जादूगर तीसरी बार बना राजस्थान का मुख्यमंत्री।

ashok gahlot

राजस्थान में कांग्रेस(Congress) ने अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) को मुख्यमंत्री (CM of Rajasthan) बनाने का फैसला लिया है. यह जानकारी कांग्रेस ने पार्टी मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस के जरिए दी. अशोक गहलोत, राजस्थान में कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाते हैं. तीन मई 1951 को राजस्थान के जोधपुर में मशहूर जादूगर लक्ष्मण सिंह गहलोत के घर जन्मे अशोक पिछले चार दशक के करियर में कई मौकों पर राजनीतिक ‘जादू’ दिखाते रहे हैं. विज्ञान और कानून से ग्रेजुएशन के बाद अर्थशास्त्र से एमए की पढ़ाई करने वाले अशोक गहलोत की गिनती लो-प्रोफाइल नेताओं में होती है. तड़क-भड़क से दूर मगर राजनीतिक समर्थकों की फौज से हमेशा घिरे रहने वाले 67 वर्षीय अशोक गहलोत के बारे में कहा जाता है कि वह 24 घंटे अपने कार्यकर्ताओं के लिए उपलब्ध रहते हैं. फोन से भी उन तक पहुंचना आसान है. सादगी पसंद भी हैं. करीबी बताते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान अपनी गाड़ी में पारले-जी बिस्कुट रखते हैं तो कहीं भी सड़क पर उतरकर चाय-पानी करने के बहाने जनता की नब्ज भांपने की कला का बखूबी इस्तेमाल करने में माहिर हैं.

 

 

27 नवंबर 1977 को सुनीता गहलोत से शादी रचाने के बाद गहलोत की दो संतान है. बेटे का नाम वैभव तो बेटी का नाम सोनिया है. अशोक गहलोत कांग्रेस के ऐसे नेता हैं, जो कांग्रेस की कई पीढ़ियों की सियासत के गवाह रहे हैं. उन्हें तीन-तीन प्रधानमंत्रियों के मंत्रिमंडल में काम करने का मौका मिल चुका है. इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में शामिल रहे.नेहरू परिवार और राहुल गांधी के भरोसेमंद नेताओं में शुमार अशोक गहलोत छात्र राजनीति से इस मुकाम तक पहुंचे हैं. कभी एनएसयूआई से राजनीति शुरू करने वाले अशोक गहलोत बाद में यूथ कांग्रेस और सेवा दल से होते हुए कांग्रेस की मुख्य धारा में पहुंचे. राजस्थान में महज 34 साल की उम्र में ही प्रदेश अध्यक्ष होने का भी तमगा उनके पास है.

अशोक गहलोत के बारे में और जानिए
अशोक गहलोत इस वक्त करीब 67 साल के हैं. जोधपुर में तीन मई 1951 को जन्म हुआ. पिता लक्ष्मण सिंह गहलोत जोधपुर के मशहूर जादूगर थे. तीसरी बार वह राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने जा रहे. 40 वर्षों से भी ज्यादा समय से राजनीति में सक्रिय हैं. 2004-2008 तक कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रहे. 2003 में अपनी सीट से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी उन्हें विपक्ष में बैठना पड़ा था, क्योंकि वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बन गई थी.पहली बार 1 दिसंबर 1998 को मुख्यमंत्री बने. उस वक्त विधायक नहीं थे तो सीट खाली हुई और फिर सरदारपुर से उपचुनाव जीतकर विधायक बने. वह पहली बार आठ दिसंबर 2003 तक मुख्यमंत्री रहे. वसुंधरा राजे की बीजेपी सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद फिर 2008 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने जीता तो दोबारा मुख्यमंत्री बने. इस बार 13 दिसंबर 2013 तक मुख्यमंत्री रहे. कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के कुछ महीने बाद इस साल अप्रैल में राहुल गांधी ने जब अपनी टीम बनाई तो उन्हें महासचिव बनाया.

जीत चुके हैं कई बार लोकसभा चुनाव
अशोक गहलोत राजस्थान में कांग्रेस के संगठन पर मजबूत पकड़ रखते हैं. कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई से यूथ कांग्रेस और सेवा दल से होकर कांग्रेस की मुख्यधारा की राजनीति करते हुए गहलौत राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे. राजस्थान के पुराने खिलाड़ी माने जाते हैं.गहलौत ने पहली बार 1980 में जोधपुर से लोकसभा चुनाव जीता. फिर वह 1984, 1991, 1996 और 1998 में चुनाव जीतकर सांसद बने. 1999 में सरदारपुरा जोधपुर से विधानसभा का उपचुनाव जीते. फिर वह 2003 में भी विधानसभा चुनाव जीते. मगर वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनने पर गहलोत को विपक्ष में बैठना पड़ा.

