नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी की पत्नी जसोदा बेन को ऋषिकेश के रामदेव आश्रम में छिपाने का खुलासा होने के बाद उन्हें वहां से अन्यत्र भेज दिया गया है। सूत्रों ने बताया कि यह कार्रवाई आज सुबह मुंह अंधेरे की गई।
उल्लेखनीय है कि एक अंग्रेजी साप्ताहिक पत्रिका क्रद वीकञ्ज ने कल इस बात का खुलासा किया था। पत्रिका के अनुसार नरेंद्र मोदी ने वड़ोदरा से भरे नामांकन पत्र में पहली बार खुद को विवाहित मानते हुए पत्नी का नाम जसोदा बेन अंकित किया था। पहले तो इस तथ्य को जाहिर नहीं होने देने की कोशिश की गई, लेकिन उसमें सफलता नहीं मिली। बाद में जसोदा बेन से मोदी के पक्ष में बयान दिलाया गया कि वे अपने पति के प्रधानमंत्री बनने की कामना करती है। इसके पश्चात् श्रीमती जसोदा बेन के तीर्थ यात्रा पर निकलने की खबर उड़ाकर उन्हें रातों-रात निजी सुरक्षा गार्डों और एक भगवा टुकड़ी के जरिए अहमदाबाद ले जाया गया। बाद में एक चार्टर्ड विमान से औरंगाबाद भेजा गया तथा वहां से बाबा रामदेव के ऋषिकेश आश्रम में पहुंचाया गया।
सूत्रों ने बताया कि यह सारा वृतांत क्रद वीकञ्ज में सामने आने के बाद आज सुबह जसोदा बेन को बाबा रामदेव के आश्रम से हटाकर कहीं अन्यत्र गुप्त स्थान पर ले जाया गया। यह कार्रवाई नमो की पत्नी को प्रेस, निजी जासूसों और लोगों की नजर से बचाने के लिए की गई। पता चला है कि मोदी यह नहीं चाहते कि किसी से भी बातचीत के दौरान जसोदा बेन कोई ऐसी बात कह जाए, जो उनके लिए नई मुसीबत बन जाए। इस बीच सोशल मीडिय पर मोदी को यह सलाह दी गई है कि जसोदा बेन का भावुकतापूर्ण गृह प्रवेश करवा दें। इस अवसर पर श्री मोदी यह कहें कि क्रदेश के लिए गया था। गृहस्थ जीवन नहीं निभाने के लिए क्षमा चाहता हूं।ञ्ज
इस कथन पर प्रतिक्रिया में यह भी कहा गया कि क्रहां, इतनी सारी नाटक-नौटंकी के बीच में यह भी हो जाती, तो लोगों का मुंह बंद कर देती तथा मोदी का कद ढाई फिट और बढ़ जाता।ञ्ज
इस पर एक फेसबुक फ्रेंड का कहना था कि ऐसा अच्छा विचार उन लोगों के पास कैसे आ सकता है, जो अपराध करके छिपाने में ही लगे रहते हैं।
मोदी की पत्नी को रामदेव के आश्रम से हटाया
२४ घंटे तक मौके पर ही पड़ा रहा ऑटो चालक का शव
एक लाख रुपए में तय हुआ मौताणा, खेरवाड़ा के बायड़ी गांव का मामला
उदयपुर। खेरवाड़ा थाना क्षेत्र के बायड़ी गांव के पास हुए एक सड़क हादसे में ऑटो चालक की मौत के बाद उसका शव २४ घंटे तक मौके पर ही पड़ा रहा। दोनों ही पक्षों में मौताणे की वार्ता आज सुबह पूरी हुई। इसके बाद पुलिस ने शव को खेरवाड़ अस्पताल के मुर्दाघर में रखवाया है। हालांकि समाचार लिखे जाने तक शव का पोस्टामार्टम नहीं हो पाया। बताया जा रहा है कि दोनों पक्षों के बीच में लगभग एक लाख रुपए में मौताणा राशि तय हुई है। पुलिस ने इस मामले में आरोपी बस चालक की तलाश शुरू कर दी है।
