रेल के एसी कोच में छूट रहे हैं पसीने

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उदयपुर। भरी गर्मी में एसी कोच में यात्रा करने वालों को राहत मिलना तो दूर, उलटे पसीने छूट रहे हैं। पिछले दिनों में ट्रेनों के एसी कोच में ठंडक नहीं होने से यात्री परेशान हो गए। इसकी शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। कायदे से ट्रेन जब प्लेटफॉर्म पर पहुंचे, तो उसके एसी ऑन होने चाहिए, लेकिन उदयपुर में ऐसा हो नहीं रहा। ग्वालियर एक्सप्रेस में कल भी यही हालत थी, जिससे उदयपुर से जयपुर जाने वाले कुछ यात्रिओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इससे पूर्व भी क्रमददगारञ्ज को बांद्रा से उदयपुर चलने वाली ट्रेन के ऐसी कोच के एसी बंद होने की शिकायत मिली थी। इधर, शिकायत पर क्षेत्रीय रेलवे अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हंै।
उदयपुर के मुकेश मनवानी, अपने परिवार के आठ सदस्यों के साथ मंगलवार को जयपुर थर्ड एसी में सफर कर रहे थे। उन्होंने क्रमददगारञ्ज को कॉल कर बताया की, जब वह कोच में गए, तो अंदर एसी चालू नहीं होने की वजह से घुटन हो रही थी। पसीने छूट रहे थे, जब उन्होंने इसकी शिकायत की, तब एसी ओन किया गया। मावली से भी आगे निकलने के बाद करीब एक घंटे बाद कुछ राहत मिली। यही शिकायत दो दिन पूर्व मुंबई से उदयपुर आ रहे अखिलेश सक्सेना ने की। रास्ते में एसी बंद हो गया, जो करीब तीन घंटे बाद चालू किया गया। इतने टाइम में सारे यात्रियों का हाल बुरा हो गया। जानकारी के अनुसार उदयपुर से चलने वाली अधिकतर ट्रेनों का यही हाल है। ट्रेन शुरू होने के एक घंटे बाद कुछ कुलिंग का अहसास हुआ।
नियम एक घंटे पहले चलने चाहिए एसी : रेलवे बोर्ड ने ट्रेन चलने से एक घंटे पहले एसी कोच को प्री-कूल्ड करने का प्रावधान तय किया हुआ है। इस मामले में यात्रियों की बढ़ती शिकायतों पर अक्टूबर,1985 व नवंबर,1998 में यह भी तय किया गया था कि जब यात्री कोच में चढ़े, तो उसे शीतलता का अहसास होना चाहिए। दूसरी ओर जब ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आती है, तब एसी ऑन किया जाता है। ऐसे में जब यात्री कोच में बैठते हैं तो उन्हें घुटन का अहसास होता है। ट्रेन चलने के एक घंटे तक कोच ठंडा नहीं होता। ट्रेन के कोचिंग डिपो में जाने के बाद उसका रखरखाव व साफ-सफाई की जाती है। वहीं पर बैट्री चार्जिंग के प्वाइंट भी लगे हैं। रेलवे बोर्ड के मैन्युअल में साफ लिखा है कि ट्रेन को प्लेटफॉर्म पर लाने से पहले उसे प्री-कूल्ड किया जाए। स्थिति यह है कि डिपो में बैट्री को सही ढंग से चार्ज नहीं किया जाता। यात्रियों के चढऩे के बाद सिर्फ ब्लोअर चलाया जाता है। ट्रेन 15 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर दौडऩे लगती है, तब एसी ऑन किया जाता है। एसी को बैट्री से चलाना चाहिए, लेकिन रेलवे कर्मचारी ट्रेन चलने के बाद उसे बैट्री से कनेक्ट करते हैं ताकि रास्ते में बैटरी खत्म होने की दिक्कत नहीं हो।

वर्जन…
ट्रेन में एसी नहीं चले, बंद हो या देर से चले इसकी जिम्मेदारी मेरी नहीं है। यह इलेक्ट्रिक विभाग की जिम्मेदारी है। आप उनसे बात कीजिए कि क्यों एसी नहीं चलता है।
-हरफूल सिंह चौधरी, क्षेत्रीय रेलवे अधिकारी

