आखिर बच्चा कोन ले गया ?

30 05 2013उदयपुर। बड़े अस्पताल से एक लावारिस बच्चा गायब हो गया है। इसका खुलासा आज सुबह तब हुआ, जब बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के निर्देश पर हाथीपोल पुलिस बच्चे को लेने के लिए पन्नाधाय अस्पताल की बाल यूनिट में पहुंची। पुलिस को अस्पताल स्टॉफ ने बताया कि बच्चा नहीं है, जबकि उक्त लावारिस बच्चे के संबंध में पन्नाधाय अस्पताल की अधीक्षक डॉ. राजरानी ने स्वयं पत्र लिखकर सीडब्ल्यूसी से दिशा-निर्देश मांगे थे। अब सवाल यह खड़ा हो गया है कि आखिर बच्चा गया, तो गया कहां? ऐसे में अस्पताल से बच्चे चोरी होने की आशंका भी बढ़ गई है। खुफिया विभाग पहले ही सीडब्ल्यूसी के समक्ष अस्पताल से बच्चों के चोरी होने की आशंका जता चुका है।

पन्नाधाय अस्पताल की अधीक्षक डॉ. राजरानी ने सीडब्ल्यूसी को पत्र क्रमांक ७९६ लिखकर बताया कि १५ मई की रात साढ़े 12 बजे महेश आश्रम के पालना संचालक देवेंद्र अग्रवाल एक लावारिस बच्चे को लेकर आए, जिसको पन्नाधाय अस्पताल की बाल यूनिट में भर्ती किया गया है। इस बच्चे के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए जाए। इस पर सीडब्ल्यूसी ने डॉ. राजरानी को पत्र लिखकर उक्त बच्चे की प्रथम सूचना रिपोर्ट धारा ३१७ के तहत दर्ज कर बच्चे को भूपालपुरा स्थित मदर टेरेसा शिशुगृह को सौंपे जाने के निर्देश दिए, लेकिन तब से लेकर आज तक अस्पताल प्रशासन द्वारा पुलिस थाने में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई है।इस संबंध में जब सीडब्ल्यूसी का पत्र हाथीपोल थानाधिकारी को मिला, तो आज सुबह हाथीपोल पुलिस अस्पताल पहुंची और वहां के स्टॉफ से बच्चें की जानकारी मांगी तो उन्होंने बच्चा होने से ही इनकार कर दिया। वहां से बताया गया कि १५ मई की रात को एक लावारिस बच्ची जरूर आई थी। यहां पर कोई लावारिस बच्चा भर्ती नहीं किया गया।

सीडब्ल्यूसी के पास दो लेटर

सीडब्ल्यूसी को पन्नाधाय अस्पताल की अधीक्षक डॉ. राजरानी ने लिखकर बताया कि १५ मई की रात को साढ़े 12 बजे महेशाश्रम मां भवगती विकास संस्थान के देवेंद्र अग्रवाल ने एक नवजात शिशु को भर्ती कराया है, जिसका लिंग लड़का है। इस लड़के का रजिस्ट्रेशन करके अस्पताल की बी यूनिट में भर्ती किया गया है। इसी प्रकार महाराणा भूपाल अस्पताल की गहन चिकित्सा बाल यूनिट के प्रभारी डॉ. देवेंद्र सरीन ने सीडब्ल्यूसी को पत्र लिखकर बताया कि १६ मई की रात दस बजकर नौ मिनट पर महेशाश्रम के देवेेंद्र अग्रवाल द्वारा एक बच्ची लाई गई है, जिसका वजन एक किलो तीन सौ ग्राम है, जिसका रजिस्ट्रेशन ४१३० नंबर पर करके उसे भर्ती किया गया है।

बच्चा कहा है?

अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी सीडब्ल्यूसी को पत्र लिखकर अलग-अलग दिनांक पर अलग-अलग पत्र लिखकर लावारिस बच्ची और बच्चे की भर्ती की सूचना देते हैं और जब उस पर कार्रवाई शुरू होती है, तो अस्पताल से बताया जाता है कि अस्पताल में कोई बच्चा नहीं भर्ती किया गया था। सिर्फ बच्ची ही भर्ती की गई थी, यह घटनाक्रम शक को और गहराता है। आखिर बच्चा कहां गया? ये सवाल अब भी खड़ा है।

 

:हमारे यहां पर एक बच्ची ही भर्ती की गई है। सीडब्ल्यूसी को गलती से दो लेटर भेज दिए गए होंगे। शायद मिस प्रिंटिंग की वजह से यह चक्कर पड़ा होगा। रात साढ़े १२ बजे यह मामला हुआ था।

-पूनम पोसवाल, डिप्टी सुप्रीडेंट, पन्नाधाय चिकित्सालय

:मैंने अस्पताल में न तो बच्चे को भर्ती करवाया है और ना ही बच्ची को। हां १५ मई को एक बच्ची जरूर पालने में आई थी, जिसे पन्नाधाय अस्पताल ने अपने कब्जे में लेकर इलाज शुरू किया।

-देवेंद्र अग्रवाल, मां भगवती विकास संस्थान महेशाश्रम

:मामले का अनुसंधान किया जा रहा है।

– नंदराम भांदू, थानाधिकारी हाथीपोल

‘DUN & BRADSTREET – CORPORATE AWARD 2012’ FOR HINDUSTAN ZINC

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Hindustan Zinc receives the honour for Business Excellence in Non-Ferrous Metal Sector


Hindustan Zinc - Pavan Kaushik
Hindustan Zinc, an operating company of Vedanta in Zinc, Lead and Silver business, was honoured with the prestigious ‘Dun & Bradstreet – Corporate Award 2012’ under non-ferrous metals sector in a glittering award ceremony at Hotel Trident, Mumbai on May 28, 2013. The coveted award was presented to Mr. Pavan Kaushik, Associate Vice President – Corporate Communication, Hindustan Zinc by Mr. Jayant Kumar Banthia – Chief Secretary, Government of Maharashtra.

Dun & Bradstreet (D&B), the world’s leading provider of global business information, knowledge and insight, felicitated India’s leading corporates during this gala event. The D&B Corporate Awards 2012, closely tied to D&B’s study on India’s Top 500 Companies 2012, recognises the twin virtues of size and growth in corporate India.

Hindustan Zinc received the award in the non-ferrous metals category. The company is India’s only and the World’s Largest Integrated Producer of Zinc. With over one million tonne of metal production capacity, Hindustan Zinc also governs about 85% share in the growing Indian zinc market. The company produces 474 MW of captive thermal power and about 275 MW of wind power, as part of its green initiative. It is also India’s largest silver and primary lead producer.

Post disinvestment Hindustan Zinc has grown five-fold, from 170,000 tonnes of metal production to today over 1 million tonnes. The existing mine life also touches a comfortable base of over 25 years. Post disinvestment the company has invested about Rs. 12,000 crore in the three large scale expansion plans that included expansion of mines, smelters, captive power, silver production and foray into wind-energy business. 

The company’s plants have been set-up on most environment friendly technologies that allows the plants to operate on `zero discharge’. The company has persistent focus on minimal impact on environment, re-cycle & re-use practices, and is conserving bio-diversity in and around its operating units.

The ‘Dun & Bradstreet – Corporate Awards 2012’ recognises and felicitate corporate India’s leading companies from various sectors. The base universe of the companies considered for the Dun & Bradstreet – Corporate Awards 2012 comprises of the top 500 companies of India covered under the publication, ‘India’s Top 500 Companies 2012’. The thirteen edition of this publication was launched during this ceremony.

समितियों का गठन महापौर के सामने कड़ी चुनौती

उदयपुर, नगर निगम में सभी समितियां भंग होने के बाद महापौर रजनी डांगी के सामने समिति के पुर्नगठन और अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर कड़ी चुनौती पैदा हो गई है। कल 30 मई को नगर निगम की बोर्ड बैठक में महापौर को समितियों को पुनर्गठन करना है। एेसे में विरोधी धड़ा भी ताक लगाए बैठा है कि उन्हें कौनसी समिति में अध्यक्ष की कुर्सी दी जाती है या फिर सिर्फ समिति सदस्य बने रहना पड़ेगा। इस बीच विपक्ष की आेर से भी एक समिति लेने की मांग उठ खड़ी हुई है। विपक्षी पार्षदों का कहना है कि राजस्थान में जहां भी निगम है, वहां पर विपक्ष को समिति दी गई है। एेसे में महापौर के सामने कड़ी चुनौती है कि आखिर वह 30 मई को घोषणा के बाद सभी को खुश रख पाएगी या यह बोर्ड फिर गुटबाजी की भेंट चढ़ जाएगा।

