’महंगाई से संघर्ष करना आम आदमी के लिए बडी चुनौती’

दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस सम्पन्न

उदयपुर, । मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के तत्वावधान में संस्कृति, समाज, और लैंगिक परिप्रेक्ष्य में दक्षिणी एशिया के दलित समुदाय विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी शनिवार को सम्पन हुई। संगोष्ठी के दूसरे दिन विभिन्न तकनीकी सत्रों में विषय विशेषज्ञों ने विचार मंथन किया।

समापन समाराहे के मुख्य अतिथि आनन्द विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमएच मकवाना ने दलित अर्थशास्त्र को रेखांकित करते हुए कहा कि आज का दौर कडी स्पद्र्घा और महंगाई का दौर है इससे संघर्ष करना और रोजाना की जीवन की गाडी चलाना आम आदमी के लिए सबसे बडी चुनौती है। उन्होंने नई आर्थिक नीतियों के बाद हुए विकास और खुली अर्थव्यवस्था के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि हर ओर विकास की बात हो रही है लेकिन कामन मैन यानी आम आदमी फिर भी मुश्किल दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि हम सब लोगों को मिल कर सोचना होगा कि आम आदमी का कल्याण कैसे हो। आदिवासियों, दलितो और वंचित वर्ग के लिए उन्होंने प्रभावी सरकारी योजनाओं की जरुरत बताई।

विशिष्ट अतिथि उदयपुर रेन्ज के पुलिस महानिरीक्षक टीसी डामोर ने कहा कि सफलता पाने का कोई छोटा रास्ता नहीं होता। संघर्ष और परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता। उन्होंने अपने जीवन काल के दौरान किए संघर्ष के बारे में विस्तार से बताते हुए युवाओं से कहा कि हर व्यक्ति को अपना हक पाने की जिद होनी चाहिए।

सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता तथा कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो शरद श्रीवास्तव ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी दलित और वंचित वर्ग के लोगों के जीवन स्तर को सुधारने की दिशा में एक बडी पहल मानी जाएगी। उन्होंने कहा कि इस संगोष्ठी में ६०० पन्नों की एक स्मारिका का प्रकाशन किया गया है जिसमे १३० शोध पत्रों के निष्कर्षों को शामिल किया गया है। श्रीवास्तव ने कहा कि दलित विमर्श ओर दलित आन्दोलनों के बाद एक सबसे महत्वपूर्ण बात जो हम सबको समझनी होगी और है समरसता की बात। समाज में सामंजस्य या समरसता नहीं है तो समाज प्रगति पथ पर नहीं बढ सकता। अंतरराष्ट्रीय कांप्रे*न्स के आयोजन सचिव प्रो पूरणमल यादव ने विभिन्न सत्रों की जानकारी दी तथा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

कार्ड बदल कर एटीएम से निकाल लिए एक लाख

चित्तौडगढ, कपासन शहर में एटीएम से पैसे निकालते समय अज्ञात व्यक्ति एक अध्यापक का एटीएम कार्ड बदल कर राशि निकाल ले गया। अध्यापक को घटना की जानकारी दूसरे दिन बैंक पहुचने पर मिली।

प्राप्त जानकारी के अनुसार कपासन निवासी अध्यापक सत्यनाराण उपाध्याय ने ५ अक्टूबर को कपासन स्थित एटीएम से कुछ राशि निकाली तथा वहीं पर गिनने लगा। इसी दौरान एक अज्ञात व्यक्ति ने एटीएम में प्रवेश कर चुपके से उसका एटीएम कार्ड बदल दिया । उपाध्याय वहां से राशि लेकर घल चला गया। शनिवार को जब वह बेंक में एक चेक से राशि निकालने गया तो उसे पता चला कि उसके खाते से एक लाख १५ हजार रूपये निकल चुके है। इस पर पीड़ित ने कपासन थाने में अज्ञात के विरूद्घ मामला दर्ज कराया है।

 

