उदयपुर. शहर सहित संभाग के कई हिस्सों में रविवार को भी बारिश का दौर चला और कई जगह ओले गिरे। मौसम ठंडा हो गया और खेतों में पड़ी फसलें खराब हो गईं। जिले के कोटड़ा में डेढ़ घंटे में दो इंच और ऋषभदेव में एक घंटे में डेढ़ इंच बारिश हुई। उदयपुर शहर में दोपहर बाद घने बादल छा गए और दो बजे बाद शाम तक 3 मिमी बारिश हुई। तेज अंधड़ चला और तेज गर्जना के साथ बिजलियां कौंधती रहीं। नालियों में उफान से सड़कों पर पानी भर गया। राजसमंद के कुंभगलढ़ में तेज बारिश के साथ चने के आकार के ओले गिरे। झाड़ोल के खरवणिया फलां निवासी धर्मी देवी पत्नी सुखलाल वढेरा व उसकी करीब 8 वर्षीय पुत्री आशा कुमारी की आकाशीय बिजली गिरने से मौत हो गई। आमेट, भीम, नाथद्वारा, देवगढ़, रेलमगरा, कुरज, केलवा, दरीबा कुंवारिया, झौर क्षेत्रों में बारिश हुई। शहर में दूसरे दिन भी बारिश
कोटड़ा में डेढ़ घंटे में दो इंच बारिश, झाड़ोल में बिजली गिरने से मां-बेटी की मौत
बारूद से उड़ाई जा रही है पहाडिय़ां!
कहां से आ रहा है भारी मात्रा में प्रतिबंधित विस्फोटक ?
-अख्तर खान-
उदयपुर। हाईकोर्ट के आदेशों, मास्टर प्लान में शहर के आसपास की पहाडिय़ों को संरक्षित करने के बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से प्रतिबंधित विस्फोटकों के जरिये पहाडिय़ों को उड़ाया जा रहा है। निजी कॉलोनाइजर्स और भूमाफियाओं ने सैकड़ों पहाडिय़ों को प्लाटिंग, रिसोर्ट और होटल्स बनाने के लिए समतल कर दिया है। दूसरी तरफ, इनके संरक्षण के लिए प्रशासनिक पदों पर बैठे अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार वन क्षेत्र और निजी खातेदारी की पहाडिय़ों को सिर्फ विकास के लिए एक निश्चित ऊंचाई तक ही समतल किया जा सकता है।
चारों दिशाओं में समतल हो रही है पहाडिय़ां : पिछले कुछ सालों में जमीनों की दरें आसमान छूने लगी, तो भूमाफियाओं की नजर निजी खातेदारी और गैर खातेदारी की पहाडिय़ों पर पड़ी। चित्रकूटनगर के पास रघुनाथपुरा की कई पहाडिय़ां, ईसवाल हाइवे के आस-पास की पहाडिय़ां, उमरड़ा और नाई के आगे खेड़ा गांव तक पहाडिय़ों में बारूद भरकर उन्हें उड़ाकर समतल कर दिया गया है। इन पर प्लाटिंग काटी जा रही है, रिसोर्ट और होटल्स विकसित किए जा रहे हैं। रघुनाथपुरा में तो इन पहाडिय़ों को समतल करने के लिए पिछले कई दिनों से रोज शाम को ब्लास्ट किए जा रहे हैं। ना तो इन भू-माफियाओं को कोई रोकने वाला है और ना ही इनसे कोई पूछने वाला। हर शाम बारूद से ब्लास्ट करने के बाद दिन-रात जेसीबी और डंपरों से भराव हटाया जा रहा है।
कहां से आता है बारूद ? : इन पहाडिय़ों के लिए निजी कॉलोनाइजर्स भारी मात्रा में प्रतिबंधित विस्फोटक सामग्री ला रहे हैं। इन विस्फोटकों में सैन्य विस्फोटक भी शामिल है, जो बाजार में आ रहा है, यह एक गंभीर चिंता का विषय है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही और कार्रवाई नहीं होने के कारण इनका बेखौफ इस्तेमाल किया जा रहा है। पता चला है कि इन पहाड़ों को उड़ाने के लिए डायनामाइट, जिलेटिन की छड़े, बारूद उपयोग में लाए जा रहे हैं। कई विस्फोटक तो ऐसे हैं, जिन्हेें केवल मिलिट्री ही उपयोग में ले सकती है। ऐसे विस्फोटक भी इनके पास आ रहे है, जिसमे मर्करी फल्मिनेट और टीएनटी जैसे घातक तत्व शामिल है।