अचल संपत्ति
राजस्थान की सरदारपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के दौरान दायर हलफनामे के मुताबिक अशोक गहलोत के पास छह करोड़ 44 लाख रुपये की चल-अचल संपत्ति है. वहीं पत्नी के पास 11.85 लाख के गहने हैं. जबकि 2013 में उनके पास 2.3 करोड़ की चल-अचल संपत्ति थी

वार्डों के वोटों की जानकारी प्रकाशित करना कितना सही कितना गलत – क्या कहते है उदयपुर वाले।

0

उदयपुर। आज अखबारों में इस बात का खुलासा एक खबर से हुआ कि ७ तारीख को हुए शहरी विधानसभा चुनाव में शहर के कोनसे मतदान केंद्र से कोनसे वार्ड से किस प्रत्याशी को कितने वोट मिले। यह खबर हर जगह उस विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से अखबार में छपी होगी। क्या यह जानकारी चुनाव आयोग को पब्लिक करवानी चाहिए ? क्या यह सही प्रक्रिया है कि गुप्त मतदान करवा कर बाद में उसको जारी करवा दिया जाए की कहाँ से किसको कितने वोट मिले। इस प्रक्रिया से चुनाव जीतने वाले विधायक को यह पता चल जाता है की किस क्षेत्र से उसको किसने ज्यादा वोट किये और किसने कम वोट किये ऐसे में पांच साल तक उसका रवैया उस क्षेत्र के प्रति पक्षपात पूर्ण रहता जहाँ से उसको वोट नहीं मिले।
उदयपुर पोस्ट ने जब यह सवाल लोगों से किया तो ९५ प्रतिशत लोगों का मानना है की यह जानकारी जारी नहीं करनी चाहिए।
अक्सर जन प्रतिनिधियों को यह कहते हुए सूना गया है जनसभाओं में और कार्यकर्ताओं के बिच की फलां जगह से हमको वोट नहीं मिले तो उस क्षेत्र के बारे में क्यों सोचा जाए।
शहर में ऐसे कई क्षेत्र है जहाँ पर चुनाव जीतने वाले प्रत्याशी गुलाबचंद कटारिया को बहुत कम वोट मिले ऐसे में क्या उनका रवैया पक्षःपात पूर्ण नहीं हो सकता।
उदयपुर पोस्ट को कई लोगों ने यह भी बताया कि सवीना क्षेत्र में लगने वाली डिस्पेंसरी इसलिए वहां से कही और शिफ्ट करवा दी की मौजूदा विधायक का कहना था कि तुम्हारे क्षेत्र से हमको वोट ही कितने मिले है कि हम कुछ सोचे। ऐसे में चुनाव आयोग द्वारा यह बताना की कहाँ से कितने वोट किस प्रत्याशी को कितने मिले है सही दिशा में रखा हुआ कदम नहीं है। उदयपुर पोस्ट के एक पाठक ए आर खान कहते है की जब बैलेट पेपर से चुनाव होते थे तब अलग अलग पेटियों से १०- १० की गड्डी बना कर मिक्स की जाती थी जिससे यह जानकारी नहीं मिलती की कहाँ से कितने वोट मिले है लेकिन जब से ईवीएम मशीने आयी है तब से यह बात अगले दिन सामने ाजारती है की किस प्रत्याशी को शहर के किस क्षेत्र से कितने वोट मिले और कितने नहीं मिले।

