महापोर रजनी डांगी हंगामे और विरोध को नज़र अंदाज़ कर ऐसे माहोल में राष्ट्र गान करते हुए ।
उदयपुर मोका था नगर निगम में बोर्ड की बैठक का चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष पुरे सदन ने राष्ट्र गान का जो अपमान किया की मनो राष्ट्र का सम्मान मन जाने वाला हमारा गीत जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों के बिच अपमानित हो कर रह गया और ये जनता के चुने हुए प्रतिनिधि उसकी खिल्ली उड़ाते हुए चल दिए। नगर निगम में बोर्ड की बैठक के दौरान समितियों की घोषणा के बाद आधे से ज्यादा पार्षदों ने हंगामा शुरू कर दिया इसी बिच पार्षद पारस सिंघवी ने समिति प्रस्ताव पास करने का एलान किया और इसी हंगामे के बिच मेयर रजनी डांगी ने राष्ट्रगान शुरू कर दिया पुरे सदन में हो हल्ला हो रहा था सब लोग जम कर हंगामा कर रहे थे, और मेयर अपनी जिद्द पर अड़ी हुई राष्ट्रगान कर रही थी, सदन में मोजूद ५३ पार्षदों में से एक ने भी राष्ट्रगान के सम्मान में चुप रहना या सावधान खड़ा होना मुनासिब नहीं समझा। जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों ने भरे सदन में राष्ट्रगान को एक मजाक बना कर रख दिया
नदियों के फ्लड वे में बने गाँव और नगर बाढ़ में बह गए.
आख़िर उत्तराखंड में इतनी सारी बस्तियाँ, पुल और सड़कें देखते ही देखते क्यों उफनती हुई नदियों और टूटते हुए पहाड़ों के वेग में बह गईं?
जिस क्षेत्र में भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाएँ होती रही हैं, वहाँ इस बार इतनी भीषण तबाही क्यों हुई?
उत्तराखंड की त्रासद घटनाएँ मूलतः प्राकृतिक थीं. अति-वृष्टि, भूस्खलन और बाढ़ का होना प्राकृतिक है. लेकिन इनसे होने वाला क्लिक करें जान-माल का नुकसान मानव-निर्मित हैं.
अंधाधुंध निर्माण की अनुमति देने के लिए सरकार ज़िम्मेदार है. वो अपनी आलोचना करने वाले विशेषज्ञों की बात नहीं सुनती. यहाँ तक कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों की भी अच्छी-अच्छी राय पर सरकार अमल नहीं कर रही है.
वैज्ञानिक नज़रिए से समझने की कोशिश करें तो अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इस बार नदियाँ इतनी कुपित क्यों हुईं.
नदी घाटी काफी चौड़ी होती है. बाढ़ग्रस्त नदी के रास्ते को फ्लड वे (वाहिका) कहते हैं. यदि नदी में सौ साल में एक बार भी बाढ़ आई हो तो उसके उस मार्ग को भी फ्लड वे माना जाता है. इस रास्ते में कभी भी बाढ़ आ सकती है.
लेकिन क्लिक करें इस छूटी हुई ज़मीन पर निर्माण कर दिया जाए तो ख़तरा हमेशा बना रहता है.
नदियों का पथ
नदियों के फ्लड वे में बने गाँव और नगर बाढ़ में बह गए.
केदारनाथ से निकलने वाली मंदाकिनी नदी के दो फ्लड वे हैं. कई दशकों से मंदाकिनी सिर्फ पूर्वी वाहिका में बह रही थी. लोगों को लगा कि अब मंदाकिनी बस एक धारा में बहती रहेगी. जब मंदाकिनी में बाढ़ आई तो वह अपनी पुराने पथ यानी पश्चिमी वाहिका में भी बढ़ी. जिससे उसके रास्ते में बनाए गए सभी निर्माण बह गए.
क्लिक करें केदारनाथ मंदिर इस लिए बच गया क्योंकि ये मंदाकिनी की पूर्वी और पश्चिमी पथ के बीच की जगह में बहुत साल पहले ग्लेशियर द्वारा छोड़ी गई एक भारी चट्टान के आगे बना था.