सुनने को तैयार नहीं यूआईटी सचिव : यूआईटी सचिव को जब यूआईटी के क्षेत्राधिकार में आने वाली रघुनाथपुरा की पहाडिय़ां पर विस्फोट होने की जानकारी दी गई, तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि ये हमारा मामला नहीं है। यह तो माइनिंग विभाग का मामला है, जबकि पिछले दिनों इन पहाडिय़ों के आसपास कब्जे होने पर यूआईटी ने ही पुलिस बुलाकर वहां से कब्जे हटाए थे।
यह है नियम : हाईकोर्ट के सख्त आदेश हैं कि शहर की पहाडिय़ों का स्वरूप नहीं बिगाड़ा जाए, यदि विकास के लिए आवश्यक है, तो सिर्फ एक निश्चित ऊंचाई तक ही पहाडिय़ों को काटा जा सकता है, जिसमेें भी यह देखना जरूरी है कि इससे पहाडिय़ों का वास्तविक रूप नहीं बिगड़ेगा। झील संरक्षण समिति के अनिल मेहता ने बताया कि उदयपुर का सौंदर्य इन पहाडिय़ों की वजह से ही बना हुआ है। यह पहाडिय़ां ही शहर में झीलों को भरने का मुख्य स्रोत है। इनको अगर ढहने से नहीं बचाया गया, तो संकट की स्थिति पैदा हो जाएगी।
मास्टर प्लान में भी पहाडिय़ों को किया गया संरक्षित : यूआईटी सचिव पहाडिय़ों को विस्फोटकों से उड़ाने की बात सुनने तक तैयार नहीं है, जबकि यूआईटी द्वारा तैयार मास्टर प्लान 2011-31 में इस बात का मुख्य रूप से ध्यान रखा गया है कि विकास के लिए भी उदयपुर की पहाडिय़ों का वास्तविक रूप नहीं बिगड़े। उदयपुर शहर का धरातल तस्तरीनुमा है, जहां सघन पौधरोपण की जरूरत है, क्योंकि इन्हीं पहाडिय़ों से बरसाती पानी शहर की झीलों को भरने में बहुत हद तक मदद करता है।
प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही से खत्म होता जा रहा है झीलों का
लालच : कैचमेंट निजी कॉलोनाइजर और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से निजी खातेदारी तथा गैर खातेदारी की पहाड़ी जमीनों को औने-पौने दामों पर खरीदकर सेना के बारूद से उड़ाया जा रहा है। इससे निजी कॉलोनाइजर्स को वहां पर प्लाटिंग करके लाखों-करोड़ों का लाभ हो रहा है, जिसका एक निश्चित हिस्सा अधिकारियों तक भी पहुुंचाया जा रहा है। इन लोगों के लालच के कारण संरक्षित पहाडिय़ां खत्म होती जा रही है, इतना ही नहीं यह कार्य पर्यावरण के लिए खतरनाक होने के साथ ही झीलों के कैचमेंट को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है।
लाचारी : हाईकोर्ट के सख्त आदेश है कि शहर की पहाडिय़ों का स्वरूप नहीं बिगाड़ा जाए। यदि विकास के लिए आवश्यक है, तो सिर्फ एक निश्चित ऊंचाई तक ही पहाडिय़ों को काटा जा सकता है, जिसमें भी यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि पहाडिय़ों का मूल स्वरूप नहीं बिगड़े। लेकिन निजी कॉलोनाइजर्स द्वारा दिए जा रहे लालच के कारण अधिकारी भी माननीय हाईकोर्ट के आदेशों की भी परवाह नहीं कर रहे हैं और भूमाफिया धड़ल्ले से शहर के आसपास की पहाडिय़ों को विस्फोटकों से उड़ा रहे हैं। अधिकारियों को यह तक परवाह नहीं है कि पहाडिय़ों को उड़ाने के लिए सेना के विस्फोटक को काम में लिया जा रहा है, जो कहां से आ रहा है? इसकी कौन खरीद-फरोख्त कर रहा है? अपने फायदे के लिए अधिकारियों ने इन सवालों पर भी पर्दा डाल दिया है।
॥पहाडिय़ों को विस्फोटकों से हटाया जा रहा है, तो चिंता का विषय है। मैं आज ही इस मामले में दिखवाता हूं और रघुनाथपुरा में भी संबंधित अधिकारियों को भिजवाकर कार्रवाई करवाता हूं।
