बैण्ड की धून से हुए पुलिसकर्मी के कान खामोश

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उदयपुर, 15 दिसम्बर । ध्वनि प्रदूषण के चलते एक पुलिसकर्मी को बहरेपन का शिकार होना पडा है, तथा अभी भी अस्पताल में उपचाररत है।

प्रकरण के अनुसार गत 11 दिसम्बर को टाउनहाल से एक धार्मिक यात्रा ऋषभदेव के लिए रवाना हुई। इस यात्रा में लगे पुलिस जाप्ते में सूरजपोल थाने का सिपाही रोहीताश चौधरी भी शामिल था। इस धर्मसभा में बैण्ड भी शामिल था। इस बैण्ड की धूनों को सुनते सुनते साथ चल रहे रोहीताश के कान कब खामोश हो गए उसे पता ही नहीं चला।

यात्रा के पारस से गुजर जाने के बाद जब रोहीताश के साथ पुलिसकर्मियों ने उसे आवाज लगाई तो उसके ध्यान नहीं देने पर उसके साथियों को शंका हुई। इधर रोहीताश को भी अपने साथियों के होठ हिलते नजर आए सुनाई नहीं दिया। साथी पुलिसकर्मी रोहीताश को महाराणा भूपाल चिकित्सालय के नाक कान गला विभाग में ले गए वह अभी भी उपचाररत है। चिकित्सकों का कहना है कि बैण्ड की कर्कश धूनो से उसके कानों की श्रवण शत्ति€ अस्थायी तौर पर निष्क्रिय हो गई है, लेकिन उपचार के बाद रोहीताश के कानों में पुनःश्रवण शक्ति लौट आएगी।

जिला दर्शन और सुनहरा सफ़र

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वर्तमान सरकार के तीन वर्ष

 उदयपुर, 15 दिसम्बर/जिले के प्रभारी व ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्राी महेन्द्रजीत सिंह मालविया ने आज सूचना केन्द्र में वर्तमान सरकार के तीन वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के उपरान्त आयोजित कार्यक्रम में ‘‘ जिला दर्शन: उदयपुर’’ नामक पुस्तक का विधिवत विमोचन किया। पुस्तक का प्रकाशन जिला प्रशासन व सूचना एवं जन सम्पर्क कार्यालय द्वारा किया गया। पुस्तक में उदयपुर जिले में पिछले तीन वर्षो में सरकार के फ्लेगशिल कार्यक्रमों, नवाचारों एवं विभिन्न विभागों की उपलब्धियों का समावेश किया गया हैं।

इस अवसर पर मालविया ने कहा कि लोक राहत की धारा प्रवाही योजनाओं के क्रियान्वयन से सरकार ने जन-जन की सरकार होने का दायित्व पूरा कर दिखाया हैं।

उन्हांेने कहा कि लोक सेवा प्रदान करने की गारंटी का अधिकार-2011 को लागू कर जनता के प्रति सरकार के दायित्वों की प्रभावी क्रियान्विति सुनिश्चित की हैं। उन्होंने कहा कि मेवाड़ की महत्ती पेयजल परियोजना देवास को प्रतिबद्धता के साथ समय निर्धारण के साथ पूरा कर अनूठी सौगात दी गई हैं। इससे उदयपुर की लाइफलाईन झीले वर्षपर्यन्त भरी रहने का सपना भी साकार होगा।

आदिवासी अंचल के लिए चलाये जा रहे गतिमान प्रशासन कार्यक्रम की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी गतिविधियां नवाचारों में शामिल करना प्रशासन की दूरदर्शिता का परिचायक हैं। उन्होंने बताया कि इस अनूठी योजना के माध्यम से दूरस्थ आदिवासी अंचल के लोगों की समस्याओं के त्वरित समाधान होने में मदद मिलेगी।

