13 जून को होगा वसुंधरा के मंत्रिमंडल का विस्तार!

Rajasthan Assembly  a635211-06-2014-02-02-99Nमुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और राज्यपाल मार्गेट आल्वा की मंगलवार को हुई मुलाकात के बाद प्रदेश भाजपा में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। भाजपा विधायक इस मुलाकात को मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर देख रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार 13 जून को मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाएं जताई जा रही है। हालांकि अधिकृत तौर पर कोई कुछ नहीं बोल रहा है। ऎसे में यह तय माना जा रहा है कि 12 की शाम तक ही सामान्य प्रशासन विभाग को मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारियों के लिए आदेश मिल सकता है।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि कुछ विधायक तो तीन दिन से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और कुछ मुख्यमंत्री की राज्यपाल से मुलाकात के बाद सक्रिय हो गए हैं। वहीं सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी भी विस्तार की व्यवस्थाओं के लिए सीएमओ के आदेश का इंतजार कर रहे हैं।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि भाजपा विधायक मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए ऎडीचोटी का जोर लगा रहे हैं। दौड़ में शामिल कुछ विधायक संघ की शरण में तो कुछ लोक सभा चुनाव में अपनी परफोर्मेस के बूते मंत्रिमंडल में अपनी जगह पक्की मान कर चल रहे हैं। वहीं मौजूदा मंत्रियों में भी खलबली मची हुई है, क्योंकि मुख्यमंत्री की विभागवार समीक्षा में मंत्रियों की परफोर्मेंस काफी कमजोर साबित हुई है।

घरेलु हिंसा पर आधारित पुस्तक का हुआ लोकार्पण

IMG_0619 (1)महिला षिक्षा से समाज का विकास सम्भव: प्रो. सारंगदेवोत
बुनियादी मानवाधिकार पर महिला जागरूकता कार्यषाला
घरेलु हिंसा पर आधारित पुस्तक का हुआ लोकार्पण
IMG_0617उदयपुर, जब तक सामाजिक व्यवस्था नहीं बदलेंगी तब तक बदलाव नहीं आयेगा इसके लिए महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहना होगा तथा महिलाओं को सुरक्षा समूह भी तैयार करना होगा। उसे समाज में अपनी पहचान सकारात्मक सोच रहते हुये बनानी होगी। उक्त विचार जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ वि.वि. के कुलपति प्रो.एस.एस. सारंगदेवोत ने बुधवार को विद्यापीठ के जन षिक्षण एवं विस्तार निदेषालय के अन्तर्गत संचालित बेदला स्थित विजयामां मंगल भारती केन्द्र पर बुनियादी मानवाधिकार पर महिला जागरूकता कार्यषाला में अपने उद्बोधन में कही अध्यक्षता करते हुए कुल प्रमुख भंवरलाल गुर्जर ने कहा कि प्राचीन काल में महिलाओं को विषेष सम्मान दिया जाता था। जिस प्रकार सीता-राम, राधा-कृष्ण में भी महिलाओं को अपने नाम के आगे प्राथमिकता दी जाती थी। लेकिन वर्तमान में बदलते परिवेष में आवष्यकता इस बात की हैं, जनजाति क्षेत्रों में महिला जागरूकता के साथ षिक्षा, रोजगार से जोड़कर महिलाओं चहूमुंखी विकास किया जा सकता हैं।
घरेलु हिंसा पर आधारित पुस्तक का विमोचन
व्यवस्थापक डॉ. धर्मेन्द्र राजोरा ने बताया कि जनषिक्षण एवं विस्तार कार्यक्रम निदेषालय द्वारा जारी तथा डॉ. मंजु माडोत द्वारा लिखित पुस्तक घरेलु हिंसा का विमोचन अतिथियों ने किया। जिसमें हिंसा रोकने, कानून अधिनियम, संरक्षण व हेल्पलाईन जानकारी दी गई। संचालन डॉ. धर्मेन्द्र राजोरा ने किया। धन्यवाद देवीलाल गर्ग ने दिया।

