उदयपुर. अजमेर में महिला और उसके दो बेटों की हत्या के मामले में जेल से फरार आरोपी को स्पेशल टीम ने सेक्टर 3 के भोपा मगरी क्षेत्र से गिरफ्तार किया। वह यहां एक महीने से किराए का कमरा लेकर रह रहा था। एसपी अजय लांबा ने बताया कि अजमेर में मां और उसके दो बेटों की नृशंस हत्या के आरोप में जेल से पैरोल पर छूटने के बाद से फरार क्रिश्चियनगंज (अजमेर) निवासी डायमंड डिसिल्वा पुत्र विल्सन साइमन को गिरफ्तार किया है। वह भोपा मगरी में किराए के कमरे में दो दोस्तों के साथ रह रहा था। पुलिस ने अजमेर निवासी गगनदीप और मनोज चौहान को भी उसके साथ गिरफ्तार किया है। बताया गया कि अक्टूबर 2013 में पिता की मौत पर उसे सात दिन के पैरोल पर छोड़ा था। तब से वह फरार था। अजमेर पुलिस ने पहुंचकर तीनों को गिरफ्तार कर लिया, जिन्हें अपने साथ ले गई।
युवती की आवाजाही पर हुआ शक
स्पेशल टीम इंचार्ज जितेन्द्र आंचलिया ने बताया कि डायमंड डिसिल्वा जहां किराए रह रहा था, वह जेल में मिले अन्य बंदी की मदद से मिला था। कमरे पर लड़की के आने-जाने व अन्य गतिविधियों के संदिग्ध होने पर पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी थी। घर में डिसिल्वा के साथ अजमेर निवासी दो दोस्तों गगनदीप सिंह और मनोज चौहान मिले। उन्होंने पूछताछ में पैरोल से फरार होने की सूचना दी।
25 लाख के लिए की थीं हत्याएं
डिसिल्वा के दोस्त बंटी के पिता की मौत के बाद उन्हें बीमा के 25 लाख रुपए मिले थे। इन रुपयों पर डिसिल्वा लेना चाहता था। डिसिल्वा ने अन्य चार साथियों के साथ मिलकर बंटी उसके भाई बब्बू और मां नीरू की हत्या की योजना बनाई। बंटी को पार्टी के नाम से रिश्तेदार के खाली पड़े मकान में बुलाया। पीछे से योजनाबद्ध तरीके से दोस्तों ने बंटी के घर जाकर उसकी मां और भाई की हत्या कर दी। वापस आकर बंटी का भी गला घोंटकर हत्या कर दी थी। इसके बाद बंटी की लाश बोरे में बांधकर कुएं में फेंक दिया था। पुलिस ने इस मामले के सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है।
उदयपुर. शहर की सुरक्षा इकाई माने जाने वाली पुलिस चौकियों के हालात बदतर हैं। संवेदनशील क्षेत्रों की अधिकांश पुलिस चौकियों पर ताले लटके हुए हैं। जहां चौकियां खुली मिली, वहां बमुश्किल एक दो जवान ही मिले। इन क्षेत्रों के लोगों से पूछे तो विवाद की स्थिति में ये जवान भी नहीं मिलते। पीडि़त को थाने जाना या चौकी पर लिखे नंबर पर फोन कर मदद मांगना मजबूरी बनता है। दैनिक भास्कर ने शहर की ऐसी पुलिस चौकियों के हालात जाने तो कुछ ऐसी हकीकत सामने आई।
थाना सूरजपोल
चौकी के आस-पास मिले व्यापारियों ने बताया अधिकतर चौकी पर कोई नहीं मिलता है। सुबह के समय कुछ देर के लिए इंचार्ज आते हैं और फिर थाने पर जाने की कहकर चले जाते हैं। कोई विवाद होता है तो पीडि़त घंटाघर या सूरजपोल थाने जाते हैं। लोगों ने कहा किशनपोल पर ज्यादा काम रहता है तो इस चौकी के बजाए इंचार्ज साहब वहां जाने की बताते हैं।
इसलिए जरूरी : इससे जुड़े दूधतलाई, समोरबाग, गुलाबबाग है। यहां पर्यटकों की दिनभर आवाजाही रहती है। लपका गिरोह भी सक्रिय रहते हैं।
हकीकत : एएसआई फतह सिंह की नियुक्ति है। उनका मोबाइल भी स्विच ऑफ था।
थाना सूरजपोल
लोगों ने चौकी के पार्क सहित उस पर अतिक्रमण किया हुआ था। चौकी के ऊपर छत पर बिस्तर लटक रहे थे। पीछे और साइड में बकरियां बंधी हुई थीं। चौकी का नाम भी ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था। आस-पास के व्यापारियों ने बताया कि तीन साल पहले हुए झगड़े के बाद इसे यहां स्थापित किया गया था, लेकिन यहां कोई बैठता नहीं हैं।
