स्कूली बच्चों के हाथ में सड़कों पर दौड़ते यमदूत

Date:

हेलमेट होता तो बच जाती मिहिर की जान, अभिभावकों को समझनी होगी जिम्मेदारी
उदयपुर। मोहनलाल सुखाडिय़ा यूनिवरसिटी में कल हुए हादसे में एक १४ वर्षीय स्कूली छात्र की मौत हो गई, जबकि एक छात्रा घायल हो गई। इस हादसे में पुलिस और यातायात विभाग के साथ अभिभावकों की घोर लापरवाही नजऱ आती है। बीते छह माह पर नजर दौड़ाई जाए, तो ऐसे कई हादसे हुए है, जिनमें 15 साल से काम उम्र के बच्चें वाहन चलाते हुए हादसों का शिकार हो गए। यह हादसे रुक सकते हैं यदि पुलिस, यातायात विभाग और अभिभावक अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाएं तो, लेकिन पुलिस और यातायात विभाग सिर्È Èौरी कार्रवाई कर अपनी जिम्मेदारी खत्म कर देते हैं, वहीं अभिभावक पुत्र प्रेम में लाड़लों के हाथों में तेज रफ़्तार पर सवार यमदूत थमा देते हैं। इधर, इस हादसे के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बेरिकेड को वहां से हटा दिया गया है।
IMG_1154
कानून से खिलवाड़ : 18 वर्ष की आयु के बाद ही किसी का लाइसेंस बन सकता है, लेकिन इन दिनों अभिभावक इस बात का कही कोई ध्यान नहीं देते और सातवीं-आठवीं में पढऩे वाले विद्यार्थियों के हाथों में तेज रफ़्तार बाइक या स्कूटी पकड़ा देते हैं, जो बिना लाइसेंस के वाहन दौड़ाते हैं। अभिभावक यह भी नहीं देखते की उनका बच्चा किस लापरवाही से गाड़ी भगा रहा है। यही हाल यातायात पुलिस विभाग के है। उनकी आंखों के सामने से बच्चे तेज रफ़्तार बाइक भगाते हुए निकल जाते, लेकिन उन्हें रोककर पूछा तक नहीं जाता है कि उनके पास लाइसेंस है या नहीं।
कार्यशाला कर जिमेदारी से मुक्ति : यातायात पुलिस और परिवहन विभाग सड़क सुरक्षा सप्ताह में ही अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। स्कूलों में जाकर बच्चों को बताते हैं कि उन्हें वाहन नहीं चलाना चाहिए, जब तक की वह बालिग न हो जाए। कभी-कभी उनके अभिभावकों को भी कार्यशाला कर समझा देते हैं, लेकिन यह महज एक खानापूर्ति होती है।

हेलमेट समझते है सर का बोझ : कल हुए हादसे में अगर छात्र मिहिर ने हेलमेट पहनी होती, तो उसकी जान बच सकती थी, लेकिन छात्रों की छोडि़ए शहर के ज्यादातर लोग हेलमेट को सर का बोझ समझते हैं। पुलिस विभाग कभी कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं करता और युवा एवं शहरवासी बेधड़क बिना हेलमेट के वाहन भगाते हंै।

क्या हो सकते हैं उपाय : बच्चों के साथ होने वाले ऐसे हादसों को रोकने के लिए पुलिस विभाग एवं परिवहन विभाग के साथ-साथ अभिभावकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। सबसे पहले तो अभिभावक 18 साल के पहले बिना लाइसेंस के अपने बच्चों को कोई वाहन नहीं दिलाए। अगर स्कूल या ट्यूशन जाना होता है. तो घर का कोई बड़ा इस जिम्मेदारी को निभाए या स्कूल बस व ऑटो का ही उपयोग करें। पुलिस विभाग भी ऐसे मामलों में समझाइश के साथ थोड़ी सख्ती बरते और 15 साल से कम उम्र वाले वाहन चालकों की गाड़ी जब्तकर मौके पर माता और पिता को बुलाकर कार्रवाई की जाए। साथ ही हेलमेट पहनने के लिए शहर में पुलिस प्रशासन सख्ती बरते।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Der spannende Avalon Casino Spielautomat durch Reel Time Gaming

ContentAvalon Casino | Jammin‘ Jars – Gewinner Slot über...

Double Exposure Blackjack Really the only Video game having Face Right up Notes

ArticlesThere are not any deposit bonuses to possess online...

Dollars Vandal Harbors Enjoy Totally free Now 2025! Zero Down load Necessary

The songs is a dead preferred song and that...

Hipervínculos sobre Excel Arquetípico, Partes, Clases

ContentOur communitiesCuándo utilizar Hipervínculos¿Cómo puedo asegurarme de que las...