देखिये विडियो 

उदयपुर शहर में इतने प्रतिशत लोग नहीं मानते किसी को काबिल – नोटा का सोंटा जानिये

उदयपुर। विधानसभा चुनाव हो गए परिणाम भी आगये, राज्य में कांग्रेस सत्ता में आगई और उदयपुर शहर विधानसभा से भाजपा के गुलाबचंद कटारिया जीत गए। शहर में १.२५ प्रतिशत ऐसे भी लोग है जिन्हें कोई भी प्रत्याशी पसंद नहीं। जिन्होंने नोटा का उपयोग किया और अपनी असहमति ज़ाहिर की।
जब से एवीएम मशीन में नोटा का बटन आया है लोग इसका उपयोग करने लग गए है। उदयपुर शहर विधान सभा क्षेत्र में करीब १.२५ प्रतिशत लोगों ने नोटा का उपयोग किया।  शहरी विशंसभा में 20५२ लोगों ने इस बटन का उपयोग किया और खड़े हुए किसी भी प्रत्याशी को शहर के विकास के काबिल नहीं समझा। चुनाव आयोग की आधिकारिक जानकारी के अनुसार उदयपुर शहर में १५९०७७ लोगों ने अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग किया। इसमे अगर भाजपा और कांग्रेस के वोट प्रतिशत की बात करें तो ४७ प्रतिशत वोट शेयर भाजपा के गुलाबचंद कटारिया के खाते में गया और कांग्रेस की गिरिजा व्यास के खाते में ४१ प्रतिशत वोट शेयर रहा। निर्दलीय प्रवीन रतालिया और दलपत सुराना जिन्होंने कटारिया का विरोध करते हुए शहर भर काफी प्रचार किया था वह अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए जनता सेना के दलपत सुराना २.३५ प्रतिशत और प्रवीन रतालिया को ६.८४ प्रतिशत वोट शेयर ही मिला। बाकी के सात प्रत्याशी जो कि आमआदमी पार्टी, शिवसेना और निर्दलीय से खड़े हुए है थे वे एक प्रतिशत का वोट शेयर भी प्राप्त नहीं कर सके।
गुलाबचंद कटारिया के नुकसान की बात करें तो आंबेडकर मंडल जिसके अतुल चंदालिया अध्यक्ष है वहां से भाजपा नुकसान में रही लेकिन हिरन मगरी के सेक्टर में जैन वोटों में सबसे अधिक फायदे में रही और यहीं से कटारिया ने काफी अच्छी बढ़त बना ली। हालाँकि अंदरूनी शहर के भी कई वार्ड ऐसे रहे जहाँ कटारिया को खूब वोट मिले।
चुनाव के बाद बुधवार को जहाँ एक तरफ भाजपा के नेता अपनी जीत का जशन मनाते रहे वही कांग्रेस के कार्यकर्ता और शहरी नेता को सत्ता में आने की ख़ुशी तो थी लेकिन शहर में हार जाने का गम और दिन भर यही जोड़ तोड़ करते रहे की आखिर कहाँ गलती हुई और कहाँ पर कमज़ोर रहे।

राजस्थान में कौन होगा मुख्यमंत्री: आलाकमान के हाथों में फैसला, बैठक में लगे सचिन-सचिन के नारे

0

राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद अब सवाल यह उठने लगा कि वहां मुख्यमंत्री किसे बनाया जाएगा. राजस्थान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत दोनों ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे हैं. हालांकि, पायलट और गहलोत दोनों ने ही इस पर फैसला लेने के लिए पार्टी आलाकमान पर छोड़ दिया है. बुधवार को हुई विधायक दलों की बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि ‘मुख्यमंत्री कौन होगा?’ इस पर आलाकमान ही फैसला लेगा. बताया जा रहा है कि आलाकमान के हाथों में फैसला देने का प्रस्ताव अशोक गहलोत ने दिया और इसका अनुमोदन सचिन पायलट ने किया. सूत्रों की मानें तो दो तिहाई विधायक सचिन के साथ हैं और बैठक में सचिन-सचिन के नारे भी लगे हैं.

https://youtu.be/k9Mt4bxDb5w

बता दें, मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्रियों का चयन सुगमता से किया जाएगा. राहुल ने कहा, ‘हमने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा को हरा दिया है… मुख्यमंत्रियों (के चयन) को लेकर कोई मुद्दा नहीं होगा. यह सुगमता से किया जाएगा.” दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष से यह पूछा गया था कि हिन्दी पट्टी के इन तीन राज्यों में पार्टी के मुख्यमंत्री कौन-कौन होंगे, जिसके जवाब में राहुल ने यह बात कही.
बता दें, राजस्थान में पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख सचिन पायलट मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं. वहीं, छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के नेता टीएस सिंह देव, पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री चरणदास महंत, प्रदेश पार्टी प्रमुख भूपेश बघेल और ओबीसी नेता ताम्रध्वज साहू इस शीर्ष पद के लिए संभावित उम्मीदवार बताए जा रहे हैं. मध्यप्रदेश में प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ और पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं.
राहुल ने यह भी कहा कि पार्टी ने चुनावों से पहले विभिन्न राज्यों में पार्टी के अंदर नेताओं के बीच तनाव को प्रभावी तरीके से दूर किया. उन्होंने कहा कि सभी नेताओं ने एकजुट होकर काम किया, जिसने पार्टी को हिन्दी पट्टी के तीन राज्यों में विजेता बनकर उभरने में मदद की. उन्होंने कहा, ‘‘यह जीत कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं, किसानों, युवाओं और छोटे कारोबारियों की जीत है. अब कांग्रेस पार्टी पर बड़ी जिम्मेदारी है.”
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है, वहीं राजस्थान में 99 और मध्य प्रदेश में 114 सीटें मिली हैं. बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने बुधवार को कहा कि वह मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस को समर्थन देने के लिए तैयार हैं. राजस्थान में कौन बनेगा मुख्यमंत्री?