इसलिए जरूरी : यह क्षेत्र समुदाय विशेष के लिहाज से भी संवेदनशील है। इसमें मुखर्जी चौक, बड़ा बाजार सहित अन्य व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इलाका है। यहां बड़े आयोजन भी होते रहते है।
हकीकत : कोई नियुक्त नहीं है।
चौकियों पर इंचार्ज कई बार मामलों की तफ्तीश, घटनास्थल, सम्मन तामील करवाने आदि कार्यों में निकल जाते हैं। हां, चौकी पर ताला मिलना गलत है, किसी एक व्यक्ति को तो चौकी पर मौजूद रहना ही चाहिए। चौकियों की स्थिति चेक करवाकर व्यवस्था सही करवाएंगे।
डॉ. राजेश भारद्वाज, एडिशन एसपी सिटी
उदयपुर. इस साल हज के लिए जाने वालों की चयन लॉटरी रविवार को जयपुर स्थित सचिवालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में निकाली गई। लॉटरी में जिनका नाम आया, उनमें से कोई भी सचिवालय में नहीं था। परिचितों ने जब उन्हें फोन पर जानकारी दी तो खुशी से उनकी आंखें छलक आईं। कारण भी बड़ा था। इस बार कोटा काफी कम था। जिन लोगों के नाम आए, उन्होंने खुद को खुशनसीब समझा। इसे मदीने वाले का बुलावा बताते हुए उन्होंने ऊपर वाले का शुक्रिया अदा किया।
प्रदेश से हज यात्रा के लिए 15 हजार 96 लोगों ने आवेदन किया था। कोटे में 3 हजार 686 सीटें थीं। दो हजार 901 आवेदक रिजर्व कैटेगरी में चयनित हो गए। बाकी 12 हजार 195 में से 785 का लॉटरी से चयन हुआ। लॉटरी में उदयपुर जिले से 600 लोगों ने आवेदन किया था। उदयपुर जिले के लिए राज्य सरकार ने हाजियों के लिए निर्धारित कोटा 73 हाजियों का रखा है। उदयपुर जिले से 14 हाजियों का इस प्रक्रिया द्वारा चयन किया गया। जबकि 59 आवेदकों का चयन पहले ही कर लिया गया था। इस सूची में वे आवेदक शामिल है, जिनकी आयु 70 वर्ष या उससे अधिक है।
मुंह मीठा करवाकर दी मुबारकबाद
शहर में हज कुर्रा (लॉटरी) की खबर मिलते ही समुदाय में खुशी की लहर फैल गई। सफर के लिए चुने गए अकीदतमंदों का हज हेल्प डेस्क में माला पहनाकर इस्तकबाल किया गया। परिवारजनों एवं परिचितों ने मिठाई खिलाकर मुबारकबाद दी। इस मौके पर पूर्व हज कमेटी संभाग प्रभारी जहीरुद्दीन सक्का, मोहम्मद सलीम शेख, कार्यक्रम अधिकारी अल्पसंख्यक विभाग, हज हेल्प डेस्क प्रभारी हाजी याकूब मोहम्मद, सलीम मोहम्मद मेवाफरोश, हाजी मोहम्मद हुसैन गन वाला आदि मौजूद थे।
पहला नाम अजमेर, आखिरी उदयपुर के बाशिंदे का
लॉटरी में सबसे पहले अजमेर के मुबारक अली खान और सबसे अंत में उदयपुर के लियाकत हुसैन का नाम आया। अल्पसंख्यक मामलात विभाग के निदेशक शफी मोहम्मद कुरैशी, चीफ काजी खालिद उस्मानी व संयुक्त सचिव अकील अहमद ने लॉटरी की शुरुआत की। इस दौरान अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष माहिर आजाद, कांग्रेसी नेता अमीन कागजी, हज कमेटी के कई सदस्य व पिंकसिटी हज वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष अब्दुल सलाम जौहर भी मौजूद थे।
देहलीगेट स्थित पुलिस कंट्रोलरूम के पास से गत 24 अप्रैल को गिर्वा तहसीलदार के यहां नियुक्त चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के बेटे का अपहरण कर लिया गया। उसे ट्रक सवार युवकों ने बेहोश कर अजमेर के पास एक ढाबे पर बेच दिया था। कचरा डालने के बहाने निकलकर बच्चा जैसे तैसे मदद लेकर स्वरूपगंज पहुंचा, जहां से परिजन उसे लेकर आए।
गिर्वा तहसीलदार कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कोटड़ा हाल धोलीबावड़ी निवासी एजाज खान का बेटा मोइन (13) गत 24 अप्रैल को नारियल लेने देहलीगेट गया था। वापस नहीं लौटने और कहीं से भी खैर खबर नहीं मिलने पर उसके गुमशुदगी की रपट धानमंडी थाने में दर्ज कराई थी।