रोग प्रभावित क्षैत्रों में पहुंचा चिकित्सा दल

चित्तौडगढ, चित्तौडगढ जिले में मौसमी बीमारियों के प्रकोप के चलते मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने शनिवार को प्रभावित क्षैत्रों का दौरा कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए।

उल्लेखनीय है कि इस दिन पूर्व जिले के कपासन उपखण्ड स्थित भवरकिया गांव में एक साथ १०० ग्रामीणों के बुखार से पीड़ित होने की जानकारी मिलने पर चिकित्सा पप्रशासन सकते में आ गया था। शनिवार को कुछ समाचार पत्रों में जिले में चार रोगियों के बुखार से मरने की जानकारी मिलने पर चिकित्सा विभाग सतर्क हो गया। शनिवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वाथ अधिकारी डॉ इन्द्रजीत सिंह ने कपासन के धमाना, दोवनी एवं भरवकिया गांवों का दौरा किया। इस दौरान मात्र ३० रोगी मोसमी बीमारियों से ग्रसित पाए गए जिनका चिकित्सा टीम ने उपचार कर रोग से बचाव की जानकारी दी।

चार रोगियाों के मरने के बारे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि ये चारों अलग-अलग स्थानों के निवासी थे तथा इन सभी की लम्बी किसी बीमारी के कारण गुर्दे खराब होने से मृत्यु हुई न कि किसी मौसमी संक्रमण से ।

गहलोत और वसुंधरा मिले हुए है: करोडी

जल्द ही तीसरा मोर्चा गठन के दिए संकेत

उदयपुर, दौसा सांसद डॉ. किरोडीलाल मीणा ने शनिवार को यहां आयोजित पत्रकार वार्ता में शीघ्र ही तीसरा मोर्चा गठन किए जाने के संकेत दिए।

शहर की एक निजी होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में डॉ. किरोडी ने कहा कि गहलोत और वसुन्धरा मिले हुए है और दोनों ने तय कर रखा है कि जो भी पार्टी घोटाला करेगी उसकी जांच नहीं की जाएगी। उनहोंने कि वसुन्धरा ने अपने समय में गुर्जरों और मीणाओं को लडाया था तो गहलोत ने अपने राज में गोपालगढ में दंगे करवाकर हिन्दु-मुसलमानों को लडवाया था। दोनों ही दलों के नेता स्वयं ही लडा रहे है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी को गत दिनों अपनी ही पार्टी के बैठक में भाग गए थे और गुलाबचंद कटारिया जो रथ यात्रा निकालने वाले थे उसे वसुन्धरा ने रद्द करवा दिया।

डॉ. किरोडी ने कहा कि वे नवम्बर माह में पूरे संभाग का दौरा करेंगे ओर तीसरे मोर्चे गठन कर दिया जाएगा। इसके साथ ही दिसम्बर में एक विशाल आमसभा का आयोजन किया जाएगा। जिसको लेकर सरकार हिंसा कर सकती है और दोनों ही दलों के नेता एकजुट होकर उनकी इस सभा में हंगामा कर सकते है। यदि सरकार ने जिला प्रशासन पर दबाव बनाकर उनकी सभा को रद्द करवाने का प्रयास किया तो वे न्यायालय की शरण में जाएंगे और पुलिस व सरकार को न्यायालय के माध्यम से पाबंद करवाएंगे। डॉ. किरोडी ने कहा कि उनके पास करीब चार माह पूर्व अन्ना हजारे के एक आदमी का फोन भी आया था। परन्तु अन्ना के पार्टी बनाने से इंकार करने पर डॉ. किरोडी ने कहा कि अन्ना और रामदेव स्वयं चुनाव नहीं लडेंगे पर अच्छे लोगों को सपोर्ट भी करेंगे।

डॉ. किरोडी ने कहा कि पूर्व में झेर गांव के लोगों के साथ कलेक्ट्री में धरना दिए जाने के बाद और जयपुर में धरना देने पर सरकार ने उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था, परन्तु अभी तक मात्र झेर गांव में बिजली ही पहुंच पाई है। इसके अलावा स्कूल है तो अध्यापक नहीं है, सडक पूरी टूटी पडी है, चिकित्सालय है तो डॉक्टर नहीं है। इसके साथ ही आदिवासियों का उत्थान करने के नाम पर अधिकारी करोडों डकार रहे है।

