शहर में 150 बार बालाएं

उदयपुर। पड़ौसी राज्य गुजरात से करीब डेढ़ सौ लड़कियां शहर में आई हुई हैं, जो महंगी कारों के आगे खड़ी होकर भीख मांगती नजर आ रही है, लेकिन वास्तव में इनका पेशा वेश्यावृत्ति का है, जब कोई व्यक्ति इन लड़कियों को साथ चलने का ऑफर देता है, तो ये तैयार हो जाती है। दिखने में बार बालाओं जैसी ये लड़कियां शहर के कई इलाकों में देखी जा रही है।

bar girls in udaipur
बेदला की नई पुलिया पर सोमवार को जब इन लड़कियों का एक समूह रिपोर्टर की कार के सामने आया, तो करीब १० से ज्यादा लड़कियां जींस-पेंट पहने सड़क पर खड़ी हो गई। इन लड़कियों ने कहा कि वे काफी गरीब है और भूखमरी के कारण गुजरात से पलायन कर यहां आई हैं। ये लड़कियां भीख में भी सौ या दो सौ रुपए से कम नहीं मांगती है। जब क्रमददगारञ्ज रिपोर्टर ने भीख देने से इनकार कर दिया, तो ये लड़कियां गंदे इशारे करने लगी और अच्छे रूपए देने पर साथ चलने की पेशकश भी कर दी। बातचीत में इन लड़कियों ने बताया कि ये अहमदाबाद के पास के ग्रामीण इलाके से हैं और संख्या में करीब डेढ़ सौ हैं।
जब इन लड़कियों से और बातचीत की गई, तो बोलचाल से ये लड़कियां मुंबई में रही हुई प्रतीत हुई है, जिससे लगता है कि इन लड़कियां का पेशा बार में डांस करने के साथ ही जिस्मफरोशी का है। पता चला है कि शहर के बाहरी इलाकों बलीचा, प्रतापनगर, भुवाणा, बेदला, बडग़ांव सहित आसपास के इलाकों में ये लड़कियों इन दिनों चार पहिया वाहनों को रोककर इस तरह से भीख मांगने के बहाने जिस्मफरोशी का धंधा कर रही है।
:मुझे इस प्रकार की कोई जानकारी नहीं है। इस मामले की जांच की जाएगी।
-हरिप्रसाद शर्मा, एसपी उदयपुर

कटारिया की जमानत पर फैसला 27 जून को

gulabchand katariyaउदयपुर। सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में अग्रिम जमानत पर चल रहे राज्य विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया की जमानत अवधि बढ़ाने को लेकर मुंबई के सेशन कोर्ट में मंगलवार को बहस पूरी हो गई।
भाजपा सह जिला के मीडिया प्रभारी चंचल अग्रवाल ने बताया कि कटारिया की जमानत अवधि को लेकर कोर्ट में बहस हुई जिसमें कटारिया के वकील ने कटारिया का पक्ष रखते हुए जमानत अवधि को बढ़ाने की मांग की। हालांकि कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला 27 जून तक के लिए सुरक्षित रख लिया।
गौरतलब है कि सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में सीबीआई ने भाजपा नेता गुलाबचंद कटारिया को आरोपी बनाया है। इससे पहले कटारिया 23 जून तक जमानत पर थे। इसके बाद 24 जून को भी सेशन कोर्ट में मामले की सुनवाई होनी थी जो कि किन्हीं कारणों से नहीं हो सकी।