विश्व बालश्रम निषेध दिवस 12 जून को

childसराडा में आयोजित होगा जागरूकता कार्यक्रम
उदयपुर ,विश्व बालश्रम निषेध दिवस के अवसर पर 12 जून को सराडा पंचायत समिति के करो$िडया ग्राम में गायत्री सेवा संस्थान द्वारा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
संस्थान के शैलेन्द्र पण्ड्या ने बताया कि संस्थान द्वारा ’’बालश्रम मुक्त समाज हेतु संयुक्त प्रयास‘‘ की थीम पर कार्यक्रम चलाया जाएगा, जिसमें संस्थान के कला जत्था समूह, बाल अधिकार विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से बालश्रम रोकने के प्रति जनजाति परिवारों को जागरूक किया जाएगा। कार्यक्रम में संस्थान प्रतिनिधियों के साथ यूनिसेफ के प्रतिनिधि, स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी भी सम्मिलित होंगे। कार्यक्रम में जनजाति क्षेत्र के प्रतिभावान बच्चों को सम्मानित किया जाएगा।

पथरी रोग निवारण शिविर आयोजित

उदयपुर , राजकीय आदर्श आयुर्वेद औषधालय सिंधी बाजार में आयुर्वेद चिकित्सा पद्घति को जन जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से प्रत्येक बुधवार को लगने वाले शिविरों में बुधवार 11 जून को पथरी रोग निवारण शिविर में अधिकाधिक रोगियों ने चिकित्सा परामर्श लिया।
डॉ. शोभालाल औदीच्य ने बताया कि अत्यधिक मांस, पालक, भिण्डी, स्ट्राबेरी, टमाटर, दूध, पनीर, मछली, अण्डा, लम्बी फली युक्त दालो से एवं रात्रि में भोजन करने व पानी कम पीने से पथरी होने की संभावना बढ जाती है। इससे बचने के लिए समय पर भोजन करना, भोजन के 1 घण्टे पश्चात अत्यधिक पानी का प्रयोग करना, छाछ, तरबूज, रात्रि मे जल्दी भोजन करना चाहिए व वरूण की छाल, गोक्षुर, नारियल पानी, पाइनेपल जूस, केला, बादाम, निंबू, गाजर, करेला आदि का सेवन करने से पथरी रोग से बचाव संभव है। शिविर में पथरी होने के कारण, बचने के उपायो पर पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गई। शिविर मे नर्स रूकमणी परमार, इन्दिरा डामोर, शंकरलाल मीणा, गजेन्द्र कुमार आमेटा ने अपनी सेवाएं दी।

31 रक्तदाताओं ने किया रक्तदान

blood-donationउदयपुर, आयुर्वेद महाविद्यालय के अधीन आयुर्वेद चिकित्सालय मोतीचौहट्टा में बुधवार को रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया, शिविर में 31 रक्तदाताओं ने चिकित्सालय के चिकित्साधिकारी एवं स्नातकोत्तर अध्येता शामिल रहे। आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.जी.एस.इन्दौरिया ने बताया कि शिविर में उदयपुर ब्लड बैंक के डॉ.संजय प्रकाश, डॉ. ज्योति, डॉ. प्रतीक, टेक्नीशियन जुगल किशोर व लक्ष्मण सिंह के सहित चिकित्सालय के डॉ.श्री राम शर्मा, डॉ. महेश मिश्रा, नर्सेज दुलीचन्द शर्मा ने अपनी सेवाएं दी।