-‘‘ तीन वर्ष का सुनहरा सफर ’’ प्रदर्शनी का शुभारंभ

उदयपुर, 15 दिसम्बर/वर्तमान सरकार के तीन वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में राज्य व स्थानीय उपलब्धियों पर आधारित प्रदर्शनी ‘‘ तीन वर्ष का सुनहरा सफर ’’ का शुभारंभ जिला प्रभारी व ग्रामीण विकास एवं पचायतीराज मंत्राी महेन्द्रजीत सिंह मालविया ने आज सूचना केन्द्र में विधिवत फीता काट कर किया।

सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों एवं कल्याणकारी योजनाओं की क्रियान्विति को आकर्षक छायाचित्रों द्वारा दर्शाया गया।

प्रदर्शनी में आयुर्वेद, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, नगर विकास प्रन्यास, कृषि, सर्वशिक्षा, वन एवं वन्यजीव, डेयरी, एसआईईआरटी, महिला एवं बालविकास, ग्रामीण विकास पंचायतीराज आदि विभागों ने भी अपने विभागों की योजनाओं और उपलब्धियों को आकर्षक रुप से प्रदर्शित किया।

तिमान प्रशासन रवाना

सूचना केन्द्र में आयोजित कार्यक्रमों के दौरान ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज तथा जनजाति क्षेत्राीय विकास मंत्राी महेन्द्रजीत सिंह मालविया ने दूरस्थ आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रा कोटड़ा क्षेत्रा में सरकारी सेवाओं की सुनिश्चिता के लिए गतिमान प्रशासन योजना के तहत करीब 50 लाख रुपये की लागत से तैयार की गई मोबाईल ऑफिस बस को हरी झण्डी दिखा कर कोटड़ा के लिए अर्पित किया। उन्होंने बस में सृर्जित की गई सुविधाओं का अवलोकन भी किया|

 

जायके का शहंशाह “हलीम”

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 उदयपुर मुस्लिम दस्तरखानो की जितना जायका बिरयानी , पुलाव , ज़र्दा , तंदूरी चिकन आदि से है उससे कही ज्यादा जायका हलीम से है | हिन्दुतान ही नहीं दुनिया में गरीबों के दस्तरखानों से लेकर अमीरों कि पार्टियों तक सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला खानों में अपनी जगह बनाने वाली डिश का नाम है हलीम| हमारे यह मुहर्रम का महिना वेसे तो इमाम हुसैन की याद और उनकी शहादत लिए आता है | लेकिन इस महीने में जिस खास डिश का इंतजार रहता हे वो हे हलीम| मुहर्रम की पहली तारीख से ही यहाँ हर गली मोहल्ले में आप हलिम की डेगे पकती हुई देख सकते है जो सिलसिला ४० दिन तक चलता रहता है , और इसके जायके की दीवानगी देखिये की इसको खाने की दावत कही नहीं देनी पड़ती लोग बस देख के चले आते है और देखते ही देखते चन्द घंटों में डेगे खाली हो जाती है | जयका कुछ एसा होता है की लोग उँगलियाँ चाटते रह जाएँ |

हिंदुस्तान , पकिस्तान , बंगलादेश , अफगानिस्तान ,इरान आदि मुल्को में बहुत पसन्द किया जाने वाली इस डिश के बारे में क्या आपने कभी सोचा है इसकी शुरुआत केसे कहाँ से हुई और आज दुनिया में किस तरह बनाया जाता है | हैदराबादी हलिम को सितम्बर २०१० में जी.आई. प्रमाण पत्र मिला दुनिया की जुबान हलीम के जायके को चखने के लिए बेताब होगई और लोगो का रुख हेदराबादी हलिम की तरफ होने लगा |

गेहूं, दालें, सब्जियों को एक साथ डालकर करीब ७ से ८ घंटे तक लगातार पकने के बाद बनने वाला ये खाना इतना फायदेमंद है की डॉक्टर खुद भी इस कि खूबियों के कायल है | मोटा रेशा होने की वजह से ये न सिर्फ शरीर को प्रोटीन देता हे बल्कि आयरन मैग्नीशियम और बहुत सारी केलोरी भी देता है साथ ही इन्सान के पाचन तंत्र को भी बेहतर करता है \

