आंखों के नीचे काले घेरे से छुटकारा पाने के उपाय – nicc beauty tips

NICC Director, Sweeti Chhabra
NICC Director, Sweeti Chhabra

सौंदर्य समस्याओं में आँखों के काले घेरों की समस्या भी एक प्रमुख और आम समस्या है । आँखों के काले घेरे देखने में बिलकुल भी अछे नहीं लगते तथा अच्छे – भले सौंदर्य को नष्ट कर देते है । यह काले घेरे खराब स्वास्थ्य को दर्शते है । यह प्रायः शरीर में कैल्शियम तथा लोह तत्वों की कमी के कारण तो कभी पुरी नींद न लेने के कारण होते है । इनके समाधान के लिए nicc कि डायरेक्टर स्वीटी छाबड़ा लेकर आयी है कुछ स्पेशल टिप्स —

 

 

 

 

 

 

 

काले घेरे होने के कारण

अपर्याप्त नींद आँखों के काले घेरों की समस्या का प्रमुख कारण है ।
खराब स्वास्थ्य के कारण भी आँखों के नीचे काले घेरे पद जाते है ।
विटामिन ‘ ए ‘ की कमी भी काले घेरे की समस्या को उत्पन्न करती है ।
आँखों को प्रति असावधानी रखना भी इस समस्या को उत्पन्न करती है ।
आँखों का नियमित रूप से व्यायाम न करना भी इस समस्या का कारण बनाता है ।
आनुवांशिक कारणों से भी यह समस्या उत्पन्न हो जाती है ।
अध्ययन करते समय पर्याप्त प्रकाश न होना भी काले घेरों की समस्या का प्रमुख कारण है ।
भावनात्मक दबाव , चिंता और तनाव भी इस समस्या का प्रमुख कारण है ।
अधिक और घटिया कालिती के सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग भी आँखों के काले घेरों की समस्या का प्रमुख कारण है ।

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क्या करें

.प्राप्ती नींद लें ।

.पानी का अधिक सेवन करें ।

.दूध और अंडे का सेवन करें ।

.लाल पके टमाटरों का नियमित सेवन करें ।

.आँखों का नियमित व्यायाम करें ।

.व्यर्थ की चिंता और तनाव से बचे ।

.गाजर के रस का नियमित सेवन करें ।

.शराब व धूमपान के सेवन से बचें ।

.ताजा गुलाब के फूलों से बने गुलकंद का सेवन करें ।

.बादाम और शहद को सामान मात्रा में मिलाएं और आँखों के चारों और इस मिश्रण को लगाकर हलके हाथों से मसाज करें और लगभग आधा घंटे बाद चहरे को धोले ।

.आँखों पर खीर का रस भे लगाएं ।

.आँखों के काले घेरों को साफ कने के लिए आलू के रस को आँखों के चारों ओर लागातार हलके हाथों से मसाज करें ।

क्या वनडे क्रिकेट में गेंदबाज़ ख़तरे में हैं?

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zaheerअंतरराष्ट्रीय वनडे क्रिकेट के शुरुआती दिनों में 50 ओवरों में 250 रनों को भी अच्छा स्कोर माना जाता था.irfan-pathan-2013

पीछा करते वक़्त जब जीत के लिए ज़रूरी रन रेट एक ओवर में छह रन से ऊपर चला जाता तो इसे हासिल करना असंभव मान लिया जाता.
आजकल अधिकतर मैदानों पर तीन सौ रन औसत स्कोर हैं, 350 के स्कोर को अच्छा माना जाता है और जब तक ज़रूरी रन रेट आठ रन प्रति ओवर के अंदर होता है तब तक जीत मुमकिन मानी जाती है.

तो क्या क्रिकेट ने तरक्की की है या फिर उसका उलटा हुआ है? क्या वनडे क्रिकेट में क्लिक करें बल्लेबाजी इतनी अच्छी होती जा रही है कि वनडे के लिए ही ख़तरा बन गई है? क्या खेल के नियम बनाने वालों ने इस फ़ॉर्मेट को ख़त्म करने के बीज बो दिए हैं?

