71 साल के अमिताभ ने 65 साल की जया बच्चन को किया ‘लिप किस’

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मेगास्टार अमिताभ बच्चन ‘ब्लैक’ फिल्म में रानी मुखर्जी को ‘लिप-किस’ करते नजर आए थे. लेकिन सार्वजनिक रूप से पहली बार उनकी ऐसी तस्वीरें सामने आई है.
71 साल के अमिताभ ने अपनी 65 साल की पत्नी जया बच्चन को किस किया. यह मौका था हाल ही में हुए स्क्रीन अवॉर्ड्स का, जहां अमिताभ को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया. जया बच्चन और रेखा की गलबहियों वाली तस्वीरें तो आपने खूब देखीं, लेकिन उसके बाद क्या हुआ, वह हम आपको दिखाते हैं.

अमिताभ बच्चन जब अवॉर्ड लेकर मंच से लौटे तो सीधे आगे की सीटों पर बैठे अपने परिवार के पास गए. पत्नी जया ने अप्रत्याशित तौर पर उन्हें अपनी ओर खींचा और किस करके बधाई दी. इस दौरान उनके बेटे अभिषेक बच्चन दोनों के बीच में ही बैठे हुए थे.

सियासत के लिए शांत शहर में न करें सौहार्द तोडने का प्रयास

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उदयपुर। प्रतापगढ जिले के एक छोटे से गांव में बीती 14 जनवरी को जो कुछ हुआ वह निंदनीय है। कोई भी सभ्य समाज ऐसे दंगों का समर्थक नहीं हो सकता। दंगे की परिणिती में दोनों ओर से चली गोलियों ने तीन घरों के चिराग बुझा दिए, लाखों रूपयों की सम्पत्ति को फूंका गया। जो कुछ भी हुआ उसकी भर्त्सना की जानी चाहिए लेकिन ऐसे संवेदनशील अवसरों पर वाणी और शब्दों पर संयम की नितांत आवश्यकता है। हिंसा का दौर मानसिक उबाल का परिणाम होता है, उसके लिए दोनों पक्ष जिम्मेदार होते है। घटना के जिम्मेदारों को चिन्हित कर उन्हें निश्चित रूप से दण्डित भी किया जाना चाहिए। लेकिन ऐसे अवसरों का राजनीतिक लाभ हथियाने की चेष्टा करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उनकी यह कुचेष्टा माहौल को हवा देने में तात्कालिक रूप से सफल हो सकती है, लेकिन उसके परिणाम समाज एवं देश को वर्षों तक झेलने पडते है।
हाल ही की घटना पर उदयपुर शहर के जिम्मेदार भाजपा के प्रवक्ता ने भाजपा के वरिष्ठ जनप्रतिनिधियों के हवाले से एक विज्ञप्ति जारी कर पुरे मुस्लिम समाज को कटघरे में खडे करते हुए कह दिया कि  “उदयपुर शहर सहित अन्य स्थानों पर समुदाय विशेष द्वारा त्यौहार के अवसर पर अराजकता का प्रदर्शन किया गया”

क्या ऐसा कह कर ये अन्य समाजों को जबर्दस्ती मुस्लिम समाज के विरोध में करने की राजनीति नहीं कर रहे है ?

क्या उन्हें उदयपुर शहर और अन्य शहरों की शांति अच्छी नहीं लग रही ?