सलुम्बर और उदयपुर ग्रामीण की जनता ने ख़त्म किया वंशवाद – नहीं जिताया विवेक कटारा और रघुवीर मीणा को .

उदयपुर। उदयपुर जिले की जनता ने वंशवाद को नकार दिया और इसका सबुत दिया सलुम्बर से कांग्रेस के रघुवीर मीना को और उदयपुर ग्रामीण से विवेक कटारा को हार का मूंह दिखा कर।
कांग्रेस को वंशवाद में कैद रहने की नियति ने सलुम्बर और उदयपुर ग्रामीण जैसी सीटें गंवानी पड़ी। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस की जीत टी मानी जा रही थी। एक्जिट पोल भी कांग्रेस के पक्ष में ही थे लेकिन जनता ने इसको नकार दिया। सलुम्बर से रघुवीर मीना के सामने भाजपा के अमृत मीना खड़े थे लेकिन उनके रास्ते का काँटा बनी हुई थी रेशमा मीना रेशमा मीना खुद कांग्रेस की दावेदार थी लेकिन कांग्रेस ने रेशमा को टिकिट ना देकर रघुवीर मीणा को टिकिट दिया इधर अपनी जीत सुनिश्चित मान चुके रघुवीर मीना ने रेशमा को कम आंका जब की रेशमा जनता में अपनी पकड़ मजबूत करती जा रही थी। इब तक रघुवीर मीना को अहसास होता तब तक काफी देर हो चुकी थी आखिरी दिनों में रघुवीर मीना के विशेष आग्रह पर राहुल गांधी की सभा भी करवाई गयी लेकिन फिर भी जीत नहीं दिलवा पाए। रघुवीर मीणा सलुम्बर से विधायक रह चुके है फिर सांसद भी रहे जब सांसद रहे तो उन्होंने टिकिट अपनी पत्नी बसंती देवी को दिलवा दिया। अब एक बार फिर वे ही टिकिट लेकर आगये और वंश वाद को जनता ने समाप्त किया।
इसी वंश वाद का उदाहरण है विवेक कटारा। विवेक कतरा खेमराज कटारा और सज्जन कतरा के पुत्र है। पहले खेमराज कटारा विधायक रहे उनकी म्रत्यु के बाद उनकी माँ सज्जन कटारा विधायक रही। उनकी पत्नी भी प्रधान है और अब ग्रामीण का टिकिट विवेक कटारा लेकर आगये। जनता में इतने लम्बे वंश वाद का मेसेज सही नहीं गया और विवेक कटारा को भाजपा के फूल सिंह मीना ने १८७०७ वोटों से हराया।

सत्ता की चाबी अब मेवाड़ के पास नहीं रही – 28 सीटों में से सत्ता पाने वाली कांग्रेस के पास 10 सीटें।

0

उदयपुर. विधानसभा चुनाव में अब तक राजस्थान की सरकार में अहम भूमिका निभाने वाले मेवाड़ की चाबी उसके पास नहीं रही। उदयपुर संभाग की 28 सीटों में से कांग्रेस के पास सिर्फ 10 सीटें है जबकि भाजपा के खाते में 15 सीटें 2 सीटें बीटीपी और 1 सीट निर्दलीय के खाते में गयी है।
उदयपुर जिले की 8 साटों में से 6 भाजपा की झोली में गई। इनमें से उदयपुर शहर व ग्रामीण कांग्रेस की पक्की सीट मानी जा रही थी लेकिन दोनों ही सीटों पर कटारिया का दांव चला और वह भाजपा की झोली में चली गई। इसके अलावा अप्रत्याशित रूप से गोगुंदा सीट पर प्रताप भील दोबारा विधायक चुने गए। सलूंबर सीट पर बागी रेशमा मीणा का दांव कांग्रेस पर भारी पड़ा और ये सीट बीजेपी के खाते में आई। मावली से धर्मनारायण जोशी में बाहरी प्रत्याशी का दाग धोते हुए सर्वाधिक मतों से जीत हासिल कर यहां कमल खिलाया। झाड़ोल में पिछले चुनाव में हार का मुंह देखने वाले बाबूलाल खराड़ी ने कांग्रेस प्रत्याशी सुनील भजात को सीधी टक्कर देते हुए भारी मतों से हराया। उदयपुर से सिर्फ वल्लभनगर से गजेंद्रसिंह व खेरवाड़ा से पूर्व मंत्री दयाराम परमार सीट को बचाने में कामयाब रहे।

