करकरे पर राजनीतिक रस्साकशी खत्म हो

असुविधाजनक प्रश्न पूछने के लिए ही पेशेवर पत्रकार बने होते हैं, इसलिए मुझे सीधे यह प्रश्न पूछना चाहिए : महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारी हेमंत करकरे, जो 26 नवंबर 2008 के मुंबई हमले में ‘शहीद’ हुए, क्या झूठे और राजनीतिक प्रतिष्ठान के प्यादे थे? मैं ऐसा इसलिए पूछ रहा हूं, क्योंकि मालेगांव विस्फोट मामले में कर्नल श्रीकांत पुरोहित को दी गई जमानत के संबंध में यह फैलाने का प्रयास चल रहा है कि करकरे के नेतृत्व में महाराष्ट्र एटीएस ने कर्नल पुरोहित जैसे ‘राष्ट्रवादी’ नायक को इसलिए ‘फंसा’ दिया, क्योंकि यूपीए सरकार ‘भगवा’ आतंक का हव्वा खड़ा करना चाहती थी।
मैं यह प्रश्न इसलिए भी पूूछ रहा हूं, क्योंकि मैं मृदुभाषी करकरे को ‘सम्माननीय’ पुलिस अधिकारी के रूप में ‘जानता’ था, जिनके साथ मेरी कई बार ऑफ रेकॉर्ड लंबी बातचीत हुई थीं। 25 नवंबर 2008 को करकरे ने मुझे फोन करके कहा था कि वे ‘खुल के बोलना’ चाहते हैं। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ ने उन्हें ‘हिंदू विरोधी’ बताते हुए अभियान चला रखा था। तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंहने मालेगाव विस्फोट की मुख्य अभियुक्त साध्वी प्रज्ञा को परोक्ष क्लीन चिट दी थी और बताया जाता है कि वे प्रज्ञा से मिलने जेल में भी गए थे। करकरे ने कहा, ‘अब बहुत हो गया, मुझे लगता है कि वक्त आ गया है कि सारे तथ्य सामने रख दिए जाए।’ उनकी आवाज में बहुत चिंता झलक रही थी। अगले ही दिन मुंबई खौफनाक आतंकी हमले में रक्तरंजित हो गई और कर्तव्य निभाते हुए करकरे ने सर्वोच्च बलिदान कर दिया। अब लगभग एक दशक बाद मैं विचलित हूं : क्या ऐसा हो सकता है कि वह अधिकारी जिसका अंतिम संस्कार राष्ट्रीय सम्मान के साथ किया गया, जिन्हें ‘राष्ट्रीय हीरो’ माना गया, जिनके साथ के लोग उन्हें असंदिग्ध निष्ठा वाला व्यक्ति मानते हैं, अचानक जांच एजेंसियों के लिए संदिग्ध हो जाए।
मालेगांव मामले में एनआईए के आरोप-पत्र में दावा किया गया है कि कम से कम दो महत्वपूर्ण गवाहों को कर्नल पुरोहित सहित अभियुक्तों के खिलाफ झूठे बयान देने के लिए बाध्य किया गया था। एनआईए और महाराष्ट्र एटीएस के आरोप-पत्रों में फर्क को ही कर्नल पुरोहित को जमानत देने का महत्वपूर्ण कारण बताया गया। 2011 में एनआईए को गहराई से जांच के अच्छे इरादे से मामला सौंपा गया। फिर भी छह साल बाद भी मुकदमा शुरू नहीं हुआ, अभियुक्त को जमानत देने का यह भी एक कारण था। इस बीच केंद्र में सरकार बदल गई। जहां हमारे सामने ऐसे गृहमंत्री थे जो ‘हिंदू आतंक’ के बारे में कुछ भी कह देते थे, अब वह व्यक्ति गृहमंत्री है, जो साध्वी प्रज्ञा की गिरफ्तारी के वक्त उसके साथ खड़ा हुआ था। जब अभियोग लगाने वाली एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों का ऐसा भिन्न रुख हो तो क्या जांच पक्षपातरहित और स्वतंत्र हो सकेगी?