बिजली बंद होने से मानो शहर ही रुक गया हो

उदयपुर।एक और तो गर्मी और उमस से लोग परेशां ऊपर से आपातकालीन रख रखाव
को लेकर शहर भर में बिजली दिन भर बंद रहने से घर और कार्यालयों में काम ठप्प रहा तो घरों में लोग गर्मी से परेशां रहे ।गौरतलब है कि लाइनों की मरम्मत और रखरखाव को लेकर मंगलवार को सुबह 9 बजे 10.30 और दोपहर 2 से 5 बजे तक लाइट बंद रखने का निर्णय विभाग ने लिया।
पानी चढ़ाना मुश्किल हो गया: बिजली के बंद रहते मोती मगरी, पंचवटी, दैत्य मगरी, हजारेश्वर कॉलोनी, प्रतापनगर, विश्वविद्यालय मार्ग, खरोल कॉलोनी क्षेत्रों में लोगों ने परेशानी बताई। इन क्षेत्रों के अधिकतर भवनों में बिजली के अभाव में पानी की मोटर नहीं चल पाई। ऐसे में कुछ लोगों ने टैंकर का सहारा लिया।
powercut
कार्यालय, दुकान, शोरूम में दिनभर चला जेनरेटर: शहर के प्रमुख कार्यालयों में जहां पब्लिक डीलिंग रहती है। उनमें नगर विकास प्रन्यास, आबकारी विभाग, इनकम टैक्स में सुबह से शाम तक जेनरेटर चला। शहर के बड़े शोरूम सहित दुकानों में भी जेनरेटर चलाना पड़ा।

ऑनलाइन आवेदन में परेशानी: बिजली बंद का प्रभाव मीरा कन्या महाविद्यालय सहित सरकारी महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया में देखने को मिला।
बिजली के बंद रहते एमजी कॉलेज में फर्स्ट ईयर, सेकेंड ईयर और थर्ड ईयर में प्रवेश लेने वाली छात्राओं को ऑनलाइन आवेदन के लिए शहर में भटकना पड़ा। कॉलेज में बिजली के बंद होने से छात्र छात्राएं ऑनलाइन प्रवेश के लिए साइबर कैफे तलाशते रहे।

इन क्षेत्रों में बिजली ठप रही: 132 केवी जीएसएस सुखेर से संबंधित क्षेत्र मधुबन, भुवाणा गांव, बडग़ांव, हॉस्पिटल, चित्रकूट नगर, पोलोग्राउंड, फील्ड क्लब, हजारेश्वर, सुखाडिय़ा सर्कल, दैत्य मगरी, मोती मगरी, यूआईटी, सर्किट हाउस, डाक बंगला, पंचवटी, न्यू फतहपुरा, चेतक सर्किल, हाथीपोल रोड, लोहा बाजार, शिक्षा भवन, चमनपुरा, गुमानियावाला, सरदारपुरा, सहेली नगर, शोभागपुरा, पुलां क्षेत्र, मॉडल कॉम्पलेक्स, अहिंसापुरी, रेलवे ट्रेनिंग स्कूल, बेदला, समता नगर, महावीर कॉलोनी, चिकलवास, देवाली, खारोल कॉलोनी, वीबीआरआई, पंचरत्न कॉम्प्लेक्स, नवरत्न कॉम्पलेक्स, साइफन, आदिनाथ नगर, बोहरावाड़ी, मंडी, अश्वनी बाजार, होटल राज-दर्शन, भोईवाड़ा,घंटाघर, मोचीवाड़ा, धोलीबावड़ी, रूपनगर कच्ची बस्ती, दिल्ली पब्लिक स्कूल, यूथ हॉस्टल, खेल गांव एवं संबंधित क्षेत्र।

132 केवी जीएसएस प्रतापनगर से संबंधित क्षेत्र: प्रतापनगर, आईटी पार्क, सेक्टर-4 से संबंधित क्षेत्र, मादड़ी का कुछ भाग,आकाशवाणी क्षेत्र, सुंदरवास, खेमपुरा, ढीकली, ट्रांसपोर्ट नगर, बेड़वास, विश्वविद्यालय कैंपस, बोहरा गणेश जी, आयड़, न्यू केशव नगर, आरटीओ, जयश्री कॉलोनी, पुरोहितों की मादड़ी, यूसीसीआई, मादड़ी रोड नंबर 12, यूआईटी कॉलोनी, काला भाटा, सेक्टर 3, 4,5 व 6, पानेरियों की मादड़ी, नौ खा एवं संबंधित क्षेत्र।

उक्त कार्य के तहत उदयपुर सिटी का क्षेत्र और सुखेर, अंबेरी, डबोक, घनोली, बिछड़ी, साकरोदा, झरनों की सराय, कुराबड़, बंबोरा, जगत, गुडली से संबंधित क्षेत्र एवं 132 केवी गोगुंदा एवं झाड़ोल से संबंधित आंशिक क्षेत्र में भी बिजली बंद रहने से कामकाज प्रभावित रहा।

