वीडियो कोच बस की आमने-सामने भि$डन्त में 2 मरे, 9 घायल

उदयपुर, सुखेर थानान्र्तगत चीरवा गांव के समीप दो वीडियो कोच बस की आमने-सामने भिडंत हो गई। हादसे में खलासी सहित दो जनों की मृत्यु हो गई तथा ९ जने घायल हो गये।

पुलिस सूत्रों के अनुसार गुरूवार त$डके अहमदाबाद से अजमेर जा रही अम्बे ट्रावेल्स बस को बीच रास्ते चीरवा गांव के समीप ममता रिसोर्ट मो$ड पर गलत दिशा से आ रही पूजा ट्रावेल्स बस ने चपेट में ले लिया। हादसे में नारी का नाका जयपुर निवासी हैथल (३४) पत्नी गुरू प्रसाद वर्मा व खलासी झुंझनू निवासी मुकेश (३२) पुत्र भगवती प्रसाद सैनी की मृत्यु हो गई तथा किशन पुरा अजमेर निवासी अब्दुल वहीद(३५) पुत्र समनशाह, वैशाली नगर जयपुर निवासी मनुभाई(६५) पुत्र हिरालाल पटेल, सुभाष चौक जयपुर निवासी अब्दुल प*रीद(४४) पुत्र अब्दुल कादर, देवग$ढ भीम निवासी कंचन(३१) पत्नी अमर सिंह, जमोवा रामग$ढ जयपुर निवासी महेन्द्र कुमार(२४) पुत्र रामजी लाल मोर्य,अहमदाबाद निवासी रमेश(४९) पुत्र पूरणमल रेगर, जमालपुर अहमदाबाद निवासी याकूब भाई (६०) पुत्र अब्दुल गनी, नारी कानाका जयपुर निवासी गुरूप्रसाद पुत्र छोटेलाल घायल हो गये हादसे को देख चालक बस छो$ड मोके से प*रार हो गया। रात्रि गश्त के दौरान हादसे की सूचना मिलने पर सुखेर थानाधिकारी रामसुमेर मय जाप्ता ने घटनास्थल पहुंच कर सभी घायलों को १०८ एम्बूलेन्स की मदद से उपचार के लिए राजकीय एमबी चिकित्सालय में उपचार पहुचाया तथा मृतका हैथल का पोस्टमार्टम करा शव परिजनों को सुपुर्द किया तथा मुकेश के परिजनों को हादसे की सूचना दी है जिनके आने पर उसका पोस्टमार्टम होगा। पुलिस ने बस जब्त कर चालक के खिलाप* प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की। पूछताछ में पता चला कि हैथल गर्मी की छुट्टियों में परिवार के साथ अपने पीहर अहमदाबाद जा रही थी।

विद्या पीठ की 2000 करोड़ की संम्पत्ति पर है सभी निगाहें

उदयपुर । कभी प्रदेश में शिक्षा की अलख जगाने वाला जनार्दराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्व विद्यालय (जे.एन.आर.यु.) पद लोलुपता एवं व्यवसायिकरण की होड के चलते विवादों के चक्रव्यु में फस गया है। इस संस्थान के संस्थापक शिक्षाविद् स्व. पण्डित जनार्दन राय नागर ने जिस उद्देश्य को लेकर एक मिशन के रूप में इस संस्था को संचालित किया था आज उनके परिजन उस उद्दश्य से भटक गए और स्वार्थ सिद्घी के चलते संस्था को राजनीति का अखाडा बना दिया।