क्या वे लोकसभा चुनाव के करीब आने से दंगों की राजनीति नहीं करना चाह रहे है ?
शहर के इन जिम्मेदार लोगों ने ही नहीं अन्य सभी ने देखा कि उदयपुर शहर में ईद मिलादुन्नबी के मोके पर निकले गए जुलूस में 70 से 80 हजार लोग आये थे और इतनी भारी तादाद में लोग जुलुस के रूप में खुशियां मनाते हुए निकले लेकिन कहीं से भी कोई अवांछित या अप्रिय घटना नहीं हुई । जहाँ इन जिम्मेदार वोटों की राजनीति करने वालों को शहर के लोगों की तारीफ करनी चाहिए कि अन्य जगह के तुलना में यहाँ इतनी भारी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग निकले लेकिन कही से कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। जबकि जुलूस हर मौहल्ले से होकर गुजरता है। उसकी जगह यह और उकसाने का काम कर रहे है । ऐसे में ये अपने आपको जनप्रतिनिधि कहने वाले खुद के शहर के लोगों में ही भेद भाव की भावना पैदा कर रहे है ।
आराजकता किसको कहते है, शायद यह भी इन जिम्मेदारो को नहीं मालूम। जहाँ कोई कानून ना हो किसी को कानून की पडी ना हो । ईद मिलादुन्नबी की पूर्व संध्या पर मुस्लिम बाहुल्य खांजीपीर में भी साज सज्जा और रौशनी देखने के करीब 30 से 40 हजार लोग आये और सबसे बडी बात यह कि वहां एक भी पुलिस का जवान तैनात नहीं था फिर भी वहाँ के नौजवानो के पुख्ता इंतजाम के चलते बिना कोई अप्रिय घटना के सारा कार्यक्रम शांतिपूर्वक हो गया, तो क्या यह आराजकता होती है ? ईद मिलादुन्नबी का जुलूस ही नहीं कोई भी धार्मिक जुलूस को चाहे भगवान् जगन्नाथ की रथ यात्रा हो, गुरु गोविन्द सिंह साहेब की शोभायात्रा हो, चेटीचंड पर निकाली जाने वाली यात्रा या शिवरात्रि पर निकाले जाने वाली यात्रा हो हर यात्रा अपने आप में एक शांति और धर्म पर चलने का पैगाम लिए होती है। जिसमे लोग भक्ति भाव और दिल से जुडते है। पिछले सौ साल का इतिहास उठा कर देख ले तो इक्का दुक्का घटना को छोड कर कभी किसी यात्रा में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई ।
धार्मिक जुलूस किसी भी धर्म का हो उसमे भाग लेने वाले लोग कभी आराजकता पैदा नहीं करते। हां खुशी के आलम में कुछ अनुशासनहीनता हो सकती है जो हर समाज के मोतबीर लोगों को ध्यान रखना चाहिए लेकिन आराजकता नहीं हो सकती। धार्मिक जुलूस कोई राजनैतिक पार्टियों की रैली या हडताल के जुलूस की तरह नहीं होते जहाँ लोगों को खरीदकर बुलाया जाता है। और आराजकता का माहोल बनाया जाता है ।
ऐसे माहोल में ऐसे जिम्मेदार लोग अपने वोट और सीट की चिंता करने वाले लोग जो खुद को जनप्रतिनिधि कहते है वे लोग इस तरह से समाजों में घृणा पैदा करके कुछ वक्त के लिए जरूर जीत जायेगे लेकिन ऐसे लोग ही इन दंगों की राजनीति और साप्रदायिकता के घोडे पर सवार होकर पहले इस शहर को और फिर देश को गर्त में ले जायेगें।

‘सेराजेमञ्ज नि:शुल्क थैरेपी सेंटर से मिला 2.20 लाख लोगों को स्वास्थ्य लाभ

उदयपुर। उदयपुर के ‘सेराजेमञ्ज नि:शुल्क थैरेपी सेंटर पर विगत डेढ़ साल की अवधि में दो लाख 20 हजार से अधिक को नि:शुल्क थैरेपी का लाभ दिया जा चुका है। विगत एक वर्ष के दौरान 10 हजार से अधिक नए व्यक्तियों का पंजीयन सेंटर पर किया गया।
‘सेराजेमञ्ज के प्रबंधक निदेशक अध्यक्ष तुकाराम का बले ने बताया कि उदयपुर में 23 जुलाई 2012 को सेंटर की स्थापना के बाद प्रतिदिन दो वर्ष के ऊपर के सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों को थर्मल एक्यूप्रेशर पद्घति से थैेरेपी दी जा रही है, जो नि:शुल्क है।
‘सेराजेमञ्ज की उदयपुर सहित देश में 400 शाखाएं क्रियान्वित हो रही है। उदयपुर में यूनिवर्सिटी रोड पर सहकारी थोक भंडार के ऊपर नौ प्लाजा हीराबाग कॉलोनी स्थल पर चल रहे इस थैरेपी सेंटर में 30 थैरेपी बेड्स पर हर आधे घंटे के अन्तराल में 15 चरणों में दी जा रही है।