मीरा गर्ल्स कॉलेज में ऑनलाइन आवेदन की तिथि बढ़ी

rpet-2012उदयपुर। राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय में प्रथम वर्ष में ऑनलाइन प्रवेश की अंतिम तिथि 21 जून से बढ़ाकर 26 जून कर दी गई है। कॉलेज निदेशालय ने विद्यार्थियों के हित को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है।
जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालयों द्वारा अब तक द्वितीय एवं तृतीय वर्ष के परीक्षा परिणाम जारी नहीं किए गए हैं, इसके बावजूद कॉलेज शिक्षा निदेशालय ने अगली कक्षाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की छूट दी है।
जुलाई के पहले सप्ताह से कक्षाएं नियमित प्रारंभ हो सके, इस दिशा में द्वितीय वर्ष व तृतीय वर्ष की छात्राओं को अपने प्रथम वर्ष की अंक तालिका के आधार पर प्रवेश दिया जा रहा है।
कॉलेज प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार द्वितीय एवं तृतीय वर्ष की नियमित छात्राओं के लिए प्रवेश आवेदन की अंतिम तिथि 29 जून कर दी गई है।

प्रथम वर्ष में प्रवेश 26 जून तक

तकनीकी नोडल अधिकारी डॉ. अजय कुमार चौधरी ने बताया कि महाविद्यालय में प्रथम वर्ष के प्रवेश आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ाकर 26 जून कर दी गई है। उन्होंने इसके लिए छात्राओं को ऑनलाइन प्रवेश करने में आ रही परेशानी और बार-बार बिजली आपूर्ति बंद रहने को कारण बताया।

सुखाडिया के कर्म चारियों का धरना प्रदर्शन

8421_b2उदयपुर,मोहन ललाल सुखाडिया वि.वि. में पीछे १५ से २० वर्ष से संविदा पर सेवा देने वाले शैक्षिणिक व् गेर शैक्षणिक कर्मचारी व् चतुर्थ श्रेणी कर्म चारियों को सेवा से हटाये जाने पर विश्व विद्यालय के सहायक व् शैक्षणिक कर्म चारियों ने मंगल वार को वि.वि. के प्रशाशनिक भवन के गेट पर धरना प्रदर्शन किया ।

सुविवि कर्मचारी संघ के अध्यक्ष भरत व्यास ने कहा कि लंबे समय से विश्वविद्यालय में कनिष्ठ लिपिक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सेवाओं से हटाया जाना अनुचित है। पंद्रह से बीस वर्षों से कार्यरत कर्मचारी जिनके परिवार का भरण पोषण विश्वविद्यालय की मामूली पगार से चल रहा है उसे सेवा से हटाया जाना अमानवीय कृत्य है।

सरकार एक ओर जहां लंबे समय से संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों को नियमित कर रही है वहीं विवि प्रशासन इस दिशा में लंबे समय तक सेवा देने वाले कर्मचारियों को बेदखल करने पर तुला है।
कर्मचारी संघ की महामंत्री हंसा हिंगड़ ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन को चाहिए कि ऐसे कर्मचारियों को हटाए जाने के बजाए प्राथमिकता के आधार पर नियमित किया जाए।
आंदोलन की राह पर उतरे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने कहा कि अब हम कहां जाए? विवि से बेदखल किए गए सहायक शैक्षणेत्तर कर्मचारी और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के समर्थन में स्थायी कर्मचारियों ने आंदोलन में भाग लेकर कामकाज का बहिष्कार किया।

राष्ट्र गान का ऐसाअपमान कही नहीं देखा !