सच यह है कि अत्यधिक ध्रुवीकृत राजनीतिक विमर्श ने आतंकवाद संबंधी लगभग हर बड़ी जांच पर असर डाला है। जहां कभी हमें कहा जाता था कि ‘अभिनव भारत’ जैसे दक्षिणपंथी गुट इस्लामी आतंक का मुकाबला करने के लिए उभरे हैं, अब लगता है हमें यह बताने की कोशिश है कि ऐसे आतंकी गुट यूपीए सरकार ने भाजपा व संघ परिवार को मुश्किल में डालने के लिए ‘निर्मित’ किए हैं। जहां हमें कभी ऐसे विस्तृत टेप दिए गए थे, जिनमें कर्नल पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा शामिल थे (इसमें दर्ज बातचीत कई घंटों की थी), अब हमें बताया जा रहा है कि उन्हें हम पूरी तरह ‘बनावटी’ सूचनाएं मानें। गवाह अचानक मुकर गए और सरकारी वकील ने यह कहते हुए त्यागपत्र दे दिया कि 2014 के बाद एनआईए उनसे ‘धीमे’ चलने के लिए कह रही है। यह तो अचानक ऐसा हो गया जैसे सात लोगों की जान लेने वाला मालेगांव विस्फोट कभी हुआ ही नहीं था और यदि हुआ भी था तो गलत लोग पकड़ लिए गए हैं।
आप देखिए कि ऐसे देश में जिसका नेतृत्व आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ (बिल्कुल बर्दाश्त न करना) की बात करता है, वहां कैसी विचित्र स्थिति पैदा हो जाएगी। अब हमें 2007 में हुए समझौता बम विस्फोट का एकदम उलट वर्जन बताया जा रहा है। इसके पीछे लश्कर-आईएसअाई-सिमी की मिलीभगत थी या स्वामी असीमानंद जैसे संघ समर्थक इसमें शामिल थे? गुजरात का इशरत जहां मामला भी इसी प्रकार राजनीतिक लड़ाई में फंस गया है और ‘फर्जी मुठभेड़’ में हत्याओं के आरोपी पुलिस वालों को अब निर्दोष बताया जा रहा है और उनके साथ नायकों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। फिर चाहे 7/11 के मुंबई ट्रेन धमाके हों, हैदराबाद का मक्का मस्जिद विस्फोट हो मूल प्रकरण तो स्थानीय मुस्लिमों के खिलाफ बनाया गया, जो बाद में दक्षणपंथी हिंदू गुटों तक पहुंच गया। देश में आतंकी प्रकरणों में सफलतापूर्वक मुकदमा चलाने का रेकॉर्ड बहुत खराब है। दुखद है कि हिंदू-मुस्लिम के पक्षपाती चश्मे से आतंकवाद को पेश करके देश के राजनीतिक नेतृत्व ने खतरनाक ढंग से राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया है। अब उत्तरोत्तर स्पष्ट हो रहा है : या तो पूर्ववर्ती कांग्रेस-नेतृत्व वाली सरकार झूठ बोल रही थी अथवा मौजूदा सरकार अभियुक्तों को बचा रही है। आधिकारिक वर्जन को चुनौती देना अब ‘राष्ट्र-विरोधी’ कृत्य है, जिससे ऐसी तर्कसंगत बहस एक तरह से असंभव हो गई है, जिसमें तथ्यों को लगातार जारी मिथ्या प्रचार से अलग करके देखा जा सके।
इस सब में मेरे मित्र करकरे कहां ठहरते हैं? मृत व्यक्ति अपना बचाव नहीं कर सकते, इसलिए उम्मीद ही की जा सकती है उनकी कीर्ति को वे लोग दागदार नहीं बनाएंगे, जो असुविधाजनक सच का सामना नहीं कर सकते। एक पेशेवर पुिलस अधिकारी का ‘सम्मान’ दांव पर लगा है, इसलिए राज्य-व्यवस्था को साफ-सुथरा रवैया अपनाना चाहिए : या तो करकरे की जांच का ‘भंडाफोड़’ किया जाना चाहिए या उनके साथ मजबूती से खड़े होना चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीतिक रस्साकशी खत्म होनी चाहिए।
पुनश्च : कर्नल पुरोहित को जमानत देने के कुछ दिन पहले दस अज्ञात मुस्लिम जेल में दस से ज्यादा साल बिताकर बाहर आ गए, क्योंकि 2005 के हैदराबाद बम विस्फोट मामले में उनका शामिल होना साबित नहीं किया जा सका। फर्क यह था कि इस बार ‘न्याय’ पर न शोरभरी प्राइम टाइम बहस हुई, न भावुक जश्न था, न राष्ट्रवादी नारे थे। सरल-सी बात है छोड़ दिए गए लोग दूसरे धर्म के थे।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
यह लेख दैनिक भास्कर में 01.09.2017 को सम्पादकीय पेज पर प्रकाशित हुआ है
राजदीप सरदेसाई
वरिष्ठ पत्रकार
rajdeepsardesai52@gmail.com