रविवार को मोइन स्वरूपगंज में अपने रिश्तेदार के यहां पहुंचा, जहां से परिजन लेकर लौटे। यहां मोइन ने अपहरण होने और ढाबे पर बेचने का खुलासा किया है। परिजनों ने पुलिस को फोन पर मोइन के मिलने की सूचना की है। उसे पुलिस के समक्ष सोमवार को पेश किया जाएगा। मोइन ठीक से ढाबे का पता नहीं बता पा रहा, लेकिन उसने बताया कि रोड पर जनमगढ़ जिला अजमेर का बोर्ड लगा हुआ था। ढाबे पर कोई बोर्ड नहीं था। ढाबे पर दो बंदर, दो कुत्ते सहित तोते कबूतर आदि पशु-पक्षी पालतू है।
कचरा फेंकने के बहाने ढाबे से भाग निकला और पहुंचा रिश्तेदार के घर
मोइन ने परिजनों को बताया कि पुलिस कंट्रोल रूम के पास रात आठ बजे उसके पास एक मिनी ट्रक आकर रुकी थी। एक बदमाश ने मुंह दबाकर उसे ट्रक में डाल दिया। रातभर वह बेहोश रहा। सुबह उसे एक ढाबे पर ले गया। अंदर ले जाकर वहां काम करने और भागने की कोशिश नहीं करने की हिदायत दी थी। कहा था कि पांच हजार मिलेंगे। बदले में उसे दस हजार मिलते हैं। वहां ढाबे पर सौंपकर वह व्यक्ति चला गया। वहां प्याज काटने से लेकर पलंग पर लगे पटने साफ किए, शराब की बोतलें फिंकवाई। 26 अप्रैल की रात को कचरा डालने बाहर निकाला था। उस समय उसने दूर गाडिय़ों की लाइट देखी और भाग निकला।
परिजन स्वरूपगंज से लाए
काफी दूर तक दौडऩे के बाद फोरलेन आया। एक ऑटो वाले ने मदद की और जहां गाडिय़ां खड़ी थी, वहां छोड़ा। वहां मोइन ने रोना शुरू कर दिया। किसी ने बस में बैठा दिया और कुछ रुपए दिए। बच्चा पिंडवाड़ा से स्वरूपगंज रिश्तेदार के यहां पहुंचा। रविवार को परिजन वहां पहुंचे ओर उसे लेकर कोटड़ा गांव पहुंचे।
राजगीर के जंगल में घूमने आए प्रेमी युगलों को बंधक बनाकर लड़कियों से दुष्कर्म करते थे। इतना ही नहीं इसका एमएमएस भी बना लेते थे। रविवार को इसका खुलासा हुआ। पुलिस ने इसमें शामिल तीन अपराधियों को गिरफ्तार किया है। अपराधियों ने गुनाह भी कबूल लिया है। ये लोग नकली फॉरेस्टर बन कर प्रेमी युगल को पिस्तौल का भय दिखाते थे। फिर प्रेमी को पेड़ से बांधकर लड़की के साथ बलात्कार करते थे। इस दौरान एमएमएस बनाया जाता था।
राजगीर के जंगल…
गश्ती के दौरान तीनों हत्थे चढ़ गए। इनके पास से एक देसी कट्टा, तीन कारतूस, तीन मोबाइल और एक बाइक बरामद हुई। अपराधियों की पहचान राजगीर के रामहरीपिंड गांव के शंभू सिंह, माक्र्सवादी नगर के मुरारी राजवंशी और उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर के गोवराहा गांव के प्रमोद गुप्ता के रूप में हुई है। इनके मोबाइल में दुष्कर्म के दौरान बनाये गए एमएमएस भी मिले हैं। तीनों को जेल भेज दिया गया। इन अपराधियों के साथियों की तलाश की जा रही है। थानाध्यक्ष जेपी यादव ने बताया कि एमएमएस बनाकर ये लोग सीडी तैयार करते थे।
पटना में बिकता था लूट का सामान
राजगीर में चोरी व लूटपाट भी करते थे। लूटे गए मोबाइल व अन्य सामान पटना में बेचा जाता था। पूछताछ में तीनों अपराधियों ने स्वीकार किया है कि उनके निशाने पर राजगीर जंगल घूमने आए प्रेमी युगल होते थे।
21 मार्च को हुए रेप में भी थे शामिल
पूछताछ में तीनों ने 21 मार्च को जंगल में नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार करने की बात भी स्वीकार कर ली है। इस मामले में राजद नेता का पुत्र व सरकारी स्कूल का हेडमास्टर अनिल यादव अभी जेल में हैं।
एटीएम से कर लेते थे निकासी
ये लोग प्रेमी युगलों से एटीएम कार्ड छीन लेते थे। डराकर पासवर्ड भी उगलवा लेते थे। इसके बाद उनका कोई साथी जंगल से बाहर जाकर पैसे की निकासी करता था। फिर वापस आकर एटीएम कार्ड लौटा देता था।