-आशुतोष पेढणेकर, जिला कलेक्टर
॥बिना परमिशन अगर पहाडिय़ों को विस्फोटकों से ढहाया जा रहा है, तो गलत है। यह अपराध की श्रेणी में आता है। सैन्य और दूसरी तरह का विस्फोटक कहां से आ रहा है। इसकी तुरंत जांच करवाकर कार्रवाई की जाएगी।
-अजयपाल लांबा, एसपी उदयपुर
॥इस बारे में आप माइनिंग विभाग से जानकारी लो, हमारे अधिकार क्षेत्र का मामला नहीं है। रघुनाथपुरा में अगर कोई विस्फोट कर रहा है, तो उसकी निजी खातेदारी होगी।
-आरएन मेहता, यूआईटी सचिव
पुलिस ने घेरा डालकर चंदन तस्कर को पकड़ा
मंंंंत्री डॉ. व्यास के घर के बाहर से चंदन चोरी का प्रयास, कटा चंदन का पेड़ और कार जब्त
उदयपुर। केंद्रीयमं त्री और चित्तौडग़ढ़ संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. गिरिजा व्यास के मकान के बाहर आज तड़के तस्कारों ने परिपक्व चंदन का पेड़ काट दिया। इस बीच पुलिस के गश्ती दल ने तस्करों को देख लिया, जिससे एएसपी डॉ. राजेश भारद्वाज के नेतृृत्व में पुलिस अधिकारियों और जाब्ते ने घेरा डाला। करीब डेढ़ किलोमीटर पीछा करने के बाद एक तस्कर को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि तीन तस्कर भागने में सफल हो गए। पुुलिस ने मौके से कार और कटा हुआ चंदन का पेड़ बरामद कर लिया है। पुलिस के अनुसार रात दो बजे सफेद कार में चार चंदन तस्कर डॉ. गिरिजा व्यास के मकान के बाहर पहुंचे, जिन्होंने इलेक्ट्री आरी से चंदन के पेड़ के तने को काट डाला। इसी बीच पुलिस के गश्ती दल ने डॉ. व्यास के घर के बाहर सफेद कार व चार जनों को खड़ा देखा। इसकी सूचना कंट्रोल रूम पर दी गई। इस पर एएसपी सिटी डॉ. राजेश भारद्वाज के नेतृत्व में भूपालपुरा थानाधिकारी रतन चावला और हाथीपोल थानाधिकारी बोराजसिंह ने जाब्ते के साथ घेरा डाला। पुलिस जाब्ते को देखकर तस्कर वहां से दौड़कर भागे, जिनका करीब डेढ़ किलोमीटर तक पीछा किया गया। पुलिस ने इनमें से एक तस्कर को पकड़ लिया। पूछताछ में उसने अपना नाम वीरापुरा (सराड़ा) निवासी मोहन पुत्र नाथू मीणा बताया। उसने बताया कि इस वारदात में उसके साथ गोवर्धनविलास निवासी हीरालाल और निकुंभ निवासी दिनेश और रामलाल शामिल थे। पुलिस उनकी तलाश कर रही है। उल्लेखनीय है कि शहर में गुलाबबाग व अन्य इलाकों से कई दफा चंदन पेड़ चोरी होने की घटनाएं सामने आई है। इससे पहले तस्करों ने एसीबी में करीब पांच साल पहले तत्कालीन डीआईजी रहे वीके गोदीका के बंगले से भी चंदन के पेड़ चोरी हुए थे।रात दो बजे : सफेद रंग की कार में चार चंदन तस्कर केंद्रीय मंत्री डॉ. गिरिजा व्यास के मकान के बाहर पहुंचे और चंदन पेड़ को इलेक्ट्रिक आरी से काटना शुरू किया।
रात ढाई बजे : गश्ती पुलिस दल ने तस्करों को पेड़ काटते देखा। सूचना पर आला अधिकारी ने जाब्ते के साथ घेरा डाला। कार व कटा पेड़ छोड़कर तस्कर भागे।
रात तीन बजे : पुलिस की टीमों ने पैदल भागे तस्करों को करीब डेढ़ किलोमीटर तक पीछा किया, लेकिन तीन तस्कर भागने में सफल हो गए, जबकि एक तस्कर पकड़ा गया।
रात दो बजे : सफेद रंग की कार में चार चंदन तस्कर केंद्रीय मंत्री डॉ. गिरिजा व्यास के मकान के बाहर पहुंचे और चंदन पेड़ को इलेक्ट्रिक आरी से काटना शुरू किया।