पैंथर से जनहानि पर दो लाख तक का मुआवजा

images (2)हमले की जानकारी तत्काल वन विभाग को दें
उदयपुर, उदयपुर संभाग के वन अभ्यारण्यों एवं वन क्षेत्रों में काफी संख्या में पैंथर पाये जाते है। विषम परिस्थितयों के कारण कई बार पैंथर वन क्षेत्रों से निकल कर आबादी क्षेत्र में आ जाते है एवं कई बार अभ्यारण्य के अन्दर या बाहर मनुष्य पर हमला कर जान से भी मार देते है। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा जनहानि पर दो लाख एवं पशुहानि पर भी मुआवजा दिया जाता है।
मुख्य वन संरक्षण (वन्य जीव) राहुल भटनागर ने बताया कि पैंथर के हमले से जनहानि होने पर तत्काल निकटतम थाने, रेन्ज एवं नाके पर सूचना दे। इनके द्वारा मौका निरीक्षण करने के पश्चात चिकित्साधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र के आधार पर मुआवजा दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि पशुहानि होने की घटना के 48 घण्टों के भीतर सूचना देकर मुआवजा प्राप्त किया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि जनहानि होने पर दो लाख रूपये, स्थायी अयोग्य होने पर एक लाख तथा अस्थाई अयोग्य होने पर बीस हजार रूपये तक का मुआवजा निर्धारित है। इसी तरह से भैंस व बैल की हानि होने पर दस हजार, गाय के लिए पांच हजार, भैंस व गाय के बच्चे के लिए दो हजार तथा ऊंट की हानि होने पर दस हजार रूपये तक का मुआवजा दिया जा सकता है। उन्होंने आमजन से अपील की है पैंथर द्वारा जनहानि या पशुहानि करने पर शीघ्र वन विभाग को सूचित करे एवं वन्य जीव को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाये। इन्हें नुकसान पहुंचाने पर वन्य जीव अधिनियम 1972 के तहत दोषियों के विरूद्घ कडी कार्यवाही की जायेगी।

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट को डरा रहे हैं चूहे!

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तुलसी प्रजापति फर्जी मुठभेड़ के आरोपी मंबई की तलोजा जेल जाने को तैयार नहीं
अहमदाबाद। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से मशहूर जिन पुलिस अफसरों के नाम से खूंखार गुनाहगार कांप उठते थे, उन्हें मुंबई की तलोजा जेल के उत्पाती चूहे डरा रहे हैं। यही वजह है कि तुलसी प्रजापति एनकाउंटर केस के आरोपी पुलिस अधिकारी मुंबई जाने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। सोहराबुद्दीन शेख और तुलसी प्रजापति केस में वे मुंबई कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। उन्हें डर है कि मुंबई में हाजिर होने के बाद उन्हें तलोजा जेल जाना पड़ सकता है।
सूत्र बताते हैं कि उन्हें डर लग रहा है कि तलोजा जेल में चूहे उन्हें काट लेंगे। उल्लेखनीय है कि स्वयं डीजी वंजारा समेत अन्य अधिकारियों ने जेल में चूहे की धमाचौकड़ी के बारे में पहले भी अर्जी लगाई है। दूसरी तरफ, कोर्ट ने इस मामले में सभी आरोपियों को 16 जून तक हर हाल में कोर्ट में हाजिर होने के लिए ताकीद कर दी है। सोहराब केस मुंबई ट्रांसफर होने के बाद वंजारा, पांडियन, चुडासमा, अमीन, दिनेश एमएन सहित नौ आरोपियों को मुंबई जेल में ट्रांसफर कर दिया गया था। इसके कुछ ही दिनों बाद उन्होंने कोर्ट में अर्जी दी थी, ‘हमें छोटी सी कोठरी में रखा गया है, जहां कॉमन टॉइलेट और बाथरूम हैं। यहां इतने ज्यादा मच्छर और चूहे हैं कि हम परेशान हो गए हैं। हमारी नींद हराम हो गई है।Ó उसके बाद एक-एक कर आरोपियों को छोड़ा गया। अभी चार ही जेल में हैं, जिनमें स्वयं डीजी वंजारा साबरमती जेल और बाकी राजस्थान के तीन अधिकारी तलोजा जेल में हैं।
तुलसी-सोहराब केस की सुनवाई एक साथ करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट से आने पर तुलसी प्रजापति केस को भी मुंबई ले जाया गया है। सोहराब केस के आरोपी अधिकारियों के चूहे से संबंधित अर्जी कोर्ट में करने से तुलसी केस के 11 आरोपी अधिकारी भी चिंतित हैं। उन्हें चूहों का खौ‌फ सता रहा है और वे पालनपुर जेल से जाना नहीं चाहते हैं। वे चाहते हैं, मुंबई जाने से पहले चूहे से बचाव के पूरे इंतजाम हो जाएं।
गौरतलब है कि सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी कौसर बी को गुजारत के ऐंटि टेररिजम स्क्वॉयड ने हैदराबाद से उठाया था और नवंबर 2005 में फर्जी एनकाउंटर में दोनों की हत्या हुई थी। तुलसी प्रजापति इस केस का इकलौते गवाह था, जिनका एनकाउंटर 2006 में कर दिया गया था।