कथित अवैध संबंधों के मामले पर छत्तीसगढ़ में 28 साल की एक महिला को सरेआम निर्वस्त्र कर बुरी तरह पीटने का वाकया सामने आया है। घटना जशपुर जिले के मेंडरबहार गांव की है। जब महिला के साथ यह क्रूरता की जा रही थी तो बचने के लिए वह पूरे गांव में भागती रही, पर कोई मदद को सामने नहीं आया। घटना शनिवार शाम साढ़े सात बजे की है।
जिन लोगों पर इस घटना को अंजाम देने का आरोप है उनमें गांव की कुछ महिलाओं के अलावा नंदलाल लोहार नाम का व्यक्ति है। बताया जा रहा है कि लोहार के साथ महिला के अवैध संबंध हैं। जब इस महिला का पति अपनी पत्नी को बचाने आया तो आरोपियों ने उसकी भी जमकर पिटाई की। इस वाकये से सदमे में पहुंची महिला अपने पति और बच्चे के साथ महिला उपसरपंच के घर रही। इसके बाद उन्होंने थाने में रिपोर्ट लिखवाई। पुलिस ने इस मामले में अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया है। पीड़िता और उसके पति का कहना है कि उनके साथ बेवजह मारपीट की गई।
उपसरपंच के पति शिवनाथ साय भंडारी ने भी घटना की पुष्टि की है। उसने बताया कि घटना के बाद महिला अपने परिवार के साथ उसके घर आई थी। वही उनको लेकर थाने गए थे। फरसाबहार उप थाने के प्रभारी जे एक्का का कहना है कि शिकायत की जांच की जा रही है। पुलिस ने गांव में जाकर दोनों पक्षों का बयान लिया है।
कल शाम को पड़ोस में ही रहने वाली सनियारो बाई अपने पति नंदलाल लोहार, सास बूंदोबाई और गांव के 14-15 अन्य लोगों के साथ महिला के घर पहुंच गई। उसने महिला को घर से निकालकर पीटना शुरू कर दिया। पीडि़ता के कपड़े फाड़ दिए गए। बचने के लिए महिला बिना कपड़ों के ही गांव में भागती रही। आरोपियों ने मारपीट के अलावा महिला की बेइज्जती भी की। सनियारो बाई, उसकी जेठानी पार्वती ने स्वीकार किया है कि उन्होंने सास और अन्य लोगों के साथ मिलकर महिला का पीटा।
सनियारो का आरोप है कि पीडि़ता और उसके पति का प्रेम प्रसंग चल रहा था। इस वजह से रोज घर में झगड़ा होता था। उसने तीन बच्चों की मां पीडि़ता को सौतन बनकर साथ रहने तक का प्रस्ताव भी दिया था। पर महिला और उसके पति का मिलना-जुलना बंद नहीं हुआ। आरोपी नंदलाल का कहना है कि पीडि़ता चाहे, तो वह उसे दूसरी पत्नी बनाने को तैयार है। शादीशुदा महिला और नंदलाल लोहार एक निजी कंपनी में काम करते हैं।
उदयपुर पोस्ट का पंच : चलिए बात करते है नौटंकी की अरे हां नौटंकी से याद आया इस बार के जितने फ़िल्मी अवार्ड है, चाहे ऑस्कर हो, फिल्म फेयर हो या आइफा अवार्ड हो ये सारे के सारे अवार्ड हमारे इन बड़े बड़े राजनेताओं को मिलने चाहिए, देखा नहीं आपने रोज कितनी धमाकेदार परफॉर्मेंस देते है, फुल्ली नौटंकी ओह्ह्ह सॉरी नौटंकी नहीं फुल्ली अदाकारी और अदाकारी भी कैसी एक सौ पच्चीस करोड़ जनता के सामने बिना किसी रीटेक के धमाकेदार परफॉर्मेंस, इनकी अदाकारी में हर रंग मौजूद है, कभी एक्शन तो कभी इमोशन और कभी फेमली ड्रामा चलता है, और जब इमोशन की अदाकारी पर अपनी परफॉर्मेंस देते है तो जो राजनेता अबकी बार …… आने का दावा कर रहे है, वे चाहे दंसवी फेल ही सही चाहे अंग्रेजी की चार लाइने सही नहीं बोल पाये या कुछ चार वर्ड रटे रटाये टीवी पर बोल ले लेकिन, …….अंग्रेजी ………अरे हाँ भाई अंग्रेजी में कविताओं का संग्रह निकाल देते है, और वो भी पुरे इमोशन के साथ, और इमोशन भी किसके लिए जिसकी उन्होंने पूरी ज़िन्दगी परवाह नहीं की जिसके साथ उन्हें कामयाबी की हर सीडी तय करनी थी, जिसका हर कदम पर साथ देना और लेना चाहिए था, लेकिन उसको गुमनामी के अँधेरे में धकेले रखा, अब जरूरत पड़ी तो उसके लिए इमोशन निकले और निकले भी तो कैसे इंग्लिश में, वाह ………. अब आप ये मत समझ लेना के ये अंग्रेजी की कविताओं का संग्रह किसी भाड़े के बड़े लेखक से लिखवाया गया है, भाई अदाकारी है, स्क्रिप्ट या डाइरेक्शन किसी का भी हो परदे