उदयपुर। महिला पुलिस कांस्टेबल की नाबालिग पुत्री के साथ दुष्कर्म के आरोपी दो कांस्टेबल को जिला पुलिस अधीक्षक ने सोमवार को सेवा से बर्खास्त कर दिया।
जिला पुलिस अधीक्षक हरिप्रसाद शर्मा द्वारा आज जांच रिपोर्ट के समस्त तथ्यों पर विचार करने के बाद दुष्कर्म के मामले में कांस्टेबल भीम सिंह व किशोर सिंह को राज्य सेवा से बर्खास्त कर दिया। ज्ञातव्य है कि घटना के बाद पुलिस अधीक्षक ने इन्हें लाइन हाजिर कर दिया था।
मामले में आज पीडता ने ग्राम न्यायालय गिर्वा उदयपुर में पेश होकर १६४ में बयान दर्ज कराए।
घटना: गत 14 faरवरी को ऋषभदेव थाना क्षेत्र में महिला कांस्टेबल की नाबालिग पुत्री के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया था। इस संबंध में महिला कांस्टेबल ने किशोर सिंह के क्वार्टर में ले जाकर भीम सिंह द्वारा उसकी पुत्री के साथ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। मामला उजागर होने के बाद पुलिस ने दोनों कांस्टेबलों को गिरप*तार कर जेल भिजवा दिया था।
दुष्कर्म के आरोपी कांस्टेबल सेवा से बर्खास्त
मल्टी मीडिया स्कल्पचर कार्यशाला सम्पन्न
उदयपुर, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित राष्ट्रीय स्तर की ‘‘मल्टीमीडिया स्कल्पचर कार्यशाला’’ सोमावार को सम्पन्न हुई। समापन पर मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्विद्यालय के कुलपति श्री आई.वी. त्रिवेदी ने कला शिक्षा को स्कूली शिक्षा से जोडऩे की आवश्यकता जतलाई।
शिल्पग्राम में आयोजित दस दिवसीय कार्यशाला के समापन पर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए श्री त्रिवेदी ने कहा कि हमारे यहां कैरियर काउंसिलिंग नहीं है इससे से छात्रों को कला विषय चुनना कठिन होता है। उन्होंने कहा कि हम इस बात के प्रयास करेंगे कि कला शिक्षा को माध्यमिक शिक्षा स्तर से प्रारम्भ करने की व्यवस्था हो ताकि नूतन पीढ़ी में कला को परखने व सराहने के गुण कर विकास हो सके तथा वे कला क्षेत्र को अपना सकें।
वरिष्ठ कलाकार अमिताव भौमिक ने स्कूलों में कला शिक्षा को अनिवार्य करने का आह्वान किया। वहीं उन्होंने इसके लिये व्यापक वित्त प्रबन्धन की बात कही। उन्होंने कहा कि वित्तीय मदद के बिना कला में रहना अत्यंत कठिन है। कार्यशाला के सम्बन्ध में श्री भौमिक ने बताया कि वरिष्ठ और युवा कलाकारों में शैलिगत, वैचारिक व तकनीकी आदान-प्रदान की दृष्टि से मल्टभ्मीडिया वर्कशॉप एक अच्छा अनुभव है।
कलाकार अशोक गौड़ ने कहा कि कार्यशाला में पारंपरिक शिल्पकारों से भी काुी सीखने को मिला। उन्होंने कहा कि शिल्पकारों से ज्ञान लेने में परहेज नहीं करना चाहिये। केन्द्र निदेशक श्री शैलेन्द्र दशोरा ने अतिथियों व कलाकारों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कलाकारों को ईश्वर के बाद दूसरे स्थान की संज्ञा देते हुए कहा कि ईश्वर ने सब बनाया जबकि ये कलाकार ईश्वर निर्मित चीजा़ें से फिर कुछ नया बनाते हैं। उन्होंने कहा कि कलाकारों का समाज को महती योगदान है। इस अवसर पर कार्यशाला के समन्वयक श्री महेन्द्र भाई कडिय़ा द्वारा सृजित चित्र प्रो. त्रिवेदी को भेंट किया गया। इससे पूर्व अतिरिक्त निदेशक श्री फुरकान खान ने कार्यशाला पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आमतौर पर कला व शिल्प नमूने देखे जा सकते हैं किन्तु उनके निर्माण की प्रक्रिया व तकनीक को देखने का अवसर इस कार्यशाला में युवाओं को मिल सका।