इससे पूर्व किरोडी सुबह उदयपुर से रवाना होकर गोगुन्दा गए, जहां पर उनका स्वागत हुआ। इसके बाद उनका खाकडी, जसवंतगढ में भी स्वागत हुआ इसके बाद पाडाखादरा में सभा आयोजित हुई जिसके बाद झाडोल के मगवास में एक सभा का आयोजन हुआ था। जिसमें उनके साथ ललित तलेसरा, रूपेश जैन और रमनदीप सिंह मौजूद रहे थे।

तुरंत हटाई लाल बत्ती: पत्रकार वार्ता के दौरान जब पत्रकारों ने उनकी गाडी पर लगी लाल बत्ती के बारे में प्रश्न पूछा तो किरोडी सकपका गए तथा जोडकर कहा कि गलती हो गई और अपनी गाडी से तुरंत लाल बत्ती हटाने के निर्देश दे दिए।

 

प्रताप स्मारक पर भीलू राणा की धूम

उदयपुर, श्री राणा पूंजा भील जयंती समारोह के अवसर पर शुक्रवार को यहां महाराणा प्रताप स्मारक समिति मोती मगरी उदयपुर में मेवाड़ के पूर्व सेनानी भीलू राणा की प्रतिमा के समक्ष कार्यक्रम आयोजित किए गए।

मोती मगरी में भीलू राणा जयंती समारोह पर अतिथियों का स्वागत करते हुए समिति के अधिकारी।

महाराणा प्रताप स्मारक समिति मोती मगरी उदयपुर के सचिव युद्धवीर सिंह शक्तावत ने बताया कि मोती मगरी के भीलू राणा पार्क में स्थापित भीलू राणा की प्रतिमा को जयंती पूर्व साफ-सफाई व रंग-रोगन किया गया। शुक्रवार को श्री राणा पूंजा भील जयंती समारोह समिति एवं क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारियों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों का समिति द्वारा मोती मगरी के मुख्य द्वार पर माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। इसके पश्चात उन्हें ससम्मान रैली द्वारा प्रतिमा स्थल तक ले जाया गया जहां पर माल्यार्पण कर राणा पंूजा के जयकारे लगाए गए। इस अवसर पर मोती मगरी स्मारक समिति द्वारा जगह-जगह पुष्प वर्षा की गई एवं अतिथियों को जलपान कराया गया। कौन थे भीलू राणा: इतिहास में उल्लेख है कि राणा पंूजा भील का जन्म मेरपुर के मुखिया दूदा होलंकी के परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम केहरी बाई था, उनके पिता का देहांत होने के पश्चात 15 वर्ष की अल्पायु में उन्हें मेरपुर का मुखिया बना दिया गया। यह उनकी योग्यता की पहली परीक्षा थी, इस परीक्षा में उत्तीर्ण होकर वे जल्दी ही ‘भोमट के राजा’ बन गए। अपनी संगठन शक्ति और जनता के प्रति प्यार-दुलार के चलते वे वीर भील नायक बन गए, उनकी ख्याति संपूर्ण मेवाड़ में फैल गई।

इस दौरान 1576 ई. में मेवाड़ में मुगलों का संकट उभरा। इस संकट के काल में महाराणा प्रताप ने भील राणा पूंजा का सहयोग मांगा। ऐसे समय में भील मां के वीर पुत्र राणा पंूजा ने मुगलों से मुकाबला करने के लिए मेवाड़ के साथ अपने दल के साथ खड़े रहने का निर्णय किया। महाराणा को वचन दिया कि राणा पूंजा और मेवाड़ के सभी भील भाई मेवाड़ की रक्षा करने को तत्पर है। इस घोषणा के लिए महाराणा ने पूंजा भील को गले लगाया और अपना भाई कहा। 1576 ई. के हल्दीघाटी युद्ध में पंूजा भील ने अपनी सारी ताकत देश की रक्षा के लिए झोंक दी।