घमासान का आरंभ अचानक नहीं हुआ धीरे-धीरे जलती चिंगारी ने यह विकराल रूप धारण किया है। परिवारवाद के चलते कर्मचारियों पर मन चाहे निर्णय थोपने से रोष बढता गया। कर्मचारियों को भली भंाति विदित था कि यदि परिवारवाद इस संस्था पर हावी रहा तो विश्व विद्यालय अनुदानआयोग द्वारा संस्था की मान्यता रद्द की जा सकती हैं ऐसी परिस्थितियों में एक और यहां अध्ययनरत हजारों विद्यार्थियों का भविष्य अधरझूल हो जाएगा वहीं दूसरी ओर यहां कार्यरत कर्मचारियों के रोजगार पर भी संकट आ सकता है । इधर निवर्तमान कुलपति का कार्यकाल समाप्ति पर था। कुलपति और कोई नहीं जनुभाई की पुत्र बधु डॉ. दिव्य प्रभा नागर ही थी। जिन्होंने कर्मचारियों को अपने तुगलकी फरमान से प्रताडत करना आरंभ कर दिया। कर्मचारियों को अपने विचारों की अभिव्यक्ति के अधिकार से भी वंचित कर दिया गया। परिणिति स्वरूप सुलगती चिंगारी ने विस्फोट का रूप ले लिया और डॉ. दिव्य प्रभा के विरूद्घ विरोध के स्वर तेल हो गए परिमत: उन्हें अपनी कुर्सी छोडनी पडी। आनन-फानन में तलाश जारी हुई। नये कुलपति की नियुक्ति के लिए गुप-चुप हुई बैठक में रजिस्ट्रार प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत को अस्थायी कुलपति का कार्यभार सौंपा गया। प्रो. सारंगदेवोत ने २ जून १२ को पदभार भी संभाल लिया हालांकि उनकी इस नियुक्ति को केवल छ:माह के लिए बताया गया हैं दूसरी ओर दिव्य प्रभा नागर को विद्यापीठ सलाहकार समिति में शामिल कर लिया गया और इसके निमित्त उन्हें ७५ हजार रूपये मासिक मानदेय की भी घोषणा जारी की गई।

इस प्रकार इस कहावत को चरितार्थ किया गया कि ’अंधा बांटे रेवडी और अपनों को देय’। कुल प्रमुख ने उक्त युक्ति का ही इस्तेमाल किया जिसने कर्मचारियों के रोष को भडकाने में अहम भूमिका निभायी। इसी के साथ कुल प्रमुख ने निष्ठावान कार्यशील कर्मचारियों को निशाना बनाते हुए कुलाधिपति प्रो. बी. एस. गर्ग को पदमुक्त करने के षडयंत्र के तहत एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह घोषणा कर दी कि प्रो. गर्ग ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है। जब प्रो. गर्ग से इसकी पुष्ठी करनी चाहि तो गर्ग ने त्याग प. देने से इनकार किया। कुल प्रमुख ने फीर पलटी खाई और कहा कि वर्ष २०१० में प्रो. गर्ग ने अपने स्वास्थ्य के कारण त्याग पत्र सौंपा था। जिसे अब स्वीकार कर लिया गया है।

बडी हास्यास्पद स्थिति है कि वर्ष २०१० में प्रो. गर्ग ने त्याग पत्र दिया तो वे दो वर्ष से क्यों कार्य करते रहे। कुल प्रमुख ने दो वर्षों में नये कुलाधिपति के चयन की प्रक्रिया क्यों आरंभ नहीं कि तथा अब इतने समय बाद अचानक प्रो. गर्ग को हटाने के पीछे क्या ष$डयंत्र है। प्रो. गर्ग को हटाने की विज्ञप्ति जारी करने के बाद ३ जून रविवार देर रात एक हस्तालिखित विज्ञप्ति जारी कर बताया गया कि डॉ. जितेन्द्र कुमार तायलिया को कुलाधिपति नियुत्त* किया गया है। जितेन्द्र तायलिया के नियुक्ति पर जे. एन.आ.यू. के सभी कर्मचारी संगठन भडक उठे। यहां अध्ययनरत छात्रों ने भी रौद्र रूप धारण कर लिया और ४ जून को आरपार की लडाई के मूड में उतर गए। कर्मचारियों एवं छात्रों ने कुल प्रमुख को विवश कर दिया चाबीयॉ लौटाने को। आन्दोलनकारी कर्मचारी एवं छात्र इसपर भी सहमत नहीं हुए और उन्होंने कुल कर्मचारी संघ के बैनर तले बैठक कर कुल प्रमुख प्रपु*ल्लनागर नये कुलाधिपति जितेन्द्र तायलिया एवं संगठन सचिव भंवर गुर्जर को बर्खास्त करने, व्यवस्थापिका को भंग करने तथा अनुबंध पर चल रहे कर्मचारियों के स्थायीकरण की मांग को ले कर अनिश्चित काल के लिए विश्व विद्यालय बंद की घोषणा कर दी। डॉ. तायलिया को किसने चुना कुलाधिपति यह प्रश्न अभी मौंन हैं स्वयं डॉ. तायलिया इसका एक ही जवाब दे रहे है कि उन्हें कुल प्रमुख ने यह आदेश दिया हैं उल्लेखनीय है कि कुल प्रमुख किसी भी नियुत्ति* के लिए अधिकृत नहीं है। यह तथ्य संस्था का संविधान बताता है।