इसने इसको हराया
भाजपा को 6 सीटों पर मिली जीत
उदयपुर शहर- भाजपा गुलाबचंद कटारिया जीते, कांग्रेस डॉ. गिरिजा व्यास हारे
उदयपुर ग्रामीण- भाजपा फूलसिंह मीणा जीते, कांग्रेस विवेक कटारा हारे
गोगुंदा- भाजपा प्रताप भील जीते, कांग्रेस मांगीलाल गरासिया हारे
झाड़ोल- भाजपा बाबूलाल खराड़ी जीते, कांग्रेस सुनील भजात
मावली- भाजपा धर्मनारायण जोशी जीते, कांग्रेस पुष्करलाल डांगी हारे
सलूम्बर- भाजपा अमृतलाल मीणा जीते, कांग्रेस रघुवीरसिंह मीणा हारे
कांग्रेस को मिली 2
वल्लभनगर- कांग्रेस गजेंद्रसिंह शक्तावत जीते, जनता सेना रणधीरसिंह भींडर हारे
खेरवाड़ा- कांग्रेस दयाराम परमार जीते, भाजपा नानालाल अहारी हारे

गुलाबचंद कटारिया ने रचा इतिहास, छठीं बार जीता विधानसभा चुनाव . उदयपुर जिले की 8 सीटों में से 6 भाजपा के खाते में .

उदयपुर. उदयपुर शहर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी और प्रदेश में भाजपा के दूसरे नंबर के कद्दावर नेता गुलाबचंद कटारिया ने 9307 हज़ार वोटों से जीत कर ली हैं। प्रतिद्वंदी कांग्रेस नेता गिरिजा व्यास और कटारिया के बीच करीब 9307 हजार वोट का अंतराल बन गया । इसी तरह वल्लभनगर सीट पर एक बार की बढ़त के बाद जनता सेना के रणधीरसिंह भीण्डर प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी गजेंद्रसिंह से लगभग 3 हजार वोट से पिछड़ गए हैं। उतार-चढ़ाव के दौर में दोनों ही राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं में धडकऩे दिन भर बढ़ती रही हैं। यहां कांग्रेस के दिग्गज पूर्व सांसद व सीडब्ल्यूसी के सदस्य रघुवीर सिंह मीणा की नाव भी करीब करीब डूब गयी। बागी निर्दलीय रेशमा मीणा ने उनके वोटों में सेंध लगाकर उन्हें मुश्किल में डाल दिया है और जीत भाजपा के अमृतमीना के नाम दर्ज हो गयी। अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के अमृत मीणा से रघुवीर करीब 9 हजार वोटों से पीछे चल रहे हैं। उदयपुर की गोगुंदा सीट पर कांग्रेस का पलड़ा भारी होने के बार भाजपा के प्रताप गमेती आखरी राउंड में आगे निकल गए एयर मांगीलाल गरासिया को हार का मुँह देखना पड़ा। मावली की बात करें तो मावली से भाजपा के धर्म नारायण जोशी ने कांग्रेस के पुष्कर दांगी को मात देदी और 21 हज़ार मतों से हरा दिया। झाड़ोल में भी भाजपा के बाबूलाल खराड़ी ने कांग्रेस के सुनील भजात को मात देदी।

अम्बानी की बेटी की शादी के जशन में शरीक हुए ज़माने भर के नामी गिरामी – सितारे जमा हुए उदयपुर में।

0

Udaipur. देश के सबसे बडे औद्योगिक घराने ’अम्बानी परिवार’ के मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अम्बानी की प्री-वेडिंग सेरेमनी में भाग लेने देश-विदेश के औद्योगिक घरानों सहित बॉलीवुड सितारों का शनिवार को लेकसिटी में जमावडा लग गया। शनिवार रात को पीछोला झील के किनारे होटल ओबेराय उदय विलास हुए  संगीत सेरेमनी श्रीनाथ जी की आरती के साथ शुरू हुई। इस शाही समारोह में भाग लेने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति की पत्नी हिलेरी क्लिंटन सहित बॉलीवुड सितारों में सलमान खान, आमिर खान, कैटरीना कैप, जैकलीन पर्नांडीज, वरूण धवन सहित क्रिकेट व उद्योग जगत की कई नामी हस्तियां यहां पहुंच चुकी है।