रात ढाई बजे : गश्ती पुलिस दल ने तस्करों को पेड़ काटते देखा। सूचना पर आला अधिकारी ने जाब्ते के साथ घेरा डाला। कार व कटा पेड़ छोड़कर तस्कर भागे।
रात तीन बजे : पुलिस की टीमों ने पैदल भागे तस्करों को करीब डेढ़ किलोमीटर तक पीछा किया, लेकिन तीन तस्कर भागने में सफल हो गए, जबकि एक तस्कर पकड़ा गया।
कपासन थानाधिकारी सहित दो जवानों को हटाया
डोडा-चूरा बरामदगी के झूठे मामले के विरोध के बाद एसपी ने कार्रवाई
कपासन। एसपी प्रसन्नकुमार खमेसरा ने डोडा-चूरा बरामदगी के कथित झूठे मामले में उपजे आक्रोश के बाद मामले की जांच बेंगू डीएंसपी राजेश चौधरी को सांैपी है। जांच होने तक कपासन सीआई मानाराम गर्ग को यहां से हटाकर Èिलहाल जिला मुख्यालय भेज दिया गया है। इसके साथ कांस्टेबल रोशनलाल को लाइन हाजिर कर दिया है, जबकि दूसरे कांस्टेबल सुभाष को उसके मूल नियुक्ति वाले थाने में भेज दिया गया है। उल्लेखनीय है कि स्थानीय पुलिस ने 16 अप्रैल की रात को रंडिसारड़ी-संडिसारड़ी मार्ग एक ट्रैक्टर से ले जाए जा रहे डोडा-चूरा को जब्त कर दो जनों को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले की सूचना मिलते ही क्षेत्र के किसानों में आक्रोश व्याप्त हो गया, क्योंकि उक्त डोडा-चूरा पट्टे की अÈीम का था। शुक्रवार सुबह जाट छात्रावास में सैकडों की संख्या में किसान एकत्र हुए। इधर, प्रशासन को भी आंदोलन की भनक लगने पर भारी तादाद में पुलिस बल बुला लिया। आरोप है कि मौसम खराब होने से डोडा-चूरा व पोस्त दाने खेत से घर लाते समय दो किसानों को Èर्जी मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया गया है, जबकि उक्त माल पट्टे की अÈीम का था। किसानों के बढ़ते विरोध को देखते हुए एसपी प्रसन्न कुमार खमेसरा ने आज सुबह थानाधिकारी मानाराम गर्ग को कपासन थाने से हटाकर एसपी ऑÈिस में लगा दिया, जबकि एक कांस्टेबल को लाइन हाजिर करते हुए एक अन्य कांस्टेबल को उसके मूल नियुक्ति थाने में भेज दिया गया। इसके बाद किसानों का आक्रोश शांत हुआ।
एक वर्ष से अधर में काम!
उदयपुर। विद्यालय की जर्जर इमारत के नव निर्माण के लिए बजट मंजूरी के साथ काम शुरू हुआ, लेकिन एक किश्त के बाद विभाग द्वारा धन उपलब्ध नहीं करवाने पर ठेकेदार को मजबूरन काम रोकना पड़ा। अब विद्यार्थी जर्जर कमरों में पढ़ने को मजबूर हैं। विद्यालय माध्यमिक है और उसका पूरा कार्यालय एक कमरे चल रहा है। पहाड़ की तलहटी में बने इस विद्यालय परिसर में बारिश के मौसम में चट्टान खिसकने की आशंका बनी रहती है। दुर्घटना के हालात में जान-माल का नुकसान का जिम्मेदार कौन होगा। यह हालात हैं उदयपुर जिले की काशी कहलाने वाले कैलाशपुरी गांव के सरकारी माध्यमिक विद्यालय के।
राजकीय माध्यमिक विद्यालय कैलाशपुरी के भवन निर्माण के लिए 80 लाख रूपए स्वीकृत हुए। इसी के चलते स्कूल निर्माण का कार्य ठेकेदार को दे दिया गया। ठेकेदार ने निर्माण कार्य की शुरूआत 15 फरवरी 2013 को पुराने भवन को गिरा कर की और 31 अगस्त 2013 तक नींव डालने के बाद निर्माण कार्य रोक दिया।
…तो अच्छा होता
विद्यालय के शिक्षक व विद्यार्थी जो विद्यालय निर्माण कार्य शुरू होने से प्रसन्न थे, उन्हें आज लग रहा है कि कार्य ना ही शुरू हुआ होता तो ही अच्छा था। विशेषकर महिला शिक्षक व छात्राओं को अधिक परेशानी झेलनी पड़ रही है। छात्राओं ने बताया कि जो पुराना शौचालय था, उसे निर्माण के नाम पर तोड़ दिया गया और नए का निर्माण अधूरा है, इस कारण उन्हें परेशानी होती है।