पर तो हमारे सुपर स्टार ही है। और जो दिखता है वाही बिकता है, इमोशन के साथ फैमली ड्रामा भी गजब का है एंग्री मेन की भूमिका निभाते निभाते अचानक दर्द का अहसास करदेते है और दादी, पापा के नाम पे आंसूं तक ला देते है, तो राजनीति को कड़वा ज़हर और माँ की ममता का मिला जुला रूप देकर कमाल का अभिनय करते है । चलिए ये तो बात हुई फेमली ड्रामा की ये लोग एक्शन सीन में भी कम नहीं है। कभी बाहें चढ़ाते है तो कभी ५६ इंच के सीने से टकरा कर सारे दुश्मनों को मार गिराने का दावा करते है। और हर एक स्टेज परफॉर्मेंस में सिर्फ मै। …… मैं। …… और मै ही रहते है लाइक अमिताब बच्चन , सलमान खान जैसे फ़िल्मी स्टार पुरे परदे पर छाए रहते है ना अपनी अदाकारी से वैसे ही यह भी है छाए हुए रहते है। फ़िल्मी दुनिया में अभिनय की बारीकियां और अदाकारी के ढंग एक डायरेक्टर अभिनेताओं को सिखाता है, लेकिन हमारे ये राजनेता रुपी अभिनेता डायरेक्टर और कैमरा मेन को बताते है के उन्हें किसतरह डायरेक्ट करना है और कैमरा चलन है ( यहाँ डायरेक्टर और कैमरा मेन से मेरा मतलब मीडिया से बिलकुल भी नहीं है ) ।
भाई लोगों …… इस रियल मूवी में अब आप आइटम नंबर की बात मत करना क्यों कि आइटम नंबर तो ये लोग बाकी के पुरे पांच साल हमसे करवाने वाले है । जिससे की इनकी मूवी हिट होगी यानी की……… मूवी ब्लॉक बस्टर होगी हमारे आइटम डांस से और बेस्ट एक्टर और बाकी सारे खिताब इनकी झोली में ,………. \ चलो हम है भी इसी काबिल पुरे पांच साल नाच नाच के इनको हिट करवायेगे ,…. अपना तो काम ही ये है ।
गरीब नवाज़ के जश्न का ये आलिशान फोटो ” अकील अहमद” ने उदयपुर पोस्ट को उपलब्ध करवाया
उदयपुर. सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 802वें उर्स का झंडा शनिवार को धूमधाम से दरगाह के बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया गया। तोप के गोले दागे गए और पटाखे छोड़े गए। इसके साथ ही उर्स की अनौपचारिक शुरुआत हो गई। उर्स की विधिवत शुरुआत रजब महीने का चांद दिखाई देने पर 1 मई से होगी। परंपरा के मुताबिक दरगाह गेस्ट हाउस से अस्र की नमाज के बाद झंडे के जुलूस की शुरुआत हुई। भीलवाड़ा के गौरी परिवार के सदस्य झंडा लिए हुए थे। जुलूस के शुरू होते ही बड़े पीर साहब की पहाड़ी से तोप के गोले दागे जाने लगे। गाजेबाजे और ढोल नगाड़ों के बीच निकले जुलूस में खासी तादाद में आशिकाने ख्वाजा शरीक हुए। सबसे आगे ढोल, नगाड़ावादक चल रहे थे। इनके पीछे पुलिस का बैंड सूफियाना कलामों की धुनें बजा रहे थे। पीछे भीलवाड़ा के गौरी परिवार के सदस्य झंडा लिए चल रहे थे।
इधर दरगाह की शाही कव्वाल चौकी के सदस्य असरार हुसैन आदि ‘यह तो ख्वाजा ही ख्वाजगां की चादर है’ ‘फख्र ओ कोनो मकां की चादर है…’ आदि कलाम का नजराना पेश करते हुए चल रहे थे। गौरी परिवार के सदस्य मुतवल्ली अबरार अहमद की सदारत में सिर पर फूलों की टोकरियां लिए हुए चल रहे थे। जुलूस में फखरुद्दीन गौरी समेत विभिन्न गणमान्य लोग शामिल थे। लंगर खाना गली, नला बाजार, दरगाह बाजार होते हुए जुलूस रोशनी के वक्त से पूर्व दरगाह के बुलंद दरवाजे पहुंचा। यहां परंपरागत तरीके से गौरी परिवार के सदस्यों ने मौरूसी अमले के साथ मिल कर झंडे को बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया। इसके साथ ही उर्स की अनौपचारिक शुरुआत हो गई। झंडा चढ़ाने में दरगाह कमेटी के दारोगा मोबीन खान, अमले के सदस्य उस्मान घडिय़ाली, मुजफ्फर भारती, सुब्हान घडिय़ाली, हसन नक्कारची, शमीम नक्कारची और मुदस्सिर समेत 36 सदस्य मौजूद थे। इधर गौरी परिवार के भी सात सदस्य बुलंद दरवाजे पर मौजूद थे।
30 को खुलेगा जन्नती दरवाजा