नदी के फ्लड वे के बीच मलबे से बने स्थान को वेदिका या टैरेस कहते हैं. पहाड़ी ढाल से आने वाले नाले मलबा लाते हैं. हजारों साल से ये नाले ऐसा करते रहे हैं.
पुराने गाँव ढालों पर बने होते थे. पहले के किसान वेदिकाओं में घर नहीं बनाते थे. वे इस क्षेत्र पर सिर्फ खेती करते थे. लेकिन अब इस वेदिका क्षेत्र में नगर, गाँव, संस्थान, होटल इत्यादि बना दिए गए हैं.
यदि आप नदी के स्वाभाविक, प्राकृतिक पथ पर निर्माण करेंगे तो नदी के रास्ते में हुए इस अतिक्रमण को हटाने के बाढ़ अपना काम करेगी ही. यदि हम नदी के फ्लड वे के किनारे सड़कें बनाएँगे तो वे बहेंगे ही.
विनाशकारी मॉडल
पहाडं में सड़कें बनाने के ग़लत तरीके विनाश को दावत दे रहे हैं.
मैं इस क्षेत्र में होने वाली सड़कों के नुकसान के बारे में भी बात करना चाहता हूँ.
पर्यटकों के लिए, तीर्थ करने के लिए या फिर इन क्षेत्रों में पहुँचने के लिए सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है. ये सड़कें ऐसे क्षेत्र में बनाई जा रही हैं जहां दरारें होने के कारण भू-स्खलन होते रहते हैं.
इंजीनियरों को चाहिए था कि वे ऊपर की तरफ़ से चट्टानों को काटकर सड़कें बनाते. चट्टानें काटकर सड़कें बनाना आसान नहीं होता. यह काफी महँगा भी होता है. भू-स्खलन के मलबे को काटकर सड़कें बनाना आसान और सस्ता होता है. इसलिए तीर्थ स्थानों को जाने वाली सड़कें इन्हीं मलबों पर बनी हैं.
ये मलबे अंदर से पहले से ही कच्चे थे. ये राख, कंकड़-पत्थर, मिट्टी, बालू इत्यादि से बने होते हैं. ये अंदर से ठोस नहीं होते. काटने के कारण ये मलबे और ज्यादा अस्थिर हो गए हैं.
इसके अलावा यह भी दुर्भाग्य की बात है कि इंजीनियरों ने इन सड़कों को बनाते समय बरसात के पानी की निकासी के लिए समुचित उपाय नहीं किया. उन्हें नालियों का जाल बिछाना चाहिए था और जो नालियाँ पहले से बनी हुई हैं उन्हें साफ रखना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं होता.
हिमालय अध्ययन के अपने पैंतालिस साल के अनुभव में मैंने आज तक भू-स्खलन के क्षेत्रों में नालियाँ बनते या पहले के अच्छे इंजीनियरों की बनाई नालियों की सफाई होते नहीं देखा है. नालियों के अभाव में बरसात का पानी धरती के अंदर जाकर मलबों को कमजोर करता है. मलबों के कमजोर होने से बार-बार भू-स्खलन होते रहते हैं.
इन क्षेत्रों में जल निकास के लिए रपट्टा (काज़ वे) या कलवर्ट (छोटे-छोटे छेद) बनाए जाते हैं. मलबे के कारण ये कलवर्ट बंद हो जाते हैं. नाले का पानी निकल नहीं पाता. इंजीनियरों को कलवर्ट की जगह पुल बनने चाहिए जिससे बरसात का पानी अपने मलबे के साथ स्वत्रंता के साथ बह सके.
हिमालयी क्रोध
भू-वैज्ञानिकों के अनुसार नया पर्वत होने के हिमालय अभी भी बढ़ रहा है
पर्यटकों के कारण दुर्गम इलाकों में होटल इत्यादि बना लिए गए हैं. ये सभी निर्माण समतल भूमि पर बने होते है जो मलबों से बनी होती है. नाले से आए मलबे पर मकानों का गिरना तय था.
हिमालय और आल्प्स जैसे बड़े-बड़े पहाड़ भूगर्भीय हलचलों (टैक्टोनिक मूवमेंट) से बनते हैं. हिमालय एक अपेक्षाकृत नया पहाड़ है और अभी भी उसकी ऊँचाई बढ़ने की प्रक्रिया में है.