सब कुछ एक कमरे में
विद्यालय के प्रधानाध्यापक कन्हैयालाल श्रीमाली ने बताया कि कम कमरे होने के कारण एक ही कमरे में स्टोर रूम, कम्प्यूटर रूम, स्टाफ रूम व प्रधानाध्यापक कार्यालय बनाया गया है। ग्राम पंचायत कैलाशपुरी के उप सरपंच अशोक मोड़ ने विभाग व विद्यालय से जब विद्यालय के निर्माण कार्य अधूरा रहने की बात पूछी तो ठेकेदार ने बताया कि राशि के अभाव में काम रोकना पड़ा।
बजट में देरे से रूका काम
मोड़ ने बताया कि सार्वजनिक निर्माण विभाग, शिक्षा विभाग बीकानेर व वित्त विभाग बजट में देरी का ठीकरा सभी विभाग एक-दूसरे पर फोड़ रहे हैं।
राशि मंजूर हो गई है, लेकिन किसी कारण से शिक्षा विभाग ने ठेकेदार को एक किश्त के बाद राशि ही नहीं दी, इसलिए कार्य रोक दिया गया।
कन्हैया लाल श्रीमाली, प्रधानाध्यापक, राजकीय माध्यमिक विद्यालय कैलाशपुरी
यदि कार्य आचार संहिता समाप्त होने से पहले नहीं किया गया तो संबंधित विभाग के मंत्री से चुनाव के बाद संपर्क किया जाएगा और दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जाएगी। अशोक मोड़, उप सरपंच, कैलाशपुरी
ये हैं खतरे में
विद्यार्थियों की संख्या – 150 लगभग
श्ौक्षणिक स्टाफ- 10 व्यक्ति
गैरश्ौक्षणिकस्टाफ- 4 व्यक्ति
बजट – 80 लाख रूपए
मिला- 20 लाख रूपए
काम हुआ- 20 फीसदी
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पंद्रह लाख की मोटरसाइकिलें खाक
उदयपुर। सेवाश्रम पुलिया के नीचे स्थित बाइक के शोरूम गांधी मोटर्स में देर रात्रि लगने से लगभग 15 लाख के वाहन खाक हो गए। आग के कारणों का पता नहीं चल पाया है। पुलिस ने बताया कि रात्रि 11 बजकर 40 मिनट के आसपास दो-तीन मोटरसाइकिल जलने लगी। ये गाडियां शोरूम के बाहर मुख्य द्वार के पास खुले में ही रखी हुई थी। इसका अंदर सो रहे दो नौकर को पता चला तो वे बाहर आए और बाल्टियां में पानी भर मोटर साइकिलों पर उंडेल कर आग बुझाने का प्रयास किया लेकिन वह और भड़क गई।
देखते ही देखते पास खड़ी अन्य गाडियो भी आग पकड़ना शुरू कर दिया। इस पर पड़ौसियों ने फायर कंट्रोल रूम व पुलिस को सूचना दी। गाडियों में आग की सूचना मिलने पर तीन दमकल मौके पर पहुंची। हड़बड़ी में मुख्य द्वार ताला नहीं खुला तो तोड़ा गया और लगभग दस मिनट की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।
कारणों का पता नहीं लगा
बाद में शोरूम मालिक भी मौके पर पहंुचे और पूछताछ की लेकिन आग के कारणों का पता नहीं चल पाया। गाडियों के पास बिजली की कोई लाइन भी नहीं थी, इसलिए शॉर्ट सर्किट की भी आशंका नहीं है। बताया गया कि गाडियों बिल्कुल नई थी और ऎसे में उनमें पेट्रोल भी नहीं था। ऎसे में शायद बाहर से कोई ज्वलनशील पदार्थ फेंका गया हो सकता है और इससे आग लगी होगी।
पाठ्य पुस्तक मंडल की किताबें इस बार 20% तक महंगी
उदयपुर. राजस्थान पाठ्य पुस्तक मंडल की किताबें सत्र में 20 फीसदी तक महंगी हो गई हैं। सबसे ज्यादा कीमतें दूसरी और चौथी क्लास की किताबों की बढ़ी हैं। कारण, इन क्लासों में इस सत्र से एसआईईआरटी का नया कोर्स लागू किया गया है। इसके अलावा 6 से 12वीं तक की किताबों में भी बढ़ोत्तरी कर दी गई है।