हलीम की शुरुआत को लेकर कई बातें है ,लेकिन इतिहास के और धार्मिक धारणाओं के तहत हलीम को नुह अलेहिस्स्लाम ( मुस्लिम पैगम्बर ) के समय में तैयार किया गया था जब उनकी कश्ती जूदी पहाड़ पर आकर रुकी थी तब उसके पास बचे हुए सामानों से बनाया गया खाना हलीम कहलाया मुहर्रम के दिनों में इसकी इसलिए अहमियत है क्यों की नुह अलेहिस्सलाम की कश्ती जूदी पहाड़ पर मुहर्रम की १० तारीख को ही आकर रुकी थी |

हिन्दुस्तान में हलीम

हिन्दुस्तान में हलीम की शुरुआत शैख़ नवाब जंग बहादुर के वक़्त से मानी जाती है यमन के सफ़र के दौरान उन्होंने वह हलिम का जायका चखा और उन्हें इतना पसंद आया की वह की वहा से नवाब हलिम बनाने वाले कारीगरों को ले आये \ और तब से हिन्दुअतान में हलिम की शुरुआत हुई तो आज हर गली मोहल्लो की शान और सबसे ज्यादा पसन्द किया जाने वाला पकवान बन चूका है |

और अब तो ये आलम है की हलिम की पार्टियाँ होती है | रोज़ा इफ्तार के लिए में भी कई जगह अहम् डिश होती है | और कई मुज्स्लिम बाहुल्य इलाको में ये कारोबार का दर्ज़ा भी लग चूका है |

अलग अलग जगह ये अलग अलग नमो से जाना जाता है इरान में इस को “हरीसा” कहते हे तो हिन्दुस्तान ,पाकिस्तान में इसको हलीम कहते हे और हमारे यहाँ इस को “खिचड़ा” भी कहते हे

 

श्रीजी ने किया पैलेस कैलेण्डर का विमोचन

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उदयपुर, 15 दिसंबर। महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर के अध्यक्ष एवं प्रबंध न्यासी श्रीजी अरविन्द सिंह मेवाड़ ने गुरूवार को महाराणा मेवाड़ हिस्टोरिकल पब्लिकेशन ट्रस्ट द्वारा पैलेस ऑर्गेनाइजेशन के लिए प्रकाशित नए वर्ष कैलेण्डर 2012 का विमोचन किया।

 

ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित वर्ष 2012 के कैलेण्डर में मेवाड़ वंश के ऐतिहासिक अस्त्र-शस्त्र ·के चित्र प्रकाशित किए गए हैं। कुल एक से पन्द्रह अंक तक दिए गए चित्रों में 1 अंक पर ढाल, 2 पर तलवार खांडा, 3 पर तलवार (खांडा-सुलेमानशाही दस्ता ·टार तमंचा), 4 पर तोड़ादार बंदू·, 5 पर गुर्ज, 6 पर सुरक्षा ·वच-खपाटा (चार आईना), 7 पर गदा, 8 पर तोड़ादार बंदू·, 9 पर फरसी चोंच (तबर-जगनोल), 10 पर चोंच-जगनोल, 11 पर दस्ता-दराज (तबलमय तमंचा), 12 पर तीर-कमान, 13 पर सज्जन कटार (दस्ता दराज), 14 पर एक· म्यान दो तलवार, 15 पर कटार (जामघर-टाईगर नाइफ) प्रकाशित किए गए हैं। कैलेण्डर में 12 मास के त्यौहार तिथि के अतिरिक्त पंडित नरेन्द्र मिश्र कि ओजस्वी कविताएं प्रकाशित हैं। कैलेण्डर के अंतिम दो पृष्ठों में मेवाड़ वंश के ऐतिहासिक अस्त्र-शस्त्र पर आलेख के साथ ही अन्य प्रमुख हथियार जैसे कि जांबिया, खंजर, तलवार, पट्टा, मर्दाना, भाला, पिस्तौल एवं तोप के सचित्र विवरण दिए गए हैं। कैलेण्डर विमोचन के दौरान महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर के पदाधिकारी उपस्थित थे। कैलेण्डर का चित्रण नारायण एस. महर्षि ने किया है।

