मुंबई ब्लास्ट मामले में सजा काट रहे अभिनेता संजय दत्त फिर 1 महीने की पैरोल मिल गई है। संजय को लगातार यह तीसरी बार पैरोल मिली है। अब दत्त 21 मार्च जेल से बाहर रहेंगे। दरसअल, दत्त की पैरोल 21 फरवरी को खत्म होने जा रही है। जबकि हाल ही उनकी पत्नी मान्यता की सर्जरी हुई है। ऎसे में पत्नी की बीमारी का हवाला देते हुए संजय ने 1 महीने पैरोल बढ़ाने की अर्जी दी थी। जेल नियमानुसार एक अपराधी को अधिक से अधिक 90 दिन की पैरोल मिल सकती है।
गौरतलब है कि पिछले साल 21 दिसंबर को संजय दत्त पैरोल पर जेल से बाहर आए थे। मान्यता की बीमारी के चलते 21 जनवरी को दत्त ने फिर से पैरोल बढ़ाने की अर्जी लगाई थी। इस पर प्रशासन ने 20 फरवरी को तक पैरोल दी थी। 21 फरवरी को अभिनेता की पैरोल खत्म हो रही है जो अब 21 मार्च तक बढ़ा दी गई है।
उल्लेखनीय है कि मुंबई ब्लास्ट मामले में संजय दत्त को 5 साल की सजा हुई है जिसमे वह करीब डेढ़ साल की सजा काट चुके है जबकि साढ़े 3 साल की सजा के लिए जेल में है। इन दिनों वे पैरोल पर जेल से बाहर है। पिछले साल मई में दत्त ने टाडा जेल में सरेंडर किया था।
संजय दत्त को फिर मिली पैरोल, घर में मनाएंगे होली
ऑटो चालकों की लूट
बिना मीटर के चल रहे हैं ऑटो रिक्शा, पुलिस और परिवहन विभाग ने मूंदी आंखें
॥ १९९२ में आखिरी बार मीटर के अनुसार चले थे ऑटो
उदयपुर। पर्यटन के लिए मशहूर झीलों की नगरी क्रलेकसिटीञ्ज में ऑटो रिक्शा चालकों ने खूली लूट मचा रखी है। ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग की अनदेखी के चलते यहां मीटर के बगैर ही ऑटो रिक्शा चल रहे हैं, जो शहरवासियों के साथ ही मनमाना किराया वसूल रहे हैं। दोनों ही विभागों ने ऑटो चालकों को मनमाना किराया वसूलने की छूट दे रखी है। इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि शहर में एक भी ऑटो पर मीटर नहीं लगा हुआ है।
यात्रियों को किराये की कोई जानकारी नहीं : ऑटो रिक्शा ने कितनी दूरी तय की और कितना किराया बना। यह जानकारी यात्री को मीटर से ही मिलती है, लेकिन यहां पर ऑटो रिक्शा पर मीटर ही नहीं है। इस कारण यात्रियों को किराये का पता ही नहीं चल पाता है। ऐसी स्थिति में ऑटो चालकों द्वारा मांगा जाने वाला किराया यात्रियों को देना पड़ता है। एक जानकारी के अनुसार उदयपुर में अंतिम बार 1992 में ऑटो रिक्शा में मीटर के अनुसार किराया वसूल किया गया था। इसके बाद परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस सुस्त पड़ गई, तब से ऑटो चालक मनमाना किराया वसूल रहे हैं। परिवहन विभाग के अनुसार उन्होंने किराया सूची जारी कर रखी है, लेकिन यह किराया सूची कहां और किसके पास है? इसकी पालना कौन कराएगा? इन सवालों का जवाब परिवहन विभाग के अधिकारियों के पास भी नहीं है। सिर्फ रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन पर ही प्री पेड किराया सूची लगी हुई है। उसकी पालना भी कभी होती है, तो कभी नहीं होती है।
शहर में मची है लूट
शहर में ऑटो रिक्शा चालकों ने मनमर्जी से लूट मचा रखी है। उदियापोल बस स्टैंड से देहली गेट की दूरी मात्र एक किलोमीटर है, जिसका किराया नियम के हिसाब से 15 रुपए होता है, लेकिन ऑटो वाले 40-50 रुपए वसूलते हंै। हाथीपोल की दूरी डेढ़ किलोमीटर है, जिसका किराया 50 -60 रुपए। अगर हिरनमगरी, मल्लातलाई या प्रतापनगर जैसे एरिया में जाना है, तो वहां के लिए सौ रुपए से डेढ़ सौ रुपए किराया वसूल लेते हैं। जबकि इन सभी इलाकों का किराया नियमानुसार 50 से 70 रुपए तक ही होता है।
