कंट्रोल रूम पर ही नहीं, बल्कि १०८ की सेवा पर भी फर्जी कॉल चली जाती हैं।
एक माह पूर्व कंट्रोल रूम पर एक व्यक्ति का फोन आया। उस व्यक्ति ने उसकी पत्नी की हत्या की सूचना दी। इस पर पुलिस प्रशासन में अफरा-तफरी मच गई। पुलिस ने तहकीकात की, लेकिन ये सूचना झूठी थी। बाद में पुलिस ने उस नंबर का पता लगाकर फेक कॉल करने वाले के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
तीन रोज पूर्व ही एकलिंगजी रोड पर एक हादसे में तीन लोगों की मौत की सूचना सुखेर पुलिस को दी गई, लेकिन पता करने पर यह मामला झूठा निकला। पुलिस ने जब उस व्यक्ति से इस बारे में पूछा, तो पता चला कि हादसा तो हुआ था, लेकिन वहां पर किसी की मौत नहीं हुई थी। बाद में उस व्यक्ति ने पुलिस से माफी मांगी।
फेक कॉल्स एक परेशानी
कंट्रोल रूम पर एक अधिकारी ने बताया कि 100 नम्बर पर शिकायत दर्ज कराने के लिए लगातार लोगों के फोन आते रहते हैं। इस नंबर पर कई लोगों द्वारा पुलिसकर्मियों को परेशान करने के लिए भी कॉल की जाती है, जिससे पुलिसकर्मी परेशान है। साथ ही इन फेक कॉल से इंमरजेंसी कॉल छूट जाती है।
बच्चें करते हैं परेशान
कंट्रोल रूम के एक अधिकारी ने बताया कि बच्चें भी फेक कॉल्स करके परेशान करते हैं। उन्होंने बताया कि सिर्फ ब्लैंक कॉल और अननॉन नम्बर ही नहीं, ऐसे कॉल्स भी आते हैं, जिसमें बच्चे फोन कर उनके टीवी पर कार्टून के आने का समय पूछते हैं। तंग आकर कई बार पुलिस कॉल्स को ट्रेस भी करती है। जिस पर लोग पकड़े भी जाते हैं। पकड़े जाने पर कई बार वो माफी मांगते हैं।
जश्ने विलादत मौला अली के कार्यक्रम सम्पन्न
विजेत हुए पुरस्कृत
उदयपुर, । दाऊदी बोहरा जमात (बोहरा यूथ) की इकाई स्टुडेन्ट वेलफेयर सोसायटी की जानिब से प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी मनाये गये जश्न-ए-विलादते मौला अली (अ.स.) के मौके पर विविध कार्यक्रम व प्रतियोगिताएं आयोजित हुई जिसके विजेताओं को कम्युनिटी हॉल में आयोजित समापन समारोह में मुल्ला पीर अली ने पुरस्कार प्रदान किये।
यह जानकारी देते हुए दाऊदी बोहरा जमात के प्रवक्ता अनीस मियांजी ने बताया कि जश्ने-ए-विलादत के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के अन्तर्गत क्वीज प्रतियोगिता में अलताफ हुसैन लुकमानी व टीम-प्रथम सिद्दीका राज व टीम-द्वितीय स्थान रही। इसके अलावा सप्ताहभर चली मेहन्दी, तकरीर, मनकबत आदि प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया
इस अवसर पर मुल्ला सज्जाद हुसैन खारागुरावाला ने सभी विजेताओं को मुकारक बात पेश करते हुए अन्य प्रतिभागियों को अलगी बार बहत्तर प्रदर्शन की कामना की। कार्यक्रम की शुरूआत हुसैन चाचुलियावाला द्वारा तिलावत ए कुरान से हुई। अंत में अली हुसैन के.आर. ने सभी का आभार जताया।
डूंगरपुर में आकाशवाणी के एफ.एम. पर नियमित प्रसारण शुरू
उदयपुर । आकाशवाणी महानिदेशालय, नई दिल्ली के निर्देशानुसार नव निर्मित आकाशवाणी डूंगरपुर से नियमित प्रसारण प्रारंभ हो गये है। जिसके अन्तर्गत प्रतिदिन शाम 5.00 बजे से रात्रि 10.30 बजे तक विविध भारतीय मुम्बई के कार्यक्रम रिले किये जाएगे। ये प्रसारण मीडियम वेव 1485 किलो हर्टज अर्थात 202.02 मीटर बैड़ पर सुना जा सकेगा। विधिपूर्वक औपचारिक उद्घाटन के बाद आकाशवाणी, डूंगरपुर को स्थानीय कार्यक्रमों के महत्व से भी जोड़ दिया जायेगा।
ये जानकारी देते हुए आकाशवाणी उपमहानिदेशक (कार्यक्रम) माणिक आर्य ने बताया कि आकाशवाणी, डूंगरपुर के नियमित प्रसारण से स्थानीय श्रोताओं को विविध भारती से प्रसारित विविध मनोरंजन कार्यक्रम सुनने को मिलेगे। वर्तमान में इस केन्द्र से 1 किलो वाट की क्षमता वाले प्रसारण किये जा रहे है।
नियमित प्रसारण के शुभारंभ के अवसर पर आकाशवाणी, उदयपुर के निदेशक अभियांत्रिकी सतीश देपाल, आकाशवाणी उपमहानिदेशक माणिक आर्य, उप निदेशक अभियांत्रिकी आई.ए. काजी, सहायक खनि अभियन्ता, जे.पी. आमेटा, सुनील चन्द पालीवाल, अरूण कुमार शर्मा, एस.पी. सिंह व लालाराम जावा आदि उपस्थित थे।