किशोरी लड़कियों ने यूनिसेफ एम्बेसडर प्रियंका चोपड़ा से की बातचीत

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UNICEF Goodwill Ambassador Priyanka Chopra with the girls of Deepshikha ...मुंबई, प्रियंका चोपड़ा ने मुंबई में यूनिसेफ और बार्कलेज़ के द्वारा सपोर्ट किए जाने वाले दीपशिखा प्रोग्राम से जुड़ी किशोरी लड़कियों के साथ एक सार्थक शाम गुजारी। बार्कलेज़ के वॉल्युनटीयर्स के साथ वे इन जोशीली और प्रतिभाशाली युवतियों के साथ बातचीत करके काफी प्रसन्न थीं, जिन्होंने अपने जीवन के अनुभव, खासकर दीपशिखा प्रोग्राम से जुड़े अपने अनुभव और भविष्य के लिए उनकी अभिलाषाओं के बारे में बताया।
यूनिसेफ ने इस मजबूत इरादे के साथ दीपशिखा प्रोग्राम का लॉन्च किया था, कि जीवन की कलाओं, उद्यमी कलाओं और नेटवर्किंग की कलाओं के प्रशिक्षण के द्वारा किशोरियों और युवा महिलाओं के समूहों को सशक्त बनाना अतिआवश्यक है। सशक्तीकरण दीपशिखा प्रोग्राम का मूल है।
लड़कियों से बात करते हुए प्रियंका चोपड़ा ने बताया, ’’लड़कियों में अपने खुद के भविष्य के निर्माण की क्षमता है। मैं यूनिसेफ दीपशिक्षा प्रोग्राम से जुड़कर काफी प्रसन्न हूं, क्योंकि इसका लक्ष्य भारत की युवा लड़कियों को सशक्त बनाना है। मेरी भावना दीपशिखा प्रोग्राम के समानांतर चलती है और मैं इस बात पर जोर देती हूं कि अभिभावकों, माता-पिता और शिक्षकों को लड़कियों को जीवन में आगे बढ़ने के अधिक से अधिक अवसर देने चाहिए। मैं व्यक्तिगत रूप से महसूस करती हूं, कि किशेारियों को सशक्त बनाने के हमारे नियमित प्रयास हमारे देष के विकास में योगदान देंगे।‘‘
L-R Anuradha Nair, Policy Planning and Evaluation Specialist, Unicef Mah...यूनिसेफ के साथ बिल्डिंग यंग फ्यूचर्स प्रोग्राम के द्वारा बार्कलेज़ ने महाराष्ट्र राज्य में वित्तीय शिक्षा और लीडरशिप प्रशिक्षण के द्वारा 65000 लड़कियों और युवा महिलाओं को उद्यमी कलाओं के विकास और आत्मविश्वास के निर्माण में मदद की है, ताकि वे सशक्त बन सकें और समृद्ध एवं स्थायी आजीविका प्राप्त कर सकें। लगभग 25000 महिलाएं 1200 से अधिक सामूहिक बैंक खातों से जुड़ गई हैं और आयनिर्माण की गतिविधियों में निवेश के लिए लगभग 30 लाख रु. की बचत कर रही हैं।
बार्कलेज़ इंडिया के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर राम गोपाल ने कहा, ’’बार्कलेज़ युवाओं को अपनी क्षमताओं को पूरा करने के लिए उचित कलाओं के विकास में मदद करने के लिए समर्पित है। यूनिसेफ के साथ हम युवा महिलाओं को यह बताकर कि वे पुरुशों के बराबर हैं, समाज को सशक्त बनाने के लिए समर्पित हैं, अतः हम उन्हें दैनिक चुनौतियों का सामना करके एक ताकतवर व्यक्ति बनने के लिए आवश्यक कलाओं में निपुण बनाते हैं। 2012 से 2015 के बीच यूनिसेफ की पार्टनरशिप के द्वारा बार्कलेज़ का ब्राजील, इजिप्ट, भारत, पाकिस्तान, युगांडा और जांबिया में सीधे 74000 लोगों को लाभान्वित करने का लक्ष्य है। यह 2015 तक 5 मिलियन युवा भविष्यों को बदलने के बार्कलेज़ के लक्ष्य का अंग है।‘‘

बरसो पुरानी गॉठ से मिली निजात

Devikaउदयपुर , भीलो का बेदला प्रतापपुरा स्थित पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पीटल में पैर की हड्डी की बरसो पुरानी गॉठ का सफल ऑपरेशन किया गया। लगभग तीन घण्टे तक चले इस जटिल एवं जोखिम भरे ऑपरेशन को अंजाम दिया डॉ.सालेह मोहम्मद कागजी, डॉ.तरूण भटनागर, अजय चौधरी,बृजेश भारद्वाज एवं सुभाष की टीम ने।
Dr.Kagji