उन्होंने बताया कि कार्यशाला में अहमदाबाद के श्री अर्पित बिलोरिया, सुश्री देवीबा वाला, मनोज सोनारा, हर्षद पंचाल, दर्शना यास्मीन, निकेश कनुभाई डाबगर, संजीश, गुजरात से ही चिन्तन मेवाड़ा, महाराष्ट्र के रत्नागिरी से संदीप तम्हाणकर, मेजस बोहिर, रितेश मेशराम, रोहन सुरेश पंवार, आसारसा रंजीत, जयपुर के अशोक गौड़, नई दिल्ली के श्री कांत पाण्डे, अमिताव भौमिक, चेन्नई के आर. श्रीनिवासन, जम्मू के रविन्दर जमुआल, छत्तीसगढ़ के नंदलाल विश्वकर्मा, उदयपुर के पुष्पकांत त्रिवेदी, दिनेश उपाध्याय, रोकेश कुमार सिंह, व सचिन दाधीच ने भाग लिया।
समापन अवसर पर कलाकारों को स्मृति विन्ह भेंट कियें गये तथा कला कृतियों का प्रदर्शन किया गया। कला कृतियों को कई कला प्रेमियों व पर्यटकों ने देखा व सराहा।
अकादमी का प्रथम ‘जनार्दन राय नागर’ सम्मान डॉ. सावित्री डागा, जोधपुर को
अकादमी का प्रथम ‘जनार्दन राय नागर’ सम्मान डॉ. सावित्री डागा, जोधपुर को
उदयपुर, राजस्थान साहित्य अकादमी का इस वर्ष का इस वर्ष का जनार्दनराय नागर सम्मान हिन्दी साहित्य की लब्ध-प्रतिष्ठ कवयित्री डॉ. सावित्री डागा, जोधपुर को प्रदान किया जाएगा।
इस संबंध में जानकारी देते हुए अकादमी के अध्यक्ष वेद व्यास ने अवगत कराया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी की घोषणा के अनुसार ‘पं. जनार्दनराय नागर की स्मृति’ में प्रतिष्ठापित प्रथम ‘जनार्दनराय नागर सम्मान’ हिन्दी की जानी-मानी कवयित्री और साहित्यकार डॉ. सावित्री डागा, जोधपुर को राशि 1.00 लाख रु. का प्रदान किया जाएगा। अकादमी द्वारा राजस्थान राज्य लोक प्रशासन संस्थान (रीपा) के सहयोग से जयपुर में 24 फरवरी, 2013 को आयोज्य ‘अमृत सम्मान’ समारोह में मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी, उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा डॉ. डागा को यह सम्मान प्रदान किया जाएगा। व्यास ने बताया कि इस अवसर पर अकादमी का सर्वोच्च ‘साहित्य मनीषी’ सम्मान डॉ. तारा प्रकाश जोशी, जयपुर को और 12 साहित्यकारों – मुश्ताक अहमद ‘राकेश’ (जयपुर), सुरेश पंडित (अलवर) , विनोद शंकर दवे (जयपुर), प्रकाश परिमल (जयपुर), डॉ. महेन्द्र भाणावत (उदयपुर), माधुरी शास्त्री (जयपुर), विद्यासागर आचार्य (बीकानेर), ओंकार पारीक (उदयपुर), श्याम आचार्य (जयपुर), नरसिंग देव गुजराती (जोधपुर), जसदेव सिंह (जयपुर), नंदलाल परशरमाणी (सलूम्बर) को अकादमी का ‘अमृत सम्मान’ राशि 21000/-रु. (प्रत्येक) प्रदान किया जाएगा।
यह कार्यक्रम राजस्थान राज्य लोक प्रशासन संस्थान, जवाहर लाल नेहरू मार्ग, जयपुर के सभागार में 24 फरवरी, 2013 को पूर्वाह्न में 11.00 बजे आयोजित होगा तथा इस अवसर पर अकादमी प्रकाशनों की प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी।
नवजात को हीटर के सामने छोड़ भूल गया स्टाफ, चेहरा और हाथ झुलसे
जोधपुर. मसूरिया स्थित रामदेव अस्पताल में लेबर रूम के कर्मचारियों ने शनिवार को एक नवजात की जिंदगी खतरे में डाल दी। डॉक्टर प्रसव कराने के बाद बाहर चले गए और कर्मचारियों ने नवजात को लेबर रूम के हीटर के सामने लिटा दिया। इसके बाद वे भूल भी गए। इससे नवजात झुलस गई। उसके मुंह व हाथ झुलस गए।