किताबें महंगी होने का असर राजस्थान बोर्ड से संबद्ध विद्यालयों में पढ़ रहे विद्यार्थियों पर पड़ेगा। दूसरी क्लास से लेकर 12वीं क्लास तक की किताबें महंगी हो गई हैं। मंडल के सीएओ ललित बर्मा ने बताया कि एनसीईआरटी के साथ एमओयू के तहत ही रेट तय की जाती है। तीसरी व पांचवीं के मूल्यों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। कारण, इनका कोर्स गत साल ही बदला था।
दूसरी व चौथी क्लास में भी एसआईईआरटी का कोर्स
राजस्थान बोर्ड ने इस सत्र में अब दूसरी व चौथी क्लासों में भी एसआईईआरटी का कोर्स लागू कर दिया है। एसआईईआरटी के शिक्षाक्रम व मूल्यांकन के एचओडी प्रदीप पानेरी ने बताया कि अब पहली से पांचवीं कक्षा तक एसआईईआरटी का कोर्स पढ़ाया जाएगा। गौरतलब है कि गत वर्ष पहली, तीसरी व पांचवीं कक्षा में इसे लागू किया गया था। दूसरी व चौथी कक्षा में इसे वर्तमान सत्र से लागू किया गया है। इन किताबों में स्थानीय से वैश्विक स्तर की जानकारियों को शामिल किया गया है। जिसमें बेणेश्वर से लेकर लंदन के एफिल टॉवर तक को जोड़ा गया है।
ऐसे बदला कोर्स
सेकंड क्लास की किताबों में बच्चों की प्री- राइटिंग स्किल्स को बढ़ाने के उद्देश्य से ही अंग्रेजी की सनबीम व हिंदी में रुनझुन किताबों में कंटेंट रखा गया है। फोर्थ क्लास में पिक्चर रीडिंग मुख्य है। इसी के साथ खेल खेल में गणित पैटर्न पर मैथ्स का कंटेंट है ताकि बच्चों के मन में गणित के नाम का डर पैदा न हो। अंग्रेजी व हिंदी विषयों में ग्रामर भाग का कंटेंट इस तरह से बनाया गया है, जिसमें बच्चे चित्रों की मदद से ग्रामर सीखेंगे।
टीचर्स को ट्रेनिंग 15 मई से
टीचर्स को इस कोर्स से संबंधित विशेष ट्रेनिंग देने के लिए मोड्यूल तैयार किया जा रहा है। इसके तहत 15 से 25 मई तक मुख्य संदर्भ व्यक्तियों को ट्रेनिंग दी जानी है। इसमें राज्य भर के प्रति विषय 100 संदर्भ व्यक्तियों को ट्रेनिंग दी जाएगी। अगले चरण में ये संदर्भ व्यक्ति जिला स्तर पर शिक्षकों को ट्रेनिंग देंगे। एचओडी प्रदीप पानेरी ने बताया कि ट्रेनिंग सेशन 15 जून तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।
हिरण को मारकर 25 फीट ऊंचे पेड़ पर ले गई मादा तेंदुआ
सेवेन्ना. इंसान हो या जानवर, हर मां के जेहन में बच्चों की भूख जलती है। इसी कारण जब इस मादा तेंदुए ने हिरण का शिकार किया, तो उसे खाया नहीं, बल्कि अपने बच्चे के लिए उसे लेकर 25 फीट ऊंचे पेड़ पर चढ़ गई। वो लम्हा नजरिए को एक शिकार और शिकारी की दास्तां बयां नहीं कर रहा था, बल्कि एक मां की अपने बच्चे के लिए की जाने वाली जद्दोजहद को बता रहा था।
डीजे का बंगला हटेगा, 41 करोड़ का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा
उदयपुर. शहर में न्यू कोर्ट कॉम्प्लेक्स बनाने की तैयारी है। जिला अदालत परिसर में जगह की कमी के साथ नई अदालतें बनने की गुंजाइश नहीं है। इसलिए मेगा प्लान बनाया गया है। इसके तहत श्रम भवन और सुजान भवन के साथ कलेक्ट्री से सटे सेशन जज के बंगला (मान भवन) को गिराकर कोर्ट कॉम्प्लेक्स बनाया जाएगा। मान भवन की जगह चार मंजिला इमारत बनेगी।