यह समस्या रहेगी प्रमुख

समितियों को लेकर अगर जातिगत समीकरण की बात की जाए, तो जैन समाज के पार्षदों की संख्या ज्यादा है। पहले भी महापौर सहित छह समिति अध्यक्ष का पद भी जैन समाज को मिला हुआ है, जिनमें पारस सिंघवी, किरण जैन, कविता मोदी और खुद रजनी डांगी के पास समिति अध्यक्ष का पद है। अब एेसे में अगर समितियों का बदलाव होता है, तो इन सभी को तो प्रमुखता दी ही जाएगी, लेकिन दूसरे जैन पार्षदों में सिर्फ इसी बात का दुख व्याप्त है कि उन्हें भी एक मौका मिल पाता। पार्टी सूत्रों से पता चला है कि नगर निगम की बोर्ड बैठकों का विरोध करने वाले पार्टी के ही उप महापौर महेंद्रसिंह शेखावत, अर्चना शर्मा, मनोहरसिंह पंवार और विजय आहुजा को इस बार समिति अध्यक्ष का पद नहीं दिया जाएगा, लेकिन अगर यहां पर फिर से जातिगत आधार पर बात की जाए, तो विजय आहुजा को समिति मिलना तय है, क्योंकि उनको छोड़कर सिंधी समाज का एक भी पार्षद नहीं है।

13वीं समिति विरासत संरक्षण की होगी

निगम में अब तक 12 समितियां ही थी, लेकिन उदयपुर के हेरिटेज सिटी होने के कारण इस बार एक और समिति बनाने का निर्णय लिया गया है। यह १३वीं समिति विरासत सरंक्षण समिति होगी।

इनका कहना है :- ….

:समितियों की अभी तक कोई समीक्षा नहीं हुई है। इनके बदलाव से पहले एक कमेटी बनाई जाती है, जिसमें महापौर, उप महापौर और पार्टी के दिग्गज नेता शामिल होते हैं। उस कमेटी में पारदर्शिता के साथ समीक्षा होने के बाद जातिगत समीकरणों को मद्देनजर रखते हुए चुनावी वर्ष में बदलाव करना। संगठन के हित में है। समिति अध्यक्ष की कार्यक्षमता, वरिष्ठता और चुनावी वर्ष होने के कारण जातिगत समीकरण का भी ध्यान रखना चाहिए। अभी तक एेसा कुछ नहीं हुआ है। जब होगा, तो खुले मन से विचार करेंगे।

-महेन्द्रसिंह शेखावत, उप महापौर

 

:समितियों के गठन को लेकर 30 मई को बैठक रखी गयी है, जिसमें तय किया जाएगा कि किसको कौनसी समिति देनी है। कार्य कुशलता के आधार पर ही समिति अध्यक्ष बनाए जाएंगे। विपक्ष के किसी सदस्य को समिति अध्यक्ष बनाने का उदाहरण राज्य की किसी भी नगर निगम या परिषद् में होगा, तो उस पर भी विचार किया जाएगा।

-रजनी डांगी, महापौर

 

:समितियों में बदलाव होना चाहिए। यह हमेशा होता आया है, लेकिन सिर्फ महापौर का अधिकार नहीं है कि वह समितियों में बदलाव कर सके। बिना किसी कारण किसी भी समिति अध्यक्ष को निकाला जाता है, तो वह महापौर के लिए खतरनाक हो सकता है। बिना समीक्षा के किसी को भी हटाना गैर कानूनी होगा।

-अर्चना शर्मा, पूर्व अध्यक्ष, राजस्व समिति

 

:जयपुर में विपक्ष के नेता को कमरा, गाड़ी और एक समिति अध्यक्ष का पद दे रखा है। राज्य सरकार के दिशा-निर्देशानुसार हर निगम में यह नियम रखा गया है। इसी तर्ज पर उदयपुर में भी विपक्ष को एक समिति मिलनी चाहिए।