यही नहीं, करीब एक घंटे तक अस्पताल प्रबंधन ने घटना को दबाए रखा। यहां शनिवार शाम को ही मधुबन हाउसिंग बोर्ड निवासी ज्योति को प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती करा गया। उसके बेटी हुई। ज्योति और उसके सभी परिजन नवजात बिटिया को देखने को आतुर थे। ज्योति की यह पहली डिलीवरी थी। जब ज्योति ने बेटी को देखा तो वह सन्न रह गई।
लाख मन्नतों के बाद मिली बेटी उसके हाथों में आई तब झुलसी हुई थी। बेटी की यह दुर्दशा देख ज्योति की रुलाई फूट पड़ी। फूल सी बच्ची की हालत देख ज्योति के पिता जितेंद्र की आंखें भी भर आईं। अब बच्ची को प्लास्टिक सर्जरी के लिए दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहां उसकी हालत गंभीर है। एक घंटे दबाए रखी घटनात्न शाम चार बजे ज्योति ने बेटी को जन्म दिया।
प्रसव के बाद डॉक्टर अपनी ड्यूटी में व्यस्त हो गए और लेबररूम के कर्मचारियों ने यहां चल रहे हीटर के सामने नवजात को रख दिया। हीटर के ब्लोअर से निकल रही गर्म हवा से नन्ही जान का चेहरा व हाथ बुरी तरह झुलस गए। जब परिजनों को बच्ची सौंपी गई तो उसे देख सभी सन्न रह गए। परिजनों ने आपत्ति जताई तो डॉक्टरों ने पहले तो गलती मानी ही नहीं। इस बात पर परिजन भड़क गए और दो घंटे तक अस्पताल में विवाद चलता रहा।
स्वीपर ने बताया बेटा हुआ
करीब एक घंटे तक परिजनों को नवजात के झुलसने से ही से अनजान रखा गया। इस दौरान अस्पताल के स्वीपर ने तो परिजनों को बेटा होने की बात कर भ्रम पैदा कर दिया। लेकिन अस्पताल में पूरे दिन में एक ही डिलीवरी होने से यह बात साफ हो पाई कि बेटी ही हुई है और झुलसी बच्ची उनकी ही है।
अस्पताल ने गलती मानी
दो घंटे हंगामे के बाद अस्पताल निदेशक डॉ. डीके रामदेव ने माना कि गलती से बच्ची को लेबररूम में हीटर ब्लोअर के सामने रख दिया था। जिससे उसका चेहरा व हाथ झुलस गया। ज्यादा असर चेहरे पर है। बच्ची का उपचार अस्पताल करवा रहा है। प्लास्टिक सर्जरी सहित अन्य उपचार के लिए उसे निजी अस्पताल शिफ्ट कर दिया है।
निजी अस्पतालों पर अंकुश नहीं
निजी अस्पतालों पर नियंत्रण की कोई व्यवस्था नहीं है। राज्य सरकार ने गत वर्ष क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू कर दिया। लेकिन अभी तक नियम पूरी तरह से तैयार नहीं हुए। प्रावधान लागू होने से ऐसे मामलों में निजी अस्पतालों की जिम्मेदारी तय की जा सकती है।
हमें गुमराह भी किया
पहले तो हमें अस्पताल वालों ने यह जानकारी ही नहीं दी। फिर अस्पताल के स्वीपर ने बेटा होने की बात कहते हुए गुमराह करने का प्रयास किया। बाद में बच्ची को इस हाल में देखा तो हम सब सकते में आ गए।
-पूनम, बच्ची के मामा
फिल्मफेयर अवार्ड्स की शाम





सो. बी बी सी
मेवाड हास्पीटल द्वारा गोगुन्दा मे लगा विशाल निशुल्क चिकित्सा शिविरः 345 मरीजो का हुआ उपचार