इसमें दो फ्लोर पर आठ अदालतें और बाकी पर 50-50 हजार स्क्वायर फीट पार्किंग तैयार होगी। न्यू कोर्ट कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए 41 करोड़ का प्लान राज्य सरकार को भिजवाया गया है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग जाने से निर्माण राशि से संबंधित मंजूरी 16 मई के बाद मिल पाएगी। उम्मीद की जा रही है कि कोर्ट प्रशासन, जिला प्रशासन, बार एसोसिएशन व जन प्रतिनिधियों की सहमति होने से बजट स्वीकृति में कोई रुकावट नहीं आएगी।
हाईकोर्ट से मिली स्वीकृति
काम्पलेक्स बनाने की स्वीकृति राजस्थान उच्च न्यायालय से प्राप्त हो चुकी है। यह प्लान वर्तमान में चल रही अदालतों का सुविधापूर्वक संचालन तथा भविष्य की जरूरतों को देखते हुए बनाया गया है। रामचंद्र सिंह झाला, डीजे
टूटने वाली तीनों बिल्डिंग हेरिटेज
मान भवन, सुजान भवन और श्रम भवन ऐतिहासिक हैं। ये 1935 से 1940 के बीच बने। इतिहासविद मोहन सिंह कोठारी बताते हैं कि तत्कालीन महाराणा भूपालसिंह के रियासत काल में उनके प्रधानमंत्री टी. विजय राघवाचार्य ने इनके निर्माण की योजना तय की थी। मान भवन में रियासत काल के चीफ जस्टिस तैयब अली पालीवाला रहते थे।
मान भवन : बनेगा हाई ग्रेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स
न्यू कोर्ट कॉम्प्लेक्स निर्माण के लिए कलेक्ट्री के दाहिनी तरफ 57 हजार वर्गफीट भूखंड पर स्थित सेशन जज का सरकारी बंगला मान भवन तोड़ा जाएगा। 32 करोड़ की लागत से हाई ग्रेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स का प्लान सरकार को गया है। कॉम्प्लेक्स में डीजे लेवल की आठ अदालतें बनेंगी। वातानुकूलित श्रेणी की इन अदालतों के इजलास, चैंबर, रिकॉर्ड रूम हाईकोर्ट स्तर के होंगे। मान भवन के स्थान पर भूतल व पहली मंजिल पर वाहन पार्किंग होगी। दूसरी तथा तीसरी मंजिल पर चार-चार अदालतों का निर्माण होगा।
सुजान व श्रम भवन : कोर्ट, पार्किंग बनेगी
मान भवन के सामने सुजान भवन भी गिरा कर नई अदालतें बनाने की योजना है। सुजान भवन में भ्रष्टाचार निवारण व पारिवारिक न्यायालय संचालित हैं। सुजान भवन व श्रम न्यायालय भवन की जगह पांच नई अदालतें और 8 हजार वर्गफीट क्षेत्र में पार्किंग निर्माण का प्लान राज्य सरकार पूर्व में स्वीकृत कर चुकी है। 4 करोड़ 44 लाख रुपए की मंजूरी मिली थी। पीडब्ल्यूडी ने 8 करोड़ 88 लाख का रिवाइज प्लान सरकार को भेजा है। श्रम भवन में अभी श्रम न्यायालय व मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण-1 संचालित है।
आगे : मंजूरी मिली तो हाईकोर्ट बेंच की शुरुआत होगी आसान
कोर्ट कॉम्प्लेक्स अगले 50 साल की प्लानिंग और जरूरतों को देखते हुए डिजाइन किया जा रहा है। इसमें कैंटीन व रिक्रिएशन सेंटर भी बनेंगे। उदयपुर में हाईकोर्ट बेंच की मांग अरसे से चली रही है। प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक हाईकोर्ट बेंच या सर्किट बेंच की मांग मंजूर हो गई तो हाई ग्रेड कोर्ट कॉम्प्लेक्स बनने से भवन का अभाव बाधा नहीं बनेगा।
सुबह घायलों का इलाज करती रही डॉक्टर दुल्हन, शाम को हुई शादी
कोटा से सीकर के लिए दुल्हन और उसके रिश्तेदारों से भरी दो स्लीपर कोच बसें जयपुर होकर गुजर रही थीं। टोंक रोड बी-2 बाईपास चौराहे पर शुक्रवार तड़के ट्रक ने एक बस को टक्कर मार दी। बस अनियंत्रित होने के बाद डिवाइडर पर चढ़कर पलट गई। हादसे में दुल्हन के मौसा मोठपुर (बारां) निवासी धनराज गर्ग (40) की मौत हो गई और सात रिश्तेदार गंभीर रूप से घायल हो गए। सभी घायलों को सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दूल्हा और दुल्हन दोनों पेशे से डॉक्टर हैं। दुल्हन ने अस्पताल में भी अपने रिश्तेदारों का इलाज किया, फिर शादी के लिए सीकर रवाना हुई।