Devika2संस्थान के डॉ. डी.पी.अग्रवाल ने बताया कि राजसमन्द निवासी 25 बर्षीय देविका के पिछले 15 सालो से दायें पैर में हड्डी की गॉठ जो कि लगभग एक किलो वजनी नस एवं खून की नली के नीचे बड रही थी। कई जगहो पर ईलाज कराने के बाद भी जब कोई फायदा नही मिला। देविका के परिजनो ने जब इसे पीएमसीएच में डॉ.सालेह मोहम्मद कागजी को दिखाया तो जॉच करने पर पाया कि यह गॉठ अब आकृति में बड रही हैं जो कभी भी कैन्सर में परिवर्तित हो सकती हैं और कई बार मरीज के पॉव काटने तक की नौबत भी आ जाती है तो ऐसी स्थिति में ऑपरेशन ही इसका आखिरी रास्ता था।
यह गॉठ का ऑपरेशन जटिल होने के साथ-साथ खतरे वाला था क्योकि इस ऑपरेशन में पॉव की पोपलिटियल नस एवं खून की नली क्षतिग्रस्त हो सकती थी एवं मरीज का पैर नष्ट हो सकता था। अभी देविका पूरी तरह स्वस्थ्य है और आराम से चल फिर सकती है।
डॉ.कागजी ने बताया कि हड्डी की ऐसी गॉठ बच्चो के कम उम्र में हो जाती है एवं कई बर्षो तक इसका पता नहीं चलता जब तक कि यह गॉठ बडी न हो जाए या दर्द न करे। इसे ओस्टिया कोन्ड््रोमा कहा जाता है जो कि भबिष्य में कभी-कभी ओस्टियो सारकोमा कैन्सर में बदल सकता हैं।

ऐश्वर्या महाविद्यालय द्वारा निःशुल्क दिया जा रहा है कम्प्यूटर का ज्ञान

DSC07449उदयपुर “वरिष्ठजनों को इस आधुनिक युग में समय की कदमताल में समय के साथ चलने के लिए विज्ञान प्रोद्योगिकी के नये नये अविष्कारों को समझने के लिए कम्प्यूटर का ज्ञान आवश्यक है और यह ज्ञान अगर उन्हें ऐश्वर्या महाविद्यालय द्वारा निःशुल्क दिया जा रहा है तो वे निश्चित तौर पर बधाई के पात्र है” यह विचार मुख्य अतिथि महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर की वैज्ञानिक डॉ. गायत्री तिवारी ने अपने उद्बोधन में यहां ऐश्वर्या महाविद्यालय के सभागार में ऐश्वर्या गोल्डनशेक कम्प्यूटर क्लब के वार्षिकांक लोकार्पण के अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में कम्प्यूटर व इंटरनेट का ज्ञान अतिआवश्यक हो गया है इसके बिना इसके आपको कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।

ऐश्वर्या गोल्डनशेक कम्प्यूटर क्लब की समन्वयक श्रीमती सांझ नरूला ने क्लब की उपयोगिता को समझाते हुए बताया कि वरिष्ठ नगरिक वर्ग के परिवार के सदस्य विदेष व अन्य राज्यों में रहते है उनसे जुड़ाव हेतु वर्तमान तकनीकी ज्ञान कम्प्यूटर के माध्यम से ही सम्भव है और इन्हीं तकनीकों एवं कम्प्यूटर ज्ञान को सिखाने हेतु ऐष्वर्या गोल्डन शेक कम्प्यूटर क्लब का गठन किया गया है।

क्लब के सचिव श्री सूरजमल पोरवाल ने बताया कि संरक्षक डॉ. सीमा सिंह के प्रयासों से ही इस अनुकरणीय कार्य को 21 जुलाई 2011 को प्रारम्भ किया गया जो अनवरत जारी है। इस क्लब में निःषुल्क कम्प्यूटर प्रषिक्षण के तहत लगभग 400 वरिष्ठजनों को अभी तक निःषुल्क प्रषिक्षण दिया जा चुका है। प्रतिमाह क्लब की मासिक बैठक का आयोजन किया जाता है। जिसमें वर्तमान सामाजिक मुद्दों पर चर्चा के साथ-साथ कम्प्यूटर से सम्बन्धित समस्याओं का निराकरण किया जाता है।

अब जेल में शूरू होगी गेंगवार!