हिमालय अपने वर्तमान वृहद् स्वरूप में करीब दो करोड़ वर्ष पहले बना है. भू-विज्ञान की दृष्टि से किसी पहाड़ के बनने के लिए यह समय बहुत कम है. हिमालय अब भी उभर रहा है, उठ रहा है यानी अब भी वो हरकतें जारी हैं जिनके कारण हिमालय का जन्म हुआ था.
हिमालय के इस क्षेत्र को ग्रेट हिमालयन रेंज या वृहद् हिमालय कहते हैं. संस्कृत में इसे हिमाद्रि कहते हैं यानी सदा हिमाच्छादित रहने वाली पर्वत श्रेणियाँ. इस क्षेत्र में हजारों-लाखों सालों से ऐसी घटनाएँ हो रही हैं. प्राकृतिक आपदाएँ कम या अधिक परिमाण में इस क्षेत्र में आती ही रही हैं.
केदारनाथ, चौखम्बा या बद्रीनाथ, त्रिशूल, नन्दादेवी, पंचचूली इत्यादि श्रेणियाँ इसी वृहद् हिमालय की श्रेणियाँ हैं. इन श्रेणियों के निचले भाग में, करीब-करीब तलहटी में कई लम्बी-लम्बी झुकी हुई दरारें हैं. जिन दरारों का झुकाव 45 डिग्री से कम होता है उन्हें झुकी हुई दरार कहा जाता है.
कमज़ोर चट्टानें
कमजोर चट्टानें बाढ़ में सबसे पहले बहती हैं और भारी नुकसान करती हैं.
कमजोर चट्टानें बाढ़ में सबसे पहले बहती हैं और भारी नुकसान करती हैं.
वैज्ञानिक इन दरारों को थ्रस्ट कहते हैं. इनमें से सबसे मुख्य दरार को भू-वैज्ञानिक मेन सेंट्रल थ्रस्ट कहते हैं. इन श्रेणियों की तलहटी में इन दरारों के समानांतर और उससे जुड़ी हुई ढेर सारी थ्रस्ट हैं.
इन दरारों में पहले भी कई बार बड़े पैमाने पर हरकतें हुईं थी. धरती सरकी थी, खिसकी थी, फिसली थीं, आगे बढ़ी थी, विस्थापित हुई थी. परिणामस्वरूप इस पट्टी की सारी चट्टानें कटी-फटी, टूटी-फूटी, जीर्ण-शीर्ण, चूर्ण-विचूर्ण हो गईं हैं. दूसरों शब्दों में कहें तो ये चट्टानें बेहद कमजोर हो गई हैं.
इसीलिए बारिश के छोटे-छोटे वार से भी ये चट्टाने टूटने लगती हैं, बहने लगती हैं. और यदि भारी बारिश हो जाए तो बरसात का पानी उसका बहुत सा हिस्सा बहा ले जाता है. कभी-कभी तो यह चट्टानों के आधार को ही बहा ले जाता है.
भारी जल बहाव में इन चट्टानों का बहुत बड़ा अंश धरती के भीतर समा जाता है और धरती के भीतर जाकर भीतरघात करता है. धरती को अंदर से नुकसान पहुँचाता है.
इसके अलावा इन दरारों के हलचल का एक और खास कारण है. भारतीय प्रायद्वीप उत्तर की ओर साढ़े पांच सेंटीमीटर प्रति वर्ष की रफ्तार से सरक रहा है यानी हिमालय को दबा रहा है. धरती द्वारा दबाए जाने पर हिमालय की दरारों और भ्रंशों में हरकतें होना स्वाभाविक है.