टेस्ट और वनडे

यदि क्लिक करें ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच हुई सिरीज़ में तीन बार सात सौ से ज़्यादा रन बनाए गए तो सिर्फ़ खेल के नियमों पर ही आरोप मत मढ़िए.

हमें यह स्वीकारना होगा कि दो तरह के गेंदबाज़ निराशाजनक रूप से औसत दर्ज़े के हैं.

क्लिक करें भारत के मध्यक्रम को दो बार नेस्तनाबूद करने वाले मिशेल जॉनसन ने भी दो मौक़ों पर बेहद ख़राब गेंदबाज़ी की. कभी बहुत शॉर्ट और कभी बहुत ज़्यादा तेज़ या वाइड.

नागपुर में क्लिक करें ऑस्ट्रेलिया के 350 रनों का पीछे करके भारत के जीतने के एक दिन बाद ही शारज़ाह में पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका के बीच हुए मैच की दोनों पारियों का स्कोर 365 रहा.

इस मैच में वनडे क्रिकेट के नियमों ने छक्कों और चौकों की बौछार नहीं होने दी क्योंकि गेंदबाज़ी जबरदस्त थी.
टेस्ट मैचों को गेंदबाज़ जिताते हैं जबकि वनडे मैचों को बल्लेबाज जिताते हैं. क्रिकेट के इन दो फॉर्मेट में यही बुनियादी फ़र्क है.

वनडे में शुरुआत से ही मौक़े गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ रहे हैं क्योंकि माना जाता रहा है कि दर्शक गेंद को विकेटकीपर के हाथों में जाते देखने के बजाए छक्के-चौकों की बरसात देखने आते हैं.

जब टी-20 क्रिकेट के फॉर्मेट विकसित हुआ तब टेस्ट और फटाफट क्रिकेट के बीच के इस फॉर्मेट के टी-ट्वेंटी जैसा होने की संभावना ज़्यादा थी.

खिलाड़ी फिट

सीमित ओवरों के मैच में टेस्ट क्रिकेट की लय और बहाव की उम्मीद रखना भी अवास्तविक ही है.

हाल ही में भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की गेंदबाज़ों के अप्रासंगिक होने की शिकायत करना न सिर्फ़ इसलिए चौंकाने वाला है कि यह एक बल्लेबाज़ ने की है बल्कि इसलिए भी क्योंकि वनडे क्रिकेट अपने समय की टी-ट्वेंटी थी. लंबे शॉट, तेज रन और अपनी खास तकनीक इसकी विशेषता थी.

दूसरे शब्दों में कहा जाए तो यह हमेशा से ऐसा ही था.

वनडे क्रिकेट के नए नियमों, जिनमें हर पारी में दो नई गेंदों का इस्तेमाल और घेरे से अधिकतम चार क्षेत्ररक्षकों का बाहर होने शामिल है, ने बड़े स्कोर संभव किए हैं. लेकिन न टीवी शिकायत कर रहा है, न दर्शक शिकायत कर रहे हैं और न ही किसी ने प्रायोजकों की ही कोई शिकायत सुनी है.

भारत और ऑस्ट्रेलिया जब बेंगलुरु में अंतिम वनडे मैच खेलने उतरीं तो दोनों ही टीमें दो-दो मैच जीतकर बराबरी पर थीं. किसी ने इससे ज़्यादा क्या माँगा होता?

वनडे क्रिकेट से न सिर्फ़ नतीज़े देने की उम्मीद की जाती है बल्कि यह भी उम्मीद की जाती है कि नतीज़ा जितना संभव हो उतनी देर से निकले.

पिछले कुछ दशकों में अच्छे स्कोर का भी सफलतापूर्वक पीछा करना इसलिए मुमकिन हुआ है क्योंकि बल्लेबाज़ी में गेंदबाज़ी के मुकाबले तकनीक का ज़्यादा विकास हुआ है.