 

ऐसे होता है चयन:

जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ कुल का कुलाधिपति आजीवन सदस्य मण्डल द्वारा प्रस्तावित एक प्रतिनीधी, ऋत्विका जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्व विद्यालय द्वारा प्रस्तावित एक ्रप्रतिनिधी एवं व्यवस्थापिका जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ कुल द्वारा प्रस्तावित एक प्रतिनिधि की समिति द्वारा अध्यक्ष द्वारा के नाम का प्रस्ताव रखा जाता है। इस प्रस्ताव को व्यवस्थापिका में सर्वसम्मति से अनुमोदनके बाद ही कुलाधिपति की घोषणा की जाती है।

दत्त* प्रक्रिया कि इस पूरे प्रकरण में अनदेखी करते हुए तुगलकी फरमान जारी कर प्रो. गर्ग को पद से बेदखल करने का षडयंत्र रचा गया। यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रो. गर्ग का कार्यकाल वैसे भी २०१३ में समाप्त होने वाला है तो प्रश्न यह उठता है कुल प्रमुख ने गर्ग को हटाने में जल्दी बाजी क्यो कि बहरहाल प्रौढ शिक्षा और रोजगाररत व्यत्ति*यों को वंचित शिक्षा से पुन: जोडने काध्येय ले कर आरंभ हुआ यह विश्वविद्यालय विकास के चरम पर पहुच कर पतन की ओर अग्रसर हो रहा है।इसे बचाने के लिए निष्ठावान कर्मचारी एवं छात्रों का समूह एकजुट है उनकी यह एकता संकल्पबद्घता क्या रंग लाती है यह भविष्य के गर्भ में छिपा है।

 

एक रहस्य यह भी: कथित रूप से नवनियुत्त* कुलाधिपति डॉ. जितेन्द्र तायलिया समिति के सदस्य रहे होंगे लेकिन विद्यापीठ के उत्थान में उनका कोई योगदान नहीं है। वे एक उद्यमी है और किसी भी व्यवसाय में लाभ हानि के अंतर को परखने की उनमें क्षमता है लेकिन वे किस दृष्टिकोण से शिक्षाविद् है यह प्रश्न यह बुद्घि ाीवियों के चिंतन का विषय बन गया है। उनका शिक्षा में कब कहां और क्या योगदान रहा यह शोध का विषय हो सकता है। लेकिन एक नजरिया साप* है विद्यापीठ के समक्ष एवं कुछ वर्षो में पल्लवित एक निजी विश्वविद्यालय जिसे तायलिया के समकालीन उद्योगपति भाइयों ने ही स्थापित किया तथा शिक्षाका व्यवसायिकरण करने का श्रेय हांसिल किया यह डॉ. तायलिया उनके अतिनिकट है। विद्यापीठ कुल की कुल सम्पत्ति का आंकलन किया जाये तो यह करीब २००० करोड रूपया है। अब इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि एक समक्ष संस्थान में अराजकता का लाभ लेकर उस संस्थान के हित लाभों को कोई भी प्रतिस्पर्दी छीन ले जाए तो अतिश्योत्ति* नहीं होगी।