उदयपुर – मेवाड हास्पीटल उदयपुर द्वारा महाराणा प्रताप की राजतिलक स्थली गोगुन्दा में आज विशाल निशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। मेवाड हास्पीटल के उदघाटन के बाद ग्रामीण अंचल के लोगो का लाभान्वित करने एवं उच्चस्तरीय जॉच एवं उपचार के उददेश्य को लेकर प्रथम शिविर का आयोजन किया गया। मेवाड हास्पीटल के संस्थापक डॉ. मनीष छापरवाल ने बताया कि शिविर में जनरल मेडिसन, न्यूरोसर्जन, यूरोलोजी, गायनिक, आर्थोपेडिक, फिजियोथेरेपिस्ट आदि ने अपनी सेवाएं दी। शिविर में ब्लड शुगर एवं अन्य जॉचे निशुल्क करते हुए दवाईयो का वितरण किया गया। इस अवसर पर मौसमी बिमारियों की जॉच करते हुए उपचार किया गया। शिविर का उदघाटन देहात जिला कांग्रेस अध्यक्ष लाल सिह झाला ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला प्रमुख मधु मेहता ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में क्रयविक्रय सहकारी समिति अध्यक्ष हरिसिह झाला, गोगुन्दा प्रधान तुलसी मेघवाल, ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मांगीलाल चौधरी, सत्येन्द्र सिह राणावत, बेदला उपसरपंच विनोद वांवला, रामेश्वर चौधरी, महिपाल सिह झाला, प्रवक्ता हेमंत श्रीमाली, रामचन्द्र चौधरी आदि उपस्थित थे। उदघाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष झाला ने कहा कि आज के आर्थिक युग में किसी निजी अस्पताल द्वारा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में जनसाधारण को चिकित्सा के उच्च उपचार से लाभान्वित करने का प्रयास सराहनीय है। उन्होने मेवाड हास्पीटल एवं उनके संचालक का गोेगुन्दा में शिविर आयोजन हेतु आभार जताया। जिला प्रमुख मेहता ने कहा कि मेवाड हास्पीटल की उदयपुर में तो ख्याति है ही, उन्होने अब ग्रामीण अंचल में सेवा करने का जो निश्चय दिखाया है उसके लिये मेवाड हास्पीटल बधाई का पात्र है। शिविर में डॉ. विशाल कासंलीवाल, ग्रुप मेनेजर जगत मेहता, डॉ. दीपक, डॉ. शिखा, डॉ. प्रियंका, डॉ. राजेश खोईवाल एवं एम्स नई दिल्ली के न्यूरोसर्जन डॉ. अजित सिह ने अपनी सेवाएं दी। इस अवसर पर 345 मरीजो का उपचार किया गया तथा लगभग 150 लोगो को उपचार हेतु परामर्श दिया गया। मेवाड हास्पीटल के संचालक डॉ. छापरवाल ने बताया कि आगामी दिनो में मावली एवं जिले के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रो में प्रतिमाह शिविर आयोजित कर ज्यादा से ज्यादा गरीब लोगो का उच्च स्तरीय उपचार निशुल्क उपलब्ध करवाया जायेगा।
मंगलोत्सव 2012-13 सम्पन्न
जीवन की असली परीक्षा चुनौतियों को पार पाने में ही निहित – डॉ. कुमावत
मंगलोत्सव में छात्रों ने बिखेरे जलवे और जीते कई अवार्ड
उदयपुर, आलोक संस्थान के आलोक सी. सै. स्कूल, हिरण मगरी, सेक्टर – 11 में कक्षा 12वीं के विद्यार्थीयों के लिये षुभकामनाएँ प्रदान करने हेतू तथा उनके भावी जीवन को उन्नत बनाये जाने हेतू मंगलोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें संस्थान के बालकों व षिक्षकों ने उत्साह से भाग लिया।
आलोक संस्थान निदेषक डॉ. प्रदीप कुमावत ने बालकों को सम्बोधित करते हुए कहा गया कि जीवन की असली परीक्षा चुनौतियों को पार पाने में ही निहित है। आलोक सदा तुम्हारे साथ हैं किसी न किसी रूप में आलोक सदैव तुम्हारे जीवन में प्रकाष फैलाऐगा। सच्चे विद्यार्थी की पहचान समाज में रहकर होती हैं केवल दिखावे मात्र से नहीं।
इस अवसर पर डॉ. प्रदीप कुमावत द्वारा निर्देषित एवं मनमोहन भटनागर द्वारा कम्पोज फिल्म “स्कूली…..यादों का बस्ता” का प्रदर्षन किया गया जिसको देखकर छात्र-छात्राओं के आँखों से आँसू आ गये।