ये बल्लों की गुणवत्ता में हुए सुधार की ही नतीज़ा है कि आज ख़राब खेले गए शॉट पर भी गेंद छह रन के लिए सीमा रेखा से बाहर चली जाती है. आज स्वीप स्पॉट का क्षेत्र पहले से बड़ा है और इस सब के ऊपर खिलाड़ी भी पहले से ज़्यादा फिट और ताक़तवर हैं.
चार दशक पहले वनडे क्रिकेट की शुरुआत से अब तक गेंदबाज़ी में सिर्फ़ दो ही खोजें हुई हैं, ‘रिवर्स स्विंग’ और ‘दूसरा’.

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नई तकनीक का तोड़

कई साल पहले जब दो गेंदों इस्तेमाल करने की शुरुआत हुई थी तब इसलिए कोई शिकायत नहीं की गई क्योंकि उस वक़्त रिवर्स स्विंग भी नहीं होती थी.

यह सच है कि नए नियम गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ हैं लेकिन उतने नहीं जितना कि कहा जा रहा है.

क्या सिर्फ़ एक क्षेत्ररक्षक से फ़र्क पड़ सकता है? हाँ, वे फ़र्क ला सकता है, जब आपके पास नौ ही क्षेत्ररक्षक हों और जिनमें से पाँच सिर्फ़ घेरे के अंदर हों.

गेंदबाज़ों को यह तय करना होगा कि वे अपनी ताक़त या बल्लेबाज़ की कमज़ोरी में से किस पर गेंदबाज़ी करते हैं और यह चुनाव दिलचस्प होगा.

हालांकि यह स्वीकार करना भी मुश्किल है कि इस विचार ने ही यॉर्कर को एक हथियार के रूप में ख़त्म कर दिया.

किसी भी खेल का विकास किसी एक पक्ष द्वारा नई तकनीक या नीति को विकसित करने और दूसरे पक्ष द्वारा उसकी काट खोजने और उसके आगे अपनी नई नीति जोड़ने से होता है.

डब्ल्यूजी ग्रेस के समय में गेंदबाज़ों को बैकफुट शॉट की काट खोजनी पड़ी तो सचिन के समय में अपर-कट की. बल्लेबाज़ों को पहले आउटस्विंग का तोड़ खोजना पड़ा तो बाद में ‘दूसरे’ का. यह खेल का प्राकृतिक विकास है.

कभी-कभी नियम बनाने वालों ने उस पक्ष की ओर हो गए जो खेल में हावी था.

यदि जल्द ही गेंदबाज़ों और कप्तानों ने बल्लेबाज़ों की नई तकनीकों का तोड़ नहीं खोजा तो फिर संभवतः तकनीकी समिति को ही कुछ करना पड़े. लेकिन हाथ खड़े करना अभी जल्दबाज़ी है. गेंदबाज़ों की रचनात्मक प्रतिक्रिया को भी एक मौका दिया जाना चाहिए.

जर्मनी में ‘भयंकर’ मूंछों की विश्व चैंपियनशिप

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जर्मनी में सैंकड़ों की तादाद में प्रतियोगी विश्व दाढ़ी एवं मूंछ चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए जुटे. इस अनोखी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए क़रीब 20 देशों से लोग आए.

चेहरे के सबसे अच्छे बाल की इस विश्व प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आए लोगों की अजीबो-गरीब दाढ़ी-मूंछ दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बनी रही.
इस प्रतियोगिता के आयोजक ने कहा कि उन्हें उम्मीद से बेहतर प्रतिक्रिया मिली है. वह कहते हैं, “दुनिया के कई देशों से हिस्सा लेने के लिए लोग यहां आए हैं. ”

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एक प्रतियोगी ब्रैंडन बिगिंस का कहना है, “मैंने एक बार अमरीका में इस तरह की प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था और अब मैं अपनी दाढ़ी को दुनिया से रूबरू कराना चाहता हूं. मैं यहां देखूंगा कि मेरी दाढ़ी के लिए दर्शकों की कैसी प्रतिक्रिया मिलती है.”
इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए 300 लोग आ चुके हैं जो उम्मीद से कहीं ज्यादा है.
इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने आए निक थॉमस कहते हैं कि उन्हें इस प्रतियोगिता की जानकारी ऑनलाइन और फेसबुक के जरिए मिली.
वह कहते हैं, “मैंने सोचा कि मैं इस प्रतियोगिता में शामिल होकर देखूं कि क्या होता है और शायद मैं अपनी दाढ़ी और बढ़ा सकता हूं.”