महापोर रजनी डांगी हंगामे और विरोध को नज़र अंदाज़ कर ऐसे माहोल में राष्ट्र गान करते हुए ।
महापोर रजनी डांगी हंगामे और विरोध को नज़र अंदाज़ कर ऐसे माहोल में राष्ट्र गान करते हुए ।

 

उदयपुर मोका था नगर निगम में बोर्ड की बैठक का चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष पुरे सदन ने राष्ट्र गान का जो अपमान किया की मनो राष्ट्र का सम्मान मन जाने वाला हमारा गीत जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों के बिच अपमानित हो कर रह गया और ये जनता के चुने हुए प्रतिनिधि उसकी खिल्ली उड़ाते हुए चल दिए। नगर निगम में बोर्ड की बैठक के दौरान समितियों की घोषणा के बाद आधे से ज्यादा पार्षदों ने हंगामा शुरू कर दिया इसी बिच पार्षद पारस सिंघवी ने समिति प्रस्ताव पास करने का एलान किया और इसी हंगामे के बिच मेयर रजनी डांगी ने राष्ट्रगान शुरू कर दिया पुरे सदन में हो हल्ला हो रहा था सब लोग जम कर हंगामा कर रहे थे, और मेयर अपनी जिद्द पर अड़ी हुई राष्ट्रगान कर रही थी, सदन में मोजूद ५३ पार्षदों में से एक ने भी राष्ट्रगान के सम्मान में चुप रहना या सावधान खड़ा होना मुनासिब नहीं समझा। जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों ने भरे सदन में राष्ट्रगान को एक मजाक बना कर रख दिया

उत्तराखंड: बाढ़ में केदारनाथ मंदिर कैसे बचा

0
नदियों के फ्लड वे में बने गाँव और नगर बाढ़ में बह गए.
नदियों के फ्लड वे में बने गाँव और नगर बाढ़ में बह गए.

आख़िर उत्तराखंड में इतनी सारी बस्तियाँ, पुल और सड़कें देखते ही देखते क्यों उफनती हुई नदियों और टूटते हुए पहाड़ों के वेग में बह गईं?

 

जिस क्षेत्र में भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाएँ होती रही हैं, वहाँ इस बार इतनी भीषण तबाही क्यों हुई?

 

उत्तराखंड की त्रासद घटनाएँ मूलतः प्राकृतिक थीं. अति-वृष्टि, भूस्खलन और बाढ़ का होना प्राकृतिक है. लेकिन इनसे होने वाला क्लिक करें जान-माल का नुकसान मानव-निर्मित हैं.

 

अंधाधुंध निर्माण की अनुमति देने के लिए सरकार ज़िम्मेदार है. वो अपनी आलोचना करने वाले विशेषज्ञों की बात नहीं सुनती. यहाँ तक कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिकों की भी अच्छी-अच्छी राय पर सरकार अमल नहीं कर रही है.

 

वैज्ञानिक नज़रिए से समझने की कोशिश करें तो अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इस बार नदियाँ इतनी कुपित क्यों हुईं.

 

नदी घाटी काफी चौड़ी होती है. बाढ़ग्रस्त नदी के रास्ते को फ्लड वे (वाहिका) कहते हैं. यदि नदी में सौ साल में एक बार भी बाढ़ आई हो तो उसके उस मार्ग को भी फ्लड वे माना जाता है. इस रास्ते में कभी भी बाढ़ आ सकती है.

 

लेकिन क्लिक करें इस छूटी हुई ज़मीन पर निर्माण कर दिया जाए तो ख़तरा हमेशा बना रहता है.

 

नदियों का पथ

 

नदियों के फ्लड वे में बने गाँव और नगर बाढ़ में बह गए.
नदियों के फ्लड वे में बने गाँव और नगर बाढ़ में बह गए.

केदारनाथ से निकलने वाली मंदाकिनी नदी के दो फ्लड वे हैं. कई दशकों से मंदाकिनी सिर्फ पूर्वी वाहिका में बह रही थी. लोगों को लगा कि अब मंदाकिनी बस एक धारा में बहती रहेगी. जब मंदाकिनी में बाढ़ आई तो वह अपनी पुराने पथ यानी पश्चिमी वाहिका में भी बढ़ी. जिससे उसके रास्ते में बनाए गए सभी निर्माण बह गए.