इस अवसर पर संस्थान चेयरमेन ष्यामलाल कुमावत ने कहा कि सभी को अपनी पहचान बनाने की प्रबल इच्छा होती हैं किंतु ऊपरी आवरण अर्थात बेढ़ंगे आचरण से कोई भी अपनी पहचान नहीं बना सकता। मनुश्य की पहचान तो उसके सुंदर आचरण से ही बनती । व्यक्ति अपने गुण, त्याग और समपर्ण से ही ऊपर उठता हैं।
इससे पहले सर्वप्रथम कार्यक्रम का आरम्भ माँ सरस्वती के पूजन के साथ किया गया। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुतियाँ दी। स्वागत उद्बोधन सजल बापना द्वारा दिया गया। कक्षा 11वीं सेक्षन सी के युक्ति और समूह द्वारा नृत्य की प्रस्तुति दी गई।
इस अवसर पर “आलोक श्री” प्रतीक कुमावत तथा “आलोक सुश्री” जिज्ञासा जैन चुने गये। तथा साथ में सर्वश्रेश्ठ ड्रेस के लिये दिनेष बग्गा और षिवानी षेखावटी को सम्मानित किया गया।
चेयरमेन अवार्ड – प्रतीक कुमावत
डायरेक्टर अवार्ड – सताक्षी षर्मा
आइकन ऑफ द क्मबंकम – जगदीष रावल
कालिदास अवार्ड – आयुशि भटनागर
बेस्ट इंटरेक्टर के लिये लाईफ टाईम अचींवमेंट अवार्ड – कुलदीप अमेरिया
आर्ट के लिये टेगोर अवार्ड – मुक्ता षर्मा,
ध्यानसाधना, मनन के लिये पंतजली अवार्ड – हीना षर्मा
अंग्रेजी वार्तालाप, बातचीत के लिये डॉ. राधाकृश्णमोहन अवार्ड – जिज्ञाषा जैन और गुरूसा नाहर
सांस्कृतिक गतिविधियों के लिये मीरा अवार्ड – सोनाली पंचवानी और अंचल जैन
खेलकूद में सर्वश्रेश्ठ प्रदर्षन के लिये एकलव्य अवार्ड – अनिमेश मेहता और हेमलता चौधरी
आचार्य अवार्ड – विमल पटेल, मोतिसिंह रापतूत, रोहित कोठारी
आषाजनक न्यू कमर के लिये उदयसिंह अवार्ड – प्रिया प्रजापत
संगीत के क्षेत्र में सर्वश्रेश्ठ प्रदर्षन के लिये तानसेन अवार्ड – रवि नन्दावत
नृत्य के लिये उदय षंकर अवार्ड – सोनाली मेहता
स्कूल की गतिविधियांे में भाग लेने एवं सहयोग के लिये प्रताप अवार्ड – देवेष वषिश्ट
बेस्ट मोनिटंरिंग के लिये पन्नाधाय अवार्ड – हीना षर्मा
सामाजिक सेवा के कार्य में योगदान देने के लिये विवेकानन्द अवार्ड – अक्षय राज कुमावत, दिनेष बग्गा
उभरते वैज्ञानिक के लिये विक्रम साराभाई अवार्ड – निकिता राठौड
उभरते हुए उद्यमि के लिये जमषेदजी टाटा अवार्ड – लक्षित कुरड़िया
लाइफ टाइम अचिंवमेंट अवार्ड – धु्रव हरावत, परिधि कुमावत।
आर्य-अनार्य के बीच पनपा प्रेम: मोनजो-दाड़ो’’
उदयपुर, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित मासिक नाट्य संध्या ‘‘रंगशाला’’ में नाटक ‘‘मोहनजो-दाड़ो’’ का मंचन किया गया। जिसमें आर्य और अनार्य के बीच पनपे प्रेम के बीच युद्ध की विभीषिका ने एक अलग अनुभव दिया।
शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में रविवार को बिगबैग ग्रुप की ओर से कुलविन्दर बख्शीश द्वारा निर्देशित नाटक ‘‘मोहनजो-दाड़ो’’ दर्शकों द्वारा पसंद किया गया। आकर्षक सैट व कम्पोजिशन की बदौलत प्रस्तुति ने दर्शकों को बांधे रखा। नाटक मोहन जोदाड़ों काल में आर्य और अनार्य के संघर्ष के बीच पनपे प्रेम तथा उससे उत्पन्न संतान के प्रभुत्व के माध्यम से कोमल मानवीय भावनाओं को छू गया। निर्देशक कुलविन्दर ने कहानी को अच्छा ट्रीटमेन्ट दिया वहीं अभिनय कर रहे कलाकारों में बेहतर तारतम्य बन सका। नाटक में उदयपुर के रंगकर्मी व टीवी कलाकार अशोक बाँठिया ने अपने अभिनय की छाप छाड़ी वहीं नाटक में प्रकाश व्यवस्था श्रेष्ठ बन सकी। नाटक का बैकग्राउण्ड म्यूजिक दृश्यानुकूल व प्रभावी बन सका वहीं प्रकाश संयोजन ने दृश्यों में प्राणें का संचरण किया।प्रस्तुति के अंत में कलाकारों को पुष्प गुच्छ भेंट कर अभिवादन किया गया।