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हमेशा के लिए जुदा हुईं ‘लंबी जुदाई’ वाली रेशमा

[ad type=”300×250″ src=”http://www.udaipurpost.com/wp-content/uploads/2013/11/shahi-green-copy.jpg” link=”” align=”” adsense=””]Pakistani-Singer-Reshmaउनकी मखमली आवाज जब फ़िज़ा में गूंजती थी तो थार मरुस्थल का ज़र्रा-ज़र्रा कुंदन सा चमकने लगता… वे राजस्थान के शेखावाटी अंचल के एक गांव में पैदा हुईं थीं लेकिन उनका गायन कभी सरहद की हदों में नहीं बंधा.

अपने ज़माने की मशहूर पाकिस्तानी गायिका क्लिक करें रेशमा ‘लम्बी जुदाई’ का गाना सुनाकर हमेशा के लिए जुदा हो गई. रेशमा के निधन की ख़बर उनके जन्म स्थान राजस्थान में बहुत दुःख और अवसाद के साथ सुनी गई.
संगीत के कद्रदानों के लिए पिछले कुछ समय में ये दूसरा दुःख भरा समाचार है. पहले शहंशाह–ग़ज़ल क्लिक करें मेहंदी हसन विदा हुए और अब रेशमा ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया.

रेशमा राजस्थान में रेगिस्तानी क्षेत्र के चुरू जिले के लोहा में पैदा हुई और फिर पास के मालसी गाव में जा बसी. भारत बंटा तो रेशमा अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चली गई. लेकिन इससे ना तो उनका अपने गांव से रिश्ता टूटा न ही लोगों से.

मिट्टी से रिश्ता
रेशमा को जब भी मौका मिला वो राजस्थान आती रहीं और सुरों को अपनी सर-ज़मी पर न्योछावर करती रहीं. लोगों को याद है जब रेशमा को वर्ष 2000 में सरकार ने दावत दी और वो खिंची चली आईं तब उन्होंने ने जयपुर में खुले मंच से अपनी प्रस्तुति दी और फ़िज़ा में अपने गायन का जादू बिखेरा.

रेशमा ने न केवल अपना पसंदीदा ‘केसरिया बालम पधारो म्हारे देश’ सुनाया बल्कि ‘लम्बी जुदाई’ सुनाकर सुनने वालो को सम्मोहित कर दिया था.

इस कार्यक्रम के आयोजन से जुड़े अजय चोपड़ा उन लम्हों को याद कर बताते हैं जब रेशमा को दावत दी गई तो वो कनाडा जाने वाली थीं और कहने लगी उनको वीसा मिल गया है.

मगर जब उनको अपनी माटी का वास्ता दिया गया तो रेशमा भावुक हो गईं. अजय चोपड़ा बताते हैं कि रेशमा को उनकी माटी के बुलावे का वास्ता दिया वो ठेठ देशी मारवाड़ी लहजे में बोलीं, “अगर माटी बुलाव तो बताओ फेर मैं किया रुक सकू हूं?”

ये ऐसा मौका था जब क्लिक करें राजस्थान की माटी में पैदा पंडित जसराज, क्लिक करें जगजीत सिंह, मेहंदी हसन और रेशमा जयपुर में जमा हुए और प्रस्तुति दी.

इस वाकये के बारे में अजय चोपड़ा बताते हैं होटल में रेशमा ने राजस्थानी ठंडई की ख्वाहिश ज़ाहिर की तो ठंडई का सामान मंगाया गया और रेशमा ने खुद अपने हाथ से ठंडई बनाई.