-दोनों गेंग के कई आरोपी जेल में बंद, नरेश हरिजन के बाद अजय पूर्बिया चला रहा था गेंग,
-पुलिस अब तक कोर्ट में नहीं पेश कर पाई पूर्व में हुई दो गेंगवार की चार्जशीट

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उदयपुर। हिस्ट्रीशीटर नरेश हरिजन और मृतक प्रवीण पालीवाल गिरोह के कई लोग जेल में बंद हैं, जिनके बीच अब जेल में गेंगवार हो सकती है। ऐसा अंदेशा इसलिए जताया जा रहा है कि पिछले दिनों नरेश हरिजन को मारने के लिए जेल में माउजर भिजवाई गई थी, लेकिन वह जांच के दौरान पकड़ी गई। यह मामला जेल अधिकारियों ने दबा दिया और उसकी कोई रिपोर्ट भी दर्ज नहीं हुई। इधर, पुलिस नरेश हरिजन पर ईसवाल में हुए हमले और प्रवीण पालीवाल की हत्या के मामले में अब तक कोर्ट में चार्जशीट भी पेश नहीं कर पाई है।
ईसवाल में नरेश हरिजन पर हुए हमले के आरोपी गोगुंदा निवासी शंभूलाल, सुनील और सुखेर निवासी लक्ष्मणसिंह राठौड़ जेल में बंद है। इसी प्रकार प्रवीण पालीवाल की हत्या के आरोपी नरेश हरिजन, चंचल महाराज, साहिल हरिजन, दलपतसिंह, भरतनाथ और करणसिंह भी जेल में बंद है। इधर, नरेश हरिजन के राइट हैंड अजय पूर्बिया की कल हुई हत्या के आरोपी प्रवीण वसीटा भी गिरफ्तारी के बाद जेल जाने वाला है। इन सभी के बीच खूनी रंजिश हैं, जो जेल में गेंगवार की शक्ल में बदल सकती है। पता चला है कि प्रवीण पालीवाल के अंतिम संस्कार के वक्त प्रवीण वसीटा ने कसम खाई थी कि वह नरेश हरिजन के गिरोह के सदस्यों को जान से मार डालेगा, जिसको उसने कल अजय पूर्बिया की हत्या करके पूरा कर लिया है। इधर, गोवर्धनविलास क्षेत्र मेें टेक्नोवा मोटर्स के पास हुई हत्या के मामले में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने इस मामले में प्रवीण वसीटा सहित दो युवकों के खिलाफ मामला दर्ज कर है। इस मामले में पुलिस विभाग ने चार टीमों का गठन किया है, जो आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए विभिन्न स्थानों पर दबिश दे रही है। बताया जा रहा है कि मृतक नरेश हरिजन के जेल में जाने के बाद से ही सारा कारोबार मृतक अजय पूर्बिया ही संभाल रहा था।

ठंडे प्रदेशों के पौधे झुलसे

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उदयपुर। गर्मी का टेम्परेचर लगातार बढ़ता जा रहा है। तापमान ४४ डिग्री के करीब पहुंच रहा है। इसका सबसे बड़ा असर ठंडे प्रदेशों से लाकर यूआईटी द्वारा यहां चौराहों पर लगाए गए बड़े-बड़े पौधों पर पड़ रहा है, जो इस गर्मी में बूरी तरह से झुलस गए हैं। पर्यावरण विशेषज्ञ रजा तहसीन का कहना है कि ये जो पेड़-पौधे लगाए गए हैं, वो ठंडे प्रदेशों से लाए गए हैं, जबकि यूआईटी को यहां के वातावरण में जिंदा रहने वाले पेड़-पौधे लगाने चाहिए थे। इसके साथ ही प्लास्टिक के गमलों में कभी कोई प्लांटेशन नहीं होता, जबकि इन पौधों को प्लास्टिक के गमलों में लगाया गया हैं, जो गलत है।

मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रही हैं बेअसर दवाएं

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-अधिक टेम्परेचर में रखने से कम हो रहा है दवाओं का असर
उदयपुर। शहर के हजारों मरीज ऐसी दवाएं ले रहे हैं, जिनमें असर करने की क्षमता काफी कम हो चुकी है। कारण यह है कि इन दवाओं को अधिकतम 20-25 डिग्री सेल्सियस में ही रखा जा सकता है, लेकिन ये दवाएं 35-45 डिग्री सेल्सियस के बीच रखी हुई हैं। शहर के 800 से अधिक मेडिकल स्टोर में करोड़ों रुपए की सैकड़ों दवाएं इतने ही अधिक तापमान में रखी हैं और मरीजों को दी जा रही हैं। एमबी हॉस्पीटल सहित शहरभर मेें लगी मेडिकल स्टोर्स का जायजा लिया, तो लगभग सभी जगह यही स्थिति थी। मेडिकल स्टोरों में करोड़ों रुपए की दवाएं आवश्यक तापमान से 15 से 20 डिग्री अधिक तापमान में रखी हुई हैं।
जीवनरक्षक दवाओं की भी किसी को परवाह नहीं : सिस्प्लेटिन इंजेक्शन और डोक्सोरयूबिसिन हाइड्रो-क्लोराइड कैंसर में काम आने वाले महत्वपूर्ण एंटीबायटिक इंजेक्शन हैं और इन्हें 15-25 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच ही रखा जाना चाहिए। एंडीनलिन बिट्राटेट इंजेक्शन हार्ट पेशेंट को लगाया जाता है। इसको भी 35 से 45 डिग्री के बीच रखा जा रहा है, जबकि इसको 15 से 25 डिग्री के बीच रखा जाना चाहिए।
दवा, जो पांच में से तीन मरीजों को दी जाती हैं : एमोक्सीलिन एंड पोटेशियम क्लेवनेट और सेफट्राइजोन, ये एंटीबायटिक इंजेक्शन है और लगभग हर मरीज को लगाए जाते हैं। इन इंजेक्शन को 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच ही रखा जाना होता है, लेकिन जिन आईपीडी में ये रखे गए हैं। वहां का तापमान 45 से 47 डिग्री सेल्सियस था। इसी प्रकार फ्लूड को 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जाना चाहिए, जबकि दुकानों में ये कार्टनों में 35 से अधिक डिग्री में रखे जाते हैं। डायबिटीज में काम आने वाली मेटफोरमिन टेबलेट को अधिकतम 25 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जाना होता है। यह भी 35-42 डिग्री सेल्सियस के बीच रखी हैं।
फ्रीज में भी नहीं रख सकते दवा : इन दवाओं को न्यूनतम तापमान के चलते फ्रीज में भी नहीं रखा जा सकता है। इसलिए दवा स्टोर को ही कूलिंग सिस्टम से जोड़ा जाना चाहिए। अभी अधिकांश स्टोर में कूलर ही लगे हैं और दवा स्टोर्स में ये बेअसर हैं।
अधिकतर दुकानों में तापमान का कोई कंट्रोल नहीं : अस्पताल में लगी सरकारी उपभोक्ता की दुकानें हो या बाहर लगे मेडिकल स्टोर वहां पर इस भीषण गर्मी में तापमान कंट्रोल की कोई व्यवस्था नहीं है। इक्का-दुक्का दुकानों में ऐसी लगा हुआ है। बाकी स्टोर वालों का कहना है हम कूलर से तापमान मेंटेन कर लेते हैं।

क्या होता है, अधिक तापमान से : विशेषज्ञों के अनुसार जहां पर दवा रखी हुई होती है, वहां पर तापमान 25 से 30 डिग्री ही होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है, तो 48 घंटे तक तय तापमान से अधिक में रहने पर दवाएं अपना असर करने की शक्ति को 25 फीसदी तक खो देती है। 4 से 5 दिन में 50 प्रतिशत और इंजेक्शन और 7 से 8 दिन रहने पर दवाएं अपना असर पूरी तरह खो देती है। लिक्विड वेक्सीन के खराब होने का सबसे अधिक दर रहता है। इसके लिए ऐसी जरूरी है।
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दवाओं को तय तापमान में रखने के निर्देश दिए हुए हैं और मेडिकल स्टोरों पर अक्सर इनकी जांच की जाती है। अभी यदि किसी स्टोरों में ऐसा है, तो ड्रग इंस्पेक्टर को बोल कर जांच कर वाली जाएगी।
-डॉ. आरएन बैरवा, सीएमएचओ