दुल्हन के रिश्तेदारों के मुताबिक- कोटा में हलवाई का काम करने वाले नारायण लाल की बेटी गरिमा गर्ग की शादी शुक्रवार को नीम का थाना (सीकर) में होनी थी। लड़की वाले गुरुवार रात 11 बजे दो बसों से कोटा से रवाना हुए। शुक्रवार सुबह 4:45 बजे पीछे चल रही बस को बी-2 बाईपास चौराहा पर तेज रफ्तार ट्रक ने ट्रैफिक सिग्नल तोड़ते हुए टक्कर मार दी। बस लहराते हुए डिवाइडर पर जा चढ़ी और पलट गई। हादसे के बाद ट्रक मौके पर छोड़ ड्राइवर भाग गया। ट्रक भरतपुर नंबर का है। राहगीरों व अन्य वाहन चालकों ने बस में फंसे लोगों को बाहर निकाला और पुलिस को सूचना दी। घायलों को एसएमएस और जेएलएन मार्ग स्थित निजी हॉस्पिटल में ले गए। निजी हॉस्पिटल में गरिमा के मौसा धनराज गर्ग ने दम तोड़ दिया।
घायल अनिल ने बताया कि कोटा से बस को चलाकर लाए ड्राइवर ने निवाई में बस दूसरे ड्राइवर को सौंप दी। वह बस चलाते वक्त मोबाइल पर बात कर रहा था। इसीलिए ट्रक की टक्कर के बाद बस को संभाल नहीं पाया। इस बस में करीब 40 लोग बैठे हुए थे। हादसे के बाद पलटी हुई बस। लाड़ली के ब्याह में नहीं जा सकी नानी जानकीबाई। मामा सत्यनारायण बंसल, मौसा अनिल अग्रवाल, मौसी रेखा अग्रवाल, कोटा निवासी रिश्तेदार नरेन्द्र कुमार, हिमांशु और पूरणमल गुप्ता भी सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती हैं।
परिजन दुल्हन से शादी के लिए जाने की मिन्नतें कर रहे थे, वो जख्मों पर टांके लगा रही थी
उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज में पीजी कर रही कोटा की गरिमा कुछ घंटों बाद दुल्हन बनने वाली थी। वह रिश्तेदारों के साथ बस में बैठकर नीम का थाना जा रही थी, जहां उसकी शादी होने वाली है। उसकी बस के पीछे चल रही रिश्तेदारों की बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। खुशियों के गीतों की जगह चीख-चिल्लाहट थी। हंसी की फुहारों की जगह आंसुओं ने ले ली। ऐसे में गरिमा ने हौसला रखा। वह रिश्तेदारों का दर्द कम करने में जुट गई। उसने एसएमएस हॉस्पिटल में भर्ती अपने रिश्तेदारों का इलाज किया। जख्मों पर टांके व मरहम लगाए। उसके हाथों में मेहंदी रची थी।
कुछ समय पहले तक मंगल गीत गा रही नानी, मामा, मौसा-मौसी और भाई अस्पताल में खून से लथपथ कराह रहे थे। उन्हें संभाल रहे अन्य रिश्तेदार कह रहे थे- गरिमा को शादी के लिए रवाना करो। इन्हें हम संभाल लेंगे। …लेकिन गरिमा नहीं मानी। उसने स्टेथेस्कोप पकड़ा। परिजनों के लाख समझाने के बाद भी उसने करीब ढाई घंटे तक अस्पताल में एक जिम्मेदार डॉक्टर और रिश्तेदारों की लाड़ली बेटी की तरह सेवा की।
घायलों को टांके लगाने के लिए गरिमा ने नर्सिंग स्टाफ से सामान मांगा। इस पर स्टाफ ने स्वयं उपचार करने के लिए कहा। जब गरिमा ने बताया कि वे उदयपुर मेडिकल कॉलेज से पीजी कर रही हैं और उनके पति एसएमएस अस्पताल में ही गायनीकोलॉजी के डॉक्टर हैं तो उन्हें टांके लगाने दिए गए। ऐसे गमगीन माहौल में उनके जज्बे की हॉस्पिटल के स्टाफ ने तारीफ की।