अजय ने बताया, ”वो अपने गांव, माटी और लोगों को याद कर बार-बार जज़्बाती हो जाती थीं. रेशमा ने मंच पर कई बार अपने गांव- देहात और बीते हुए दौर को याद किया और उन रिश्तों को अमिट बताया.”

विनम्र स्वभाव
राजस्थानी गीत संगीत को अपनी रिकॉर्डिंग के काम से ऊंचाई देने वाले केसी मालू का गांव रेशमा के पुश्तैनी गांव से दूर नहीं है.

केसी मालू को मलाल है रेशमा की चाहत के बावजूद भी वो उनके गीत गायन को रिकॉर्ड नहीं कर सके. खुद रेशमा ने उनसे ‘पधारो म्हारे देश’ गीत रिकॉर्ड करने को कहा था.

केसी मालू कहते हैं, “हमने राजस्थान की लोक गायकी और पारम्परिक गीतों की कोई चार हज़ार रिकॉर्डिंग की हैं मगर हमें आज अफ़सोस है हम रेशमा के सुर रिकॉर्ड नहीं कर सके. उनकी रेकॉर्डिग के बिना हमारा संकलन अधूरा सा लगता है.”

अरसे पहले ये नामवर गायिका अपने परिजनों के साथ जोधपुर आईं तो उनके साथ रेशमा के जेठ भी थे. वे रेशमा की भूरि-भूरि प्रंशसा कर रहे थे.

उन्होंने बताया, ” रेशमा बहुत बड़ी गुलकार हैं मगर घर-परिवार में छोटे-बड़े का अदब करना कभी नहीं भूलतीं.”

उनके जेठ ने बताया कि उनके घर में जीवन, रस्मों-रिवाज़ और व्यवहार वैसा है जैसा राजस्थान में रहते था.

संगीत से जुड़े श्री मालू कहते हैं रेशमा अपने गांव से बहुत लगाव रखती थीं. वे बताते हैं, “उस वक्त उनका गांव सड़क से नहीं जुड़ा था. रेशमा को इसका बहुत दर्द था. उनकी इस बात को सरकार तक पहुंचाया और सड़क बन गई तो रेशमा बहुत खुश हुईं.”

रेशमा अब नहीं रहीं. दमादम मस्त कलंदर सुनाकर वो चली गईं. आखिरी बार जब रेशमा ने जयपुर में ‘लम्बी जुदाई’ सुनाया तो कौन जानता था कि ये जुदाई बहुत लम्बी होने वाली है, इतनी लंबी कि फिर न मिले.

रेशमा न सही मगर फिज़ा में बिखरे उनके बोल उनकी मौजूदगी की गवाही देते रहेंगे.
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रूप चौदस पर बाज़ारो का निखरा रूप , महिलाओं ने भी अपने रूप को संवारा

_DSC9151उदयपुर। दीपावली के एक दिन पुर रूप चौदस पर सारा शहर सज कर तैयार हो चुका गया । बज़ारों कि रोनक देखने लायक है रात होते ही शहर का हर बाज़ार रौशनी से जगमगा गया । महिलाओं ने अपने घर के साथ साथ खुद का रूप भी संवारा और लक्ष्मी के आगमन कि तैयारियां पूरी करली। खरीददारी का दौर रूप चौदस के दिन भी जारी रहा । घरों और दुकानों में सजाने कि सामग्री खूब बिकी ।

भटियाना चोहट्टा स्थित लक्ष्मी मंदिर में भी सुबह चार बजे से कार्तिक मास स्नान करनेवाली महिलाओं के दर्शनों के लिए आने का क्रम शुरू हो गया। पर्व पर महालक्ष्मीजी की प्रतिमा को आकर्षक श्रृंगार धारण कराकर आरती की गई। शाम को भी माताजी की प्रतिमा को नवीन श्रृंगार धारण कराकर पूजा अर्चनाकर महाआरती की गई।