 

क्लिक करें केदारनाथ मंदिर इस लिए बच गया क्योंकि ये मंदाकिनी की पूर्वी और पश्चिमी पथ के बीच की जगह में बहुत साल पहले ग्लेशियर द्वारा छोड़ी गई एक भारी चट्टान के आगे बना था.

 

नदी के फ्लड वे के बीच मलबे से बने स्थान को वेदिका या टैरेस कहते हैं. पहाड़ी ढाल से आने वाले नाले मलबा लाते हैं. हजारों साल से ये नाले ऐसा करते रहे हैं.

 

पुराने गाँव ढालों पर बने होते थे. पहले के किसान वेदिकाओं में घर नहीं बनाते थे. वे इस क्षेत्र पर सिर्फ खेती करते थे. लेकिन अब इस वेदिका क्षेत्र में नगर, गाँव, संस्थान, होटल इत्यादि बना दिए गए हैं.

 

यदि आप नदी के स्वाभाविक, प्राकृतिक पथ पर निर्माण करेंगे तो नदी के रास्ते में हुए इस अतिक्रमण को हटाने के बाढ़ अपना काम करेगी ही. यदि हम नदी के फ्लड वे के किनारे सड़कें बनाएँगे तो वे बहेंगे ही.

 

विनाशकारी मॉडल

 

पहाडं में सड़कें बनाने के ग़लत तरीके विनाश को दावत दे रहे हैं.
पहाडं में सड़कें बनाने के ग़लत तरीके विनाश को दावत दे रहे हैं.

मैं इस क्षेत्र में होने वाली सड़कों के नुकसान के बारे में भी बात करना चाहता हूँ.

 

पर्यटकों के लिए, तीर्थ करने के लिए या फिर इन क्षेत्रों में पहुँचने के लिए सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है. ये सड़कें ऐसे क्षेत्र में बनाई जा रही हैं जहां दरारें होने के कारण भू-स्खलन होते रहते हैं.

 

इंजीनियरों को चाहिए था कि वे ऊपर की तरफ़ से चट्टानों को काटकर सड़कें बनाते. चट्टानें काटकर सड़कें बनाना आसान नहीं होता. यह काफी महँगा भी होता है. भू-स्खलन के मलबे को काटकर सड़कें बनाना आसान और सस्ता होता है. इसलिए तीर्थ स्थानों को जाने वाली सड़कें इन्हीं मलबों पर बनी हैं.

 

ये मलबे अंदर से पहले से ही कच्चे थे. ये राख, कंकड़-पत्थर, मिट्टी, बालू इत्यादि से बने होते हैं. ये अंदर से ठोस नहीं होते. काटने के कारण ये मलबे और ज्यादा अस्थिर हो गए हैं.

 

इसके अलावा यह भी दुर्भाग्य की बात है कि इंजीनियरों ने इन सड़कों को बनाते समय बरसात के पानी की निकासी के लिए समुचित उपाय नहीं किया. उन्हें नालियों का जाल बिछाना चाहिए था और जो नालियाँ पहले से बनी हुई हैं उन्हें साफ रखना चाहिए. लेकिन ऐसा नहीं होता.

 

हिमालय अध्ययन के अपने पैंतालिस साल के अनुभव में मैंने आज तक भू-स्खलन के क्षेत्रों में नालियाँ बनते या पहले के अच्छे इंजीनियरों की बनाई नालियों की सफाई होते नहीं देखा है. नालियों के अभाव में बरसात का पानी धरती के अंदर जाकर मलबों को कमजोर करता है. मलबों के कमजोर होने से बार-बार भू-स्खलन होते रहते हैं.

 

इन क्षेत्रों में जल निकास के लिए रपट्टा (काज़ वे) या कलवर्ट (छोटे-छोटे छेद) बनाए जाते हैं. मलबे के कारण ये कलवर्ट बंद हो जाते हैं. नाले का पानी निकल नहीं पाता. इंजीनियरों को कलवर्ट की जगह पुल बनने चाहिए जिससे बरसात का पानी अपने मलबे के साथ स्वत्रंता के साथ बह सके.