यहां पीछोला झील के किनारे होटल ओबेराय उदय विलास में सबसे पहले श्रीनाथजी की महाआरती की गई। इस दौरान श्रीनाथजी की प्रतिमा के आगे नीता अंबानी मधुराष्टक पर मुग्ध होकर खूब नाचीं। स्टेज पर आठ-आठ सितारवादक और तबला नवीस थे। शंख और झांझ भी बजे। महाआरती का शुभारंभ नाथद्वारा मंदिर प्रमुख विशाल बावा ने किया।

इसी बीच नीता ने कहा- लेट्स ज्वाइन टुगेदर फॉर महाआरती, आई वेलकम यू ऑल (आइए हम सब महाआरती के लिए शामिल हों, मैं आपका स्वागत करती हूं)। इसके साथ ही मेहमानों को दीपक वाली छोटी थालियां दी गईं। अंबानी परिवार और मेहमानों ने जय जगदीश हरे…के साथ श्रीनाथजी की आरती उतारी। इसी बीच अधरं मधुरम‌् वदनम‌् मधुरम‌्, मधुराधिपते अखिलम‌् मधुरम‌्…(मधुराष्टकम), कर्पूरगौरं करुणावतारम‌्…के स्वर भी गुंजायमान होते रहे।

प्रोजेक्टर से बदले ठाकुरजी के शृंगार

महाआरती और आयोजन को लेकर लगाई श्रीनाथजी की करीब 35 फीट ऊंची प्रतिमा सफेद थी, लेकिन इसका शृंगार वैसे ही बदलता रहा, जैसे नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर की नित्य झांकियों में होता है। इसके लिए बड़े-बड़े प्रोजेक्टर लगाए गए थे। इनके साथ लाइटिंग इफेक्ट्स भी थे, जिससे ठाकुरजी की प्रतिमा पर मंगला, शृंगार, भोग और शयन की झांकी में होने वाले शृंगार दिखते रहे।

 

प्री-वेडिंग सेलिब्रेशन का पहला दिन खास रहा

पहले ईशा ने मां नीता के साथ होटल के सुइट में फोटो शूट कराया। इसमें ईशा ने लाल लहंगा पहना। उसके बाद गोल्डन लहंगा पहनकर पार्टी में शामिल हुईं। शनिवार शाम को गाला डिनर के साथ संगीत समारोह हुआ। इसमें अरिजीत सिंह ने परफॉर्मेंस दी। इसके बाद वैभवी मर्चेंट की कोरियोग्राफी में मेहमानों और मेजबानों की परफॉर्मेंस हुई। मेजबान अंबानी परिवार और मेहमान पीरामल परिवार सदस्य बाहर से आए खास मेहमानों का गर्मजोशी के साथ स्वागत कर रहे थे। इस दौरान ईशा पीले सूट में और आनंद ब्लैक शेड की शेरवानी में खूब जच रहे थे।

 

बियोंस नोल्स की परफॉर्म आज

रविवार को प्री वेडिंग सेरेमनी का सबसे खास कार्यक्रम द पैलेस सॉयर होगा। यह शाम 7.30 बजे से सिटी पैलेस के माणक चौक में बनाए गए भव्य सेट पर होगा। सिटी पैलेस में थ्रीडी सिटी पैलेस भी बनाया जा रहा है। इसके अलावा कई बड़े-बड़े एलईडी पैनल्स लगाए गए हैं, जिस पर कुछ वीडियो चलेंगे। यहां पर ड्रेस कोड काली टाई या इंडियन फॉर्मल्स है। सूत्रों के अनुसार इस इवेंट का जिम्मा इजरायल की कंपनी को दिया गया है। दुनियाभर से आए कई कलाकार यहां पर प्रस्तुति देंगे। इनमें हॉलीवुड सिंगर बियोंसे नोल्स भी हैं। उनकी टीम शुक्रवार को ही उदयपुर पहुंच चुकी है।

 

आज मेहमानों के लिए कॉर्निवल, चैरिटी में जाएगा पैसा

होटल ट्राइडेंट लॉन्स में देश-दुनिया से आए खास मेहमानों के लिए ज्वैलरी, हैंडीक्राफ्ट, पोटरी, डिजाइनर आर्टिफिशियल की 108 स्टाल्स लगाई गई हैं।  मेहमान इस मेले का आनंद रविवार को ले सकेंगे। यह दोपहर 12 से शाम चार बजे तक चलेगा। इसका ड्रेस कोर्ड फेस्टिव और स्मार्ट कैजुअल है। ये पूरा प्रोग्राम रिलायंस की एक एनजीओ ने ऑर्गेनाइज किया है। इस मेले के लिए जो राशि एकत्रित होगी उसे चैरिटी में लगाया जाएगा।

 