गौरतलब है कि बायड़ी निवासी ऑटो चालक रणजीत (25) पुत्र गौतमलाल गरासिया कल दोपहर ऑटो लेकर खेरवाड़ा से अपने गांव जा रहा था। उसी दौरान गांव के बाहर निकलते ही मुख्य सड़क पर सामने से आ रही एक स्कूल बस ने ऑटो को चपेट में ले लिया। हादसे में चालक बस और ऑटो के बीच फंस गया, जिससे उसकी मौत हो गई। हादसे के बाद बस चालक वाहन छोड़कर भाग गया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को खेरवाड़ा अस्पताल में रखवाकर परिजनों को सूचना दी। सूचना मिलते ही मृतक के परिजनों सहित लगभग १०० से अधिक लोग खेरवाड़ा अस्पताल पहुंच गए, जहां से शव को पुन: घटनास्थल पर ले गए और मौताणे की मांग करने लगे। माहौल उग्र होता देख खेरवाड़ा उपखंड अधिकारी चांदमल, तहसीलदार बालकृष्ण, थानाधिकारी हजारीलाल, बावलवाड़ा थानाधिकारी धनराज और ऋ षभदेव थानाधिकारी गोविंदसिंह मय जाप्ते के मौके पर पहुंचे, जहां दोनों ही पक्षों में समझाइश शुरू हुई, लेकिन देर रात के दोनों के बीच में कोई भी समझाइश नहीं हो पाई। दोनों पक्षों में आज सुबह पुन: वार्ता शुरू हुई, जो कि दोपहर तक चलने के बाद एक लाख रुपए में समझाइश हुई। दोनों पक्षों में समझाइश के बाद एक लाख रुपए में मौताण तय हुआ। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल के मुर्दाघर में रखवाया। समाचार लिखे जाने तक शव को पोस्टमार्टम नहीं हो पाया था। पुलिस ने मौके से बस को जब्त कर चालक की तलाश शुरू कर दी है।
ठंडे दूध में उबाल
५० रुपए पहुंचा एक लीटर दूध का भाव
उदयपुर। इन दिनों दूध के भावों में उबाल आया हुआ है। आमतौर पर 30 से 35 रुपए प्रति लीटर के भाव से मिलने वाला दूध इन दिनों 35 से 40 रुपए में मिल रहा है। दो दिन पहले भाव 50 रुपए के आंकड़े को छू गया था। इस महीने की शुरुआत से ही दूध के भाव तेज होने लग गए हैं।
दूध के दामों में बढ़ोत्तरी के पीछे सावों को कारण माना जा रहा है। पिछले एक सप्ताह से दूध के भाव 40 से 50 रुपए लीटर के आसपास बने हुए हैं। शहर में रोजाना करीब दो से ढाई लाख लीटर दूध की खपत हो रही है।
इसमें से 40 से 50 हजार लीटर उदयपुर सरस डेयरी, 20 से 30 हजार अमूल डेयरी और करीब एक लाख लीटर दूध की आवक सीधे तौर पर गांवों से आने वाले दूधवालों के हवाले हैं। शेष दूध अन्य माध्यमों से आ रहा है। 10 अप्रैल तक दूध के भाव 35 से 40 रुपए थे, जो अब ५० तक पहुंच गए हैं।
शुद्धता के नाम पर चोट
शहर में शुद्धता के नाम पर दूध बेचने में भी फर्जीवाड़ा हो रहा है। सड़क पर जगह-जगह ड्रम रखकर लोग डेयरी से 30 से 35 रुपए लीटर दूध खरीदकर शुद्धता के नाम पर उपभोक्ताओं से प्रति लीटर 50 रुपए वसूल रहे हैं, जबकि शुद्धता के दूध का मतलब सीधे पशु से दूध दुहकर बेचना है।
और यह बहाना
दूध विक्रेताओं का कहना है कि आवक काफी कम है, इसलिए भाव तेज हैं, जबकि हकीकत यह है कि वो आम लोगों को दूध बेचने की बजाय शादी-समारोहों में सप्लाई कर रहे हैं और मनमाने दाम वसूल रहे हैं। जिला प्रशासन केवल सड़क पर बिक रहे दूध के नमूने लेकर उसकी जांच से ही अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर लेता है। भाव पर लगाम लगाने की किसी को फुर्सत नहीं है।