 

हिमालयी क्रोध

भू-वैज्ञानिकों के अनुसार नया पर्वत होने के हिमालय अभी भी बढ़ रहा है
भू-वैज्ञानिकों के अनुसार नया पर्वत होने के हिमालय अभी भी बढ़ रहा है

पर्यटकों के कारण दुर्गम इलाकों में होटल इत्यादि बना लिए गए हैं. ये सभी निर्माण समतल भूमि पर बने होते है जो मलबों से बनी होती है. नाले से आए मलबे पर मकानों का गिरना तय था.

 

हिमालय और आल्प्स जैसे बड़े-बड़े पहाड़ भूगर्भीय हलचलों (टैक्टोनिक मूवमेंट) से बनते हैं. हिमालय एक अपेक्षाकृत नया पहाड़ है और अभी भी उसकी ऊँचाई बढ़ने की प्रक्रिया में है.

 

हिमालय अपने वर्तमान वृहद् स्वरूप में करीब दो करोड़ वर्ष पहले बना है. भू-विज्ञान की दृष्टि से किसी पहाड़ के बनने के लिए यह समय बहुत कम है. हिमालय अब भी उभर रहा है, उठ रहा है यानी अब भी वो हरकतें जारी हैं जिनके कारण हिमालय का जन्म हुआ था.

 

हिमालय के इस क्षेत्र को ग्रेट हिमालयन रेंज या वृहद् हिमालय कहते हैं. संस्कृत में इसे हिमाद्रि कहते हैं यानी सदा हिमाच्छादित रहने वाली पर्वत श्रेणियाँ. इस क्षेत्र में हजारों-लाखों सालों से ऐसी घटनाएँ हो रही हैं. प्राकृतिक आपदाएँ कम या अधिक परिमाण में इस क्षेत्र में आती ही रही हैं.

 

केदारनाथ, चौखम्बा या बद्रीनाथ, त्रिशूल, नन्दादेवी, पंचचूली इत्यादि श्रेणियाँ इसी वृहद् हिमालय की श्रेणियाँ हैं. इन श्रेणियों के निचले भाग में, करीब-करीब तलहटी में कई लम्बी-लम्बी झुकी हुई दरारें हैं. जिन दरारों का झुकाव 45 डिग्री से कम होता है उन्हें झुकी हुई दरार कहा जाता है.

 

कमज़ोर चट्टानें

कमजोर चट्टानें बाढ़ में सबसे पहले बहती हैं और भारी नुकसान करती हैं.
कमजोर चट्टानें बाढ़ में सबसे पहले बहती हैं और भारी नुकसान करती हैं.

कमजोर चट्टानें बाढ़ में सबसे पहले बहती हैं और भारी नुकसान करती हैं.

वैज्ञानिक इन दरारों को थ्रस्ट कहते हैं. इनमें से सबसे मुख्य दरार को भू-वैज्ञानिक मेन सेंट्रल थ्रस्ट कहते हैं. इन श्रेणियों की तलहटी में इन दरारों के समानांतर और उससे जुड़ी हुई ढेर सारी थ्रस्ट हैं.

 

इन दरारों में पहले भी कई बार बड़े पैमाने पर हरकतें हुईं थी. धरती सरकी थी, खिसकी थी, फिसली थीं, आगे बढ़ी थी, विस्थापित हुई थी. परिणामस्वरूप इस पट्टी की सारी चट्टानें कटी-फटी, टूटी-फूटी, जीर्ण-शीर्ण, चूर्ण-विचूर्ण हो गईं हैं. दूसरों शब्दों में कहें तो ये चट्टानें बेहद कमजोर हो गई हैं.

 

इसीलिए बारिश के छोटे-छोटे वार से भी ये चट्टाने टूटने लगती हैं, बहने लगती हैं. और यदि भारी बारिश हो जाए तो बरसात का पानी उसका बहुत सा हिस्सा बहा ले जाता है. कभी-कभी तो यह चट्टानों के आधार को ही बहा ले जाता है.

 

भारी जल बहाव में इन चट्टानों का बहुत बड़ा अंश धरती के भीतर समा जाता है और धरती के भीतर जाकर भीतरघात करता है. धरती को अंदर से नुकसान पहुँचाता है.