झमाझम बारिश से जयसमंद झील लबालब

सीसारमा 3 व मदार नहर 2 फीट बह रही

उदयपुर। लेकसिटी में लगातार बारिश का दौर जारी है। बीते चौबीस घंटों में उदयपुर में एक इंच से अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई। झीलों में नगरी में कल रात शुरू हुआ मूसलाधार बारिश का दौर आज भी जारी रहा। सुबह हल्की बूंदाबांदी के बाद दोपहर 2.30 बजे व शाम 6 बजकर 42 मिनट तक करीब दस से बारह मिनट तेज बारिश का दौर चला। एशिया की दूसरे सबसे बडे मीठे पानी की झील जयसमंद झील जिसे ढेबर झील भी कहा जाता है। अपनी पूर्ण भराव क्षमता से पौन फीट खाली रह गई है। आज इसका जलस्तर 26 फीट 8 इंच (7.96 मीटर) को पार कर गया। पूर्ण भराव क्षमता साढे 27 फीट (8.38 मीटर) से अब यह पौन फीट खाली है। गोमती व खरका नदी से जयसमंद में लगातार आवक हो रही है। पीछोला व फतहसागर फिर लबालब हो गए है। फतहसागर के चारों गेट दो-दो इंच व स्वरूपसागर के दो गेट 11 इंच खुले हुए है। दोनों ओर से बहता पानी यूआईटी पुलिया होते हुए आयड नदी में तेज बहाव के साथ बह रहा है। उदयसागर में भी लगातार आवक के चलते इसके दोनों गेट पांच-पांच इंच खुले हुए है। मदार बडा व छोटा भी एक बार फिर छलक पड़े है। सीसारमा नदी 3 फीट व मदार नहर 2 फीट के वेग से बह रही है।

MLSU छात्रसंघ चुनाव का धूम धड़ाका – नामांकन के दौरान आचार संहिता का उडी धज्जियाँ

उदयपुर। सुखाडिया विश्वविध्यालय छात्र संघ के चुनाव में नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन केन्द्रीय छात्र संघ के अध्यक्ष , कार्यकारणी एवं एनी संघटक कोलेज अध्यक्ष और एनी पदों के लिए नामांकन दाखिल किये गए। नामांकन पुरे धूम धडाके रैलियां और शक्ति प्रदर्शन के साथ किये गए। रलियों और शक्ति प्रदर्शन के दौरान आचार संहिता की जम कर धज्जियाँ उडी। केन्द्रीय छात्रसंघ अध्यक्ष के नामांकन के दौरान छात्रों ने जम कर हंगामा और नारे बाजी की।बाहरी लोगों की रोक के बावजूद भी कांग्रेस और भाजपा के कई बड़े नेता नज़र आये।