रेल के एसी कोच में छूट रहे हैं पसीने

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उदयपुर। भरी गर्मी में एसी कोच में यात्रा करने वालों को राहत मिलना तो दूर, उलटे पसीने छूट रहे हैं। पिछले दिनों में ट्रेनों के एसी कोच में ठंडक नहीं होने से यात्री परेशान हो गए। इसकी शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। कायदे से ट्रेन जब प्लेटफॉर्म पर पहुंचे, तो उसके एसी ऑन होने चाहिए, लेकिन उदयपुर में ऐसा हो नहीं रहा। ग्वालियर एक्सप्रेस में कल भी यही हालत थी, जिससे उदयपुर से जयपुर जाने वाले कुछ यात्रिओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इससे पूर्व भी क्रमददगारञ्ज को बांद्रा से उदयपुर चलने वाली ट्रेन के ऐसी कोच के एसी बंद होने की शिकायत मिली थी। इधर, शिकायत पर क्षेत्रीय रेलवे अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हंै।
उदयपुर के मुकेश मनवानी, अपने परिवार के आठ सदस्यों के साथ मंगलवार को जयपुर थर्ड एसी में सफर कर रहे थे। उन्होंने क्रमददगारञ्ज को कॉल कर बताया की, जब वह कोच में गए, तो अंदर एसी चालू नहीं होने की वजह से घुटन हो रही थी। पसीने छूट रहे थे, जब उन्होंने इसकी शिकायत की, तब एसी ओन किया गया। मावली से भी आगे निकलने के बाद करीब एक घंटे बाद कुछ राहत मिली। यही शिकायत दो दिन पूर्व मुंबई से उदयपुर आ रहे अखिलेश सक्सेना ने की। रास्ते में एसी बंद हो गया, जो करीब तीन घंटे बाद चालू किया गया। इतने टाइम में सारे यात्रियों का हाल बुरा हो गया। जानकारी के अनुसार उदयपुर से चलने वाली अधिकतर ट्रेनों का यही हाल है। ट्रेन शुरू होने के एक घंटे बाद कुछ कुलिंग का अहसास हुआ।
नियम एक घंटे पहले चलने चाहिए एसी : रेलवे बोर्ड ने ट्रेन चलने से एक घंटे पहले एसी कोच को प्री-कूल्ड करने का प्रावधान तय किया हुआ है। इस मामले में यात्रियों की बढ़ती शिकायतों पर अक्टूबर,1985 व नवंबर,1998 में यह भी तय किया गया था कि जब यात्री कोच में चढ़े, तो उसे शीतलता का अहसास होना चाहिए। दूसरी ओर जब ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आती है, तब एसी ऑन किया जाता है। ऐसे में जब यात्री कोच में बैठते हैं तो उन्हें घुटन का अहसास होता है। ट्रेन चलने के एक घंटे तक कोच ठंडा नहीं होता। ट्रेन के कोचिंग डिपो में जाने के बाद उसका रखरखाव व साफ-सफाई की जाती है। वहीं पर बैट्री चार्जिंग के प्वाइंट भी लगे हैं। रेलवे बोर्ड के मैन्युअल में साफ लिखा है कि ट्रेन को प्लेटफॉर्म पर लाने से पहले उसे प्री-कूल्ड किया जाए। स्थिति यह है कि डिपो में बैट्री को सही ढंग से चार्ज नहीं किया जाता। यात्रियों के चढऩे के बाद सिर्फ ब्लोअर चलाया जाता है। ट्रेन 15 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर दौडऩे लगती है, तब एसी ऑन किया जाता है। एसी को बैट्री से चलाना चाहिए, लेकिन रेलवे कर्मचारी ट्रेन चलने के बाद उसे बैट्री से कनेक्ट करते हैं ताकि रास्ते में बैटरी खत्म होने की दिक्कत नहीं हो।

