एटीएम तिजोरी ही उठा ले गए लूटेरे

उदयपुर, 1 अगस्त। जयपुर के मानसरोवर थाना इलाके में न्यू आतिश मार्केट में आईसीआईसीआई बैंक का एटीएम रविवार रात को लूट लिया गया। इस बार लुटेरे एटीएम की तिजोरी ही उठाकर ले गए। तिजोरी में करीब आठ से दस लाख रूपए थे। आज प्रातः पुलिस को जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचे और सीसीटी कैमरे में मिले फूटेज के आधार पर लूटेरों की तलाष प्रारंभ कर दी है। पुलिस के अनुसार लुटेरों की संख्या तीन थी तथा उन्होंने चेहरे पर नकाब डाला हुआ था। जानकारी के अनुसार एटीएम के पास ही दूसरी मषीन भी लगी थी जिसमें करीब 18 से 20 लाख रूपए थे। लूटेरो से इस मषीन को भी नुकसान पहुंचाया।

जानकारी के अनुसार इस एटीएम पर करीब तीन माह से कोई गार्ड तैनात नहीं था। इस एटीएम से रोजाना करीब 150 से 200 लोगों द्वारा करीब लाखों रूप्ए एटीएम मशीन से निकाले जाते है। पिछले दिनों राज्य के कई शहरों में ऐसी घटनाएं हो चुकी है।

 

काले मेघा-काले मेघा पानी तो बरसा….

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उदयपुर। काले मेघा-काले मेघा पानी तो बरसा… बिजली की चमकार नहीं बूंदो के बाण चला….। षहर में कई दिनों से आसमाना मेें बादलों की मौजूदगी के बावजूद उमस और गर्मी ने लोगों को बैचेन कर दिया। सावन का महीना लगे करीब दस दिन बीत चुके है फिर भी षहर की झीलों में पानी की आवक षुरूनहीं हुई। इस साल पिछोला झील को भरने वाले सीसारमा नदी भी सिर्फ एक बार ही चली है, परंतु वो भी पीछोला झील के मुहाने को छू नहीं पाई।

इधर, सोमवार को भी दिनभर उमस बनी रही। आसमान में बादल छाए रहे लेकिन बारिष का नामो निशां नहीं। पिछले कई दिनों से उदयपुर षहर में खण्ड वर्षा का दौर ही जारी है। षहर की सौंदर्य को बढाने वाले इन ऐतिहासिक झीलों को अब बारिष का इंतजार है। वैसे तो उदयपुर षहर का सौंदर्य बारिष का मौसम आते है चार गुना बढ जाती है। इसके चारों ओर हरियाली मानों जैसे षहर को हरियाली से सजाएं हुई लगती है।

फतेहसागर की लहरों पे अब “स्पीड”

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उदयपुर में अब पूरा होगा वाटर स्पोर्ट्स का सपना पूरा ,

शहर की विश्व प्रसिद्ध झील में रविवार से ऍम. ऍम. ट्रावेल्स ने झील में एक हाई स्पीड लग्जरी मोटर बोट , वाटर स्कूटर , दो लग्जरी शिकारे उतारे हे , बहुत दिनों से शहर वासियों को इस दिन का इन्न्ताज़र था ,

रविवार को शहर विधायक गुलाबचंद कटारिया ने इस एडवेंचर का शुभारंम्भ किया

“तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे

‎”तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे , जब कभी सुनो गे गीत मेरे संग संग तुम भी गुनगुनाओगे ”


 


मो. रफ़ी साहब जीतनी अच्छी आवाज़ के मालिक थे उतनी ही अच्छी शख्शियत के साफ़ दिल इन्सान थे, ये रफ़ी साहब का हुनर ही था के हर कलाकार पे फिल्माने वाले गाने वो उनकी ही शेली में गाते थे चाहे , दिलीप कुमार हो या शम्मी कपूर , भजन गाते तो हर दिल हरी दर्शन को तड़प जाता और सूफियाना कलाम या कव्वाली गाते तो हर दिल झूम उठता , ये रफ़ी साहब का हुनर ही था के ज़िन्दगी के हर रंग को वो अपनी आवाज़ में उतार देते थे ,


31 जुलाई 1980 को जब दिल के दोरे से उनका इंतकाल हुआ उस दिन ऐसा लग रहा था मनो आसमान का कलेजा भी फट गया हो , और उस मुसलाधार बारिश में जनाजे में शामिल हर शख्श ने अपना छाता होते हुए भी नहीं खोला , हर शख्श के दिल में इतने तूफान उठ रहे थे के उसको आसमान से बरसने वाले तूफान से बचने की कोई फिकर नहीं थी , ऐसा लग रहा था मानो जनाजे में शामिल हर शख्श रफ़ी साहब के साथ दफ़न हो जाना चाहता हे ,


आज 31 साल बाद भी उनकी आवाज़ हर दिल में गूंजती हे ,


“वो जब याद आये बोहत याद आये …….