उर्स के मौके पर जन्नती दरवाजा 30 अप्रैल को तड़केे खुल जाएगा। यह दरवाजा 6 मई तक जायरीन के लिए खुला रहेगा।
झंडे की एक झलक पाने को बेताब रहे जायरीन, रस्म के दौरान अदब से झुकाए सिर
उर्स के झंडे की रस्म में शिरकत के लिए दरगाह में अकीदतमंदों का सैलाब उमड़ पड़ा। रस्म में विधायक हबीबुर्रहमान खान समेत विभिन्न लोगों भी शिरकत की। झंडे के जुलूस और बाद में बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाने की रस्म को देखने के लिए दरगाह में खासी तादाद में आशिकाने ख्वाजा पहुंचे। गरीब नवाज से अकीदत ही थी कि हर तरह की परेशानी के बावजूद आशिकाने ख्वाजा के जज्बा ए अकीदत में कोई कमी नजर नहीं आई। इनमें महिला और बच्चे भी शामिल थे। पुलिस के धक्के और भीड़ में भिंच जाने का भी उन्हें कोई गम नहीं था। बस, झंडे की एक झलक पाना उनका मकसद नजर आया। जैसे ही झंडा दरगाह में पहुंचा, अदब में लोगों ने सिर झुका दिए और दुआएं करते नजर आए।
जायरीन के साथ ही दरगाह कमेटी सदर मोहम्मद उबेदुल्लाह शरीफ, अंजुमन सैयद जादगान व शेख जादगान के पदाधिकारी, पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया, पूर्व विधायक हाजी कय्यूम खान, कांग्रेस नेता हाजी महमूद खान, हफीज खान, पूर्व नाजिम डॉ अंसार अहमद खान, हाजी हसन हाशमी, एसएफ हसन चिश्ती और शेखजादा जुल्फिकार चिश्ती समेत विभिन्न लोगों ने शिरकत की।
मोबाइल में कैद करने की होड़
इधर जुलूस को मोबाइल के कैमरों में कैद करने की जायरीन में होड़ लगी नजर आई। दरगाह परिसर में जायरीन की एक बड़ी तादाद मोबाइल के कैमरे से रस्म की रिकॉर्डिंग करती नजर आई। दरगाह परिसर में महिला जायरीन को नियंत्रित करने के लिए महिला पुलिस कांस्टेबल की व्यवस्था नहीं की गई थी। पुरुष पुलिसकर्मी ही उन्हें नियंत्रित करते नजर आए। ख्वाजा साहब के 802वें उर्स का झंडा शनिवार को बुलंद दरवाजे पर चढ़ाया गया। इसके साथ ही उर्स की अनौपचारिक शुरुआत हो गई।
दिन भर जियारत का तांता
ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह जियारत के लिए शनिवार को रात तक जायरीन का तांता लगा रहा। दोपहर की बजाए रात को खिदमत हुई। शनिवार से ही मजार शरीफ की खिदमत का वक्त भी बदल गया। हिजरी संवत के जमादिउस्सानी महीने की 25 तारीख को देखते हुए शनिवार से मजार शरीफ की खिदमत का वक्त बदल गया। प्रतिदिन दोपहर 2.30 बजे से होने वाली मजार शरीफ की खिदमत दोपहर में नहीं हुई। इसका फायदा जायरीन को मिला, दोपहर में जायरीन आस्ताना शरीफ में जियारत को पहुंचे। रात करीब 8 बजे आस्ताना शरीफ खिदमत के लिए बंद किया गया। अंजुमन सूत्रों के मुताबिक अब रजब महीने की 5 तारीख तक मजार शरीफ की रात में ही खिदमत होगी। जायरीन दिन भर जियारत कर सकेंगे। 6 रजब को कुल की रस्म के बाद परंपरा के मुताबिक दिन में वापस खिदमत शुरू हो जाएगी।
देगों का ठेका शुरू
उर्स के मौके पर दरगाह में स्थित देगों के ठेके की शुरुआत शनिवार से हो गई। नए ठेकेदार ने व्यवस्था संभाल ली है। इधर दिन भर देग में नजराना डालने का जायरीन का तांता लगा रहा। जमादिउस्सानी महीने की 25 तारीख शुरू हो जाने के कारण तय शर्तों के मुताबिक देगों का नया ठेका भी शुरू हो गया। उर्स के 15 दिन और पुष्कर मेले के 10 दिन के लिए पिछले दिनों अंजुमन सैयदजादगान व अंजुमन शेखजादगान ने संयुक्त रूप से देगों का ठेका सैयद लियाकत हुसैन मोतीवाला को दिया है। यह ठेका 3 करोड़ 6 लाख 100 रुपए में छूटा था। उर्स अवधि का यह ठेका 9 रजब को पूरा होगा। इसके बाद पुष्कर मेले के 10 दिन के लिए ठेका होगा। इस दौरान जायरीन देगों में नजराने के साथ ही चढ़ावे के रूप में सूखे मेवे, गेहूं, चावल और जेवरात आदि डालेंगे। अंजुमन सूत्रों के मुताबिक मन्नत पूरी होने पर अकीदतमंद यह नजराना पेश करते हैं।