 

इसके अलावा इन दरारों के हलचल का एक और खास कारण है. भारतीय प्रायद्वीप उत्तर की ओर साढ़े पांच सेंटीमीटर प्रति वर्ष की रफ्तार से सरक रहा है यानी हिमालय को दबा रहा है. धरती द्वारा दबाए जाने पर हिमालय की दरारों और भ्रंशों में हरकतें होना स्वाभाविक है.

 

(रंगनाथ सिंह से बातचीत पर आधारित)

सो. बी बी सी

 

ना बोले तुम ना मैंने कुछ कहा में बीरा और नाविका की शादी

Navika and Beera...कलर्स के धारावाहिक ना बोले तुम ना मैंने कुछ कहा सीजन 2 में उल्लास-उमंग पूरे जोरों पर है और इसकी वजह है बीरा (सिद्धार्थ अरोड़ा) और नाविका (जयश्री वेंकटरमनन) की शादी। एक-दूसरे के लिए अपने प्यार को कबूल करने के बाद, बीरा और नाविका शादी के बंधन में बंधने और ‘आई डू’ कहने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। धारावाहिक में नाच और उल्लास-उमंग से भरपूर सगाई, संगीत और अन्य रीति-रिवाजों के भव्य समारोह हैं। पूरा कुनबा शादी को लेकर बहुत आनंदित है, खासतौर पर मोहन और मेघा जो खुश तो हैं लेकिन फिर भी उदास हैं कि उनकी बेटी की शादी हो रही है और वह उनसे दूर जाने वाली है। लेकिन इन सबके बीच, इस कहानी में एक नया मोड़ इंतजार कर रहा है।

पिछली कडिय़ों में उजागर हुआ था कि बीरा नाविका से शादी करके मोहन भटनागर (कुणाल करण कपूर) से बदला लेने के लिए अपनी मंशा के साथ अच्छे लडक़े की अपनी छवि को त्याग रहा है। हर कोई इस बात से बेखबर है कि उसके दिल में कितनी नफरत बसी हुई है। नाविका तक उसके लिए अपने बेशर्त प्यार और भरोसे की वजह से बीरा की मंशाओं को भांप पाने में असमर्थ है।

 

वंचित बच्चों का होना चाहिए सम्पूर्ण विकास-पवन कौषिक

रोटरी क्लब उदयपुर के कार्यक्रम में ‘वेदान्ता ख़ुशी’ पर गहन विचार-विमर्ष

 

DSC_8086

उदयपुर। रोटरी क्लब उदयपुर ने वंचित बच्चों के प्रति सहानुभूति, जागरूकता, षिक्षा, स्वास्थ्य तथा सुपोषण के प्रति अंतर्राष्ट्रीय ‘वेदान्ता खुषी’ अभियान पर एक गहन चर्चा का आयोजन किया। समारोह के मुख्य अतिथि पवन कौषिक हेड-कार्पोरेट कम्यूनिकेषन, वेदान्ता हिन्दुस्तान जिंक ने वेदान्ता ख़ुशी के उद्गम, रचना, प्रभाव तथा सम्पूर्ण विचारधारा पर एक प्रस्तुति दी । यह कार्यक्रम रोटरी बजाज भवन, उदयपुर में आयोजित किया गया।

इस अवसर पर रोटरी क्लब के अध्यक्ष श्री सुषील बांठिया ने बताया कि ‘वेदान्ता खुषी’ की महत्वपूर्ण बात यह है कि इस अभियान द्वारा लोगों को अपने स्तर पर वंचित बच्चों के प्रति जागरूकता पैदा करना है तथा अपने स्तर पर इन बच्चों के सम्पूर्ण विकास के प्रति प्रयास करना है। यह अभियान आर्थिक सहायता नहीं मांगता बल्कि समाज के वंचित बच्चों के प्रति जागरूक होने की प्रेरेणा देता है तथा निजी स्तर पर इन बच्चों के स्वास्थ्य, षिक्षा एवं सुपोषण के प्रति सार्थक कदम उठाने की एक अंतर्राष्ट्रीय मुहिम है।