खूब बिके मिष्ठान और रंगबिरंगी लाईटेइसके अलावा शहर में विभिन्न स्टालों पर सजी रंगबिंरगी लाईटों की बिक्री भी जोरदार रही। शहरवासी घर को रोशन करने के लिए रंगबिंरगी लाईटों की लडिय़ा, झूमर और चमकीली फर्रियां खरीदने में खासी रूचि दिखाई। इसके अलावा त्यौहार पर एक दूसरे का मुहं मीठा कराने के लिए मिठाईयां खरीदने के लिए मिष्ठानों की स्टालों पर भी लोगों की खासी भीड़ लगी रही। शहरवासी बाजारों से नानाविध मिष्ठान लाए ही है साथ ही घरों में कई पकवान बनाएं है।

DSC9190महिलाओं ने संजोया अपना रूप :

रूप चौदस पर महिलाओं ने भी अपना रूप सजाया और शहर के ब्यूटी पार्लरों में खासी भीड़ रही भूपाल पूरा स्थित परफेक्ट ब्यूटी पार्लर में महिलाओं को सजाने का क्रम सुबह से चलता रहा पार्लर कि मशहूर ब्यूटिशन दीप्ति गन्ना ने बताया कि रूप चौदस पर हमने महिलाओं के लिए विशेष ऑफर रखे है और उन्हें दिवाली के इस मोके पर विशेष फेशियल और मेकअप डिस्काउंट में किया जारहा है। दीप्ती ने बताया कि आज सुबह से फेशियल करने वाली महिलाओं कि कतार लगी हुई है ।

लेकसिटी में दीपावली की तैयारी

9319_3rd 9308_1stउदयपुर। दीपावली आने में एक दिन शेष है, लेकिन लगता है कि शहरवासियों ने माता लक्ष्मी के स्वागत की तैयारियां पूरी कर ली हैं। तभी तो सारा शहर रंग-बिरंगे रोशनी से सजा नजर आ रहा है।

 

दीपोत्सव से एक दिन पहले लेकसिटी पूरी तरह सजकर तैयार हो गया। एक तरफ जहां शहरवासी धनतेरस की खरीदारी करने में व्यस्त थे तो वहीं दूसरी ओर शहर के मंदिरों को सजाने का काम भी अपने अंतिम चरण में था। गृहणियों ने भी दीपावली से पहले माता लक्ष्मी को खुश करने के लिए घर को परंपरागत तरीके से सजाया। घर के मुख्य द्वार के आगे फूलों की माला सजाकर उसके चारों ओर दीप जलाए।

 

धनतेरस के दिन शहर के प्रमुख बाजार इस तरह से सजे थे मानो वे किसी के स्वागत की तैयारी कर रहे हैं। इसी तरह सभी प्रमुख मंदिरों में भी विशेष सजावट की गई। प्रथम पूज्य बोहरा गणेश जी मंदिर को रोशनी से जगमगा दिया गया। ऐसा लग रहा था जैसे मंदिर के साथ ही साथ पूरा शहर रोशनी से नहा रहा हो।

 

कारोबारी विशेषज्ञों की मानें तो प्रदेशभर में करीब 2 हजार करोड़ रु. तथा जयपुर में करीब 675 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ। इलेक्ट्रॉनिक आइटम की बिक्री प्रदेश में 100 करोड़ रु. तक रही।

 