आरटीई को लेकर केंद्र व राज्य सरकार से जवाब – तलब
निजी स्कूलों पर कार्रवाई की तैयारी
उदयपुर। शिक्षा के कानून के तहत अब निजी स्कूलों की बहानेबाजी पर शिकंजा कसता जा रहा है और प्रवेश देने व निशुल्क पाठ्य सामग्री देने में आनाकानी कर रहे स्कूलों पर कार्रवाई की जा सकती है। एक तरफ अभी हाल ही में उदयपुर जिले के 330 स्कूलों ने शिक्षा का अधिकारी (आरटीई) के तहत ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर जिला कलेक्टर ने सख्त रवैया अपनाते हुए सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे। अब इधर, हाईकोर्ट ने भी शिक्षा के कानून का सही ढंग से पालन नहीं होने पर केंद्र व राज्य सरकार से जवाब-तलब कर लिया है।
अदालत ने केंद्र सरकार के एचआरडी विभाग के सचिव, राज्य के मुख्य सचिव, प्रमुख शिक्षा सचिव, प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा निदेशक सहित केंद्रीय विद्यालय संगठन को नोटिस जारी किए हैं। अदालत ने यह अंतरिम आदेश प्रोफेसर राजीव गुप्ता व हैल्पिंग हैंड्स ग्रुप की जनहित याचिका पर दिया। जानकारी के अनुसार आरटीई कानून 2009 में बना और एक अप्रैल, 2010 से लागू हो गया, लेकिन प्रदेश में सरकारी व निजी स्कूलों में इस कानून का पालन नहीं हो रहा।
प्रदेश में निजी स्कूलों द्वारा किए गए प्रवेश की जानकारी के लिए कोई कॉमन प्लेटफार्म नहीं है। सरकार ने निशुल्क शिक्षा के लिए 2011 में नियम बनाए थे, लेकिन नियमों में निशुल्क को सही तरीके से परिभाषित नहीं किया है और स्कूलों में इस कानून के तहत दिए बच्चों के साथ भेदभाव हो रहा है, जिस कारण बच्चे बीच शैक्षणिक सत्र में ही स्कूल छोड़ देते हैं। राज्य के शिक्षा नियमों के अनुसार एक किमी की दूरी पर प्राइमरी स्कूल व दो किमी की दूरी पर मीडिल स्कूल का प्रावधान है, लेकिन इन प्रावधानों का पालन भी नहीं हो रहा। इसलिए प्रदेश में सरकारी व निजी स्कूलों में आरटीई कानून के प्रावधानों का पालन करवाया जाए। इधर, मंगलवार को जिला शिक्षाधिकारियों की जिला कलेक्टर आशुतोष पेढणेकर के साथ हुई बैठक में जिला कलेक्टर ने शिक्षा के कानून के तहत निजी स्कूलों द्वारा हो रही अनियमितताओं पर सख्त नाराजगी जताते हुए कार्रवाई के आदेश दिए थे। क्योंकि जिले में 330 स्कूलों ने अभी तक आरटीई के तहत अपना रजिस्ट्रेशन ही नहीं करवाया है, जिससे गरीब बच्चों के प्रवेश की स्थिति भी स्पष्ट नहीं हो पा रही है। कलेक्टर ने जल्द ही कार्रवाई कर रजिस्ट्रेशन करवाने की बात कही थी। अन्यथा स्कूलों की मान्यता तक रद्द की जा सकती है।
ऊपर-नीचे मौत की लपटें : ऐसे जान बचाई 500 लोगों ने
सूरत। शहर के कडोदरा राजमार्ग क्षेत्र स्थित लेन्डमार्क टेक्सटाइल मार्केट में बुधवार शाम आग भड़क गई। जान बचाने के लिए कई लोग नीचे कूद गए। इनमें से एक व्यक्ति की मौत हो गई वहीं 22 लोग घायल हो गए हैं। आग भड़कने की वजह से 200 लोग होटल में फंस गए थे।