-दिनेश श्रीमाली, नेता प्रतिपक्ष

कब्जे को लेकर हुआ विवाद, पहुंचा भारी जाब्ता

DSC0586उदयपुर। पुराना आरटीओ ऑफिस के सामने मीरा नगर में एक प्लाट के कब्जे को खाली कराने के लिए आज सुबह भारी जाब्ता पहुंचा। उक्त प्लाट आईजी ऑफिस में नियुक्त कांस्टेबल का बताया जा रहा है, लेकिन दूसरा पक्ष इस प्लाट पर कांस्टेबल का अवैध कब्जा बता रहा है। सूत्रों के अनुसार आईजी ऑफिस में नियुक्त कांस्टेबल चंद्रभानसिंह का एक प्लाट मीरा नगर में है। चंद्रभान ने बताया कि उक्त प्लाट का २००४ में यूआईटी से कंवर्टेड पट्टा है। चंद्रभान का कहना है कि उक्त प्लॉट पर पड़ोसियों ने कब्जा कर लिया था। इस संंबंध में प्रतापनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई और आज कब्जा हटाने के लिए जाब्ता मांगा गया। उन्होंने बताया कि यूआईटी अधिकारियों की मौजूदगी में आज सुबह नपती कराने के बाद कब्जा हटाया गया है। वहीं दूसरे पक्ष की देवेंद्र कुंवर पत्नी महिपालसिंह का कहना है कि कांस्टेबल ने यूआईटी का फर्जी पट्टा बनाया है। उक्त प्लाट की कुछ जमीन पर उसका स्वामित्व है, जिसे जबरन बेदखल किया जा रहा है। आज सुबह कब्जा हटाने के लिए वहां पर भारी पुलिस बल प्रतापनगर सीआई मंजीतसिंह के नेतृत्व में मौजूद था।

देलवाड़ा जैन सोसायटी ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा

उदयपुर। सोहराबुद्दीन फर्जी एनकांउटर में सीबीआई की ओर से शहर विधायक और विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को आरोपी बनाने के विरोध में आज सुबह देलवाड़ा जैन सोसायटी की तरफ से अध्यक्ष वीरेन्द्र सिरोया के नेतृत्व में राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। सोसायटी के जनसंपर्क सचिव शांतिलाल सिरोया ने बताया कि कटारिया को इस मामले में सीबीआई द्वारा फर्जी रूप से फंसाया जा रहा है, जबकि कटारिया बिल्कुल बेगुनाह है। उन्होंने कहा कि सीबीआई के झूठ का पर्दा भी एक ना एक दिन उठ जाएगा। वहीं सोसायटी ने कटारिया को अंतरिम जमानत मिलने पर हर्ष व्यक्त किया है। इस दौरान सोसायटी के कार्यकर्ता और जैन समाज के प्रतिनिधि मौजूद थे।

 

कटारिया की जमानत पर कार्यकर्ताओं ने किया स्वागत

kataria4उदयपुर,सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ प्रकरण में मुम्बई सत्र न्यायालय से अंतरिम जमानत मिलने के बाद आज सुबह पार्टी कार्यालय पहुंचे विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता और शहर विधायक गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि बेदाग हूं और रहूंगा। कांग्रेस ने सीबीआई को हथियार बनाकर जो चाल खेली है। उसका जवाब कांग्रेस को जनता देगी। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत को लगा कि वंसुधरा-कटारिया एक हो गए है और उनकी सत्ता जाने वाली है। इसलिए उन्होंने यह घिनौनी चाल खेली है।कटारिया यहां पटेल सर्किल स्थित पार्टी कार्यालय पर कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि साढ़े आठ साल पुराने मामले को कांग्रेस ने सीबीआई के जरिए हथियार बनाकर वार किया है,

जबकि इस मामले से कभी कोई लेना-देना नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सीबीआई के जरिये अपना कुशासन चला रही है। आगामी चुनाव में कांग्रेस के कुशासन को जनता जवाब देंगी।

चार्जशीट में कुछ भी तथ्य नहीं:

कटारिया ने कहा कि सीबीआई ने जो चार्ज शीट पेश की हैं। उसमें उनके खिलाफ ऐसा कोई तथ्य नहीं कि उन्हें गुनहगार साबित किया जा सके।

कटारिया ने कहा कि इस पूरे मामले में उन्हें कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों का जो संबल मिला। उससे उन्हें बड़ी ताकत मिली है। इसी ताकत के बल पर उनकी इस लड़ाई में जीत होगी।

गहलोत ने तो अपने नेताओं को भी नहीं छोड़ा:

कटारिया ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी पार्टी के नेताओं को निपटाने में कोई कसर नहीं रखी। कटारिया ने कहा कि गहलोत ने केंद्रीय मंत्री डॉ. सी. पी. जोशी को चुनाव में हराने में भूमिका निभाई। बी.डी. कल्ला और प्रद्युमन सिंह जैसे नेताओं को हराने में भी गहलोत की भूमिका रही।

 

पहले कटारिया सुबह नौ बजे आने वाले थे, लेकिन बाद में वे अपने समधी और एडवोकेट रोशनलाल जैन के साथ सुबह 11 बजे पार्टी कार्यालय पहुंचे, जहां करीब चार सौ कार्यकर्ताओं ने उनका फूल-मालाओं से स्वागत किया। इस दौरान शहर जिलाध्यक्ष दिनेश भट्ट, महापौर रजनी डांगी, प्रदेश प्रतिनिधि प्रमोद सामर, मांगीलाल जोशी, शांतिलाल चपलोत, देहात जिलाध्यक्ष सुंदरलाल भाणावत, शहर उपाध्यक्ष राजेन्द्र बोर्दिया, वन्दना मीणा, हंसा माली, खूबीलाल पालीवाल, शंकर सालवी, रामलाल चौधरी, फूलसिंह मीणा, मनोहर चौधरी, मंडल अध्यक्ष चंचल कुमार अग्रवाल, तख्तसिंह शक्तावत, आेम चित्तौड़ा, भंवर पालीवाल, भैरोसिंह देवड़ा, शंभू जैन, नानालाल बया, दिनेश गुप्ता आदि मौजूद थे।

बाद में आया विरोधी धड़ा : पूर्व सभापति रवींद्र श्रीमाली, डिप्टी मेयर महेंद्रसिंह शेखावत, अनिल सिंघल, सुषमा कुमावत, राजकुमार चित्तौड़ा करीब सौ कार्यकर्ताओं के साथ आज सुबह पार्टी कार्यालय पहुंचे। ये सभी लोग कटारिया का भाषण शुरू होने से दस मिनट पहले पहुंचे।

जश्ने विलादते मौला अली पर प्रदर्शनी आयोजित

mola ali ke jashan -a-vladat par pardarshni ka udghatan krte pr.tanveerउदयपुर, दाऊदी बोहरा जमात (बोहरा यूथ) की इकाई स्टुडेन्ट वेलफेयर सोसायटी की जानिब से प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी मनाये जा रहे जश्न-ए-विलादते मौला अली (अ.स.) के मौके पर बुधवार को बोहरवाड़ी स्थित बोहरा यूथ कम्युनिटी हॉल में केलीग्राफी, आर्ट और मॉडल प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसमें मौला अली के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला और उनके बताये नैकी के रास्ते पर चलने का आव्हान किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रोफेसर तनवीर आलम ने किया।

mola ali ki viladat par aayojit pardshani  ke moke par manch par mojud  mehmanयह जानकारी देते हुए स्टुडेन्ट वेलफेयर सोसायटी के प्रवक्ता अली असगर बोहरा ने बताया कि जश्ने-ए-विलादत के मौके पर 28 मई को मेहन्दी प्रतियोगिता आयोजित की गई। जबकि बुधवार 29 मई मॉडल प्रदर्शनी का आयोजित की गई जो गुरूवार को भी जारी रहेगी। प्रदर्शनी को देखकर समाज के लोगों ने बच्चों द्वारा किये गये प्रयासों की खुब सराहना की। शुक्रवार 31 मई को तकरीर व मनकबत प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। जबकि 1 जून को फाईनल क्विज़ कम्पीटीशन, पारितोषिक वितरण व समापन समारोह आयोजित किया जावेगा।