दीपावली स्नेहमिलन में अनेक प्रतियोगिताएं आयोजित

उदयपुर। रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा शुक्रवार को रोटरी बजाज भवन में दीपावली स्नेहमिलन समारोह आयोजित किया गया। जिसमें नन्हें-नन्हें बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेकर इसे धूमधाम से मनाया। प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया। इस अवसर पर निराली जैन द्वारा मधुर स्वर में गाये गए 11 गीत-गज़लों की सीडी का भी विमोचन किया गया। क्लब अध्यक्ष बीएल मेहता ने बताया कि कार्यक्रम संयोजक डीपी धाकड़ के नेतृत्व में कार्यक्रम में आयोजित रंगोली प्रतियोगिता में श्वेता गुप्ता प्रथम, पूजा स्वरूप द्वितीय, मेहंदी प्रतियोगिता में स्नेहा शर्मा प्रथम, सुशीला सिंघवी द्वितीय, थाली सजाओं प्रतियोगिता में काजल बाहेती प्रथम, नीला करणपुरिया द्वितीय तथा रश्मि गुप्ता तृतीय, बेस्ट किड्स प्रतियोगिता में प्रियल बोहती प्रथम व तनु बाहेती द्वितीय, बेस्ट कपल प्रतियोगिता में श्रीमती एवं बीएच बापना प्रथम, डॉ. देवेन्द्र सरीन व मधु सरीन व राकेश भाणावत द्वितीय, कमल कर्णावट, सुरेश सिसोदिया तथा कीर्ति अग्रवाल तृतीय, बेस्ट लहंगा साड़ी प्रतियोगिता में स्नेहा शर्मा प्रथम, बीना मुर्डिया व प्रभा सिंघवी द्वितीय, गिरीराज शर्मा, स्वर्णा गर्ग व नीला करणपुरिया तृतीय रही। कलरफुल डे्रस के लिए बेला जैन को श्ेिाष पुरस्कार प्रदान किया गया। इस अवसर पर निराली जैन द्वारा गाये गए 11 गीत-गज़लों की सीडी का संगीतज्ञ डॉ. रघु उपाध्याय, बीएल मेहता, सुरेन्द्र जैन, रमेश चौधरी, बीएच बापना ने विमोचन किया।

पोलोग्राउंड में पुलिस पर फायरिंग

Police-Firingउदयपुर। शहर के पोश इलाके पोलोग्राउंड में बीती देर रात पुलिस के गश्ती दल पर वाहन चोर गिरोह के बदमाशों ने फायरिंग की और पुलिस गिरफ्त से उनके एक साथी को छुड़ा ले गए। वाहन चोर स्कोर्पियो और सफारी में सवार थे। इस दौरान स्कोर्पियो से पुलिस के गश्ती दल को टक्कर मारी गई। इसमें एक पुलिसकर्मी घायल हो गया। सूचना मिलने पर जिलेभर में नाकाबंदी कराई गई, लेकिन बदमाशों को कहीं पता नहीं चला।

पुलिस के अनुसार अंबामाता थाने का कांस्टेबल जितेंद्र होमगार्ड के दो जवानों के साथ पोलोग्राउंड क्षेत्र में देर रात गश्त कर रहा था। इस दौरान खारोल कॉलोनी की तरफ से एक स्कोर्पियो आई, जिसे रोककर पूछताछ की गई। संतोषजनक जवाब नहीं देने पर जितेंद्र ने दोनों को नीचे उतारा। इस दौरान मारपीट शुरू हो गई। बदमाशों में से एक भाग गया। दूसरे पिटाई से घायल हो गया।

गश्ती दल को मारी टक्कर: जब जितेंद्र स्कोर्पियो के पास घायल बदमाश से पूछताछ कर रहा था, तभी एक सफारी आई, जिसने गश्ती दल को टक्कर मार दी। इससे जितेंद्र घायल हो गया। सफारी में तीन बदमाश सवार थे। इनमें से एक बदमाश ने पुलिसकर्मियों पर दो फायर किए, लेकिन गोली किसी को नहीं लगी। इस दौरान बदमाश घायल साथी को लेकर भाग गए। पुलिस ने मौके से स्कोर्पियो बरामद कर ली है। यह स्कार्पियो खारोल कॉलोनी क्षेत्र से चुराई गई थी।

सभी दूर तलाश: इस वारदात की तत्काल सूचना आलाधिकारियों को दी गई। जिलेभर में नाकाबंदी की गई। सभी टोलनाकों पर पुलिस पहुंची और वीडियो फुटेजलिए, लेकिन पुलिस को बदमाशों को लेकर कोई सुराग हाथ नहीं लगा है।