कलर्स के धारावाहिक ना बोले तुम ना मैंने कुछ कहा सीजन 2 में उल्लास-उमंग पूरे जोरों पर है और इसकी वजह है बीरा (सिद्धार्थ अरोड़ा) और नाविका (जयश्री वेंकटरमनन) की शादी। एक-दूसरे के लिए अपने प्यार को कबूल करने के बाद, बीरा और नाविका शादी के बंधन में बंधने और ‘आई डू’ कहने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। धारावाहिक में नाच और उल्लास-उमंग से भरपूर सगाई, संगीत और अन्य रीति-रिवाजों के भव्य समारोह हैं। पूरा कुनबा शादी को लेकर बहुत आनंदित है, खासतौर पर मोहन और मेघा जो खुश तो हैं लेकिन फिर भी उदास हैं कि उनकी बेटी की शादी हो रही है और वह उनसे दूर जाने वाली है। लेकिन इन सबके बीच, इस कहानी में एक नया मोड़ इंतजार कर रहा है।
पिछली कडिय़ों में उजागर हुआ था कि बीरा नाविका से शादी करके मोहन भटनागर (कुणाल करण कपूर) से बदला लेने के लिए अपनी मंशा के साथ अच्छे लडक़े की अपनी छवि को त्याग रहा है। हर कोई इस बात से बेखबर है कि उसके दिल में कितनी नफरत बसी हुई है। नाविका तक उसके लिए अपने बेशर्त प्यार और भरोसे की वजह से बीरा की मंशाओं को भांप पाने में असमर्थ है।
रोटरी क्लब उदयपुर के कार्यक्रम में ‘वेदान्ता ख़ुशी’ पर गहन विचार-विमर्ष
उदयपुर। रोटरी क्लब उदयपुर ने वंचित बच्चों के प्रति सहानुभूति, जागरूकता, षिक्षा, स्वास्थ्य तथा सुपोषण के प्रति अंतर्राष्ट्रीय ‘वेदान्ता खुषी’ अभियान पर एक गहन चर्चा का आयोजन किया। समारोह के मुख्य अतिथि पवन कौषिक हेड-कार्पोरेट कम्यूनिकेषन, वेदान्ता हिन्दुस्तान जिंक ने वेदान्ता ख़ुशी के उद्गम, रचना, प्रभाव तथा सम्पूर्ण विचारधारा पर एक प्रस्तुति दी । यह कार्यक्रम रोटरी बजाज भवन, उदयपुर में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर रोटरी क्लब के अध्यक्ष श्री सुषील बांठिया ने बताया कि ‘वेदान्ता खुषी’ की महत्वपूर्ण बात यह है कि इस अभियान द्वारा लोगों को अपने स्तर पर वंचित बच्चों के प्रति जागरूकता पैदा करना है तथा अपने स्तर पर इन बच्चों के सम्पूर्ण विकास के प्रति प्रयास करना है। यह अभियान आर्थिक सहायता नहीं मांगता बल्कि समाज के वंचित बच्चों के प्रति जागरूक होने की प्रेरेणा देता है तथा निजी स्तर पर इन बच्चों के स्वास्थ्य, षिक्षा एवं सुपोषण के प्रति सार्थक कदम उठाने की एक अंतर्राष्ट्रीय मुहिम है।
समारोह के मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए पवन कौषिक ने अवगत कराया कि आज से तकरीबन एक वर्ष पूर्व इसी विचारधारा को ध्यान में रखकर वेदान्ता समूह ने ‘खुषी’ अभियान की सोषल मीडिया पर शुरूआत की। इस अभियान का उददेष्य है आम जनता को भारत की आज की परिस्थिति से अवगत कराना तथा समाज के इन वंचित बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ना। खुषी अभियान के रचियता पवन कौषिक, ने बताया कि ‘‘यह अभियान मात्र 7 लोगांे ने मिलकर शुरू किया था। तथा जैसे-जैसे हम बढ़ते गए लोग जुड़ते गये और खुषी अभियान एक महा अभियान बन गया।’’ आज यह अभियान 31 हजार सदस्यों के साथ लाखों लोगो तक पहुंच रहा है ।
पवन कौषिक ने बताया 12वीं पंचवर्षीय योजना में भारत सरकार ने एकीकृत बाल विकास कार्यक्रम के लिए. एक लाख उन्तीस हजार करोड़ रूपये का प्रावधान रखा है। वेदान्ता के चेयरमैन श्री अनिल अग्रवाल का कहना है कि देष में एक भी बच्चा कुपोषित ना रहे। और इसके लिए ‘खुषी’ अभियान अपनी भूमिका निभा रहा है।