पुराने मकानों के सीवर कनेक्शन यूआईटी की लाइन से जोड़े जाए

not-so-beautiful-lakes-udaipurउदयपुर। नगर निगम ने नगर विकास प्रन्यास को लिखा है कि पीछोला झील के आस-पास के पुराने सिस्टम के सभी मकानों के सीवर कनेक्शन नगर विकास प्रन्यास द्वारा डाली गई सीवरेज लाइन से ही जोडऩे की कार्रवाई अविलंब की जाए। महापौर रजनी डांगी ने बुधवार को प्रन्यास सचिव को लिखे पत्र में कहा कि वर्ष 2000-2005 के मध्य डाली गई सीवरेज लाइ में कई जगह हाउस कनेक्शन क्षतिग्रस्त होने व कई क्षेत्रों में सीवरेज लाइन नहीं होने के कारण इन सभी मकानों का जल-मल नालियों के माध्यम से झीलों में निस्तारित हो रहा है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि इन सभी मकानों का सीवर कनेक्शन नगर विकास प्रन्यास द्वारा डाली गई सीवरेज लाइन से ही जोडऩे की अविलंब कार्रवाई की जाए, जिससे भूमिगत जल को दूषित होने से बचाया जा सके। महापौर ने लिखा है कि यह मामला झील संरक्षण से संबंधित होने के मध्येनजर उक्त कार्य नगर विकास प्रन्यास द्वारा अपने स्तर पर ही करवाने का प्रयास किया जाए, चूंकि पूर्व में सीवरेज निर्माण से संबंधित अधिकतर अभियन्ता वर्तमान में नगर विकास प्रन्यास में ही पदस्थापित है और नगर विकास प्रन्यास द्वारा ही झीलों के आस-पास सीवरेज लाइन व हाउस कनेक्शन का कार्य करवाया जा रहा है। प्रन्यास चाहे तो इस कार्य में की जाने वाली राशि नगर निगम द्वारा उपलब्ध करवाई जा सकती है। इस कार्य को सर्वाेच्च प्राथमिकता दी जाए, ताकि झीलों को प्रदूषित होने से बचाया जा सके व आस-पास के क्षेत्रों की जनता को भी लाभ मिल सके।

जहरीली वस्तु खाने से युवक की मौत

उदयपुर। नाई थाना क्षेत्र के करनाली गांव में जहरीली वस्तु खाने से एक युवक की मौत हो गई। पुलिस के अनुसार करनाली गांव निवासी बंशी (20) पुत्र जेवरा गमेती ने कुछ दिन पूर्व घर पर कोई जहरीली वस्तु खा ली,जिस पर परिजनों ने उसे एम बी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां बुधवार को ईलाज के दौरान मौत हो गई। परिजनो ने बताया कि बंशी पिछले कुछ समय से मानसिक रूप से परेशान चल रहा था। घर में भी किसी से बात भी नहीं करता था। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सोंप दिया।

कोटड़ी में कफ्र्यू, मोहेड़ी में हटाया

छह संदिग्ध हिरासत में, पूछताछ जारी
उदयपुर। प्रतापगढ़ जिले के कोटड़ी गांव में सांप्रदायिक हिंसा के दो दिन बाद कोटड़ी से छह लोगों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है। उधर, उदयपुर संभाग के आईजी जी.एन. पुरोहित ने बताया कि हालात पर काबू पा लिया गया है। कोटड़ी गांव में कफ्र्यू लगा हुआ है। वहीं मोहड़ी गांव में शांति के चलते कफ्र्यू हटा दिया गया है। पुरोहित ने बताया की आज मृतकों के शवों का पुलिस बल की मौजूदगी में अन्तिम संस्कार किया गया।
गौरतलब है कि मंगलवार रात को प्रतापगढ़ जिले के कोटड़ी एवं मोहेड़ा गांव में सांप्रदायिक हिंसा हो गई थी। हिंसा के दौरान मोहेड़ा थाना अरणोद निवासी भंवरसिंह (४५) पुत्र शंभूसिंह तथा दिनेश (३२) पुत्र खेमा गायरी, फिरोज (29) पुत्र वाहिद की मौत हो गई थी। मृतक फिरोज का शव गुरुवार सुबह उसके परिजनों के सुपुर्द किया गया। इस वारदात में कोटड़ी निवासी जितेंद्र (३२), देवेंद्र उर्फ राहुल (२६), रघुराज (२६), गमेरसिंह (३५), भंवरसिंह और मोहेड़ी निवासी कंवरलाल (३०) सहित 11 जने घायल हो गए, जिन्हें यहां एमबी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यहां दो लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है।