हल्दीघाटी के युद्ध के अनिर्णित रहने में गुरिल्ला युद्ध प्रणाली का ही करिश्मा था जिसे पूंजा भील के नेतृत्व में काम में लिया गया। इस युद्ध के बाद कई वर्षों तक मुगलों के आक्रमण को विफल करने में भीलों की शक्ति का अविस्मरणीय योगदान रहा है तथा उनके वंश में जन्मे वीर नायक पूंजा भील के इस युगों-युगों तक याद रखने योग्य शौर्य के संदर्भ में ही मेवाड़ के राजचिन्ह में एक ओर राजपूत तथा एक दूसरी तरफ भील प्रतीक अपनाया गया है। यही नहीं इस भील वंशज सरदार की उपलब्धियों और योगदान की प्रमाणिकता के रहने उन्हें ‘राणा’ की पदवी महाराणा द्वारा दी गई। अब हमारा राजा पूंजा भील ‘राणा पूंजा भील’ कहलाकर जाने लगे।

केप्शन

बेटे और पोती से भी दादागिरी और धौंस

चित्तौडगढ, लगातार एक व्यक्ति को पुलिस द्वारा बार बार उमर के लिहाज से मौका देना उसका अपराध के प्रति रूझान बढा रहा है। वृद्व व्यक्ति पुलिस की इस हौसला अफजाही से ८५ वर्षिय होने के बाद भी अपराध करने से नही चूक रहा है। कभी मारपीट तो कभी धोखा धडी की घटनाओं में सुर्खियो में रहा है। हाल ही में उक्त व्यक्ति की पोती ने जिला पुलिस अधीक्षक व उपखण्ड अधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर एक मामले में कार्यवाही की मांग की है।