‘बच्चों के सम्पूर्ण विकास एवं कल्याण के विषय में रोटरी क्लब के सदस्यों के बीच विचार-विमर्ष भी हुआ और ‘खुषी अभियान’ और अधिक आगे ले जाने पर जोर दिया गया।
रोटरी क्लब के अध्यक्ष श्री सुषील बांठिया ने बताया कि रोटरी की विचारधारा लोगों में सामाजिक व आर्थिक विषयों पर जागरूकता लाना है। रोटरी क्लब की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह कौषिष रहती है कि आम जनता के साथ मिलकर उनके सहयोग से हम समाज को और बेहत्तर बना सके।कार्यक्रम के प्रारंभ में क्लब के अध्यक्ष सुषील बांठिया ने स्वागत उदबोधन दिया। पूर्व प्रान्तपाल निर्मल सिंघवी ने कौषिक का उपारना ओढ़ाकर स्वागत किया। सहायक प्रान्तपाल रमेष चौधरी ने कौषिक का परिचय दिया। अंत में वरिष्ठ उपाध्यक्ष डी.पी. धाकड़ ने धन्यवाद ज्ञापित किया। क्लब ने गत दिनों केदारनाथ में हुई प्राकृतिक आपदा में मरे गये लोगों के प्रति दो मिनिट का मौन रख उन्हें श्रद्धांजलि दी।
उत्तराखंड में महाप्रलय के बाद गौरी कुंड में फंसे उदयपुर संभाग के 53 लोगों के परिजन उनकी सहायता के लिए विमान से आज सुबह दिल्ली पहुंचे, जहां से वे देहरादून जाएंगे। अपने परिजनों को वहां से निकालने का हरसंभव प्रयास करेंगे। शहर से गए पांच जनों के दल में से सुरेश औदीच्य ने बताया की हमारे परिजन पिछले चार दिन से एक ही जगह पर फंसे हुए हैं। उनके पास न पीने का पानी है और ना ही खाने के लिए कुछ है और न ही उन तक कोई सहायता पहुंच रही है। जैसे-तैसे वो मोबाइल पर बात कर रहे हैं। उनकी पीड़ा का हम अंदाजा नहीं लगा सकते हैं। सुरेश औदीच्य ने बताया की बस जब भी बात होती है, वो एक ही बात कहते हैं कि क्रकिसी तरह हमें बचा लो, हम लाशों के बीच घिरे हुए हैं…ञ्ज सुरेश के साथ गए प्रेम शंकर औदीच्य, भारत शर्मा, अरविंद शर्मा और पुष्कर औदिच्य सबके घर के बड़े बुजुर्ग वहां फंसे हुए हैं।
उदयपुर, उत्तराखंड में महाप्रलय में फसें लोगों की सहायता के लिए अब लोगों के हाथ मदद के लिये बड़ने लगे है। शुक्रवार को कई शहर के प्रबुद्ध नागरिकों ने जिला कलेक्टर विकास एस भाले को मुख्यमंत्री सहायता कोष में लाखों रूपये जमा कराये ।
जिला कलेक्टर ने पत्रकार वार्ता में बताया की उत्तराखंड में आई आपदा एक राष्ट्रीय आपदा है और इसमें निसंदेह हजारों लोग हताहत हुए है और अरबों रुए की संपत्ति का नुकसान हुआ है । भाले ने बताया के ऐसी मुश्किल घडी में हर देशवासी की जिम्मेदारी है की वह साथ दे और एसि ही पहल करते हुए हमारे शहर के प्रबुद्ध नागरिकों ने आज ही ९ लाख रूपये तक मुख्य मंत्री सहायता कोष में दान दिए है, जिनमे सबसे अधिक राशि एस पी खेतान ने ५ लाख रूपये के रूप में दी है ।व् शांति लाल जैन ने , भीम सिंह चुण्डावत , हरीश राजनी, राजेन्द्र हरलालका , ने ५१ – ५१ हज़ार रुए दिए ।मोहनलाल मेनारिया , सुधीर बक्षी , ने ११-११ हज़ार रूपये दिए वही जिला कलेक्टर ने भी ११ हज़ार रूपये देने की घोषणा की अतिरिक्त जिला कलेक्टर बी.आर. बी भाटी ने ५ हज़ार रूपये दिए । जिला कलेक्टर विकास एस भले ने शहर वासियों से अपील की है की जो भी शहर वासी दान में देना चाहता है । वह चैक या ड्राफ़ के रूप में मुख्य मंत्री सहायता कोष के नाम चेक से दे सकता है ।