हरे पेड़ काटने पर नागदा समाज के लोगों के खिलाफ मामला दर्ज

उदयपुर। अशोक नगर स्थित एक मंदिर के पुजारी ने नागदा ब्राह्मण समाज के कुछ लोगों के खिलाफ हरे पेड़ काटने का मामला दर्ज करवाया है, जबकि समाजजनों ने साफ-सफाई की नीयत से पेड़ों की छंगाई करने की बात कही है। पुलिस के अनुसार अशोक नगर स्थित सांडेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी टीकाराम पुत्र लक्ष्मण पुरोहित निवासी दक्षिणी आयड़ ने के.के. शर्मा सहित कुछ लोगों के खिलाफ हरे पेड़ काटने का मामला दर्ज करवाया। पुजारी ने रिपोर्ट में बतया कि 14 जनवरी को मंदिर परिसर मे नागदा ब्राह्मण समाज के के.के. शर्मा सहित कुछ लोग आए और वहां पर कब्जा करने की नीयत से हरे पेड़ को काट दिया। विरोध करने पर पुजारी के साथ मारपीट भी की। गई। उधर दूसरे पक्ष का कहना है कि मंदिर में सफाई करने के लिए आए थे। उन्होने पेड़ों काटा नहीं बल्कि छंगाई की है। पुलिस ने पुजारी कि रिपोर्ट पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

सड़क सुरक्षा सप्ताह का हुआ आगाज

IMG_6932उदयपुर। दुर्घटनाओं को रोकने तथा बचाव के उद्देश्य को लेकर सड़क सुरक्षा सप्ताह का आगाज आज सुबह 1१ बजे उदयपोल स्थित पुलिस कंट्रोल रूम पर परिवहन विभाग के संयुक्त परिवहन विभाग आयुक्त जगदीश प्रसाद शाह ने हरी झंडी दिखाकर रैली को रवाना किया। प्रादेशिक परिवहन अधिकारी जितेन्द्र सिंह ने बताया कि सप्ताह के दौरान विशेषकर स्कूली बच्चों में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता लाने की दृष्टि से शहर के 40 निजी स्कूलों में भारत सरकार द्वारा तैयार किये गये ‘इंटरेक्टिव मल्टीमीडिया सीडी गेम्स ऑन रो$ड सेफ्टी का वितरण किया गया है ताकि बच्चे खेल खेल में सडक सुरक्षा का महत्व समझ सकें। उन्होंने बताया कि इस दौरान जिला परिवहन अधिकारी प्रवर्तन के पर्यवेक्षक में धीमी गति से चलने वाले वाहनों विशेषकर ट्रेक्टर-ट्रोली पर रिप्लेक्टर्स लगाने का कार्य अभियान के रूप में चलाया जायेगा ताकि उनके द्वारा सड़क दुर्घटनाओं को टाला जा सके। सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान शहर के सभी सरकारी-गैर सरकारी विद्यालयों में विविध कार्यक्रम, प्रदर्शनी एवं प्रतियोगितायें आयोजित की जायेगी। सप्ताह के दौरान पहली बार जिले में सड़क दुर्घटनाओं में मृत लोगों की स्मृति में श्रद्घांजली कार्यक्रम व केंडल मार्च भी रखा गया है।