गुरुवार को छात्र संघ चुनावों के नामांकन पेश करने का आखरी दिन चुनावों को लेकर छात्रों में खासा उत्साह नज़र आया। मोहन लाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के केन्द्रीय छात्र संघ अध्यक्ष पद के लिए एबीवीपी की ओर से भवानी शंकर बोरीवाल ओर एनएसयूआई की ओर से रौनक गर्ग ने अपना नामाकंन पत्र दाखिल किया। कामर्स कॉलेज के समीप डीएसडब्ल्यू कार्यालय में हुई नामाकंन प्रक्रिया के दौरान भारी पुलिस बल तैनात था। पुलिस की ओर बैरिकेटिंग की गई ताकि छात्रों को कार्यालय से 100 मीटर की दूरी पर ही रोक लिया जाए। पिछले कुछ सालों में सुखाडिया विश्व विद्यालय में निर्दलीय उम्मीदवार के जीतनें की परम्परा इस बार टूटती हुई दिखाई दे रही है। इस बार सुखाडिया विश्वविद्यालय के केन्द्रीय छात्र संघ अध्यक्ष पद के लिए एबीवीपी ओर एनएसयूआई के बीच सीधी टक्कर है। दोनों प्रत्याशियों ने नामाकंन के बाद अपनी अपनी प्राथमिकताए बताई। एबीवीपी की ओर से अध्यक्ष पद नामाकंन दाखिल करने वाले भवानी शंकर बोरीवाल के साथ उपाध्यक्ष पद के लिए दिनेश डांगी महासचिव पद के लिए निर्मल सिह राव ओर संयुक्त सचिव के लिए पुष्कर मेघवाल ने दाखिल किया वही दूसरी ओर एनएसयूआई से अध्यक्ष पद पर नामाकंन करने वाले रौनक गर्ग के साथ साथ उपाध्यक्ष पद के लिए राजेन्द्र सालवी महासचिव पद के लिए शिव नारायण जाट ओर सयुक्त सचिव के लिए ज्योति पटेल ने दाखिल किया है।

नामांकन के पहले आज सुबह से ही शाश्त्री सर्कल से कोमर्स कोलेज बाहर तक छात्रों का जमावड़ा लगा हुआ था। एबीवीपी का जुलुस शाश्त्री सर्कल से तो एनएसयुआई का जुलुस अशोकनगर रोड से शुरू हुआ। दोनों की रैलियों में छात्रों ने जम कर नारे बाजी की और आतिशबाजी के साथ नामांकन भरने के लिए रवाना हुआ। भाजपा और कांग्रेस के कई बड़े नेता भी रैलियों में मोजूद थे।
इधर एम्एलएसयु के संघटक कोलेजों में भी सभी पदों के लिए नामांकन दाखिल किये गए कोमर्स कोलेज व् साइंस कोलेजो में छात्रों में जबर्दस्त उत्साह देखा गया साइंस कॉलेज में नामांकन प्रक्रिया के तहत कई छात्रों के घुस जाने से हंगामा खड़ा हो गया । नामांकन दाखिल करने पहुचे प्रत्याक्षियों के समर्थकों ने साइंस कॉलेज में जोरदार नारेबाजी कर माहौल को गरमा दिया। इस दौरान मौके पर तैनात पुलिस के जवानों ने सभी छात्रों को खदेड़ते हुए बाहर निकाला । एक बारगी तो माहौल पूरी तरीके से हंगामेदार हो गया । लेकिन पुलिस के आला अधिकारियों ने छात्रों को कॉलेज परिसर से बाहर निकालकर पूरे मामले को शांत करवाया ।
आर्स कोलेज से तुलसी राम मीना, मनीष पूरी गोस्वामी, महेश रोत व् ललित डांगी ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया है। साइंस कोलेज से अध्यक्ष पद के लिए कार्तिक यादव विनय साल्वी, व् शुभम कलाल ने नामांकन दाखिल किया। कोमर्स कोलेज के अध्यक्ष पद के लिए लवपाल सिंह चौहान, सुखदेव सिंह डांगी, हिमांशु पंवार व् हिमांशु मुन्दानिया ने नामांकन दाखिल किया। विधि महाविश्यालय में अंकित कुमावत, गणेशलाल रौत, नविन मेनारिया, योगेश जोशी, एवं ललित सिंह सिसोदिया ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया है।
शुक्रवार को नामांकन वापस लेने का समय है ४ सितम्बर को वोटिंग होनी है।

तस्वीरों में देखिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदयपुर दौरा ( photo )

उदयपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने २९ अगस्त को उदयपुर में सभा को संबोधित किया, 5610 परियोजनाओं का लोकार्पण किया तथा 9490 करोड़ रूपये की योजनाओं का शिलान्यास किया . इस दौरान वह महराना प्रताप गौरव केंद्र भी गए महाराणा प्रताप की प्रतिमा को नमन किया। सभा के दौरान अपने उद्बोधन की शुरुआत मेवाड़ी में की और उन्होंने मेवाड़ी में ” खम्मा घणी सा” कह कर सबका अभिवादन किया साथ ही मेवाड़ी में कहा,..
” वीर मेवाड़ महाराणा प्रताप री स्वतन्त्रता री लड़ाई री धरती, मीरा री भक्ति री धरती, पाथल पीथल री धरती, झाला मान, भामाशाह, हकिम खान सूर री धरती, पन्ना हाड़ी रानी री त्याग री भूमि जठे प्रभु एकलिंगनाथ स्वयं बिराजे असी त्याग तपस्या री वीर भूमि ने मारो घनो घनो नमन खम्मा घणी सबने ” कह कर सभा का दिल जीत लिया।
मोदी की सभा और प्रताप गौरव केंद्र को देखिये तस्वीरों में

बाबा राम रहीम की अय्याशी की हद, गर्ल्स स्कूल से लड़कियां लाता था, गुफा में बना रखा था स्विमिंग पूल

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post.डेरा सच्चा सौदा चीफ राम रहीम को दो साध्वियों का रेप करने के केस में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के जज जगदीप सिंहलोहान ने 10-10 साल की सजा सुनाई। बलात्कार केस में जेल जाने के बाद से बाबा गुरमीत की अय्याशियों के कई किस्से सामने आने लगे हैं। एक चैनल की खबर के अनुसार बाबा जहां रहता था वहां एक ऐसी गुफा थी जहां वह रोज नई-नई लड़कियों के साथ अय्याशियां करता था।
गुरमीत रहीम के रोज नए-नए किस्से सामने आ रहे हैं। बाबा के पूर्व डेरा प्रेमी ने एक चैनल से बात करते हुए कहा की बाबा राम रहीम रोज नई लड़की के साथ अय्याशियां करता था।
उनका कहना है कि बाबा की गुफा का एक दरवाजा गर्ल्स स्कूल के कैंपस में खुलता था। जहां से वह रोज लड़कियों को चुनकर लाता था।
डेरा प्रेमी के अनुसार बाबा लड़कियों से जानवरों की तरह व्यवहार करता था। वह रोज नई नई लड़कियां लाता था।
उन्होंने बताया की गुफा के एक हॉल में स्विमिंग पूल भी था, जहां किसी को जानें की अनुमति नहीं थी।
डेरा प्रेमी के ने बताया यह गुफा प्रिंटग प्रेस के पास थी कभी-कभी हमारी वहां ड्यूटी लगती थी।
बाबा की गुफा से रोज आधी रात को चीख की अवाज हमे सुनाई देती थी। फिर कुछ देर बाद गुरमीत गुफा के ऊपर वाले हिस्से में आकर खिड़कियां खोलता था।
उन्होंने बताया कि जब साध्वियों ने मुझे अपना दर्द बताया तो मैने 2002 में डेरा छोड़ दिया था।
गुफा के अंदर रहती थी 200 से ज्यादा साध्वियां
बाबा जहां रहता था, उसे कहा तो गुफा जाता था, लेकिन असल में वह जगह भी किसी राजमहल से कम नहीं थी।
यहां तक कि उसने अपने लिए राजाओं की तरह हरम तक बनवा रखा था, जिसमें 200 से ज्यादा सुंदर साध्वियों को रखा गया था।
इनमें से 30 साध्वियां रोजाना बाबा की हर तरह की सेवा में तैनात की जाती थी। ये साध्वियां अब डेरे से गायब हो चुकी हैं।
बाबा को खाने-पीने का काफी शौक था। बाबा को एक्टर और गायक बनने का शौक था। गुरमीत के पूर्व ड्राइवर खट्टा सिंह ने यह सारी जानकारी देते हुए बताया कि बाबा 200 से ज्यादा साध्वियों के साथ रहता था। यहां पुरुषों के आने पर पाबंदी थी।
 डेरे के अंदर जीता था महाराजाओं जैसी लाइफ
बलात्कार केस में जेल में बंद गुरमीत सिंह राम रहीम की अय्याशियों के कई किस्से सामने आने लगे हैं।
डेरे में रह चुके उसके कर्मचारी अब सामने आकर किस्से बता रहे हैं। राम रहीम अपने डेरे में महाराजा जैसी जिंदगी जी रहा था।
बाबा शीश महल में रहता था। डेरे में उसके ऐशो-आराम के सभी साधन मुहैया कराए जा रहे थे।
उसे राजाओं जैसी पोशाकें पहनने का शौक था और उसके लिए ऐसी कई महंगी पोशाकें रोजाना तैयार करवाई जाती थीं, जिन्हें बाबा खुद ही डिजाइन करवाता था।
इसके अलावा बाबा के पास 200 से ज्यादा महंगी लग्जरी गाड़ियां थीं। इनमें कई गाड़ियां कई-कई करोड़ की थीं, जिनके डिजाइन भी बाबा ने खुद तैयार करवाए थे।
गुफा आने का होता था कोड वर्ड
– खुद को रॉकस्टार समझने वाले बाबा के डेरे में बलात्कार शब्द का के लिए एक कोड वर्ड था।
– बाबा अपनी गुफा में जिन महिलाओं के साथ अश्लील हरकतें करता था, उसे गुरमीत राम रहीम की ओर से मिली ‘माफी’ कहा जाता था।
– जब भी किसी महिला या युवती को राम रहीम के आवास यानी उसकी गुफा में भेजा जाता था। बाबा के चेले उसे ‘बाबा की माफी’ बताते थे।