 

बिच रोड पर बना दिया मुर्गा

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रिपोर्ट- नेहा राज,

अगर लड़की हिम्मत और दबंगई से  काम ले तो किसी लड़के की क्या मजाल के कोई लड़की तरफ आंख उठा के भी देख सके और सड़क पर या मोबाईल फोन पर परेशान करने वालों को ऐसा सबक सिखाया जा सकता हे की वे सारी उम्र किसी को छेड़ने की हिम्मत नहीं कर सके |

ऐसा  कुछ मन में करने की ठानी कोटा की एक कोलेज छात्रा ने और उसको परेशान करने वाले युवक को अपनी अन्य सहेलियों के साथ मिलकर न सिर्फ उसको तमाचे जड़े बल्कि बिच सड़क पर मुर्गा बना डाला

कोटा की एक छात्रा को महावीर नगर विस्तार योजना निवासी युवक काफी दिनों से परेशान कर रहा था छात्रा के समझाने के बावजूद भी वो नहीं माना और मोबाईल फोन पर एस एम् एस भेज कर और कॉल कर के परेशान करता रहा छात्रा ने तंग आकर उस मनचले युवक को सबक सिखाने की ठानी और उसने यह बात जे.डी.बी. कोलेज की छात्र संघ अध्यक्ष मोनिका सिह और नीतू तवर को बताई और उस युवक को एस एम्.एस भेज कर चम्बल गार्डन रोड पर एक जुस की दुकान पर आने को बोला | छात्राए वह पहुची तो युवक इंतजार कर रहा था छात्राओं ने जा कर उसको घेर लिया और खूब खरी खरी सुनाई | उसके साथ आये साथी छात्राओं का इस तरह हमला देख कर भाग छुटे | सभी छात्राओं ने बारी बारी उसको चांटे जड़े और मैन रोड के बिच ला कर मुर्गा बना दिया सड़क के दोनों तरफ रोड जाम होगया लोग जमा होगये और लड़कियों के होसले की दाद देने लगे छात्राओं ने लड़के को हिदायत दे कर छोड़ दिया और वो रोमियो वहा से रोता हुआ चला गया

फेसबुक की नई सेवा शुरू, खुदकुशी रुकवाएगा

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सोशल नेवटर्किंग वेबसाइट फेसबुक ने लोगों को आत्महत्या से बचाने के लिए एक नया प्रयास किया है। फेसबुक ने अपनी साइट पर ऐसा एप्लीकेशन लांच किया है जिसके जरिए लोग काउंसलर से ऑनलाइन चैट कर मदद ले सकेंगे।

ऐसे कई मामले आए हैं जिनमें आत्महत्या करने वाले ने जान देने से पहले अपने विचार फेसबुक पर शेयर किए। अपनी नई व्यवस्था के तहत फेसबुक ऐसे विचार पोस्ट करने वाले लोगों को काउंसलर की सेवाएं उपलब्ध करवाएगा ताकि वो चैट के जरिए अपनी परेशानी साझा कर सकें और उनकी जान बच सके। फेसबुक के प्रवक्ता फ्रेडरिक वोलन्स का कहना है कि अब हर कंटेट संबंधी रिपोर्ट के साथ एक विकल्प दिया जा रहा है जिस पर क्लिक करते ही कंपनी को यह पता चलेगा कि सामग्री लिखने वाला आत्महत्या के विचार रखता है।