रोशनी की दुआ में उमड़े आशिकाने ख्वाजा
दरगाह में शनिवार को हुई रोशनी की दुआ में आशिकाने ख्वाजा की भीड़ उमड़ी। शनिवार से रोशनी की दुआ अहाता ए नूर में शुरू हुई। गरीब नवाज के उर्स का झंडा चढऩे के साथ ही दरगाह में रोशनी की दुआ की शुरूआत भी अब अहाता ए नूर में हो गई है। आम दिनों में यह दुआ आस्ताना शरीफ में होती है। खुद्दाम ए ख्वाजा की ओर से दुआ कराई गई। ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स भी शांतिपूर्वक संपन्न हो, इसके लिए भी दुआ की गई। इधर झंडे की रस्म में शरीक होने आए आशिकाने ख्वाजा झंडा चढ़ते ही सीधे दुआ में शरीक हुए। इसके चलते अहाता ए नूर खचाखच भरा हुआ था।
‘The city of dreams!’, is the sobriquet that is often repeated in relation to the city of Mumbai. It was a phrase that dominated most of my childhood in Chennai, as my father would travel to the city and come back with tales of a place that never slept and trains that would take you to every nook and corner. It was the trains, more than anything else that caught my fancy. Trains had always symbolised freedom to me. The wind in your hair, the rush of adrenaline to catch the seat by the window and the journey itself, made me yearn to travel by these local trains. I got my first chance this summer as I got an internship in the city. However, all these ‘dreams’ of mine were crushed, not by the crowd as one might suppose but by the number of children I saw begging on these trains.
These children were highly trained in, if you may be bold enough to say, the art of begging. They went from passenger to passenger singing in shrill voices, hardly stopping to give their vocal chords some rest. It was a voice that pierced through your heart and through any apathy that you may hold for those who refuse to work for a living. One can’t expect a child of four or five to be employed; neither can you rudely refuse those pleading eyes that speak of a hunger that fractures any resolve you may have. They were all dressed in tattered clothes which had clearly been cast away by the original owners.
It was one such child who entered the compartment I was seated in that made my heart feel heavy and instil a sense of helplessness in me. All of five years, she ran up to the train just as it was set to leave the Mumbai Central station. Dressed in a green ‘ghagra’, you might not even take her to be a beggar at first sight. But then the singing began. Two lines were all she sang, repeating them over and over again, invoking the lord. I didn’t understand much of what she sang but the desperation in it put me on the edge and it took all my willpower to turn my head away as she approached. The child then to my utter disbelief laid her head on my knee, a sign of complete surrender. I looked at her in shock, sympathy engulfing my heart. She lay there for more than a minute, continuing to sing, begging for some money. A bespectacled old man next to me, who clearly travelled by these trains often, looked at me understandingly and said- “Don’t fall for these tricks. It is an emotional ploy.”