वर्जन…
ट्रेन में एसी नहीं चले, बंद हो या देर से चले इसकी जिम्मेदारी मेरी नहीं है। यह इलेक्ट्रिक विभाग की जिम्मेदारी है। आप उनसे बात कीजिए कि क्यों एसी नहीं चलता है।
-हरफूल सिंह चौधरी, क्षेत्रीय रेलवे अधिकारी

किशोरी लड़कियों ने यूनिसेफ एम्बेसडर प्रियंका चोपड़ा से की बातचीत

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UNICEF Goodwill Ambassador Priyanka Chopra with the girls of Deepshikha ...मुंबई, प्रियंका चोपड़ा ने मुंबई में यूनिसेफ और बार्कलेज़ के द्वारा सपोर्ट किए जाने वाले दीपशिखा प्रोग्राम से जुड़ी किशोरी लड़कियों के साथ एक सार्थक शाम गुजारी। बार्कलेज़ के वॉल्युनटीयर्स के साथ वे इन जोशीली और प्रतिभाशाली युवतियों के साथ बातचीत करके काफी प्रसन्न थीं, जिन्होंने अपने जीवन के अनुभव, खासकर दीपशिखा प्रोग्राम से जुड़े अपने अनुभव और भविष्य के लिए उनकी अभिलाषाओं के बारे में बताया।
यूनिसेफ ने इस मजबूत इरादे के साथ दीपशिखा प्रोग्राम का लॉन्च किया था, कि जीवन की कलाओं, उद्यमी कलाओं और नेटवर्किंग की कलाओं के प्रशिक्षण के द्वारा किशोरियों और युवा महिलाओं के समूहों को सशक्त बनाना अतिआवश्यक है। सशक्तीकरण दीपशिखा प्रोग्राम का मूल है।
लड़कियों से बात करते हुए प्रियंका चोपड़ा ने बताया, ’’लड़कियों में अपने खुद के भविष्य के निर्माण की क्षमता है। मैं यूनिसेफ दीपशिक्षा प्रोग्राम से जुड़कर काफी प्रसन्न हूं, क्योंकि इसका लक्ष्य भारत की युवा लड़कियों को सशक्त बनाना है। मेरी भावना दीपशिखा प्रोग्राम के समानांतर चलती है और मैं इस बात पर जोर देती हूं कि अभिभावकों, माता-पिता और शिक्षकों को लड़कियों को जीवन में आगे बढ़ने के अधिक से अधिक अवसर देने चाहिए। मैं व्यक्तिगत रूप से महसूस करती हूं, कि किशेारियों को सशक्त बनाने के हमारे नियमित प्रयास हमारे देष के विकास में योगदान देंगे।‘‘
L-R Anuradha Nair, Policy Planning and Evaluation Specialist, Unicef Mah...यूनिसेफ के साथ बिल्डिंग यंग फ्यूचर्स प्रोग्राम के द्वारा बार्कलेज़ ने महाराष्ट्र राज्य में वित्तीय शिक्षा और लीडरशिप प्रशिक्षण के द्वारा 65000 लड़कियों और युवा महिलाओं को उद्यमी कलाओं के विकास और आत्मविश्वास के निर्माण में मदद की है, ताकि वे सशक्त बन सकें और समृद्ध एवं स्थायी आजीविका प्राप्त कर सकें। लगभग 25000 महिलाएं 1200 से अधिक सामूहिक बैंक खातों से जुड़ गई हैं और आयनिर्माण की गतिविधियों में निवेश के लिए लगभग 30 लाख रु. की बचत कर रही हैं।
बार्कलेज़ इंडिया के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर राम गोपाल ने कहा, ’’बार्कलेज़ युवाओं को अपनी क्षमताओं को पूरा करने के लिए उचित कलाओं के विकास में मदद करने के लिए समर्पित है। यूनिसेफ के साथ हम युवा महिलाओं को यह बताकर कि वे पुरुशों के बराबर हैं, समाज को सशक्त बनाने के लिए समर्पित हैं, अतः हम उन्हें दैनिक चुनौतियों का सामना करके एक ताकतवर व्यक्ति बनने के लिए आवश्यक कलाओं में निपुण बनाते हैं। 2012 से 2015 के बीच यूनिसेफ की पार्टनरशिप के द्वारा बार्कलेज़ का ब्राजील, इजिप्ट, भारत, पाकिस्तान, युगांडा और जांबिया में सीधे 74000 लोगों को लाभान्वित करने का लक्ष्य है। यह 2015 तक 5 मिलियन युवा भविष्यों को बदलने के बार्कलेज़ के लक्ष्य का अंग है।‘‘