फेसबुक के अनुसार किसी के आत्महत्या संबंधी विचार रखने की जानकारी मिलने पर ऐसे व्यक्तियों को एक लिंक भेजे जाएगा जिसके जरिए पोस्ट आत्महत्या के बारे में विचार कर रहा व्यक्ति निजी तौर पर काउंसलर से बात कर पाएगा। इस नई व्यवस्था के ज़रिए उन लोगों को मदद मिल सकेगी जो परेशानी में हैं और सीधे काउंसलर को फोन करने में भी डरते हैं। फेसबुक प्रवक्ता के मुताबिक वेबसाइट इस व्यवस्था को लागू करने के लिए लंबे समय से काम कर रहा था।

जब कोई व्यक्ति अपने किसी फेसबुक मित्र के व्यवहार के बारे में फेसबुक को जानकारी देगा तो उस व्यक्ति को भी व्यक्ति को भी संदेश भेजा जाएगा कि समस्या को सुलझाने की दिशा में क्या क़दम उठाए गए हैं। फेसबुक से दुनियाभर में करोड़ों लोग जुड़े हैं और ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब आत्महत्या करने वाले व्यक्ति ने अपनी मौत से फेसबुक पर इस संबंध में विचार व्यक्त किए थे।

हालांकि आत्महत्या के व्यवहार पर रिपोर्ट करने के बाद दी जाने वाली सुविधाएं फिलहाल सिर्फ अमरीका और कनाडा में ही उपलब्ध होंगी। अमरीका में हर दिन 100 लोग आत्महत्या करते हैं। एक सर्वे के मुताबिक 18 वर्ष से अधिक की उम्र के करीब 80 लाख अमरीकियों ने पिछले साल आत्महत्या के बारे में सोचा ज़रुर था।

भटक गई ट्रेन

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सड़क पर वाहन चलाने वालों का रास्ता भटकना तो आम है. लेकिन क्या आपने कभी किसी ट्रेन को राह भटकते देखा-सुना है? यह अजीबोगरीब वाकया यहां पूर्व रेलवे के हावड़ा से धनबाद के बीच चलने वाली कोलफील्ड एक्सप्रेस के साथ हुआ. 

इस ट्रेन को जाना तो था धनबाद. लेकिन केबिनमैन ने गलती से इसे शांतिनिकेतन (बोलपुर) जाने वाली पटरी पर आगे बढ़ा दिया. कुछ दूर जाने के बाद जब ड्राइवर और ट्रेन के यात्रियों को राह से भटकने का पता चला तो अफरातफरी मच गई. नतीजतन उस सेक्शन में तीन घंटे से ज्यादा समय तक ट्रेनों की आवाजाही गड़बड़ रही. ट्रेन के इस तरह राह भटकने से कोई बड़ा हादसा भी हो सकता था. वह सामने से आ रही किसी ट्रेन से टकरा सकती थी.

 ‘तार नहीं दिखी तो पता चला….’

सोमवार की शाम यह ट्रेन हावड़ा से रवाना होकर बर्दवान तक तो ठीक राह पर ही गई थी. उसके बाद वाले स्टेशन खाना जंक्शन से धनबाद और शांतिनिकेतन की पटरियां अलग हो जाती हैं. लेकिन केबिनमैन ने इस ट्रेन को धनबाद की बजाय शांतिनिकेतन की ओर बढ़ा दिया. लगभग पांच किलोमीटर जाने के बाद जब ड्राइवर ने देखा कि आगे तो बिजली के ओवरहेड तार हैं ही नहीं, तब उसे इस गलती का पता चला. हावड़ा-धनबाद रूट में हर ट्रेन में बिजली वाला इंजन लगा होता है. लेकिन शांतिनिकेतन वाले रूट में ऐसा नहीं है. इस गलती का पता चलने पर ड्राइवर ने नजदीकी स्टेशन को सूचित किया. लगभग दो घंटे ट्रेन वहां खड़ी रही. उसके बाद बर्दवान से एक इंजन भेजकर ट्रेन को पीछे की ओर से खींच कर उसके असली रूट तक लाया गया. इस गड़बड़ी की वजह से धनबाद या उससे आगे जाने वाली ट्रेनें तीन-तीन घंटे तक विभिन्न स्टेशनों पर खड़ी रहीं.