 

दुनिया की सबसे छोटी सोने की किताब

उदयपुर ,गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकोर्ड होल्डर उदयपुर के शिल्पकार इकबाल सक्का ने विश्व की पहली सबसे छोटी सोने चांदी की किताबें बनाने का दावा किया है ।

इकबाल सक्का ने बताया की ६ माह के अथक प्रयास से उन्होंने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है । ६४ -६४ प्रष्टो की सोने और चांदी किताब बनायीं है जिसकी साइज़ ऊंचाई ६ मिमी चोदाई ४ मिमी और मोटाई ३ मिमी है इसके प्रष्ट कागज़ से भी पतले है जिन्हें सुई की नोक से खोल कर पड़ा जा सकता है । इस किताब मै हर प्रष्ट पर अरबी भाषा में अल्लाह , संस्कृत में ॐ , ईसाईयों का क्रोस और सिखों का खंडा स्वयं निर्मित कलम से लिखा हुआ है उन्होंने बताया की इस शुक्ष्म किताब को शुक्ष्म दर्शी लेंस से ही पड़ा जा सकता है । और यह किताब विश्व एकता औ विश्व शांति का पैगाम देती है । सोने की किताब का वजन ५०० मिलीग्राम है और चांदी की किताब का वजन ४०० मिलीग्राम है । इकबाल सक्का ने दावा किया है की उनके द्वारा निर्मित यह क़िताबे विश्व की सबसे छोटी सोने चांदी की क़िताबे है ।

संभागीय आयुक्त के आदेश पुलिस के लिए बने ’’चांदी की टकसाल’’

उदयपुर, संभागीय आयुक्त द्वारा गत दिनों जारी फतहसागर की बंसियों के निकट पार्किंग निषेध के आदेश ने पुलिसकर्मियों के लिए ’’चांदी की टकसाल’’ खोल दी है। आदेश की आड में पुलिसकर्मी पफतहसागर के मुख्य छोर की ओर तीन स्थानों पर खडे होकर दो पहिया वाहन चालकों से अवैध वसूली कर रहे है।

उल्लेखनीय है कि संभागीय आयुक्त सुबोध अग्रवाल ने गत दिनों फतहसागर का नैसॢगक सौन्दर्य बनाए रखने के लिए झील किनारे पार्किंग व्यवस्था, सफाई व्यवस्था आदि में सुधार के निर्देश जारी किए थे। आदेश का प्रभाव भी सकारात्मक रहा और झील के किनारों पर सफाई व्यवस्था मे आंशिक सुधार आया। लेकिन इन आदेशों का पुलिस विभाग ने दुरूपयोग आंरभ किया। सुकून की चाहत में प्रकृति के समीप आने वाले सैलानियों एवं स्थानिय नागरिकों को पुलिस ने भय दिखा कर कथित रूप से ’’लूटना’’ आंरभ कर दिया। ’’खाकी’’ का डर और समय की कीमत को देखते हुए ’’खाकी’’ की इस कथित अवैध वसूली का कोई खुल कर विरोध नहीं कर पा रहा है और यह विवशता खाकी के लिए चांदी की टकसाल बन गई है।