कलेक्टर भाले ने बताया की शहर के जो यात्री उत्तराखंड में फंसे हुए है, उनसे हमारी बात चित हो रही है और बराबर संपर्क में है। हर संभव कोशिश कर रहे है और राजस्थान से गए आई पि एस अधिकारियों से भी बराबर बात चित हो रही है
उदयपुर। सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सीबीआई द्वारा साक्ष्य और दस्तावेज पेश नहीं करने के कारण मुंबई की लोअर कोर्ट ने अगली तारीख पेशी २९ जून को दी है, जबकि इस मामले में राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया की जमानत अर्जी पर मुंबई की सेशन कोर्ट में सुनवाई २४ जून को होगी । सूत्रों के अनुसार सुनवाई में कटारिया की ओर से उनके वकील पेश हुए हैं। गत 14 जून को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि जब तक सीबीआई जवाब पेश नहीं करेगी, तब तक सुनवाई के दौरान कटारिया को उपस्थिति होना जरूरी नहीं है। कटारिया ने गुरुवार को शहर में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया। गौरतलब है कि सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में आरोपी बनाए जाने पर कटारिया ने गत 27 मई को अंतरिम जमानत के लिए अर्जी लगाई थी। उस दौरान कोर्ट ने कटारिया को 14 जून तक अंतरिम जमानत दे दी थी। इसके बाद कोर्ट ने कटारिया की जमानत अवधि 21 जून तक बढ़ा दी थी।
उदयपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के निर्देशों के बाद भले ही देश के विभिन्न हिस्सों में पर्यवेक्षक दौरा करके पार्टी और उम्मीदवारों का फीड बैक ले रहे हो, लेकिन उदयपुर में आए पर्यवेक्षक यहां की भारी गुटबाजी देखकर गुस्सा करते हुए आज सुबह सर्किट हाउस से रवाना हो गए। साथ ही यह भी कह गए कि अब क्रकोई मीटिंग नहीं, कोई टिकट नहींञ्ज। दरअसल गुरुवार को भी देहात कांग्रेसियों की मीटिंग के दौरान भारी हंगामा हुआ था। कइयों ने तो पर्यवेक्षक के पक्षपाती होने का आरोप भी लगाया, क्योंकि पहले मीटिंग देहात कार्यालय में होना तय हुआ था और बाद में विधायक सज्जन कटारा के कहने पर स्थान बदल कर मीटिंग किसान भवन में निर्धारित की गई। इस पर कटारा विरोधी बड़ा तबका देहात कार्यालय ही बैठ गया और भारी हंगामा कर दिया।
उदयपुर। भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री किरिट सौमेया ने आज दोपहर उदयसागर में निर्माणाधीन होटल का दौरा करते हुए आरोप लगाया है कि इस होटल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत की हिस्सेदारी है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहलेना करते हुए इस होटल के निर्माण को राज्य सरकार ने स्वीकृति प्रदान की है। सौमेया ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के दबाव के कारण स्थानीय प्रशासन कोर्ट के आदेश के बावजूद अब तक झील पेटे में बनी सड़क को तोड़ नहीं पा रहा है। उन्होंने कहा कि अदालत का स्टे सिर्फ होटल के निर्माणाधीन हिस्से पर है।
सौमेया ने बताया कि ४०० करोड़ की यह होटल मुंबई के शर्मा परिवार द्वारा बनाई जा रही है, जिसमें उदयपुर में एसपी रहे अनिल पालीवाल और आलोक वशिष्ट की भी हिस्सेदारी है। सौमेया के साथ इस दौरे में भाजपा नेता प्रमोद सामर, भाजयुमो नेता लव बागड़ी, जितेंद्र पटेल, गजपालसिंह राठौड़, हेमंत दया, दुर्गेश आदि थे। सौमेया इसके बाद यूआईटी जाकर अधिकारियों से इस संबंध में चर्चा करेंगे और झील पेटे में बनी सड़क को नहीं तोडऩे पर जवाब तलब करेंगे। सौमेया ने बताया कि गहलोत सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को लेकर अगामी दिनों में पार्टी के प्रदेश स्तरीय नेता राज्यपाल के समक्ष शिकायत करेंगे।