ज्यादातर लोगों ने खिड़कियों से बाहर लटककर जान बचाई। निचली मंजिलों के लोगों ने जान जोखिम में डालकर बचाव कार्य किया और सैंकड़ों लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।
मौत को मात देकर बाहर निकले लोगों ने बताया कि आग लगने के बाद उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करें। लगभग 500 से अधिक लोग खिड़कियों की ग्रिल से तार बांधकर नीचे उतरे। हालांकि निचली मंजिल के कर्मचारी और स्थानीय लोग बचाव कार्य में लगे हुए थे। कुछ ही देर में मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड ने लगभग तीन-चार घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।
पुस्तकालय – शिक्षा केन्द्रों के हद्धय स्थल होते है – प्रो. सनाढ्य
विष्व पुस्तक दिवस पर हुई संगोष्ठी
उदयपुर ,जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विष्वविद्यालय के संघटक लोकमान्य तिलक षिक्षक प्रषिक्षण महाविद्यालय में विष्व पुस्तक दिवस पर बुधवार को आयोजित संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. आर.पी. सनाढ्य ने कहा कि नई षिक्षा नीतियों के चुनौतीपूर्ण दस्तावेज उनमें पुस्तकालयों को भी षिक्षा, स्वास्थ्य षिक्षा एवं सूचना तकनीकी, दूर संचार षिक्षा तक पाठ्यक्रम में आ गये है लेकिन पुस्तकालय, षिक्षा का कही भी महत्व केवल षिक्षा संस्थाओं में ही होता है। यह किसी पाठ्यक्रम में देखने को नहीं आया है जबकि षिक्षण संस्थानों को खोलनो हेतु सबसे पहले पुस्तकालय का उल्लेख होता है। तत्पश्चात खेल मैदान व प्रयोगषालाओं का जिक्र होता है। पुस्तकालय षिक्षा केन्द्रों के हद्धय स्थल होते है। षिक्षको के लिए पुस्तकलय षिक्षण इसलिए भी जरूरी है कि षिक्षकों केा पुस्तकालय व्यवस्थापन नियम, उपनियम, सूचिकरण, ग्रंथालय वर्गीकरण तथा संदर्भ मानसिक स्वास्थ्य से बौद्धिक समृद्धि पाने से है। अध्यक्ष्ता करतेे हुए डॉ. सरोज गर्ग ने बताया कि मनु स्मृति में भी पुस्तकालय व्यवस्था के लिए सर्वप्रथम निर्देष दिए गए है। डॉ. एस.आर. रंगनाथन ने भारत में स्कूल ऑफ लाईब्रेरी साईंस की स्थापना की थी। संगोष्ठी में पुस्तकालय अध्यक्ष बलवंत सिंह चौहान, डॉ. भूरालाल श्रीमाली, डॉ. हरीष चौबीसा, डॉ. हरीष मेनारिया, घनष्याम सिंह भीण्डर, राम सिंह राणावत ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
सिटी पैलेस में चार दिवसीय नि:शुल्क पुस्तक प्रदर्शनी शुरू
उदयपुर, स्थानीय सिटी पैलेस म्यूजियम में बुधवार से अंतरराष्ट्रीय पुस्तक दिवस के अवसर पर चार दिवसीय पुस्तक प्रदर्शनी लगाई गई। प्रदर्शनी में स्थानीय पुस्तक प्रेमियों एवं पर्यटकों ने विभिन्न विषयों से संबंधित अनेकों पुस्तकों को सराहा तथा खरीददारी की। प्रदर्शनी में आगमन नि:शुल्क है।