अंडरआर्मस के पसीने की दुर्गंध से कैसे बचें

pasina296907-06-2014-10-12-99Nगर्मी में आमतौर पर पसीना निकलना एक आम समस्या है, कई लोगों को बहुत ज्यादा गर्मी लगती है और वे पसीने से तर-बतर हो जाते हैं। कुछ लोगों के पसीने में बहुत ही तीक्ष्ण और गंदी दुर्गध आती है। इस पसीने के कारण आपके कपड़ों से दुगंüध भी आने लगती है।

इससे बचाव के क्या तरीके हो सकते हैं, आईये जानते हैं।

पसीना शरीर की बदबू के लिए सबसे बड़ा कारण है। दरअसल शरीर के तापमान में संतुलन बनाये रखने के लिए शरीर से पसीना निकलता है। पसीने के लिए कई चीजे जिम्मेदार हैं, जिनमें एक बैक्टीरिया भी है। बैक्टीरिया एपोक्राइन ग्रंथि के उत्सर्जन से पनपते हैं और उसकी गतिविधि के आधार पर ही बढ़ते हैं। ये एमीनो एसिड का निर्माण करते हैं, जिसका परिणाम बदबूदार गंध होती है।

कैसे बचे शरीर की दुर्गंध से

शरीर की साफ-सफाई पर विषेश ध्यान दें, अपनी बाडी के अंडरआर्मस और उन जगहों को स्वच्छ रख कर आप पसीने की बदबू से बच सकते हैं, जहां से सबसे ज्यादा पसीना निकलता है। । रोज अपने शरीर को पानी और साबुन से साफ करें। व्यायाम करने के बाद जरूर नहाएं, ताकि कीटाणुओं से भी बचे रह सकें।

गर्मीयों में हे सके तो सूती कपड़े पहनें ये कपड़े पसीने के सोखते हैं। रेशमी कपड़ों में पसीना नहीं सूख पाता और बदबू आती है । इस बात का ध्यान भी रखें कि आप के अंडरगार्मेट भी सूती व मुलायम हों, और आप के साईज से ज्यादा टाईट न हों,

गर्मी के मौसम में अधिक मसालेदार न खायें लहसुन, करी या अन्य मसाले आपके पसीने की गंध को बढ़ा सकते हैं, इसलिए बेहतर खुशबू के लिए इन आहारों से बचिए। तरल पदार्थो के सेवन ज्यादा मात्रा में करें।

गर्मी में पसीने से बचने के लिए शेव करना न भूलें, शरीर में बाल अधिक होने से भी बदबू बढ़ती है, क्योंकि ये बैक्टीरिया को पनपने में मदद करते हैं। अगर आप रोज बालों को साफ नहीं करेंगे तो आपको रोज बदबू से दो-चार होना पड़ेगा। शरीर के अंडरआर्मस और अन्य भागों के अनचाहे बालों को रिमूव कर दें। साफ-धुले हुए अंडरगार्मेट्स पहने, अंडरगार्मेट्स को धूप में सुखा कर पहने,

पसीने की दुगंüध से बचने के लिए डिऑड्रेंट का प्रयोग करें। इससे पसीने के लिए जिम्मेदार जीवाणु पनपते नहीं हैं। यह पूरी तरह से सुरक्षित भी होता है।

पसीने को कम करने के बारे में सोचें। बोटुलिनम टॉक्सिन एक उपचार है, जो सुरक्षित भी है। इसके तहत व्यक्ति की बांह में बोटुलिनम टॉक्सिन के कुछ इंजेक्शन दिये जाते हैं। यह टॉक्सिन दिमाग से पसीने की ग्रंथियों के संपर्क को तोड़ देता है, जिस कारण पसीना अधिक नहीं आता। एक बार उपचार के बाद यह 2 से 8 महीने तक काम करता है।

गुजरात में शादीशुदा महिला से आठ लोगों ने किया गैंगरेप

Gangrape635110-06-2014-09-40-99Nगुजरात में शादीशुदा महिला से सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया है। आठ लोगों ने दो महीने में 26 वर्षीय महिला से तीन बार बलात्कार किया।

पुलिस ने बताया कि पीडिता ने सोमवार को झागडिया पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई। पीडिता भरूच जिले के हालोद गांव की रहने वाली है। पीडिता ने बताया कि दो महीने पहले इकबाल ट्रैक्टरवाला ने उसे मोटरसाइकिल पर लिफ्ट का ऑफर दिया। उस वक्त पीडिता पैदल नजदीकी गांव की ओर जा रही थी।