जानकारी के अनुसार, प्रतापनगर क्षैत्र में रहने वाले सेवानिवृत क्षैत्रिय वन अधकारी नंदसिंह पिता लक्ष्मणसिंह द्वारा कानून को जेब में रख कर घुमने जैसी कई बाते सामने आई है। नंदसिंह व उनके पुत्र गोविन्दसिंह के मध्य पूर्व में जमीन जायदाद को लेकर विवाद चल रहा है। जिस संबंध में न्यायालय द्वारा मामले में धोखा धडी किए जाने को लेकर कोतवाली पुलिस को जांच सौपी गई है। इसी दौरान किराएदार को लेकर गोविन्दसिंह की पुत्री व किराएदार की पत्नि के मध्य विवाद हो गया था। जिसके चलते किराएदार द्वारा नंदसिंह को साथ में ले जाकर सदर थाने में गोविन्दसिंह के विरूद्व मामला दर्ज कराया गया था। पुलिस ने रिपोर्ट मिलते ही दो घण्टे के दौरान गोविन्दसिंह को सदर थाने में बुलाया और अगले ही दिन उसे उपखण्ड अधिकारी के समक्ष शांति भंग करने के आरोप में धारा १५१ में पेश कर छ: माह के लिए पाबन्द कराया था। उसी दौरान जब गोविन्दसिंह की पुत्री से अभद्र व्यवहार करने पर सदर थाने में रिपोर्ट प्रस्तुत की कई तो पुलिस द्वारा राजनैतिक दबाव में मामले को मात्र १०७ (११६) में दायर कर इस्तघासा उपखण्ड अधिकारी के यहां भेज दिया गया। जहां तत्कालिन उपखण्ड अधिकारी जगदीशचन्द्र हेडा द्वारा तारीख पेशी मुकरर्र की गई और नंदसिंह शक्तावत व उनके पुत्र भरतसिंह व किराएदार दलपतसिंह को जरिये नोटिस तलब किया गया, लेकिन भरतसिंह व नंदसिंह के सम्मन तामिल हो गए और दलपतसिंह का बाहर जाना बताया गया। सम्मन तामिल होने के बावजुद भी तीनो ही व्यक्ति नियत तिथि को उपखण्ड अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत नही हुए और बाद में जारी किए गए नोटिसो में अदम तामिल कराते रहे और जिन लोगो द्वारा कोर्ट नोटिसो पर अदम तामिल की गई उस नाम के कोई भी व्यक्ति उस क्षैत्र में नही रहते है। सूत्रो ने बताया कि मामले में नंदसिंह व भरतसिंह द्वारा ही अपने आप को राजेन्द्रसिंह बता कर तामिल की गई। जो धोखा धडी का कृत्य साबित करती है। क्योंकि उपखण्ड अधिकारी द्वारा जब तीन बार सम्मन जारी किए गए तो उनमें अदम तामिल करने वाले व्यक्ति को ही तलब किया गया था। नियमानुसार जो व्यक्ति जरीसे सम्मन तलब किया जा रहा है वह अन्य किसी की अदम तामिल व जमानत नही दे सकता, लेकिन पिता पुत्र द्वारा न्यायालय को गुमराह करने के लिए जिस तरह की धोखाधडी की गई है वह गलत है। इस संबंध में गोविन्दसिंह की पुत्री नीतू कंवर ने उपखण्ड अधिकारी व जिला पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर कार्यवाही में पुलिस द्वारा किए जा रहे रवैये में सुधार की मांग करते हुए उपखण्ड अधिकारी से मामले में सही तरीके से तामिल करवाने की मांग की है। इस पूरे प्रकरण मेंं नंदसिंह शक्तावत द्वारा जिस तरह से पुलिस व न्यायालय को गुमराह किया गया है वह गलत है। साथ ही नंदसिंह की वृद्वावस्था की वजह से पुलिस उनके विरूद्व कठोर कार्यवाही नही कर पा रही है। जिसका फायदा उठाते हुए १५ दिन पूर्व नंदसिंह द्वारा एक सामाचार पत्र के होर्डिंग को भी फाड दिया गया था। उसमें भी समाचारपत्र के प्रतिनिधि द्वारा जब सदर थाने में नंदसिंह के विरूद्व रिपोर्अ दर्ज कराने के लिए प्रार्थनापत्र दिया गया लेकिन घटना के १५ दिन बाद भी पुलिस ने कोई कटोर कार्यवाही नही करते हुए मात्र १०७ (११६) में इस्तघासा बना कर उपखण्ड अधिकारी के यहां भेज दिया गया। अगर यही हालात रहे तो उक्त व्यक्ति कि हौंसले और भी बुलन्द हो जाएंगे।

 

अकादमी द्वारा तीन नवीन पुरस्कार प्रांरभ

उदयपुर,। राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष २०१२-१३ से तीन नवीन पुरस्कार प्रांरभ किए गए है। इस संबंध में जानकारी देते हुए अकादमी अध्यक्ष वेदव्यास ने बताया कि अकादमी द्वारा इस वर्ष से डॉ.आलमशाह खान (अनुवाद पुरस्कार) युवा लेखन पुरस्कार तथा साहित्यिक पत्रकारिता पुरस्कार प्रांरभ किए गए है। उन्होंने बताया कि डा.आलमशाह खान अनुवाद पुरस्कार स्वीकृत भारतीय भाषाओं से हिन्दी मे अनुदित कृति पर युवा लेखन पुरस्कार उन युवा साहित्यकारों की जिनकी उम्र ३५ वर्ष तक की है हिन्दी साहित्य की सभी विधाओं में प्रकाशित कृति पर और साहित्यिक एवं रचनात्मक पत्रकारिता पुरस्कार साहित्यिक एवं रचनात्मक पत्रकारिता से संबंधित ग्रंथों ओर प्रवृतियों पर प्रतिवर्ष प्रदान किया जाएगा और ये पुरस्कार ३१-३१ हजार रूपये के होगें। इन सभी पुरस्कार योजनाओ में प्रविष्ठियां और प्रस्ताव अकादमी कार्यालय में भिजवाने की अंतिम तिथि ३१ दिसम्बर २०१२ है। अधिक जानकारी के लिए सचिव राजस्थान साहित्य अकादमी से सम्पर्क किया जा सकता है।