महाराणा मेवाड़ हिस्टोरिकल पब्लिकेशन ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित इस आठवीं पुस्तक प्रदर्शनी में राजस्थान का इतिहास, वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप, भक्तिमती मीरा, कला एवं संस्कृति, धार्मिक, हिन्दी साहित्य, अंग्रेजी साहित्य के अलावा खेल एवं अन्य युवा रूचि के विषय संबंधित पुस्तकें प्रदर्शित की जा रही है। बुधवार को प्रदर्शनी के पहले दिन पैलेस में आए पर्यटकों एवं शहर के पुस्तक प्रेमियों ने पुस्तकें खरीदीं। पुस्तक प्रदर्शनी सिटी पैलेस म्यूजियम के सभा शिरोमणि दरीखाना में प्रात: 10 बजे से सायं 4.30 बजे तक चल रही है। इस प्रदर्शनी में पुस्तकप्रेमियों का प्रवेश जगदीश मंदिर मार्ग से सिटी पैलेस के बड़ी पोल से होगा। प्रदर्शनी का समापन 26 अप्रेल को होगा।
कठपुतली कला ने खोया अमूल्य पारखी
लोक कला मण्डल के सहायक निदेशक श्याम माली का निधन
उदयपुर। लोक कला मंडल एवं कठपुतली कला में प्राण फूकने वाले महान कलाविज्ञ श्याम माली का मंगलवार देर रात हृदयगति रूक जाने से निधन हो गया। बुधवार को उनका अंतिम संस्कार कुम्हारों का भट्टा स्थित मोक्ष धाम में किया गया।
वर्तमान में लोक कला मण्डल के सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत श्याम माली करीब तीन दशकों से कला मण्डल से जुडकर लोक कलाओं में प्राण फूंकते रहे। उन्होंने कठपुतली कला को जीवंत बनाए रखने के लिए वे अंतिम समय तक प्रयासरत रहे। उन्होंने प्रौढ शिक्षा, बाल विवाह, बाल श्रमिक सहित कई सामाजिक कुरूतियों के विरूद्घ कठपुतली के माध्यम से जन जाग्रति अभियान चलाकर समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया।
उन्होंने अपनी कई विदेश यात्राओं में भी राजस्थानी कठपुतली को विश्व रंगमंच पर स्थापित करने में अपना योगदान दिया। साहित्य अकादमी अवार्ड प्राप्त श्याम माली ने वर्तमान में स्वामी विवेकानंद के जीवन वृत्त पर एक कठपुतली नाटिका निर्मित कर पूरे भारत वर्ष में स्वामी विवेकानंद के सिद्घांतों के प्रचार प्रसार में अहम भूमिका निभाई थी। अब तक इस नाटिका के अब तक करीब १५० मंचन अब तक भारत में हो चुके है एवं वर्तमान में भी जारी है। आगामी मई माह में उनको इसी नाटिका के प्रदर्शन के लिए अमेरिका जाना था। जिसके लिए कलाकारों को उन्होंने बुधवार से तैयारी के निर्देश दिए थे। उनके असामायिक निधन से लोक कला एवं कठपुतली विधाता के अमूल्य पारखी की कमी हो गई है जिसकी क्षतिपूर्ति संभव नहीं है।
उनकी शवयात्रा में कला मण्डल के मानद सचिव रियाज तहसीन, पश्चिम सांस्कृतिक केन्द्र के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी लईक हुसैन, विलास जानवे, कला मण्डल कार्यकारिणी के जकारिया, रफीक एम. पठान सहित कई रंगमंच से जुडे कई कलाकार एवं समाजसेवियों एवं बुद्घिजीवियों ने भाग लेकर उनके अंतिम विदाई दी। वे अपने पीछे एक पुत्र-पुत्री एवं पत्नी को छोड गए है। उनको मुखाग्नि उनके पुत्र वैभव माली ने दी।
थानों में जब्त वाहन हुए कबाड़!
