कोटड़ा जेल इतनी बदहाल कि जख्म बन गए नासूर

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l_kotra-jail-in-udaipur-580b0a67d86b1उदयपुर.

राज्य सरकार के आदिवासी इलाकों के उत्थान के दावे लाख कोशिशों के बाद भी धरातल पर सच नहीं दिख रहे हैं। तभी तो बरसों से काला पानी का दंश झेल रहे आदिवासी क्षेत्र कोटड़ा के हाल अब तक बदहाल हैं। यहां मूलभूत सुविधाओं के नाम हर क्षेत्र अधूरा सा ही है।

उप कारागृह तक के हालात अच्छे नहीं हैं। लम्बे समय से न तो जेलर मिला है, न ही अन्य कर्मचारी। जेल में कैदियों का निरीक्षण व स्वास्थ्य परीक्षण भी समय पर नहीं होता है। यदि किसी को जेल भेजा जाता है, उसकी आवश्यकता होने पर मेडिकल जांच नहीं हो पाती। पिछले माह न्यायिक अधिकारी ने यहां का निरीक्षण किया तो उन्होंने भी इस अव्यवस्था पर लिखित में कड़ी टिप्पणी की। इसी तरह से शुक्रवार को भी एक अन्य न्यायिक अधिकारी ने यहां का दौरा किया तो उन्हें भी चिकित्सक के नहीं आने की बात जेल प्रहरी ने बताई। हैड कांस्टेबल के पास मुख्य प्रहरी का कार्यभार है। जेल में करीब 400 कैदियों की क्षमता है और फिलहाल यहां करीब 15 विचाराधीन बंदी हैं। इनमें महिला बंदी नहीं है।

उप कारागृह तक के हालात अच्छे नहीं हैं। लम्बे समय से न तो जेलर मिला है, न ही अन्य कर्मचारी। जेल में कैदियों का निरीक्षण व स्वास्थ्य परीक्षण भी समय पर नहीं होता है। यदि किसी को जेल भेजा जाता है, उसकी आवश्यकता होने पर मेडिकल जांच नहीं हो पाती। पिछले माह न्यायिक अधिकारी ने यहां का निरीक्षण किया तो उन्होंने भी इस अव्यवस्था पर लिखित में कड़ी टिप्पणी की। इसी तरह से शुक्रवार को भी एक अन्य न्यायिक अधिकारी ने यहां का दौरा किया तो उन्हें भी चिकित्सक के नहीं आने की बात जेल प्रहरी ने बताई। हैड कांस्टेबल के पास मुख्य प्रहरी का कार्यभार है। जेल में करीब 400 कैदियों की क्षमता है और फिलहाल यहां करीब 15 विचाराधीन बंदी हैं। इनमें महिला बंदी नहीं है।

चिकित्सक पर कोई असर नहीं 

पूर्व में आए न्यायिक अधिकारी ने अपने निरीक्षण प्रतिवेदन में इसका हवाला दिया है। इिसमें बताया कि कारागृह में आवश्यकतानुसार राजकीय चिकित्सालय से चिकित्साधिकारी को बुलाया जाता है। स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है। तत्कालीन व वर्तमान में कार्यरत मुख्य प्रहरी ने शिकायत की कि चिकित्सक नियमित नहीं आते। उन्होंने निरीक्षण प्रतिवेदन में संबंधित चिकित्सक को हिदायत दी कि बुलाए जाने पर बंदियों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए उपस्थित हों।

क्वार्टर भी जीर्ण-शीर्ण 

जेल में पीछे बने क्वार्टर भी जीर्ण-शीर्ण हैं। कई के खिड़की दरवाजे तक लोग निकाल ले गए। मरम्मत नहीं होने से हाल खराब हैं।

बंदी की जांच जरूरी

बंदी के कारागृह में आने पर स्वास्थ्य जांच होना जरूरी है। चिकित्सक को बुलाने पर भी नहीं आते हैं। इससे परेशानी का सामना करना पड़ता है। आज भी न्यायिक अधिकारी ने कारागृह का निरीक्षण किया था। उन्हें चिकित्सक की समस्या से अवगत कराया। पूर्व में भी इसकी जानकारी दी थी।

हेमराज साल्वी उप कारागृह कोटड़ा

Shabana Pathan
Shabana Pathanhttp://www.udaipurpost.com
Contributer & Co-Editor at UdaipurPost.com

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