 

भीलू राणा जयंति समारोहपूर्वक मनायी

उदयपुर, आदिवासी भील समाज व अन्य संगठनों द्वारा भीलू राणा जयंति समारोहपूर्वक मनायी गई। हजारों की संख्या में आदिवासी युवकों ने झांकियां सहित शोभायात्रा निकाली जो मोतीमगरी स्थित भीलुराणा प्रतिमा तक पहुंची।

भील समाज के लोग मोहता पार्क से इकठ्ठा होकर ढोल नंगाडो, तीर भालो,ऊंट गाडी आदि में झांकियां सजाकर नाचते गाते रैली के रूप में चेटक सर्कल शिक्षा भवन फतहसागर होते हुए मोती मगरी स्थित भीलू राणा की तस्वीर पर माल्यार्पण किया।

इस मौक पर क्षत्रिय महासभा के पदाधिकारी भी मौजुद थे। सभी ने मिलकर महाराणा प्रताप ओर भीलु राणा के स्मारक पर माल्यार्पण किया। इसके पश्चात सभी महिला पुरूष भण्डारी दर्शक मण्डप पहुंचे जहां आमसभा का आयोजन हुआ। जहां जिला संरक्षक तुलसा राम के निर्देशन में भील संस्कृति के लोक नृत्य प्रस्तुत किये गये एवं प्रसाद वितरण किया।

अन्य कई स्थानों पर विभिन्न संगठनों द्वारा भीलू राणा जयंती मनाई गई। रेती स्टेण्ड पर राष्ट्रीय सोनिया गांधी ब्रिगेड कांग्रेस द्वारा भीलुराणा की तस्वीर पर माल्यार्पण कर जयंती मनाई। महाराण प्रताप सेना के कार्यकर्ता भी मोती मगरी पहुंच स्मारक पर माल्यार्पण किया। भारतीय जनता मजदूर महासंघ द्वारा भी भीलु राणा जयंती मनाई गई।

बेटे और बहु ने मिलकर दिया धोखा

उदयपुर, मां ने पुत्र एवं पुत्र वधु के खिलाफ फर्जी दस्तावेज से कम्पनी के शेयर अपने नाम करने की धोखाधडी करने का प्रकरण पुलिस में दर्ज करवाया।

पुलिस सूत्रों के अनुसार मेसर्स मधूवन केमिकल्स एण्ड फर्टीलाइजर्स कम्पनी मालिक न्यू फतहपुरा निवासी चम्पादेवी पत्नी रामसिंह राडोड ने परिवाद जरिये अपने पुत्र हर्षवर्धन सिंह, विक्रमादित्य सिंह, एवं पुत्र वधु अरूणा पत्नी विक्रमादित्य के खिलाफ प्रकरण दर्ज करवाया। कि आरोपी हर्षवर्धन एवं अरूणा बतौर मेनेजिंग डायरेक्टर के रूप में काम करते थे। दोनों आरोपियों ने मिलकर फर्जी दस्तावेज जरिये जोधपुर न्यायालय में रिट दायर कर ६ जुलाई १२ को फतहपुरा स्थित मकान अपने नाम करवा लिया। इसका पता चलने पर दस्तावेज पेश कर२८ अगस्त १२ आरोपियों की रिट खारिज करवाई। फर्जी दस्तावेज जरिये मकान अपने नाम करने की धोखाधडी करने का खुलासा होने पर कम्पनी के खातों की जांच की तो उसमें जमा कम्पनी के ५ लाख २० हजार रूपये के शेयर होल्डींग को फर्जी दस्तावेज जरिये २ जून ०६ को आरोपी विक्रमादित्य ने २ लाख १७ हजार ५०० शेयर तथा हर्षवर्धन ३ लाख २ हजार ५०० शेयर अपने नाम करवा लिये।पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की।

लोकतंत्र में सत्ता या धन वाले लोग ही होते है ताकतवर: प्रोफेसर टीजे कम्पोस्ट

सुविवि में समाजशास्त्र विभाग की दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी

उदयपुर, नीदरलैंड की यूट्रीच यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टीजे कम्पोस्ट ने कहा कि लोकतन्त्र में केवल उन्हीं लोगों का वर्चस्व होता है जो ताकतवर होते है चाहे वह सत्ता की ताकत हो या धन की, शेष लोग दलित सा जीवन जीने को मजबूर होते है।

प्रोफेसर कम्पोस्ट शुक्रवार को यहां मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। यह संगोष्ठी संस्कृति, समाज, और लैंगिक परिप्रेक्ष्य में दक्षिणी एशिया के दलित समुदाय विषय पर आयोजित की जा रही है। उन्होनें कहा कि दलित ओर वंचित समुदाय भी मास मीडिया की तरह है जहां ६० से ६५ फीसदी लोगों को बेहतर कवरेज मिलता है जो सत्ता के इर्द गिर्द होते है या ताकतवर होते है वे खबरों की सुखियों की तरह होते है बाकी के बचे हुए लोग संक्षिप्त समाचारों की तरह है। इसी तरह लोकतंत्र में दो प्रतिशत लोग जो सत्ता से जुडे होते है वही शक्तिशाली होते है और शेष प्रजा जिसके ९८ प्रतिशत लोग दलित और वंचित ही होते है। यह लोकतंत्र की त्रासदि है लेकिन यही दलित लोग लोकतंत्र के आधार स्तंभ भी होते है जिस पर समाज खडा होता है। उन्होंने यूरोपीय समाज और एशियाई समाज की तुलना करते हुए कहा कि दोनों की संस्कृतियों और रहन सहन में अन्तर है इसलिए दोनों के दलित और वंचित वर्ग में भी समानताएं कम है। इस बात के प्रकाश में उन्होंने लोकतंत्र को ओर मजबूत बनाने और जनता को अपने अधिकारों के प्रति जागरुक होने की बात कही। समारोह के मुख्य वक्ता इंडियन सेाशोलोजिकल सोसायटी के अध्यक्ष प्रो.आईपी मोदी ने कहा कि भारतीय इतिहास में दलितों और वंचितो को जितना महत्व दिया जाना चाहिए था उतना नहीं मिला। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद इस दिशा में हजारों शोध कार्य हुए जिनका नए दौर के भारत की रीति नीति में महत्व दिया गया। नए शोधों में ऐतिहासिक तथ्यों को नए सिरे से परिभाषित किया गया है। उन्होंने ओपनिवैशिक काल में स्त्रियों की दशा को रेखांकित करते हुए उनकी तुलना वर्तमान दौर से की। उन्होंने कहा कि आज महिला सशक्तिकरण हुआ है तथा उन्हें पूरा महत्व भी दिया गया है लेकिन तब महिलाओं की हालात बेहतर नहीं थी। सती प्रथा इसका उदाहरण था। प्रख्यात समाजशास्त्री रणजीत गुहा के शोध कार्यो का हवाला देते हुए प्रो मोदी ने कहा कि अस्सी के दशक में उन्होंने वंचित और दलित वर्ग के लिए जो शोध कार्य किए वे भारतीय लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज साबित हुए। इतिहास के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हर जगह तथाकथित संभ्रान्त वर्ग का उल्लेख है क्योंकि उनका ही आधिपत्य था लेकिन अब लोकतंत्र है, समानता है। अब हमे असंतुलित संस्कृति और समाज को समानता के धरातल पर लाना होगा।

कार्यक्रम के अध्यक्ष सुखाडिया विवि के कुलपति प्रो आईवी त्रिवेदी ने कहा कि हमारा क्षेत्र आदिवासी बहुल वाला है और इस आदिवासी समाज को रोटी , कपडा और मकान से बढकर भी कुछ चाहिए इसी दिशा में इस संगोष्ठी में मंथन किया जाए। इस संगोष्ठी के जो भी निष्कर्ष सामने आएंगे हम उन्हें राजस्थान सरकार को भेजेंगे ताकि आदिवासियों के लिए बेहतरीन जीवन यापन करने की दिशा में नए सरकारी प्रयास किए जा सके।