बाबा गुरमीत के बॉडीगार्ड का खुलासा – मैं पहरा दे रहा था, अंदर रेप कर रहा था बाबा

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post. सीबीआई कोर्ट से गुरमीत राम रहीम को मिली सजा के बाद उसके कई राज भी सामने आने लगे हैं। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक, राम रहीम के गार्ड रह चुके बेअंत सिंह ने बाबा से जुड़े कई राज बताए हैं। बेअंत सिंह ने बताया कि 1995-1996 में माउंट आबू में एक टेंट में गुरमीत सिंह ने 15-16 साल की लड़की को बुलाया। तब वह खुद टेंट के बाहर पहरा दे रहा था। उसके साथ राम रहीम ने रेप किया, उसके सिसकने की आवाजें आ रही थीं। वह लड़की आज भी डेरे में है।
 बेअंत के मुताबिक, डेरा प्रमुख ने लगभग 250 लड़कियों के साथ बुरा काम किया है। वहां करीब 400 लड़कियां हैं, जिन्हें साध्वी बताया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि डेरा प्रमुख की गुफा में हर रात कोई न कोई लड़की आती थी। उसके पहरेदारों में वह खुद शामिल होता था। बेअंत के अनुसार, उसकी धारणा माउंट आबू से बाबा के प्रति खराब हो चुकी थी, लेकिन बाकी पहरेदार उसके बुरे कामों से सहमत थे। बेअंत के अनुसार, डेरे में सैकड़ों लोगों को गला घोंटकर मारा जाता था। इसके बाद उनकी डेड बाडी सिरसा ब्रांच नहर भाखड़ में बहा दी जाती थी। यह सिलसिला कई सालों तक चला। फिर कुछ समय बाद मारे जाने वाले लोगों का दाह संस्कार किया जाने लगा। इसके बाद मरे हुए लोगों की अस्थियों को डेरे के पीछे बने बाग में गाड़ दिया जाता था। बेअंत सिंह ने कहा कि डेरा प्रमुख ने सबसे पहला मर्डर फकीर चंद नाम के व्यक्ति का कराया। इसके बाद सैकडों लोग मारे गए और संदेश यह दिया जाता था कि फलां शख्स अपने गुरू को याद करते हुए स्वर्गलोक में चला गया।
 सूत्रों के मुताबिक, पिछले 20 साल से बाबा का राजनीतिक प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा था। अब तो वह खुद की पार्टी बनाकर चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहा था। इसकी वजह यह थी कि हरियाणा राज्य का ऐसा कोई राजनीतिक दल नहीं बचा था, जो डेरे में नतमस्तक नहीं होता था। इससे उसको लगता था कि राजनीतिक पार्टी खड़ी कर दूंगा तो वह और ज्यादा पॉवरफुल हो जाएगा।