 रूट बाधित

उस ट्रेन में ज्यादातर वही लोग होते हैं जो धनबाद और कोलकाता के बीच नौकरी या व्यापार के सिलसिले में रोजाना आवाजाही करते हैं. ट्रेन में सवार एक यात्री रामेश्वर सिंह कहते हैं, ‘खाना जंक्शन से आगे जाने के बाद ट्रेन अचानक दो स्टेशनों के बीच खड़ी हो गई. अंधेरा होने की वजह से पहले तो कुछ समझ में नहीं आया. लेकिन बाद में पता चला कि हमारी ट्रेन ही रास्ता भटक गई है.’

एक अन्य यात्री विश्वनाथ मंडल कहते हैं, ‘रेलवे की इस गलती से बड़ा हादसा हो सकता था. हमारी ट्रेन गलत पटरी पर होने की वजह से सामने से आने वाली किसी ट्रेन से टकरा सकती थी. लेकिन भगवान का शुक्र है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ.’

पूर्व रेलवे ने इस मामले की विभागीय जांच के आदेश दे दिए हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, ट्रेन के नाम के बारे में सही सूचना नहीं मिलने की वजह से शायद केबिनमैन ने उसे गलत पटरी पर डाल दिया.

 टल गया हादसा

रेलवे सूत्रों का कहना है कि इसमें ट्रेन के ड्राइवर की कोई गलती नहीं है. वह तो हरा सिगनल मिलने के बाद ट्रेन को पूरी रफ्तार से भगाने में लगा होगा. तलित स्टेशन से सौ मीटर बाद इस गलती का पता चला.

रेलवे के अधिकारियों की दलील है कि रेलवे के इतिहास में ऐसी गलती बहुत कम हुई है. कम से कम पूर्व रेलवे में तो पहली बार ऐसा हुआ है. वह मानते हैं कि इस गलती की वजह से कोई बड़ा हादसा हो सकता था.

इसके अलावा ट्रेन के इंजन पर लगा पैंटोग्राफ, जिससे ओवरहेड तारों से बिजली मिलती है, कहीं फंस कर टूट सकता था.

पूर्व रेलवे के एक अधिकारी ने कहा कि अब जांच से पता चलेगा कि यह कोई मानवीय गलती थी या फिर तकनीकी कारणों से पटरी बदल गई.

बाप चीखता रहा , गुंडे बेटी को उठा के ले गए

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राणा प्रतापनगर रेलवे स्टेशन पर हथियारबंद युवकों ने हजारों की भीड़ में युवती को जबरन उठाया।

 उदयपुर। राणा प्रतापनगर रेलवे स्टेशन पर सोमवार रात को हथियारबंद युवकों ने रिटायर्ड फौजी व उसके परिवार पर जानलेवा हमला कर बेटी को जबरन अगवा कर ले गए। इससे पहले युवती के चिल्लाने पर जब उसके पिता और परिजनों ने विरोध किया तो बदमाशों ने उस पर जान लेवा हमलाकर जख्मी कर दिया।

पुलिस ने बताया कि मनवाखेड़ा में करणीनगर निवासी सुरेंद्र सिंह चौहान की बेटी सृष्टि का अपहरण किया गया है। सृष्टि यहां सेक्टर 4 स्थित गुरुनानक गल्र्स कॉलेज में बीबीएम प्रथम वर्ष की छात्रा है। इस संबंध में धोलीबावड़ी निवासी वसीम पुत्र नोसा खान, इसके भाई इमरान, फिरोज सहित 15 लोगों के खिलाफ हथियार से लैस होकर हमला कर अपहरण करने का केस दर्ज कराया है।