चित्तौ$ड से आये ओम शर्मा बताते है की मेने अपनी मोटर साइकिल गलती से बन्सियों के पास की तभी ट्राफिक पुलिस के दो सिपाही आये और बिना कुछ सुने सीधे अपशब्द कहते हुए चालन बनाने लगे जब की मे अपनी बाइक वहां से हटा चूका था लेकिन वे नहीं माने आखिर कार उन्हें १०० रूपये दे कर पिछा छुडाना पडा । इसीतरह हिरन मगरी निवासी विश्वाश चोपडा अपनी पत्नी के साथ फतह सागर पर शाम को ठंडी अवा लेने पहुचे और यह हवा उन्हें ५०० रूपये में पडी गलती उनकी सिर्फ इतनी थी की जब तक उनकी पत्नी आइसक्रीम लेकर आती तब तक पुलिस कर्मियों ने उनके चालान काटने और गा$डी जब्त करने की कवायद शुरू करदी उन्हें भी आखिर कार ५०० रूपये देकर अपनी और अपनी गा$डी की जान बचानी पडी । इसे कई उदाहरण है ।

 

शाम होते ही ट्राफिक पुलिस और हाथीपोल पुलिस के जवान फतहसागर के एक छोर से दूसरे छोर तक तीन जगह ख$डे रहते है एक तो फतहसागर के कोने पर दूसरा मुम्बैया मार्केट और तीसरा मोतीमगरी या फिर काले किंवा$ड के पास और यहां ज्यादातर युवाओं द्वारा तेज बाइक चलने या कही गलत पार्किंग करने या फिर खडे होकर हंसी ठिठोली करने वालों को चालान बनाने का भय दिखा कर १०० से ३०० रूपये वसूले जा रहे है और चार पहिया वाहनों से ५०० रूपये वसूले जा रही है । वहां मालिक की तो कुछ सफाई सुनी ही नहीं जाती न ही उन्हें गलत जगह पार्किंग हटाने का मोका दिया जाता है बस सीधा चलन के ऊपर पेन चले लगता है वहां मालिक चालान के भय से अपना वहां जब्त होने के भय से १०० से ६०० रूपये तक रिश्वत दे कर अपनी जान छुडाता है ।

 

मोबाइल ने ली युवा छात्र की जान

उदयपुर, आज के दौर में मोबाइल जीवन का एक हिस्सा बन गया है, युवाओं मे तो मोबाइल के प्रति इतनी दिवानगी है कि कई बार इसकी वजह से जान से हाथ धोना प$डता है। ऐसी ही घटना शनिवार को घटी जब एक छात्र मोबाइल पर बात करने में इतना मगन हो गया कि बालकनी से जा रही हाईटेंशन लाईन का भी ध्यान नहीं रहा और अपनी जान से हाथ धोना पडा।

घटना शनिवार रात ८ बजे की है जब बडी स्थित एडवेंट कॉलेज में पीजीडएम की पढाई करने वाला छात्र आमोद (२३) पुत्र नितिन जोशी निवासी अहमदाबाद वर्तमान में बडी में ही कालेज के हॉस्टल में रह रहा था। शनिवार को प*तहपुरा न्यु अहिंसापुरी में रहने वाले कालेज दोस्तों सुरेन्द्र और हर्षित मेहता से मिलने गया और दोस्तों से बातचीत करते वत्त* उसके मोबाइल पर काल आया और वह उनके बीच से उठ कर बात करता हुआ धीरे धीरे बालकनी की तरप* बढा आमोद मोबाइल पर बात करने में इतना खोया कि उसको बालकनी से गुजर रही हाईटेंशन लाईन का भी ध्यान नहीं रहा और कुछ ही पलों में मोबाइल पर हंसते हुए बाते करता आमोद अपनी मौत के करीब पहुंच गया और हाईटेंशन लाईन से एक जोरदार झटका लगा और आमोद चिल्लाता हुआ पहले बिजली के तारो से चिपका और पि*र नीचे जा गिरा। अचानक हुई इस घटना से उसके दोस्त भी कुछ समझ नहीं पाए और दोडकर नीचे गये और आमोद को उठा कर पास के निजी अस्पताल में ले गये जहां चिकित्सकों ने उसको मृत घोषित कर दिया। उसके मित्रों ने सूचना होस्टल और कॉलेज को दी तो हडकंप मच गया तथा काप*ी तादाद में छात्र चिकित्सालय पहुंचे। इसी दौरान अम्बामाता थाने से प*तहपुरा चौकी प्रभारी रतन ङ्क्षसह भी मौके पर पहुंचे। मृतक के परिजनों को भी सूचना दे दी जो रविवार सुबह आ गये। जांच अधिकारी रतन ङ्क्षसह ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बिजली के झटके से मृत्यु होना आया है। जांच की जा रही है। रतन ङ्क्षसह ने बताया कि मृतक हाइटेंशन लाईन के इतने करीब पहुंच गया था की हाई पावर ने उसको खींच लिया यही मृत्यु का कारण बना।