किराया सूची कही भी नहीं : शहर में किसी भी पर्यटन केंद्र या पर्यटक पुलिस केंद्र या किसी ऑटों चालक के पास परिवहन विभाग की जारी की हुई किराया सूची उपलब्ध नहीं है। परिवहन विभाग के अधिकारी का कहना है कि हमने किराया सूची जारी कर दी है। पूछने पर कि कहां मिलेगी, तो जवाब आया कि हमारी वेबसाइट पर देख लीजिए। यात्रियों के लिए कहां उपलब्ध होगी ये उनको खुद भी पता नहीं। यातायात पुलिस के अधिकारियों ने कभी किराया को लेकर कोई कारवाई नहीं की। उनका कहना है कि हमारे पास शिकायत आएगी, तो जरूर कारवाई करेंगे।
परिवहन विभाग के नियम : मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 67 के अंतर्गत राज्य सरकार ने किराया भाड़ा में दरें संशोधित करते हुए जुलाई, 2013 को नई दरें घोषित की थी, जो पूरे राज्य में मीटर के हिसाब से तय थी, जिसमें। प्रथम एक किलोमीटर के लिए न्यूनतम दर 15 रुपए और बाद के प्रत्येक किलोमीटर की दर नौ रुपए प्रति के हिसाब से तय है। परिवहन विभाग भी अपनी वेबसाइट पर किराया सूची डाल कर भूल गया है, लेकिन इस किराये के हिसाब से उदयपुर शहर में कभी किराया नहीं वसूला गया।
॥मीटर की कभी सख्ती से पालना नहीं करवाई, लेकिन हमने सभी जगह और दूरी के हिसाब से किराया सूची जारी कर रखी है, जो पुलिस व अन्य जगह दे रखी है। हमारी वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। अगर आप बता रहे हैं कि ज्यादा किराया वसूलते हैं, तो हम जरूर कारवाई करेंगे।
-मन्नालाल,
अतिरिक्त यातायात अधिकारी
हत्या के दो दिन बाद भी मौके पर ही पड़ा है शव
उदयपुर। झाड़ोल थाना क्षेत्र के ढीमड़ी गांव में दो दिन से एक युवक का शव घटनास्थल पर ही पड़ा है। उक्त युवक की रविवार रात को हत्या कर दी गई थी। इस हत्या के मामले पुलिस के हाथ अब तक कोई ठोस सुराग नहीं लगा है। इधर, मृतक के परिजनों ने शव को मौके से उठाने से भी इनकार करते हुए मौताणे की मांग की है। पुलिस ने इस मामले में संदिग्ध दो युवकों को हिरासत लिया है, जिनसे पूछताछ चल रही है।
गौरतलब है कि झाड़ोल थाना क्षेत्र के ढीमड़ी गांव के पास सोमवार सुबह एक युवक का शव पड़ा मिला। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव की शिनाख्त गवाड़ी फला निवासी राजू (४०) पुत्र हमेरा डामोर के रूप में की। पुलिस ने उसके परिजनों को सूचना दी। इस पर मृतक के गांव से उसके परिजनों सहित लगभग १०० लोगों मौके पर पहुंच गए। मृतक के परिजनों ने बताया कि राजू रविवार शाम को उसके साडू ढीमड़ी निवासी रामा के यहां गया था, जहां उसने व उसके साडू रामा व उसके पुत्र नारायण व अन्य रिश्तेदार गणेश लाल शराब पी थी।
रामा के पड़ोसी ने बताया कि देर रात चारों के बीच में किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई। इसके बाद सोमवार सुबह राजू का शव ढीमड़ी गांव के बाहर पड़ा मिला। मृतक के परिजनों ने बताया कि राजू घर से दस हजार रुपए भी लेकर गया था, जो कि उसके पास नहीं मिले। मृतक के परिजन राजू के साडू रामा के परिवार पर मौताणे की मांग को लेकर अड़े हुए हैं।
उधर पुलिस ने सोमवार शाम को नारायण पुत्र रामा व एक अन्य रिश्तेदार को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है। जिनसे पूछताछ की जा रही है। वहीं मृतक के परिजन आरोपियों की गिरफ्तारी और मौताणे की मांग को लेकर मौके पर ही अड़े हुए हैं। पुलिस समझाइश कर रही है।
सफाईकर्मिंयों की नियुक्ति पर रोक