25 लाख लीटर पेयजल की रोजाना चोरी

Water_Tap_AP-300x186उदयपुर। शहर मे करीब २५ लाख लीटर पीने का पानी रोजाना चुराया जा रहा है। इसकी जानकारी जलदाय विभाग के सभी अधिकारियों को है, लेकिन वे जानबूझ कर इस मामले की अनदेखी कर रहे हैं। आंखे खोलने वाला तथ्य तो यह है कि विभागीय कर्मचारियों तथा निजी प्लंबरों ने सरकारी पाइपलाइनों से हजारों अवैध कनेक्शन जोड़ दिए हैं, जिनसे लोगों को पीने का पानी मुफ्त में सप्लाई हो रहा हैं। यही कारण है कि वैद्य कनेक्शनधारियों को नियमानुसार पूरा पानी नहीं मिल रहा है। इतना ही नहीं प्रतिदिन जलापूर्ति के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी सफलता नहीं मिल रही है। साथ ही नयी लाइने डालने में भी धन की कमी आड़े आ रही है। वैसे नियमानुसार हर उपभोक्ता को ७५० लीटर पानी प्रतिदिन प्राप्त होना चाहिए लेकिन वर्तमान में बमुश्किल ५०० लीटर पानी भी नहीं मिल रहा है।
कितने वैध और कितने अवैध :
शहर में लगभग 80 हज़ार कनेक्शन वैध है जबकि शहर की विभिन्न बस्तियों में लगभग 7 से 10 हज़ार कनेक्शन अवैध है। अवैध कनेक्शनों कि संख्या शहर की विभिन्न कच्ची बस्तियों में ज्यादा है। यही नहीं कई नयी कॉलोनियों और शहर के आसपास बने नए मकानों में अवैध कनेक्शनों की भरमार है। जब मकान का काम चलता है तब मकान मालिक घर आये प्लंबर से घर के बाहर से जा रही सरकारी पाइप लाइन में अपना अवैध कनेक्शन करवा लेते है।
अधिकारी बैठे है शिकायत के इंतज़ार में :
जलदाय विभाग के अधिकारी मानते तो है कि शहर में अवैध कनेक्शन है । लेकिन वे सिर्फ शिकायत के इंतज़ार में बैठे रहते है कि कही से अगर शिकायत आये तो कार्रवाई की जाए। एस ई आनंद गौड़ मानते है कि अवैध कनेक्शन है और प्रभावी कार्रवाई नहीं होने से इनकी संख्या भी बढ़ गयी है । इस बाबत् सरकार ने प्रत्येक जिले के लिए विजिलेंस टीम के पद स्वीकृत कर रखे है, लेकिन अभी तक इन पर कोई पोस्टिंग नहीं हो पायी है।
कितना पानी कहाँ से आता है :
शहर में पीने के पानी के मुख्य स्रोत मानसी वाकल, जयसमंद, झामर कोटड़ा, पिछोला, बड़ी तालाब और फतह सागर है, जिनमे मानसी वाकल से सबसे अधिक 25 एमएलडी, जयसमंद से 19 एमएलडी पिछोला से 18 एमएलडी , फतहसागर और बड़ी से लगभग 12 से 14 एमएलडी पानी रोज़ आता है , यानि करीब 8 करोड़ लीटर पानी रोज़ शहर में आता हैं। जिसमें से 25 लाख लीटर चुरा लिया जाता है।
सी एम ने दिए थे निर्देश :
हाल ही हुई जलदाय विभाग के कामकाज की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी अवैध कनेक्शन धारियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने और शहर के नियमित उपभोक्ताओं को नियम के मुताबिक़ पीने का पूरा पानी देने को कहा था ।
॥समय समय पर अवैध कनेक्शन के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। यदि आप बता रहे है, इतने कनेक्शन अवैध है, तो में अधिकारियों से जांच करवाता हूं।
-आनंद गौड़
एस ई जलदाय विभाग, उदयपुर
॥जब जब अवैध कनेक्शन की शिकायत आती है, तो कार्रवाई की जाती है और कनेक्शन को काट कर नोटिस भी दिया जाता है ।
-राजेन्द्र भारद्वाज
एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, जलदाय विभाग, उदयपुर (द्वितीय)
॥हमारी नॉलेज में इतने कनेक्शन अवैध नहीं है, समय समय पर निगरानी रखी जाती है यदि आपकी जानकारी में हो तो भी हमे बताये। हम कारवाई करेंगे।
– प्रहलाद मीणा
एक्जीक्यूटिव इंजीनियर , जलदाय विभाग उदयपुर, (प्रथम)