महिला पर डायन का आरोप लगा कर गाँव से निकाला

उदयपुर, महिला उत्पीडन रोकने के लिए सरकार चाहे लाख कोशिशें कर ले लेकिन कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के लिए महिलाओं और उनके परिवारों को परेशान करने से बाज नहीं आते ऐसा ही उदाहरण संभागीय आयुत्त* को अपने पूरे परिवार के साथ ज्ञापन देने आयी हांजु कटारा के सामने आया जिसको उसके ही गांव के कुछ लोगों ने जमीन ह$डपने के चक्कर में पिछले कई सालों से डायन कह कर और मारपीट कर परेशान कर रखा है।

हांजु पत्नी हकरा कटारा निवासी गलन्दर पंचायत समिति बिछीवा$डा ने अपनी आप बीती सुनाते हुए बताया कि उसी के गांव के कुछ पढे लिखे लोगों ने उसकी जमीन ह$डपने के चक्कर में उसको डायन कह-कह कर अत्याचार कर रखा है तथा गांव के और किसी व्यत्ति*यो को उनके पास जाने नहीं देते आये दिन डायन कह कर उसके घर पर पथराव करते है व उसके बच्चों के साथ मारपीट करते है। हांजु ने बतायाकि उसकी पांच लडकियां और दो लडके है एक पुत्र राजु १० वीं में, कमलेश १२ वीं में और एक पुत्री अनिता १२ वीं में अध्ययनरत है। हांजु ने बताया कि उसी गांव के मोगा पिता नाना कटार, लक्ष्मण पिता वजा वाला पिता वजा,मुकेश पिता लक्ष्मण, शिवराम पिता रामा खराडी जो कि शारीरिक शिक्षक है और गलमा कोटेड भी शिक्षक है । ये सभी लोगों ने पिछले कई वर्षो से उसकी जमीन हडपने के चक्कर में उसको डायन कह कर पूरे गांव में प्रचारित कर रखा है तथा कहते के यह मवेशी और बच्चे खाती है। हांजु बताती है कि इसी वजह से मेरी बेटियों की शादी नहीं हो सकी और पिछले कई महिनों से वह रोज शराब के नशे में डायन कह कर घर पर पथराव करते है व उसके बच्चों को स्कूल आते जाते मारपीट करते है। और अभी भी यह पुरा परिवार उत्त* अभियुत्त*ों के डर से दूसरे गांव काली पाल गाम$डी हा$डा उनकी ननद के यहां रह रहा है। हांजु ने बताया कि उत्त* व्यत्ति*यों के खिलाप* थाने में रिपोर्ट भी नहीं की लेकिन पुलिस की तरप* से कोई कार्यवाही नहीं हुई। डंूगरपुर एसपी को भी लिख कर दिया लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली। आखिर कार इस परिवार के हित में आगे आये राजस्थान जनजाति विकास परिषद के संभाग अध्यक्ष खेमराज डामोर और लेम्पस के चेयरमेन रमेश चन्द्र रोत ने संभागीय आयुत्त* आईजी टी.एल.मीणा,दयाराम परमार व जोधपुर हाईकोर्ट में ज्ञापन भेज परिवार को न्याय दिलाने की बात कही।