I nodded at his statement in acknowledgement and turned to see that the child had already gone, paving her way through the crowded compartment. All the voices that spoke of fulfilled dreams in Mumbai weighed upon my memory and I couldn’t help but think of the irony. There went a little child, whose dreams never even had the chance to blossom for they were nipped at the bud. Her singing became fainter as she moved away and finally she was out of sight. But the song never stopped. It continued to reverberate within my head through the day. It was not her face that surfaced in my memories the entire time but the eerie melody of the song she sang. It represented to me a sense of hopelessness and the inability to wrought change. Every note the child hit in the pitiful song, falls as a blow to a system that failed her.
Udaipur. राजस्थान में उत्तरपुस्तिकाएं और ओएमआर शीट्स जल्द ही बीते जमाने की बात हो जाएंगी। प्रदेश में अब आरएएस सहित विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिए होने वाली प्रतियोगी परीक्षाएं ऑनलाइन होंगी।
राज्य सरकार ने इस संबंध में चुनाव आचार संहिता लगने से पहले फैसला किया था। प्रशासनिक सुधार विभाग ने इसका खाका तैयार किया है। जल्द ही इस संबंध में एक एक्ट भी बनाया जाएगा। आचार संहिता हटने के बाद मुख्यमंत्री के स्तर पर मंजूरी मिलना बाकी है। सूत्रों के अनुसार इस योजना को शुरू में एक-दो परीक्षाओं (खासकर आरएएस) से करके देखा जाएगा। बाद में इसमें सभी परीक्षाओं को शामिल किया जाएगा। बाद में विभागीय स्तर पर होने वाली परीक्षाएं भी इसी तर्ज पर होंगी। आईआईटी और आईआईएम में प्रवेश के लिए होने वाली परीक्षाएं ऑनलाइन होती हैं।
ये परीक्षाएं राज्य स्तर पर होने वाली किसी भी परम्परागत प्रतियोगी परीक्षा की तुलना में ज्यादा विश्वसनीयता केसाथ होती हैं। राज्य में इसकी सफलता को लेकर विभाग का तर्क है कि सात-आठ वर्ष पहले तक राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं के आवेदन पत्र तक हाथ से भरकर लिफाफों की जरिए भेजे जाते थे, अब हर परीक्षा में आवेदन पत्र ऑनलाइन भरे जाते हैं। ऎसे में परीक्षाएं कराने में भी ज्यादा परेशानी नहीं आएगी। गौरतलब है किे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के प्रतियोगी परीक्षाओं में सुधार की मंशा जताने के बाद सचिव राजीव महर्षि और विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राकेश वर्मा के स्तर पर इसे अंतिम रूप दिया गया है।
कैसा होगा सिस्टम
विवरणात्मक के बजाए केवल वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाएंगे
जिन अभ्यर्थियों की राइटिंग खराब होती है, उन्हें आम तौर पर खराब मार्किग का शिकार होना पड़ता है। उनकी प्रतिभा का अब सही मूल्यांकन हो सकेगा
परिणाम हाथों-हाथ जारी होगा। आंसर-की से मिलान किया जा सकेगा। अभ्यर्थियों को अपनी संभावित मार्किग (प्राप्तांक) की जानकारी रहेगी
सभी विद्यार्थियों को एक-दूसरे से अलग प्रश्न पत्र मिलेगा। ऎसे में नकल की गुंजाइश नहीं रहेगी
आखिर क्यों पड़ी जरूरत
राज्य में लगभग 86 हजार पदों के लिए पिछले एक-दो वर्षो में हुई परीक्षाएं विभिन्न विवादों के चलते परिणाम जारी होने तक नहीं पहुंच सकी हैं। यह आज भी अटकी हुई हैं
आरएएस, आरजेएस और शिक्षक भर्ती आदि प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल और पेपर लीक होने की घटनाएं होती रही हैं
रोडवेज, आईटी आदि विभागों की परीक्षाएं एक बार में हो ही नहीं सकीं, उन्हें दोबारा करवाना पड़ा
ग्रामीण विकास व शिक्षा विभाग के स्तर पर हुई तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा मेरिट को लेकर कई जिलों में विवाद सामने आए
परिणामों में असंतोष को लेकर अक्सर छात्र सड़क पर प्रदर्शन से लेकर न्यायालय में जाते रहे हैं
उत्तरपुस्तिकाएं ठीक से नहीं जांचने, सड़क पर मिलने और फटने जैसी घटनाएं भी कई बार हुई हैं
हो सकती है कुछ परेशानियां
प्रतियोगी परीक्षाओं में लाखों अभ्यर्थी शामिल होते हैं। ऎसे में उनके लिए ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करवाना संसाधनों की दृष्टि से आसान नहीं होगा
राजस्थान के ग्रामीण-कस्बाई क्षेत्रों में ऑनलाइन एक्जाम से युवा फ्रेंडली नहीं हैं
सरकारी सिस्टम को भी पर्याप्त अपडेट करना पड़ेगा
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