उदयपुर। नगर निगम में चल रही सफाई कर्मियों की भर्ती पर शिकायतों के चलते राज्य सरकार ने रोक लगा दी है। स्थानीय निकाय विभाग निदेशक ने सोमवार को यह आदेश जारी किए हैं। जिन सफाई कर्मियों को नियुक्ति पत्र मिल गए है, उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन जिन लोगों के साक्षत्कार चल रहे थे, उनकी भर्ती प्रक्रिया विभागीय जांच के बाद ही पूरी होगी। भर्ती प्रक्रिया की शिकायत करने वालों के खिलाफ हेला समाज और वाल्मीकि समाज ने आज कलेक्ट्री पर प्रदर्शन करके विरोध दर्ज कराया। भर्ती को लेकर जो शिकायतें मिली है, उनके आधार पर स्थानीय निकाय विभाग के क्षेत्रीय उपनिदेशक को जांच सौंपी गई है। इधर, लोकसभा चुनाव भी करीब आ गए है, तो सफाई कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया अब खटाई में पड़ गई है। माना जा रहा है कि अब बाकी की प्रक्रिया लोकसभा चुनाव के बाद ही संपन्न होगी।
साक्षात्कार से हो रही थी भर्ती : महीनेभर पहले राज्य सरकार ने जहां जहां भर्ती प्रक्रिया बकाया थी, वहां पर लॉटरी सिस्टम से भर्ती प्रक्रिया पूर्ण करने के निर्देश जारी किए थे, लेकिन उदयपुर नगर निगम में साक्षात्कार लेकर भर्ती प्रक्रिया पूर्ण की जा रही थी।
शिकायतों पर हुई कारवाई : साक्षात्कार से हो रही सफाई कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया पर कई पार्षदों और संगठनों को असंतोष था। माकपा पार्षद राजेश सिंघवी ने बैठक में भी कई बार भर्ती प्रक्रिया को लेकर कई सवाल उठाए थे। उन्होंने बताया कि जब राज्य सरकार ने लॉटरी से भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दे दिए हंै, तो फिर साक्षात्कार के जरिये भर्ती प्रक्रिया को पूरा क्यों किया जा रहा है? उन्होंने अंदेशा जताया कि इससे चहेतों को भर्ती करके लाभ पहुंचाया जा रहा है। हैला नवयुवक मंडल व वाल्मीकि विकास संस्थान ने भी भर्ती प्रक्रिया को लेकर स्थानीय निकाय विभाग को शिकायतें भेजी थी। स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक ने इन शिकायतों पर बिंदुवार जांच कर विभाग के क्षेत्रीय उपनिदेशक को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
शिकायत करता के खिलाफ प्रदर्शन : सफाईकर्मियों की भर्ती को लेकर की गई शिकायतों के विरोध में आज जिला कलेक्ट्री पर हैला समाज और वाल्मीकि समाज के लोगों ने प्रदर्शन किया और शिकायतकर्ता माकपा पार्षद राजेश सिंघवी के खिलाग जमकर नारेबाजी की तथा राजेश सिंघवी का पुतला फूंका गया। प्रदर्शन कर रहे युवकों का कहना था कि नगर निगम में भर्ती प्रक्रिया सही चल रही थी, लेकिन मात्र कुछ लोगों की शिकायत की वजह से अब यह खटाई में पड़ गई है।
नियुक्ति पत्र मिल चुके : उदयपुर नगर निगम मे 1054 सफाई कर्मियों की भर्ती होनी है। नगर निगम ने पूर्व में अक्टूबर, 2013 में साक्षात्कार प्रक्रिया शुरू की थी। चयन कमेटी अभी तक 1174 आवेदकों के साक्षात्कार ले चुका है।
मगर नियुक्ति पत्र अभी जारी नहीं हुए है। नगर निगम द्वारा विधवा और परित्यक्ता महिलाओ को 96 नियुक्ति पत्र जारी किए जा चुके हैं। पुरुषों के साक्षात्कार की प्रक्रिया अभी बाकी चल रही है।
: नगर निगम में सफाईकर्मियों की भर्ती पर रोक के आदेश स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक से मिले हंै। उदयपुर नगर निगम में सफाई कर्मियों की भर्ती पर रोक लगा दी है। बाकी की प्रक्रिया विभागीय जांच के बाद ही होगी।
-दिनेश कोठारी, क्षेत्रीय उप निदेशक, स्थानीय निकाय विभाग
सचिन पायलट कल उदयपुर में
उदयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट बुधवार को को एक दिवसीय दौरे पर उदयपुर आएंगे। वे यहां सर्किट हाउस में उदयपुर संभाग के नेताआें से आगामी लोकसभा चुनाव के बारे में विचार विमर्श करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष के दौरे की तैयारियों के मद्देनजर उदयपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी की आवश्यक बैठक आज सुबह दुर्गा नर्सरी स्थित अस्थाई कार्यालय पर हुई, जिसमें जिलाध्यक्ष नीलिमा सुखाडिय़ा ने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
गुजराती दंपती से पर्स छीना