खेमराज कटारा ने बतायाकि समाज सेवी होने की हेसियत से हम जब उत्त* व्यत्ति*यों को समझाने गये तो उन्होंने हमारी बात मानने से इंकार कर दिया और कहा कि यह हमारे गांव का मामला है इसमे बाहरी व्यत्ति* का दखल नहीं करेगें। संभागीय आयुत्त* को ज्ञापन देने के बाद संभागीय आयुत्त* ने आई.जी.टी.सी.डामोर को मामले की जांच करवाने तथा परिवार के साथ न्याय करवाने का पत्र लिखा है।

गणगौर घाट पर दीपिका और रणबीर

उदयपुर, उदयपुर में पिछले महिने भर से फिल्माई जा रही रणवीर कपूर, दीपिका पादुकोण अभिनित पि*ल्म ये जवानी है दिवानी के कुछ दृश्यों का पि*ल्मांकन गणगोर घाट पर किया गया। शूटिंग देखने और अपने पंसदीदा कलाकारों की झलक पाने के लिए हजारों युवा उम$ड पडे।

युवा निर्देशक अयान मुखर्जी के निर्देशन में बन रही पि*ल्म ये जवानी है दिवानी की शुटिंग पीछले एक महिने से लेकसिटी में चल रही है। शूटिंग का अधिकतर हिस्सा होटल उदय विलास में होने से युवा दिलों की धडकन दीपिका और रणबीर की एक झलक भी शहरवासी नहीं देख पाये। सोमवार को जिला प्रशासन से सशर्त शूटिंग आदेश मिलते ही शूटिंग की तैयारी गणगौर घाट पर शुरू होने की शबर आग की तरह शहर में पै*ल गयी। और हजारों युवा अपने चहेते कलाकारों को देखने पहुंचे। यह जवानी है दिवानी को गणगोर घाट पर पि*ल्मायां दृश्य में मेवा$ड की गणगौर का माहौल नजर आया। रंग बिरंगे परिधानों में युवतियां गणगौर गीत गाती रही। पूरी साज सज्जा के साथ गणगौर की सवारी सजायी गयी। दृश्य में एक हाथी के साथ युवतियां गणगौर के मंगल गीत गाते चल रही थी व उनके साथ रणवीर दिपीका पर दृश्य पि*ल्माएं गए। पि*रौजी सलवार कमीज ओर गुलाबी दुपट्टा डाले दिपीका रणबीर को लुभा रही थी वहीं सपे*द कमीज ओर डार्क ब्ल्यू जिंस पहने रणबीर बार बार दिपीका को छेड रहे थे। शूटिंग के दौरान पुलिस का भारी बंदोबस्त शहर के युवा दिपीका रणबीर को देख बेकाबू हो रहे थे जिन्हें संभालने के लिए पुलिस को काप*ी मशक्कत करनी पडी।

 

IPL में अबतक 3000 करोड़ का सट्टा

क्रिकेट को ग्‍लैमर की चादर में लपेटने वाले आईपीएल के सीजन 5 के फाइनल मैच के लिये चेन्‍नई का चेपक स्‍टेडियम तैयार है। खिताबी भिड़ंत कोलकाता और चेन्‍नई के बीच होना है। वहीं सबसे बड़ी टक्‍कर को लेकर सट्टा बाजार भी गर्म है। जी हां सबसे बड़े मैच के लिये सबसे बड़ा सट्टा लग चुका है। सट्टा 100 करोड़ नहीं, 500 करोड़ नहीं बल्कि 3000 करोड़ रुपये का लगा है। जानकारों की मानें तो आज चेन्नई सुपर किंग्स और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच होने वाले आईपीएल के फाइनल मुकाबले पर अब तक 3,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का सट्टा लग चुका है।

जानकारों का यह भी मानना है कि ये विश्‍व कप फाइनल के बाद किसी भी मैच पर लगाई गई सट्टे की सबसे बड़ी रकम बताई जा रही है। सटोरियों के मुताबिक आज के फाइनल मुकाबले में धोनी की टीम चेन्नई सुपर किंग्स जीत की सबसे बड़ी दावेदार है। सटोरियों ने चेन्‍नई को हॉट फेवरेट मानते हुए उसपर दांव लगाने का भाव 83 पैसा तय किया है, जबकि गौतम गंभीर की टीम कोलकाता नाइट राइडर्स का भाव है एक रुपये 20 पैसे रखा गया है।