उदयपुर में उतरे 150 चार्टर

ईशा अंबानी और आनंद पीरामल परिवार के प्री-वेडिंग समारोह में शामिल होने के लिए शनिवार सुबह 6 से रविवार सुबह 6 बजे तक 150 के करीब चार्टर प्लेन आए। हिलेरी क्लिंटन, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडनवीस, उद्योगपति लक्ष्मीनिवास मित्तल, कुमार मंगलम बिड़ला, अनिल अग्रवाल, सुनील भारती मित्तल, उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, सचिन तेंडुलकर, आमिर खान, सलमान खान, शाहरुख खान, कटरीना कैफ, करण जौहर, बच्चन परिवार, प्रियंका और निक जोनस सहित देश-दुनिया के शीर्ष कारोबारी उदयपुर पहुंचे हैं।

लोकतंत्र का महा उत्सव संम्पन्न – जनता ने सीधी उंगली का खूब किया इस्तमाल .

उदयपुर। लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव मतदान दिवस आज संम्पन हुआ। उदयपुर शहर विधानसभा क्षेत्र में लोगों ने उत्साह के साथ मतदान किया। मतदान को लेकर प्रशासन पूरी तरह मुस्तेद नज़र आया सुरक्षा व्यवस्था चाक चोबंद की गयी थी। युवा और महिलाओं ने पुरे उत्साह के साथ ज्यादा वोटिंग की। ईवीएम मशीनों में वीवी पेड़ लगाए जाने के कारण मतदान में समय कुछ ज्यादा लगा जिसकी वजह से कई केन्द्रों पर शाम पांच बजे बाद भी वोट डाले गए।
लोकतंत्र का उत्सव मतदान का दिन जहाँ एक तरफ राजनैतिक पार्टियों की किस्मत के फेसले का दिन था वहीँ आम मतदाता के लिए अपने हक का दिन रहा। उदयपुर शहरी विधानसभा क्षेत्र में सुबह आठ बजे से वोटिंग शुरू हो गयी थी। सुबह सर्दी के कारण ८ से ९ बजे के बिच एक घंटा  मतदान धीमा रहा और वोटिंग 2 से 4 प्रतिशत ही रही लेकिन 9 बजे के बाद महिलाओं और युवाओं की भीड़ मतदान केंद्र पर बढ़ने लगी १२ बजे तक लगभग शहरी विधान सभा क्षेत्र के अधिकतर बूथों पर लाइने लगी रही १२ बजे तक कई मतदान केन्द्रों पर 30 से अधिक मतदान हो चुका था। शहर के अंदरूनी इलाके जगदीश चोक, मुखर्जी चौक, रावजी का हाटा घंटाघर , धोली बावड़ी आदि जगह मतदाताओं में खासी उत्साह देखा गया। कई लोग अपने बूढ़े माँ बाप दादा दादी को सहारा देकर व्हील चेयर पर बैठा कर मतदान केंद्र तक लेकर आये। सुबह जल्दी एक तरफ जहाँ महिलाओं के तादाद केन्द्रों पर अधिक देखि गयी वहीं दिन में तीन बजे के बाद पुरुषों की संख्या ज्यादा देखि गयी। सभी प्रत्याशी दिन भर मतदान केन्द्रों पर चक्कर काटते रहे।
बूथों पर कार्यकर्ता जमे रहे देर शाम तक :
भाजपा कांग्रेस के कार्यकर्ता अपने अपने बूथों पर पूरी तरह मुस्तेद रहे। इस बार कांग्रेसी कार्यकर्ता कुछ ज्यादा मुस्तेद नज़र आये  यहाँ तक कि खेमपुरा हिरणमगरी जैसी जगह जहाँ भाजपा मजबूत स्थिति में मानी जा रही है वहां पर कांग्रेसी कार्यकर्ता सुबह छह बजे उठ कर आगये और अपने अपना बूथ संभाल लिया जब की भाजपा के कार्यकर्ता आठ बजे बाद आये। मतदान केंद्र से पार्टी के बूथ दूर होने की वजह से कही भी कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आई। जब तक की एवीएम मशीने सिल बंद हो कर रवाना नहीं हो गयी वहां तक कार्यकर्ताओं ने बूथ नहीं छोड़ा। कांग्रेस पार्टी को जहाँ से अपनी बढ़त की उम्मीद थी वहां गड़बड़ी ना हो इस आशंका पर उसने कार्यकर्ताओं की एक एसी टीम भी तय्यार रखी जो ईवीएम मशीनों को स्ट्रोंग रूम तक लेजाने तक पीछे पीछे चलती रही।
जनता सेना और निर्दलीय उम्मीदवार के बूथ भी शहर के 46 वार्डों में से अधिकतर जगह लगाए गए थे। हालाँकि उनके बूथों पर कार्यकर्ताओं की कमी नज़र आई।
धीमी वोटिंग के कारण रात आठ बजे तक चलता रहा मतदान :
इस बार एवीएम मशीनों के साथ वीवी पेड़ भी लगाए गए थे और इसी वजह से हर एक वोट डालने में 15 से 30 सेकण्ड का समय अधिक लगा इस वजह से अधिकतर मतदान केंद्र पर मतदान धीमा रहा। सेक्टर 4 में गुरुनानक स्कूल में मतदान प्रक्रिया इतनी धीमी थी कि एक केंद्र में तो २ बजे तक मात्र 28 प्रतिशत ही वोट डाले जा सके।  ऐसे ही हाल पुला में मुखर्जी चोक में भी रहे। शहर के कई मतदान केन्द्रों पर ८.३० ९ बजे तक एवीएम खराब होने की वजह से शुरू नहीं हो सकी बदले जाने के बाद ही शुरू की गयी। धीमे मतदान और एवीएम में खराबी के कारण कुछ जगह पर मतदान रात आठ बजे तक भी चलता रहा। पांच बजे तक जो मतदाता मतदान केंद्र के क्षेत्र में आगये थे वे मतदाता लाइन में खड़े रहे और उन्होंने पांच बजे के बाद भी अपने मत का प्रयोग किया।
सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता :
मतदान को लेकर पुलिस और प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह मुस्तेद रही। चुनाव आयोग ने स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण चुनाव के लिए सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये हैं। इसके लिए सिविल पुलिस के अलावा भारी संख्या में होमगार्ड और केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान भी तैनात किये गये थे। मुखार्जिचोक जगदीश चोक मगरी स्कूल आदि कई जहग सशश्त्र सुरक्षा बल मतदान केंद्र के बाहर ही मुस्तेद रहे। बिना वोटर स्लिप के किसी को आने नहीं दिया गया। विभिन्न स्कूलों के स्काउड छात्र भी मतदान केन्द्रों पर तैनात थे जिन्होंने मतदाताओं की हर सहायता की।  पुलिस और सुरक्षाबलों की मुस्तेदी के कारण शहर में कही से कोई अप्रिय समाचार नहीं मिले। इक्का दुक्का नारे बाजी की घटना को छोड़ कर कही भी कोई कार्यकर्ता आमने सामने नहीं हुए।
आचार संहिता की अनदेखी लक्ज़री वाहनों में आये मतदाता :
जहाँ प्रशासन और चुनाव आयोग सक्रीय है वही पार्टियों के कार्यकर्ता भी पूरी तरह जमे हुए रहे। सुबह १० बाद से ही लक्ज़री वाहनों में मतदाताओं को लाया जा रहा था। लाते और ले जाते समय कई मतदाताओं को उनकी इच्छा के अनुसार चाय नाश्ता भी करवाया गया। अंदुरनी शहर में अपना पुश्तेनी घर छोड़ कर शहर के बाहर की कोलोनियों में रहने वालों के लिए विशेष वाहनों की व्यवस्था पार्टी के कार्यकर्ताओं ने की थी।