बरसो पुरानी गॉठ से मिली निजात

Devikaउदयपुर , भीलो का बेदला प्रतापपुरा स्थित पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पीटल में पैर की हड्डी की बरसो पुरानी गॉठ का सफल ऑपरेशन किया गया। लगभग तीन घण्टे तक चले इस जटिल एवं जोखिम भरे ऑपरेशन को अंजाम दिया डॉ.सालेह मोहम्मद कागजी, डॉ.तरूण भटनागर, अजय चौधरी,बृजेश भारद्वाज एवं सुभाष की टीम ने।
Dr.Kagji

Devika2संस्थान के डॉ. डी.पी.अग्रवाल ने बताया कि राजसमन्द निवासी 25 बर्षीय देविका के पिछले 15 सालो से दायें पैर में हड्डी की गॉठ जो कि लगभग एक किलो वजनी नस एवं खून की नली के नीचे बड रही थी। कई जगहो पर ईलाज कराने के बाद भी जब कोई फायदा नही मिला। देविका के परिजनो ने जब इसे पीएमसीएच में डॉ.सालेह मोहम्मद कागजी को दिखाया तो जॉच करने पर पाया कि यह गॉठ अब आकृति में बड रही हैं जो कभी भी कैन्सर में परिवर्तित हो सकती हैं और कई बार मरीज के पॉव काटने तक की नौबत भी आ जाती है तो ऐसी स्थिति में ऑपरेशन ही इसका आखिरी रास्ता था।
यह गॉठ का ऑपरेशन जटिल होने के साथ-साथ खतरे वाला था क्योकि इस ऑपरेशन में पॉव की पोपलिटियल नस एवं खून की नली क्षतिग्रस्त हो सकती थी एवं मरीज का पैर नष्ट हो सकता था। अभी देविका पूरी तरह स्वस्थ्य है और आराम से चल फिर सकती है।
डॉ.कागजी ने बताया कि हड्डी की ऐसी गॉठ बच्चो के कम उम्र में हो जाती है एवं कई बर्षो तक इसका पता नहीं चलता जब तक कि यह गॉठ बडी न हो जाए या दर्द न करे। इसे ओस्टिया कोन्ड््रोमा कहा जाता है जो कि भबिष्य में कभी-कभी ओस्टियो सारकोमा कैन्सर में बदल सकता हैं।