जिले के थानों में १००० से अधिक वाहन लावारिस पड़े, पुलिस वाले चुरा रहे जब्त वाहनों के पाटर््स
उदयपुर। जिले के पुलिस थानों में जब्त एक हजार से अधिक वाहन कबाड़ में तब्दील हो गए हैं। इसमें से अधिकतर वाहन पुलिस द्वारा चोरों या फिर दुर्घटना के दौरान जब्त किए गए है। वाहन जब्ती के समय तो ठीक-ठाक हालत में होते हैं, लेकिन वर्षों से खुले में पड़े होने के कारण इनकी हालत कंडम हो चुकी है। पता चला है कि हादसे या चोरों से जब्त वाहनों में से दस फीसदी ही उनके मालिक तक पहुंच पाते हैं। जब्त वाहनों को उनके मालिक तक पहुंचाने के लिए पुलिस दिलचस्पी नहीं दिखाती। जिसके चलते थानों के एक हिस्से में पड़े वाहन कबाड़ बनते जा रहे हैं। इन वाहनों की स्थिति इस प्रकार की हो चुकी है कि इन्हें केवल कबाड़ी ही खरीद सकता है, वो भी केवल कबाड़ के भाव में, क्योंकि उन्हें सही करना किसी भी मिस्त्री के हाथ में नहीं है।
गायब हैं पाटर््स : जब्त वाहन की हालत प्रारंभ में ठीक ही होती है, लेकिन थानों में पहुंचने के बाद इनकी हालत कबाड़ हो जाती है। थानों में मोटर साइकिल की जब्ती अधिक होती है। अधिकतर वाहन अब अधूरे है, किसी के टायर गायब है, तो किसी का हैडलाइट, तो किसी का साइलेंसर। इससे पता चलता है कि इसके पार्ट पुलिसकर्मी अपने वाहनों की जरूरत के हिसाब से गायब कर लेते हैं।
नीलामी भी नहीं करते : जब्त वाहनों को उनके मालिकों द्वारा नहीं छुड़वाने पर नीलाम करने का प्रावधान है, लेकिन विभाग द्वारा इस कार्य में सुस्ती बरती जा रही है, जिससे थानों में वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिले के कई थानों में पड़े वाहनों का तो रिकार्ड भी नहीं मिलता है।
सभी प्रकार के वाहन : जिले के थानों में मोटर साइकल ही नहीं, बल्कि रिक्शा, टैम्पो, टैक्सी, जीप बोलेरो सहित कई वाहन नजर आ जाते हैं। इनकी भी हालत पूरी तरह से कंडम हो चुकी है। इसमें केवल नए वाहन ही सही सलामत है, लेकिन कुछ समय निकलने के बाद वह भी कबाड़ बन जाते हैं।
क्या कहते हैं एसपी साहब
॥ सवाल – थानों में पड़े वाहनों की नीलामी क्यों नहीं की जाती है?
जवाब – थानोंं में जब्त किए गए वाहनों की नीलामी के लिए कोर्ट से आदेश आते हैं। कोर्ट में लंबे समय तक केस चलने के कारण थानों में वाहनों के संख्या बढ़ती जा रही है।
॥ सवाल – पुलिस वाहनों के मालिकों को खोजने के क्या प्रयास कर रही है?