घर-घर में तमंचे व पिस्टल!

ud1716-01-2014-01-56-99Nउदयपुर। राजस्थान से लगती मध्यप्रदेश सीमा से हथियार व मादक पदार्थ की तस्करी होने के बावजूद राज्य सरकार बिलकुल गंभीर नहीं है। मध्यप्रदेश से आने वाले हथियार व बड़े तस्करों की आवाजाही के कारण उदयपुर संभाग का प्रतापगढ़ जिला अपराधियों का गढ़ बन चुका है।

इस क्षेत्र के देवल्दी, नौगांव, अखेपुर, साकरिया सहित आधा दर्जन गांवों के घरों में खिलौने की जगह तमंचे, पिस्टल मिलते हैं। इस जिले में कहने को 4738 पंजीकृत (लाइसेंसी) हथियार है, लेकिन हकीकत में यहां बिना लाइसेंस के हथियारों की गिनती ही नहीं है।

नहीं चलती पुलिस की

इन्हीं, हथियारों की दंबगई के आगे इन गांवों में न तो पुलिस की चलती है और न ही प्रशासन की कोई सुनता है। प्रतापगढ़ के कोटड़ी व माहेड़ा गांव में मंगलवार को हुई फायरिंग, तोड़फोड़ व आगजनी की घटना इसी की परिणिती है। मामूली झगड़े के बाद निकले हथियार न तो लाइसेंसी थे न ही पुलिस को उनके बारे में कोई जानकारी थी। उन हथियारों से निकली गोलियां कइयों को लगी।

अत्याधुनिक हथियार

हकीकत में इन गोलियों के आधार पर पता लगाया जाए तो, अवैध हथियारों की हकीकत सामने आ जाएगी। जिन हथियार से यह गोलियां निकली, वह गैरलाइसेंसी होकर अतिआधुनिक थे। यह मध्यप्रदेश के बॉर्डर पार से यहां पहुंचे। जानकारों का कहना है कि ड्रग माफिया के कारण हथियारों के सही खरीदार प्रतापगढ़ के है। इसी कारण यहां हर तीसरे व्यक्ति के पास हथियार है।

बढ़ा देते हैं, सिर्फ चौकसी

दंगे फसाद होने पर बढ़ती है सुरक्षा राज्य के सीमावर्ती इलाकों व राज्य के किसी भी जिले में वारदात होने पर सीमा पर महज कुछ दिनों के लिए चौकसी बढ़ा दी जाती है। शेष्ा दिनों में वहीं ढाक के तीन पात। गुजरात दंगे के समय भी बॉर्डर के आस-पास के इलाकों में तीन अस्थाई चौकियां बनाई गई थी, अभी वहां कुछ नहीं है। अजमेर व जयपुर बम ब्लॉस्ट के बाद वहां पर महज नाकाबंदी से काम चलाया गया। सुरक्षा के नाम पर गुजरात व मध्यप्रदेश की सीमा पर अपराधी अभी भी आसानी से आ जा रहे है।

इन मार्गो से बॉर्डर पार

आरोपी राज्य या राज्य के बाहर वारदाते कर निम्बाहेड़ा से नया गांव, प्रतापगढ़ से मंदसौर, बांसवाड़ा से सैलाना, छोटी सादड़ी से नीमच, होकर मध्यप्रदेश में व उदयपुर के खेरवाड़ा से होकर अहमदाबाद, बासंवाड़ा से दाहोद और झाड़ोल-कोटड़ा मार्ग से गुजरात के बॉर्डर में घुस जाते है।

कई वारदातों में हुए इधर-उधर

प्रतापगढ़ में गिरराज वकील के हत्या करने वाले आरोपियों ने मंदसौर में शरण ली।
निम्बाहेड़ा से जेल से भागे बारह कैदी मध्यप्रदेश के सीमा पार कर नीमच में रहे।
मंदसौर में एक युवक की हत्या कर पिता पुत्र भागकर उदयपुर में छिपे रहे।
शहर के हमीद लाल हत्याकांड के बाद आरोपी गुजरात बॉर्डर शहरों में छिपे रहे।
गुजरात के कई आपराधिक मामले में आरोपियों ने बॉर्डर पार कर राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों
में शरण ।