उदयपुर में चुनावी रैली में शामिल कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर किया पथराव।

Udaipur Post. उदयपुर के खेरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र मेंं सोमवार को भारतीय ट्राइबल पार्टी के प्रत्याशी श्रवण परमार के समर्थन में निकाली जा रही वाहन रैली में शामिल कार्यकर्ताओं ने जमकर उत्पात मचाया। उपखण्ड निर्वाचन अधिकारी ने बिना अनुमति के वाहन रैली निकालने पर पहाडा थानाधिकारी को जाब्ते के साथ रैली रूकवाने के निर्देश दिए थे। पुलिस महुडी गांव के पास पहुंची जहां पर रैली निकल रही थी। पहाडा पुलिस ने रैली को रूकवाकर बातचीत शुरू की तभी रैली में शामिल बीटीपी के कार्यकर्ताओं ने पुलिस की जीप को कार से टक्कर मार दी और पथराव शुरू कर दिया। जाब्ते में शामिल पुलिस जवानों को भागकर दुुकानों में छि‍पकर जान बचानी पडी। सूचना पर दूसरे थानों का जाब्ता मौके पर पहुंचा तब तक रैली में शामिल कार्यकर्ता मौके से भाग निकले। पथराव में आधा दर्जन लोग घायल हुए हैंं। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी पथराव की सूचना पर तत्काल मौके पर पहुंचे। पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है।