उदयपुर। गुलाबाग में आज सुबह एक बाल अपचारी ने भ्रमण पर आए गुजराती दंपती का पर्स छीन कर भाग गया। इस मामले में गुजराती दंपती ने पुलिस कार्रवाई से इनकार कर दिया है।
जानकरी के अनुसार गुजरात (भावनगर) निवासी हार्दिक जोशी ने बताया कि वह पत्नी के साथ उदयपुर में घूमने आया था। आज सुबह वह गुलाबबाग में घूम रहा था। उस दौरान लगभग १२ से १५ साल का एक किशोर आया, जो उसकी पत्नी के हाथ से पर्स छीनकर भाग गया। हार्दिक ने उसका पीछा किया, लेकिन वह हाथ नहीं लगा। हार्दिक ने बताया कि पर्स में लगभग पांच सौ रुपए व दस्तावेज थे।
राजीव गांधी के हत्यारों को नहीं होगी फांसी, सजा उम्रकैद में बदली
नई दिल्ली। पूर्व दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के तीन दोषियों की मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उम्रकैद में बदल दिया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र की उस दलील को नहीं माना जिसमें उसने कहा था कि सजा देने में विलंब प्रक्रिया के तहत ही हुआ है। राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका के निस्तारण में हुई देरी का हवाला देते हुए तीनों ने फांसी की सजा माफ करने की गुहार लगाई थी।
मुख्य न्यायाधीश पी. सतशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ इस पर आज अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अदालत ने चार फरवरी को हत्याकांड के तीन दोषियों सांतन, मुरुगन और पेरारिवलन के खिलाफ फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्र सरकार ने दोषियों की याचिका का यह कहते हुए कड़ा विरोध किया था कि दया याचिका के निस्तारण में देरी का हवाला देकर मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट माफ नहीं कर सकता।
सरकार ने माना है कि दया याचिकाओं पर फैसला लेने में देरी हुई है। हालांकि उसका यह भी कहना है कि यह देरी अनुचित और बिना कारण नहीं है। दोषियों की ओर से अदालत में हाजिर होने वाले वकील ने कहा कि सरकार की ओर से दया याचिकाओं के निपटारे में हुई देरी से इन लोगों को अत्यधिक मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ा है। लिहाजा, सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप कर इनकी सजा को उम्रकैद में तब्दील करना चाहिए। दोषियों ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि उनके बाद भेजी गई दया याचिकाओं का तो सरकार ने निस्तारण कर दिया, लेकिन उनकी याचिकाएं अटका कर रखी गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2012 में राजीव गांधी के हत्यारों की याचिकाओं की सुनवाई का निर्णय किया था और मद्रास हाई कोर्ट को लंबित याचिकाएं उसके पास भेजने का आदेश दिया था।
नमो चाय के जवाब में कांग्रेस का ‘राहुल मिल्क
बीजेपी की पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी की ‘नमो चायÓ के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अब सियासी मैदान में ‘राहुल मिल्कÓ उतार दिया है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में ‘राहुल मिल्कÓ के खूब चर्चे हो रहे हैं।
शहर में जगह-जगह राहुल गांधी की फोटो वाले गिलास में युवकों को दूध पिलाया जा रहा है। जिले के ग्रामीण इलाकों में भी यह कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है। तर्क दिया जा रहा है कि नरेंद्र मोदी की चाय से नौजवानों की सेहत खराब होगी, जबकि ‘राहुल मिल्कÓ से नौजवान पहलवान बनकर देश की रक्षा और उन्नति करेंगे।
Óनमो चायÓ का सियासी जवाब खोजने के लिए गोरखपुर के कांग्रेसियों ने यह तरीका खोजा है। पार्टी नेता रविवार को 50 लीटर दूध और राहुल की फोटो वाले गिलास लेकर गोलघर में इंदिरा गांधी की प्रतिमा के पास एकजुट हुए। इसके बाद उन्होंने रास्ते से गुजरने वाले लोगों को रोककर दूध बांटना शुरू कर दिया।