समारोह के मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए पवन कौषिक ने अवगत कराया कि आज से तकरीबन एक वर्ष पूर्व इसी विचारधारा को ध्यान में रखकर वेदान्ता समूह ने ‘खुषी’ अभियान की सोषल मीडिया पर शुरूआत की। इस अभियान का उददेष्य है आम जनता को भारत की आज की परिस्थिति से अवगत कराना तथा समाज के इन वंचित बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ना। खुषी अभियान के रचियता पवन कौषिक, ने बताया कि ‘‘यह अभियान मात्र 7 लोगांे ने मिलकर शुरू किया था। तथा जैसे-जैसे हम बढ़ते गए लोग जुड़ते गये और खुषी अभियान एक महा अभियान बन गया।’’ आज यह अभियान 31 हजार सदस्यों के साथ लाखों लोगो तक पहुंच रहा है ।

DSC_8117

पवन कौषिक ने बताया 12वीं पंचवर्षीय योजना में भारत सरकार ने एकीकृत बाल विकास कार्यक्रम के लिए. एक लाख उन्तीस हजार करोड़ रूपये का प्रावधान रखा है। वेदान्ता के चेयरमैन श्री अनिल अग्रवाल का कहना है कि देष में एक भी बच्चा कुपोषित ना रहे। और इसके लिए ‘खुषी’ अभियान अपनी भूमिका निभा रहा है।

‘बच्चों के सम्पूर्ण विकास एवं कल्याण के विषय में रोटरी क्लब के सदस्यों के बीच विचार-विमर्ष भी हुआ और ‘खुषी अभियान’ और अधिक आगे ले जाने पर जोर दिया गया।
रोटरी क्लब के अध्यक्ष श्री सुषील बांठिया ने बताया कि रोटरी की विचारधारा लोगों में सामाजिक व आर्थिक विषयों पर जागरूकता लाना है। रोटरी क्लब की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह कौषिष रहती है कि आम जनता के साथ मिलकर उनके सहयोग से हम समाज को और बेहत्तर बना सके।कार्यक्रम के प्रारंभ में क्लब के अध्यक्ष सुषील बांठिया ने स्वागत उदबोधन दिया। पूर्व प्रान्तपाल निर्मल सिंघवी ने कौषिक का उपारना ओढ़ाकर स्वागत किया। सहायक प्रान्तपाल रमेष चौधरी ने कौषिक का परिचय दिया। अंत में वरिष्ठ उपाध्यक्ष डी.पी. धाकड़ ने धन्यवाद ज्ञापित किया। क्लब ने गत दिनों केदारनाथ में हुई प्राकृतिक आपदा में मरे गये लोगों के प्रति दो मिनिट का मौन रख उन्हें श्रद्धांजलि दी।

 

गौरी कुंड में फंसे यात्रियों को बचाने परिजन रवाना

5628_12उत्तराखंड में महाप्रलय के बाद गौरी कुंड में फंसे उदयपुर संभाग के 53 लोगों के परिजन उनकी सहायता के लिए विमान से आज सुबह दिल्ली पहुंचे, जहां से वे देहरादून जाएंगे। अपने परिजनों को वहां से निकालने का हरसंभव प्रयास करेंगे। शहर से गए पांच जनों के दल में से सुरेश औदीच्य ने बताया की हमारे परिजन पिछले चार दिन से एक ही जगह पर फंसे हुए हैं। उनके पास न पीने का पानी है और ना ही खाने के लिए कुछ है और न ही उन तक कोई सहायता पहुंच रही है। जैसे-तैसे वो मोबाइल पर बात कर रहे हैं। उनकी पीड़ा का हम अंदाजा नहीं लगा सकते हैं। सुरेश औदीच्य ने बताया की बस जब भी बात होती है, वो एक ही बात कहते हैं कि क्रकिसी तरह हमें बचा लो, हम लाशों के बीच घिरे हुए हैं…ञ्ज सुरेश के साथ गए प्रेम शंकर औदीच्य, भारत शर्मा, अरविंद शर्मा और पुष्कर औदिच्य सबके घर के बड़े बुजुर्ग वहां फंसे हुए हैं।