प्रकृति के बीच योग शिविर का समापन
सात दिवसीय शिविर में विद्यार्थीयों ने समझा प्रकृति का मूल्य
उदयपुर। प्रकृति को नजदीक से जानने पहचानने तथा प्रकृति में छुपे हुए कुछ अनछुए पहलुओं को और अधिक समझने के उद्देश्य से स्वर्ग आयतन मां भगवती विकास संस्थान द्वारा आयोजित सात दिवसीय योग शिविर का समापन शहर के समीप प्राकृतिक परिवेश में स्थित बागदड़ा नेचर पार्क में समपन्न हुआ।
संस्थान के निदेशक योग गुरू देवेन्द्र अग्रवाल ने बताया कि योग शिविर में प्रकृति को बारीकी से समझने तथा अपने मन में प्रकृति प्रदत्त पेड़ पौधो, जीव जन्तुओं एवं अन्य चीजों से सम्बन्धित जिज्ञासाओं को शान्त करने के लिए सीटीआई कालेज के विद्यार्थीयों ने शिविर में भाग लिया तथा योग के साथ-साथ प्राकृतिक वातावरण में रहते हुए यह समझने का प्रयास किया कि इस पृथ्वी पर उत्पन्न हर चीज चाहे वह पेंड पौधे हो या चाहे वो जीव जन्तु हो, हर एक का इस सृष्टी पर उत्पन्न होने का अपना एक अलग महत्व व उद्देश्य हैं।
योग गुरू ने बताया कि शिविर में विद्यार्थीयों ने प्रकृति के बीच रहकर यह महसूस किया कि जब तक वास्तविक रूप में प्रकृति के बीच में नही रहा जाये तब तक इस प्रकृति के असली महत्व की महत्ता को हम जीवन में महसूस नही कर सकते। उन्होने बताया कि हर मानव का यह कर्तव्य बनता हैं कि प्रकृति के मौल को समझने के लिए प्राकृतिक परिवेश में कुछ समय बिताए तभी वह इस प्रकृति के वास्तविक मूल्यों के जीवन मे उतार पायेगा और जब वह इन मूल्यों को समझ जायेगा तो प्रकृति का कभी विनाश ना स्वयं करेगा और ना होने देगा।
37 गांवों में जल्द मिल सकती हैं शहर जैसी सुविधाएं
उदयपुर. शहर से सटे 37 गांवों में रहने वालों के बेहतर विकास की उम्मीदें बढ़ गई हैं। यूआईटी की ओर से प्रस्तावित इन गांवों को शहर में शामिल किया जाता है तो इनको कॉलोनियों में तब्दील होने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। फिलहाल इन गांवों की जमीनों पर रिसोर्ट और कॉलेज तो तेजी से बन रहे हैं पर ग्रामीण बस्तियों का विकास न के बराबर है। यह सारी कवायद उदयपुर नगर निगम बनाने के लिए की जा रही है।
नगर विकास प्रन्यास ने शहर से सटे 37 गांवों की सूची शुक्रवार को जिला कलेक्टर कार्यालय को भिजवा दी थी। करीबी गांवों को जोड़े बगैर शहर की जनसंख्या 4 लाख 68 हजार 663 है। शहर को नगर निगम बनाने के लिए सिर्फ 32 हजार नागरिक और चाहिए। प्रस्तावित 37 गांव शहर की आबादी में जोडऩे से करीब 1 लाख 10 हजार नागरिक और बढेंग़े। नगर निगम की खातिर इन गांवों को शहर में जोडऩे पर आबादी 6 लाख हो जाएगी जो जरूरत से 1 लाख अधिक होगी।
यूआईटी ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि इन गांवों को शहरी सीमा में इसलिए शामिल करना जरूरी है कि इनके विकास के बाद कॉलोनियों को नगर परिषद को हस्तांतरित किया जाना है। शहर का नया मास्टर प्लान भी इन पंचायतों को ध्यान में रखकर ही गया है। पर्यावरण के लिहाज से इन क्षेत्रों में ग्रीन बेल्ट को ध्यान में रखना होगा। गौरतलब है कि यूआईटी की ओर से पेराफेरी में शामिल पंचायतों में विकास के कार्य करवाए जा रहे हैं।