अंधविश्वासी पिता ने बच्ची की कराई कुत्ते से शादी
udaipur पश्चिमी सिंहभूम के नोवामुंडी प्रखंड के डुकासाई गांव में एक बच्ची की कुत्ते के साथ शादी इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है। डेढ़ वर्षीय बच्ची का कम उम्र में ही दूध का दांत निकल आया था। कम आयु में बच्ची का दूध का दांत देख परिजन इसे अशुभ संकेत मान बैठे। उससे प्रायश्चित करने के लिए एक कुत्ते के साथ विवाह कराना उचित समझा। बस क्या था बच्ची के परिजनों ने सोमवार को पड़ोस के एक रोमियो नामक कुत्ते को लाकर दूल्हा के रूप में शरीर पर धोती बांधकर सजा दिया। इसके बाद बच्ची व कुत्ते के गले में फूलमाला पहना कर हल्दी लेपन के बाद दुल्हा-दुल्हन का रूप दिया गया था।
आदिवासी परम्परा के अनुसार विवाह संपन्न होने के बाद दोनों वर-वधु को गोद में लेकर गृह प्रवेश कराया गया। गांव में इस तरह की शादी पहली बार होने की खबर पाकर आस पड़ोस के लोग नगाड़ा मांदर बजाकर थिरकने लगे थे। बच्ची के पिता ने बताया कि आदिवासी परंपरा के आधार पर कम आयु में दूध के दांत निकल आना अशुभ संकेत माना जाता है। इस अशुभ संकेत से मुक्ति पाने के लिए इस तरह के रिवाज को अपनाया जाता है। बेटी व कुत्ते का यह गंधर्व विवाह है। शादी के बाद उपस्थित लोगों को हडिय़ा पिलाकर विदाई दी गई।
मुंबई के तबेलों में चल रहा है कांग्रेस का ‘गेट टुगेदर
मुंबई और ठाणे में बसे करीब 40 लाख उत्तरभारतियों को लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपना तारणहार बनाना चाहती है। इसलिए छोटे-छोटे सांस्कृतिक समारोहों से लेकर तबेलों में लिट्टी-चोखा के बहाने भी हिंदीभाषियों को रिझाने की कोशिश की जा रही है।
लोकसभा चुनाव की आहट सुनाई देते ही उत्तरभारतीय नेता अपने समाज के साथ घुलते-मिलते दिखाई दे रहे हैं। बीते रविवार को ऐसा ही एक जमावड़ा मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कृपाशंकर सिंह नेगोरेगांव के एक तबेले में लिट्टी-चोखा कार्यक्रम के बहाने किया, जिसमें बांद्रा से दहिसर तक के प्रमुख उत्तर भारतीय इक_ा हुए। कोशिश यह भी की जा रही है कि समाज के कार्यक्रमोंमें सभी हिंदीभाषी नेता एक साथ हंसते बोलते दिखाई दें, ताकि एकता का संदेश दिया जा सके। यही कारण है कि इस कार्यक्रम में मुंबई के एकमात्र हिंदीभाषी सांसद संजय निरुपम और राज्य में अल्पसंखयक मामलों के मंत्री मोहममद आरिफ नसीम खान के साथ नई मुंबई के कांग्रेस नेता हरबंश सिंह भी उपस्थित थे। उत्तर प्रदेश से मुंबई और ठाणे में आकर बस गए उत्तर भारतीय व बिहारी मतदाता हमेशा से कांग्रेस का मजबूत वोटबैंक माने जाते रहे हैं। शिवसेना द्वारा उत्तरभारतियों पर निशाना साधने के बाद से तो यह वर्ग कांग्रेस के और करीब आ गया। 1990 के बाद बाल ठाकरे की हिंदुत्ववादी भूमिका व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से उसके गठजोड़ के बाद उत्तर भारतीय मतदाता शिवसेना के प्रति थोड़ा नरम जरूर पड़े थे, लेकिन उसके मतदाता कभी नहीं बन सके।
पिछले कुछ वर्षो में राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के उदय ने उसके मन में एक और भय पैदा कर दिया है। महाराष्ट्र भाजपा भी स्वयं को शिवसेना और मनसे जैसे दलों से न तो अलग कर पाती है न ही चुनाव में उन्हें उचित प्रतिनिधित्व दे पाती है, इसलिए राष्ट्रीय पार्टी होने के बावजूद उसे उत्तरभारतियों का उतना समर्थन नहीं मिलता, जितना कांग्रेस जुटा ले जाती है। महाराष्ट्र में इसी वर्ष लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव भी होने हैं।