जवाब – पुलिस चोरी के वाहनों के चेचिस नंबर के आधार पर आरटीओ से ब्योरा मांग कर उनके मालिकों को सूचना देती है। जिस पर वाहन मालिक उसके वाहन के कागज कोर्ट में पेश कर वाहन को ले जा सकता है। यह प्रयास निरंतर किया जाता है। जिससे वाहन उनके मालिकों तक पहुंच सके।
॥ सवाल – थानों ने वाहनों के पार्ट गायब क्यों जाते है?
जवाब – थानों में से वाहनों के पार्ट चोरी होने की अभी तक कोई भी शिकायत नहीं मिली है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति इस प्रकार की शिकायत करता है, तो मामला दर्ज किया जाएगा। थाना स्तर पर मामला दर्ज नहीं होने पर वह कोर्ट से मामला दर्ज करा सकता है।
निजी स्कूल मालिक और सरकार आमने-सामने
आरटीई के तहत भर्ती बच्चों को पाठ्य सामग्री देने को तैयार नहीं निजी स्कूल
उदयपुर। एक तरफ तो राज्य सरकार ने निजी स्कूलों को आरटीई के तहत प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों को पाठ्यपुस्तकें नि:शुल्क देने का प्रावधान किया है । दूसरी तरफ निजी स्कूल वाले अपनी मनमानी पर अड़े हुए है, और छात्रों को पाठ्य पुस्तकें नहीं देकर सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने का फैसला कर रहे है।
शहर के अधिकांश स्कूल सरकार के इन निर्देशों की पालना नहीं कर रहे है। ऐसे में गरीब बच्चों के माता पिता की मुश्किलें बढ़ गयी है, उन्हें ऊँचे दामों में पैसे उधार और जुगाड़ कर किताबें खरीदनी पढ़ रही है। गरीब एवं अभाव ग्रस्त बच्चों को नि:शुल्क प्रवेश तो मिल गया लेकिन अब स्कूल की मनमर्जी से उन्हें परेशानी उठानी पड़ रही है। कई स्कूलों में तो नया सत्र शुरू हुए 15-20 दिन हो गए लेकिन आरटीई में प्रवेश पाने वालों के पास अभी तक पाठ्य पुस्तकें नहीं हैं।
रोज कहते हैं किताब लाओ : आरटीई के तहत प्रवेश पाने वाले बच्चों को स्कूल में विषय अध्यापक रोजाना किताब लाने पर दबाव बना रहे हंै। अभिभावक स्कूल में जाकर पूछते हैं, तो स्कूल प्रबंधन न तो पुस्तक देने से स्पष्ट मना करते है और ना ही पाठ्य पुस्तक उपलब्ध करवाते हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
कैसे खरीदें महंगी पुस्तकें : गरीब बच्चों के अभिभावकों की परेशानी यह है कि इतनी मंहगी किताबें आखिर वे कैसे खरीदें? नर्सरी, केजी क्लास की किताबों की कीमत भी 1200 से 3000 रुपए तक है। इतनी राशि जुटाना उनके लिए भारी पड़ रहा है।
नहीं तो देने पड़ेंगेे रुपए : विभागीय अधिकारियों के अनुसार अधिनियम के नए प्रावधानों में आरटी ई के तहत प्राइवेट स्कूलों प्रवेशित बच्चों को निशुल्क पाठ्य पुस्तकें व सहायक सामग्री उपलब्ध करवाना भी संबंधित स्कूल का दायित्व है। नहीं देने पर स्कूलों को दी जाने वाली प्रतिभूति राशि (नि:शुल्क प्रवेश के बदले) में से पाठ्य पुस्तकों की कीमत के बराबर राशि संबंधित छात्र को प्राप्त करने का अधिकार है।
विरोध में हैं निजी स्कूल : अभी हाल ही में निजी स्कूल के संगठनों ने हिरणमगरी की एक स्कूल में बैठककर निर्णय लिया था कि निशुल्क पाठ्यसामग्री उपलब्ध करवाने के विरोध में वह सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे और सरकार को अपना यह फैसला वापस लेने पर मजबूर करेंगे।