कटारिया को अंतरिम राहत

उदयपुर। सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सीबीआई द्वारा आरोपी बनाए गए राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को 14 जून तक अंतरिम जमानत मिल गई है। जमानत मिलने के बाद अब कटारिया बुधवार को उदयपुर पहुंचेंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार इस मामले में सीबीआई द्वारा आरोपी बनाए जाने के बाद कटारिया ने अंतरिम जमानत के लिए मुंबई के सेशन कोर्ट में सोमवार को अर्जी लगाई थी। कटारिया की अर्जी पर मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई। बहस के दौरान कटारिया की ओर से मधुसूदन पारीक ने पैरवी की। इस दौरान कटारिया के समधी और एडवोकेट रोशनलाल जैन भी मौजूद थे। गौरतलब है कि इस मामले में उदयपुर के मार्बल व्यवसायी विमल पाटनी को भी सीबीआई ने आरोपी बनाया था। पाटनी ने हाल ही में अंतरिम जमानत ली है।

समर्थकों में खुशी

कटारिया को अंतरिम जमानत मिलने की खबर मिलते ही कटारिया समर्थकों और उनके परिवार जनों में खुशी की लहर दौड़ गई। भाजपा मीडिया प्रभारी चंचल अग्रवाल ने बताया कि कटारिया को जमानत मिलने से समर्थकों में खुशी का महौल है। भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राजसमंद विधायक किरण माहेश्वरी ने कहा कि कटारियाजी को गलत तरीक से फंसाया गया है। न्याय की लड़ाई न्याय से ही लड़ी जाएगी। पूर्व जिलाध्यक्ष ताराचंद जैन ने कहा कि कटारिया को राजनीतिक षडय़ंत्र के तहत फंसाया गया है। कटारिया की अंतरिम जमानत हर्ष की बात है। अनिल सिंघल ने बताया कि सीबीआई की सच्चाई सामने आ गई है। शहर जिलाध्यक्ष दिनेश भट्ट, भाजपा नेता प्रमोद सामर, मांगीलाल जोशी, महापौर रजनी डांगी सहित सभी नेताओं ने खुशी जाहिर की है

मेनारिया समाज के 84 परिवारों को पट्टे मिले

उदयपुर। कांग्रेसी सांसद रघुवीरसिंह मीणा और वार्ड 22 की पार्षद राजकुमारी मेनारिया में हुए विवाद के कारण लम्बे समय से पट्टे बनने के बाद भी पानेरियों की मादड़ी के वाशिंदों को इससे वंचित रखा जा रहा था। राष्ट्रदूत में प्रकाशित ‘सांसद-पार्षद की लड़ाई मेें नहीं बांटे जा रहे हैं पट्टेÓ खबर के बाद नगर निगम की आेर से आनन-फानन में कार्रवाई पूरी कर ली गई और मंगलवार शाम चार बजे निगम सभागार में मेनारिया समाज के करीब 80 परिवारों को पट्टे वितरित किए गए।

यह था मामला

गौरतलब है कि नगर निगम द्वारा पानेरियों की मादड़ी के वाशिंदों को पट्टे देने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी। इस पर समाज की आेर से सांसद रघुवीर मीणा का सम्मान समारोह आयोजित किया गया था, लेकिन क्षेत्रीय पार्षद राजकुमारी मेनारिया ने श्री मीणा के सम्मान समारोह का बहिष्कार करते हुए सांसद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। मेनारिया ने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि वो चाहती थी कि सांसद का सम्मान नहीं हो, बल्कि ग्रामीण विधायक सज्जन कटारा सम्मान किया जाए, क्योंकि मेनारिया कटारा गुट से हैं। इस राजनीतिक लड़ाई का मजा लेने के लिए भाजपा बोर्ड मेनारिया समाज को पट्टे बांटने में देरी कर रहा था।

 

सभी पट्टे के मालिकों को सूचित किया जा चुका है। आज शाम को उनको पट्टे वितरित कर दिए जाएंगे। स्टॉफ की कमी के कारण कुछ देरी हो गई थी।