पीडिता इकबाल की मोटरसाइकिल पर बैठ गई। इकबाल उसे राजपरदी गांव के पास सुनसान इलाके में ले गया। वहां बलात्कार किया। इकबाल ने पीडिता को धमकी दी कि अगर किसी को घटना के बारे में बताया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। दो सप्ताह पहले इकबाल के भाई अबरान और उसके पांच दोस्तों ने पीडिता की चुप्पी का फायदा उठाया और गांव के बाहर सामूहिक बलात्कार किया।

पीडिता ने शिकायत में बताया कि सभी आरोपियों ने उसे मुंह बंद रखने की धमकी दी। आरोपियों ने कहा कि अगर मुंह खोला तो तुम्हारे बच्चों को मार देंगे। एक सप्ताह पहले छह आरोपियों और अशरफ ने राजपरदी गांव के पास सामूहिक बलात्कार किया। झागडिया पुलिस थाने के इंस्पेक्टर बीआर बरिया ने बताया कि पीडिता ने अपने पति को घटना के बारे में जानकारी दी और हमसे संपर्क किया।

प्राथमिक जांच के बाद हमें पीडिता के आरोपों में दम लगा। हमने आठ लोगों के खिलाफ बलात्कार और आपराधिक धमकी का केस दर्ज किया। यह साफ नहीं हो पाया है कि आरोपी गिरफ्तार हुए है या नहीं।

गेंगवार में दो युवकों को मारी गोली

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उदयपुर। गोवर्धनविलास क्षेत्र मेें टेक्नोवा मोटर्स के पास बाइक सवार दो नकाबपोश बदमाशों ने दो युवकों पर फायर किए। एक युवक के सीने और दूसरे के हाथ में गोली लगी है। दोनों को यहां अमेरिकन हॉस्पीटल में भर्ती कराया गया है, जहां एक युवक की हालत चिंताजनक बताई जा रही है। यह हमला प्रवीण पालीवाल की हत्या से जुड़ा बताया जा रहा है। नरेश हरिजन और प्रवीण पालीवाल गु्रप के बदमाशों के बीच रंजिश के चलते यह गेंगवार चल रही है।
सूत्रों के अनुसार आज दोपहर मदार निवासी अजय पूर्बिया और उदयपुर निवासी विनोद जैन गोवर्धनविलास स्थित टेक्नोवा मोटर्स पर कार सर्विस के लिए देने गए थे, वहां से जब ये दोनों लौट रहे थे, तभी बाइक पर सवार होकर दो नकाबपोश आए। बाइक पर पीछे बैठे युवक ने फायर किए। एक गोली अजय पूर्बिया के सीने में लगी, जबकि दूसरी गोली विनोद जैन के हाथ पर लगी। फायरिंग के बाद नकाबपोश युवक वहां से फरार हो गए। सूचना पर पहुंची पुलिस ने दोनों को अमेरिकन हॉस्पीटल पहुंचाया। प्रारंभिक पूछताछ में अजय पूर्बिया ने बताया कि उस पर फायरिंग करने वाले युवक का नाम प्रवीण वसीटा है। बताया जा रहा है कि अजय पूर्बिया और विनोद जैन, नरेश हरिजन गिरोह से ताल्लुक रखते हैं, जबकि फायरिंग करने वाले युवक प्रवीण पालीवाल गु्रप से है।
बदला लेने की नीयत से किया हमला : होली की शाम को नरेश हरिजन के गिरोह के युवकों ने प्रवीण पालीवाल की यहां शास्त्री सर्कल स्थित एक रेडिमेड गारमेंट्स के शो रूम में गोली मार कर हत्या कर दी थी। उसके बाद से ही प्रवीण पालीवाल का ग्रुप बदला लेने की फिराक में था, जिसने आज इस वारदात को अंजाम दिया है। प्रवीण पालीवाल की हत्या से पूर्व पालीवाल ग्रुप के बदमाशों ने नरेश हरिजन पर ईसवाल में जानलेवा हमला किया था, जिसमें वह बच गया। नरेश हरिजन और उसके साथी प्रवीण पालीवाल की हत्या के आरोप में अभी जेल में विचाराधीन है।

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॥ यह वारदात नरेश हरिजन और मृतक प्रवीण पालीवाल ग्रुप के बीच गेंगवार के चलते हुई है। अभी मामले की जांच चल रही है। फरार अभियुक्तों की तलाश की जा रही है।
-हनुमान प्रसाद, कार्यवाहक एसपी