बोहरा समाज का नया साल कल से

उदयपुर, बोहरा समाज के नव वर्ष हिजऱी सन् 1435 का शुभारम्भ सोमवार 04 नवम्बर से हो रहा है। ये विचित्र संयोग ही है कि इस बार भी दीपावली के दिन हिजरी सन के नव वर्ष की पूर्व संध्या साथ-साथ आयी है। जो हमारे देश की राष्ट्रीय एवं सांप्रदायिक सौहाद्र्ध का परिचायक है। जहां एक ओर दिपावली के दीप प्रज्जवलित कर खुशियां मनायी जाएगी। वही दूसरी ओर हिजरी सन के नववर्ष की पूर्व संध्या पर दाऊदी बोहरा समाज के लोग अपने-अपने घरों पर विभिन्न प्रकार के पकवानों के थाल सजाएंगे जिसमें परिवार के सभी लोग हिस्सा लेकर नये वर्ष की मुबारकबाद पेश करेंगे। 04 नवम्बर को सैयदी खांजीपीर साहब के उर्स पर सार्वजनिक न्याज व मजलिस का आयोजन होगा। इसके तहत खांजीपीर स्थित दरगाह पर विशेष सजावट की गयी है। 04 नवम्बर से ही कर्बला के शहीदों और हजऱत इमाम हुसैन की याद में 10 दिनों तक समुदाय के लोग गम व मातम मनाएंगे। इस अवसर पर बोहरवाडी और बोहरा समुदाय के विभिन्न मौहल्लों में भी सजावट और सबीले लगाई गयी है जहां इन दसों दिन में न्याज के दौरान पानी व शर्बत पिलाया जावेगा। मोहर्रम के 10 दिन दाऊदी बोहरा जमात (बोहरा यूथ) की महिलाएं काले लिबास में गम का इजहार करेगी और बुर्जुग महिलाएं रोजा रखेगी।

यह जानकारी देते हुए दाऊदी बोहरा जमात के प्रवक्ता अनिस मियांजी ने बताया कि हिजऱी सन् नर्व वर्ष की शुरूआत से पहले 04 नवम्बर की पूर्व संध्या पर रविवार 3 नवम्बर को न्याज और मजलिस का आयोजन होगा। 04 नवम्बर से प्रारम्भ होने वाले 10 दिनों के गमजदा लम्हों में प्रत्येक दिन सुबह 10:30 से 1.30 बजे तक वजीहपुरा मस्जि़द में कर्बला के शहीदों को याद करते हुए मुल्ला पीर वाअज फरमाएंगे। शाम को 4 से 5:30 बजे तक रसूलपुरा मस्जि़द में समुदाय की महिलाओं की मजलिस होगी जिसमें मरसिया ख्वानी के अलावा डॉ. जैनब बानो, जीनत खाखडवाला इत्यादि की तकरीरे पेश करेंगी। शाम को सामूहिक न्याज का आयोजन होगा व रात 9 से 11 बजे तक वजीहपुरा मस्जि़द में मजलिस होगी जिसमें डॉ. इरफान अलवी, अली असगर खिलौनावाला तकरीर पेश करेंगे। साथ ही असगर अली जावरियावाला पार्टी, मोएज जरी पार्टी, मुजाम्मिल पार्टी और दिगर जाकरीन इमाम हुसैन (अ.स.) की शहादत में मरसिया व मातम पढ़ेंगे और तकरीरे की जाएंगी। मोहर्रम की सातवी तारीख 10 नवम्बर को करबला के शहीदों की याद में विशाल रक्तदान शिविर आयोजित किया जावेगा।

फतहसागर में मिले शव की नहीं हुई शिनाख्त

उदयपुर। फतहसागर में तीन दिन के प्रयास के बाद गुरुवार शाम को निकली एक व्यक्ति की लाश की शिनाख्त नहीं हो पाई है। इससे पूर्व दो दिन तक गोताखोरों ने शव को निकालने के काफी प्रयास किए, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। तीसरे दिन गुरुवार शाम को शव पानी की सतह पर तैराता दिखाई दिया। इस पर पुलिस ने मौके पर पहुंच गोताखोरों की मदद से उसे बाहर निकलवाया और शव को एमबी अस्पताल के मुर्दाघर में रखवाया। हालांकि शव की अभी तक शिनाख्त नहीं हो पाई हैं। पुलिस ने बताया मृतक की उम्र लगभग ४०-४५ वर्ष है।