-रजनी डांगी, महापौर

नशाखोरी रोकना प्रशासन के बस में नहीं

drugs-are-badउदयपुर। शहर में पांच हजार से ज्यादा गरदुल्ले हैं, लेकिन न तो इनको सुधारने के लिए यहां पर नशा निवारण केंद्र हैं और न ही पुलिस नशे के कारोबार को रोकने में समर्थ है, जो बड़ी चिंता का विषय है। एसपी साहब और कलेक्टर साहब कहते हैं कि गरदुल्लों को सुधार पाना या शहर में नशे के कारोबार को रोक पाना उनके बूते की बात नहीं है। हालांकि एसपी साहब ने ये जरूर कहा हैं कि वे नशे के कारोबार पर नकेल कसने के प्रयास करेंगे, लेकिन साथ ही अपनी लाचारी भी बताई कि इस कारोबार को करने वाले तस्करों के वकील जांच अधिकारी को ही कानूनी पेचीदगियों में फंसा देते हैं। इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती है।

इधर, कलेक्टर साहब का कहना है कि गरदुल्लों से नशा छुड़ाने के लिए उदयपुर में कोई संस्थान या उपचार केंद्र नहीं है। उदयपुर क्या पूरे राजस्थान में ही ऐसा कोई सेंटर नहीं है, जहां पर गरदुल्लों को सुधारा जा सके। कलेक्टर साहब ने कहा कि गरदुल्लों के लिए अगर शिविर भी लगाएंगे, तो तीन दिन बाद वे भागकर फिर नशा करने लगेंगे। उन्होंने कहा कि स्मैक या हेरोइन जैसे नशे के आदी युवकों के इलाज के लिए सिर्फ दिल्ली में नशा निवारण सेंटर है।

एक सार्थक पहल की जरूरत

हमारे समाज में नशा छोटे-छोटे बच्चों में नासूर बनकर घुस गया है। यह महज पुलिस की ही जिम्मेदारी नहीं बनती है कि वो समाज से नशे को दूर करे, बल्कि सभी को मिलकर पहल करनी होगी। एक सार्थक पहल, जो लक्ष्य को प्राप्त हो सके। शहर के कई इलाकों में हेरोइन, ब्राउन शुगर, स्मैक आदि कई प्रकार के नशे बिक रहे हैं। इस नशे के आदी होने वालों में सबसे ज्यादा १५ से ३० साल के बच्चे और नौजवान है। अगर समय रहते नशे के इस कारोबार पर नकेल नहीं कसी गई, तो हमारे शहर की आने वाली पीढ़ी बर्बाद हो जाएगी। पुलिस की इस कारोबार को बंद करने में अहम भूमिका है, लेकिन इससे समाज की भूमिका खत्म नहीं हो जाती। सभी को मिलकर, एकजुट होकर, हम कदम होकर युवाओं को लगी इस बीमारी को दूर करना होगा। इसमें पुलिस, आमजन, स्वयं सेवी संस्थाओं को अपनी भूमिका अदा करनी होगी। पुलिस को चाहिए कि वो नशे के कारोबार पर नकेल कसे। आमजन को चाहिए कि अपने इलाके, मोहल्ले या घर में कोई इस नशे का आदी हो गया है, तो उसको संबल दे, साथ दे और नशे को छुड़वाने में उसकी पूरी मदद करे, इलाज कराए। और स्वयं सेवी संस्थाओं को चाहिए कि वे इस नशे के आदी युवाओं से काउंसलिंग करे। अगर कोई युवक इलाज कराने में सक्षम न हो, तो उसकी आर्थिक मदद करे, ताकि हमारा शहर इस जानलेवा हालात से छुटकारा पा सके।

दिल्ली की तरह उदयपुर में भी खुले सेंटर

कलेक्टर विकास एस. भाले ने कहा कि उदयपुर ही नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान में ही स्मैक, हेरोइन जैसे नशे को छुड़ाने के लिए कोई नशा निवारण केंद्र नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार को चाहिए कि वो उदयपुर में ऐसा नशा निवारण केंद्र खोले, ताकि युवाओं को इस नशे से बचाया जा सके। इसके लिए शहर के सभी संगठनों और स्वयंसेवी संस्थाओं को सरकार से मांग करनी चाहिए।