प्रधानमंत्री की सभा के लिए 80 करोड़ खर्च, एक दिन के लिए शहर नहीं संभाग बंद।

उदयपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा के लिए जिस तरह से तय्यारियां उदयपुर शहर में भाजपा और प्रशासन ने की उससे मानों लग रहा हो की कोई बहुत बड़ा दीवाली जैसा उत्सव होने वाला है। तीन घंटे की सभा के लिए पैसा पानी की तरह बहाया गया। कदम कदम पर राज्य सरकार के मंत्री जो पिछले ५ दिनों से यही डेरा जमाये थे वह कदम कदम पर अधिकारियों को बाकायदा धमकी वाले अंदाज़ में निर्देश दे रहे थे। एसा होना चाहिए,. एसा नहीं होगा तो देख लेना, वेसा चाहिए बिलकुल। यही नहीं भारी बारिश में सड़कों को दो-दो, तीन-तीन बार डामरीकरण किया गया। बडगांव से प्रताप गौरव केंद्र की सड़क जिससे प्रधान मंत्री को गुजरना था। सुखेर बाईपास की सड़क को गिरती बारिश में बनाया गया जबकि डामर की सड़क बारिश में नहीं बनाई जा सकती फिर भी कुछ घंटे टिक जाए उसके लिए सरकारी खजानों का मूह खोल दिया गया।
संभाग भर के जिलों में कार्यकर्ता से लेकर बड़े नेताओं को सख्त हिदायत थी की चाहे जो हो जाय जनता डेड लाख से ऊपर होनी चाहिए सबको लिस्ट थमा दी गयी थी। गाड़ियां मुहय्या करवा दी गयी थी। खर्चे खाने के रूपये देदिए गए थे। सभा स्थल का यह आलम था कि नरेंद्र मोदी १.१० पर खेलगांव पहुचे तब तक बसों में भर कर जनता को लाया जारहा था।
एक अनुमान व जानकारों के अनुसार सभा स्थल की तय्यारियाँ व लोगों को लाने लेजाने के लिए करीब 80 करोड़ रूपये फूंक डाले। सुबह से कई रास्ते जाम थे यही नहीं हाइवे तक बंद कर अलग अलग रास्तों से वाहनों को भेजे जारहे थे। मजदूरों को सभा के लिए लाया गया तो पुरे संभाग में कही भी निर्माण कार्य नहीं होसके। यही नहीं कई स्कूलों और निजी संस्थानों व् ट्रावेल्स के बस भी जब्त कर लोगों को लाने ले जाने में लगा दी गयी थी। देखा जाये तो एक दिन के लिए मानो शहर एक दिन के लिए रोक दिया गया हो।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा से उदयपुर रहा खाली हाथ – मुख्यमंत्री राजे से रखी दूरी।

उदयपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा को लेकर जिस तरह से उत्साह और तैयारियां उदयपुर के खेल गाँव में की गयी थी और जिस तरह की उम्मीदें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की जारही थी कि उदयपुर शहर को बी २ श्रेणी की घोषणा या अन्य विकास की घोषणाओं की आशा की जारही थी वह सब के सब धरी रह गयी। उदयपुर का नाम ३४ मिनट के भाषण में सिर्फ एक जगह आया जब ट्यूरिज़म की बात हो रही थी। रोड नेटवर्क के अलावा प्रधानमंत्री ने कोई भी नयी घोषणा या उदयपुर के लिए कोई सौगात नहीं दी। उदयपुर के स्मार्ट सिटी में शामिल होने और स्मार्ट सिटी के विकास को लेकर भी कोई बात नहीं की।
सिर्फ यही नहीं सभा के दौरान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से दूरी बनाये रखना भी राजनीति गलियारे में खासा चर्चा में रहा। प्रधानमंत्री मोदी के साथ आये केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी अपने भाषण के दौरान वसुंधरा राजे को निशाने पर रखा पूर्व मुख्यमंत्री अशोक हग्लात के साथ साथ उन्होंने वसुंधरा राजे से भी सवाल पूछ लिया कि राजस्थान में जिस तरह सड़कों का निर्माण होना चाहिए था क्यों नहीं हुआ। गडकरी के सवालों से मुख्यमंत्री राजे कुछ असहज भी नज़र आयी हालांकि उन्होंने अपने भाषण के दौरान राजस्थान में उनके कार्यकाल में बनायी गयी सड़कों का ब्योरा भी रख दिया।