उदयपुर, विधानसभा चुनाव कि दौड़े शुरू हो गयी है सभी उम्मीदवार अपने अपने समर्थकों के साथ पुरे शक्ति प्रदर्शन के लिए तैयार है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पर्यवेक्षक उत्तराखंड के पूर्व मंत्री किशोर उपाध्याय उदयपुर देहात और शहर का फीड बेक लेने के लिए आये हुए है, बुधवार को उन्होंने खेरवाडा विधानसभा का फेड बेक लिया ।
पर्यवेक्षक के आते ही उदयपुर शहर और देहात में कांग्रेस कि राजनीति गरमा गयी वही गुट बाजी भी खुल कर सामने आगई । जहाँ देहात में सज्जन कटारा से नाराज़ कार्यकर्ताओं ने किसान भवन में होने वाली बैठक का पुरजोर विरोध किया तो कटारा अपने विरोधियों के तेवर को देखते हुए किसान भवन में ही फीड बेक कि बैठक पर अड गयी आखिर कार देहात का फीड बेक अब देहात कांग्रेस कार्यालय और किसान भवन दोनों जगह लिया गया।
सुबह गोगुन्दा विधान सभा क्षेत्र का फीडबेक लिया जहाँ गोगुन्दा के वर्तमान विधायक मांगीलाल ने अपनी प्रमुख दावेदारी पेश कि उनके साथ देहात जिलाध्यक्ष लाल सिंह झाला और जिला प्रमुख मधुमेहता मोजूद थी।
देहात के लिए दो जगह हुई बैठक
पर्यवेक्षक के सीधे किसान भवन में चले जाने से देहात जिला कांग्रेस कार्यालय में जैम कर विरोध हुआ क्युकी सज्जन कतर के विरोधी किसान भवन जा कर अपनी दावेदारी नहीं करना चाहते थे । देर शाम तक देहात कार्यालय का माहोल गर्माता रहा सभी दावेदार शारदा रोत . देवेन्द्र मीना , टेकचंद गमेती आदि अपने समर्थकों के साथ बैठे रहे उधर पर्यवेक्षक किशोर उपाध्याय का कहना है की ब्लोक अध्यक्ष्क जहाँ बैठक रखेगे वही पर जाना पड़ेगा हम देहात कांग्रेस कार्यालय भी जायेगे । देर शाम को पर्यवेक्षक जब कार्यालय पहुचे तो कार्यकर्ताओं ने और दावेदारों ने खूब जैम कर हंगामा किया ।
कई देहात पदाधिकारियों ने तो यहाँ तक ठान ली की पि सी सी में पर्यवेक्षकों की शिकायत करेगे
शहर में डेड दर्जन से ज्यदा उम्मीद वार
अब अगर हम शहर कि बात करे तो शहर में शुक्रवार को सर्किट हाउस में अपनी दावेदारी रखने वालों में डेड दर्जन से ज्यादा उम्मीद वार है, जिनमे वर्तमान यु आई टी अध्यक्ष रूप कुमार खुराना, शहर जिलाध्यक्ष नीलिमा सुखाडिया, सुरेश श्रीमाली, देहात जिलाध्यक्ष लाल सिंह झाला, दिनेश श्रीमाली, वीरेंद्र वैष्णव, गोपाल शर्मा, पंकज शर्मा, त्रिलोक पुरबिया, के के शर्मा , मधु मेहता , सहित डेड दर्जन दावेदार लाइन में खड़े है। इनमे प्रमुख दावेदारी गोपाल शर्मा, वीरेंद्र वैष्णव , पंकज शर्मा और लाल सिंह झाला कि हो सकती है क्यों कि गोपाल शर्मा का कद गिरजा व्यास के केबिनेट मंत्री बनने के बाद बढ़ गया है। वीरेंद्र वैष्णव सी पी के ख़ास माने जाते है,पंकज शर्मा कि दावेदारी इसलिए मजबूत होती है क्यों कि वह हमेशा कांग्रेस के साथ रहे चाहे कांग्रेस सत्ता में हो या नहीं हमेशा कांग्रेस के कर्मठ रहे है। इसी के साथ देहात जिला अध्यक्ष लाल सिंह झाला कि दावेदारी मजबूत होती है क्यों के पिछले कुछ समय में झाला ने अपने ऊपर से सी पि गुट का तमगा हटा दिया और कांग्रेस के हर कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के साथ बाद चढ़ कर भागीदारी निभाई ।