बताया गया कि सुरेंद्र सिंह इनकी पत्नी गिरजा देवी, तीन बेटियां शालिनी, चित्रा और सृष्टि अजमेर से उदयपुर आ रहे थे। सुरेंद्र सिंह का परिचित कैलाश जैन उन्हें कार लेकर रेलवे स्टेशन लेने पहुंचा।

जैसे ही सुरेंद्र सिंह परिवार सहित स्टेशन पर उतरे, वसीम और उसके साथी सृष्टि को जबरन ले जाने लगे। सुरेंद्र और उसकी पत्नी ने इन लोगों का विरोध किया तो बदमाशों ने सृष्टि की गरदन पर तलवार रख दी। उसके साथियों ने सृष्टि के माता=पिता और बहनों पर हमला कर दिया जिससे वे जख्मी हो गए।

इस दौरान कार में लेने आए कैलाश ने भी बीच बचाव का प्रयास किया तो इन पर भी हमला कर दिया। इसके बाद ये बदमाश सृष्टि का अपहरण कर कार में डाल कर फरार हो गए।

खून के आंसूं

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लखनऊ। खून के आंसू रोना मुहावरा तो आपने सुना ही होगा। लेकिन एक लडकी के साथ तो ऎसा हकीकत में हो रहा है। जब वह रोती है तो उसकी आंखों से आंसूओं की जगह खून निकलता है। लखनऊ में रहने वाली टि्वंकल इस बीमारी से काफी परेशान हैं। चिकित्सक भी इस पहेली को सुलझाने में असमर्थ सिद्ध हो रहे हैं। इस कारण अब वह स्कूल भी नहीं जा पा रही है। टि्वंकल जब भी रोती है तो उसकी आंखों से आंसू के बदले खून निकलता है। बिना चोट या खरोंच लगे ही उसके हाथ, नाक, गर्दन से रक्तस्त्राव होता है। टि्वंकल को उसकी बीमारी की वजह से स्कूल से भी निकाल दिया गया है।

हैरतअंगेज स्टंट

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उदयपुर, 13 दिसंबर। जयपुर के जांबाजों ने मोटरसाइकिल पर अपने हैरतअंगेज स्टंटों से शहरवासियों को दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर कर दिया।

प्रसिद्ध कार्यक्रम ‘‘स्टंटमेनिया’’ में जलवा बिखेर चुके सौरभ एंड ग्रुप ने मंगलवार को पैसिफिक हिल परिसर में रोमांचकारी मोटरसाइकिल करतबों से उपस्थित छात्र-छात्राओं को हैरत में डाल दिया। सौरभ जैन के नेतृत्व में रिहेन भारद्वाज, दिग्विजयसिंह नाथावत, अजमत खान, शाहिडी पठान तथा पुष्पेन्द्रसिंह शेखावत ने होंडा कि विभिन्न मोटरसाइकिलों पर स्टोपीज, सर्लक विली, डोनट्स तथा बर्न आउट आदि स्टंट दिखाए। पैसिफिक विश्वविद्यालय के सचिव राहुल अग्रवाल तथा समर्थ होंडा के निदेशक आशिष अग्रवाल ने स्टंटमेनों के पीछे बैठकर बाईक सवारी का लुत्फ उठाया। इससे पूर्व आयोजित क्विज प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरसकृत किया।

कल स्टंट गीतांजलि इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल स्टडीज में

बुधवार को ये सभी जांबाज स्टंटमेन पैसिफिक डेंटल कोलेज तथा गीतांजलि इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल स्टडीज में अपना प्रदर्शन करेंगे। पैसिफिक विश्वविद्यालय के छात्रों तथा स्टॉफ सदस्यों के लिए समर्थ होंडा द्वारा विशेष स्कीम ऑफर कि पेशकश गई है जिसके तहत आकर्षक नकद छूट तथा एमपी 3 प्लेयर प्रत्येक गाड़ी के साथ दिया जाएगा। यह योजना 25 दिसंबर तक चालू रहेगी।