लग गयी बाबा गुरमीत के – 10 नहीं 20 साल कैद की सज़ा

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उदयपुर पोस्ट . डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख बाबा गुरमीत  राम रहीम सिंह को कोर्ट ने सजा देने में कोई रहम नहीं दिखाया और बलात्कार के दोनों मामलों में गुरमीत को 10 – 10 साल की कैद सुनाई . दोनों सजाएं एक साथ नहीं चलेगीं दोनों सजाएं एक के बाद एक अलग अलग दी जायेगीं . सज़ा सुनते ही गुरमीत आँखों में आंसू लिए थरथर कांपता गया और रहम की भीख माँगता रहा. लेकिन बलात्कारी के साथ कोर्ट ने कोई रहमदिली नहीं दिखाई .

इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों मामलों में 15-15 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. इनमें से 14-14 लाख रुपये दोनों मामलों की पीड़िताओं को दिए जाएंगे. सीबीआई के प्रवक्ता आर.के. गौड़ ने गुरमीत राम रहीम को 20 साल की सज़ा मिलने की पुष्टि की है.

हरियाणा में रोहतक की सुनारिया जेल के अंदर लगी विशेष अदालत में जज जगदीप सिंह ने यह सज़ा सुनाई.

इससे पहले 25 अगस्त को पंचकुला में सीबीआई की विशेष अदालत ने गुरमीत राम रहीम सिंह को साल 2002 में दो महिलाओं से बलात्कार का दोषी माना था.

मारवाड़ी युवा मंच का वार्षिक अधिवेशन महिला लेकसिटी की डॉ. काजल वर्मा को राष्ट्रीय पुरस्कार।

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डॉ. काजल वर्मा

उदयपुर। अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच का वार्षिक अधिवेशन एवं पुरस्कार समारोह हाल ही में गोवा में आयोजित हुआ जिसमे महिला लेकसिटी की डॉ. काजल वर्मा को मिशन कैंसर कंट्रोलर के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार मिला इसके अलावा राजस्थन प्रांत के अन्य दो और पदाधिकारियों को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए पुरस्कार दिया गया।
गोवा में अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच का वार्षिक अधिवेशन आयोजित हुआ जिसमे मंच से जुड़े पदाधिकारियों को उनके उत्कृष्ठ कार्यों के लिए गोवा के मुख्यमंत्री एवं महामहिम राज्यपाल की मोजुदगी में सम्मान किया गया एवं पुरूस्कार से नवाज़ा गया। महिला लेकसिटी की प्रांतीय केंसर संयोजक डॉ काजल वर्मा को उनके केंसर जागरूकता के उत्कृष्ठ कार्यों के लिए राष्ट्रीय परुस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा राजस्थान से शिवानी

हल्दिया को सर्वश्रेष्ठ प्रांतीय कोषाध्यक्ष के लिए सम्मानित किया गया। सर्वश्रेष्ठ शाखा कोषाध्यक्ष के लिए सूरतगढ़ के

शिवानी हल्दिया

मनीष सोनी को सम्मानित किया गया। इसके अलावा स्वच्छ भारत अभियान के लिए जयपुर केपिटल को सर्वश्रेष्ठ शाखा व् कन्या भ्रूण संरक्षण के लिए जयपुर मूमल को पुरस्कार दिया गया। इसके अतिरिक्त १३ शाखाओं व् 20 सक्रिय साथियों की अनुशासित उपस्थिति के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में गोवा के मुख्यमंत्री एवं महामहिम राज्यपाल का गरिमामय सानिंध्य, शर्मिला सोनी द्वारा महामहिम राज्यपाल महोदया का राजस्थानी चुनरी ओढ़ाकर अभिनंदन किया गया।

मंच की इस राष्ट्रीय सभा में अति महत्वपूर्ण एवं बड़े स्तर पर संविधान

संशोधन के प्रस्तावों को लम्बी एवं सार्थक चर्चा के बाद पारित किया गया।

मनीष सोनी