यानी चेन्नई के जीतने पर एक रुपया लगाने वाले को सिर्फ 83 पैसे ही वापस मिलेंगे जबकि कोलकाता के जीतने पर एक रुपये 20 पैसे मिलेंगे। गौरतलब है कि सट्टा बाजार में जिस टीम का भाव सबसे कम होता है उसके जीतने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। यही नहीं, सटोरियों ने आज के मैच में सबसे ज्यादा रन बनानेवाले खिलाड़ी को लेकर भी बड़ा दांव खेला है। सटोरियों के मुताबिक चेन्नई के मुरली विजय आज सबसे ज्यादा रन बनानेवाले खिलाड़ी हो सकते हैं

भाजयुमों ने नाटक मंचन कर दर्शाया विरोध

मानव शृंखला बना कर किया मार्ग अवरूद्घ

उदयपुर, पेट्रोल के दामों में हुई वृद्घि को लेकर शहर में धरने प्रदर्शन जारी है उसी क्रम में भाजपा युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने नाटक का मंचन कर विरोध प्रदर्शन किया।

भाजपा युवा मोर्चा जिलाध्यक्ष जिनेन्द्र शास्त्री समेत कई कार्यकर्ता सूरजपोल तांगा स्टेण्ड पर पहुंचे जहां बडा पोस्टर लगा जिसमें कांग्रेसी नेता प्रधानमंत्री सोनिया गांधी के प*ोटो के नीचे खलनायक व चोर लूटेरे से सम्बोधित किया था वहां पोस्टर के निचे कार्यकर्ताओं द्वारा पागल बीमार, महंगाई से परेशान जनता का अभिनय कर विरोध जताया कि पेट्रोल की वृद्घि से आम आदमी की ऐसी स्थिति है। आये दिन होने वाली पेट्रोल वृद्घि से जनता कैसे पागल, बीमार दिल का दौरा पड जाता है ब्रेन हेमरेज हो जाता है। कार्यक्रम के बाद कार्यकर्ताओं ने सूरजपोल चौराहा पर मानव शृंखला बनाकर जाम किया।

राजनैतिक दबाव के चलते पुलिस ने नही की कार्यवाही

उदयपुर, । भाजपा नेता के दबाव में पुलिस उपनिरीक्षक द्वारा अनुसंधान में लापरवाही बरतने व अभियुक्त के विरूद्घ कार्यवाही नही करने की शिकायत ज्वैलर्स व्यापारी द्वारा पुलिस अधीक्षक को की गई। पीडित व्यापारी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री व गृहमंत्री को ज्ञापन भेजकर न्याय की गुहार की।

बताया गया कि पुलिस अधिकारी स्थानीय भाजपा नेता के दबाव में अभियुक्तों को नही पकड पा रहे है। घंटाघर थानान्तर्गत अम्बेश ज्वैलर्स के संचालक लक्ष्मीलाल सोनी ने जरिये परिवाद २४ जनवरी को उत्त* थाने में गौरव जैन, राहुल जेठा, शेयर ब्रॉकर व मैनेजर इंप*ो लाइन प्रा.लि. के विरूद्घ धोखाध$डी का मामला दर्ज करवाया। प्रार्थी द्वारा आवश्यक दस्तावेज आई.ओ. पुलिस उप निरीक्षक को उपलब्ध करवाकर अभियुत्त*गणों के विरूद्घ कार्यवाही की मांग की है। आई.ओ. द्वारा टालमटोल किये जाने व चालान चार माह गुजरने के पश्चात भी पेश नही किये जाने से प्रार्थी ने पुलिस अधीक्षक सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री व गृहमंत्री को शिकायत की है।