पांच दिन का दीपोत्सव भाई दूज के साथ संम्पन – दीपावली पर रोशनी से नहाया शहर।

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उदयपुर। सुख-समृद्धि व वैभव का पांच दिवसीय दीपोत्सव धनतेरस से शुरू होकर शुक्रवार को भाई दूज के साथ संम्पन्न हुआ। दीपावली पर शहर रोशनी में नहाया। हर घर-प्रतिष्ठान, बाजार, चौक-चौराहा व सरकारी भवन पर आकर्षक सजावट की गई। पटाखों और मिठाइयों के साथ जोर शोर के साथ मनाई गयी दिवाली। पटाखों के लिए कोर्ट के चाहे कैसे भी आदेश हो लेकिन दीपावली की खुशियों के आगे सब कुछ फीका रहा और देर रात तक पटाखे छुटते रहे। बच्चों और बड़ों ने खूब पटाखे छुटाए , हालाँकि पटाखों पर पड़ी महगाई की मार ने कुछ कमी जरूर की। लोगों ने शुभ मुहूर्त पर लक्ष्मी पूजन कर खुशहाली की कामना की। पूरी रात आतिशबाजी का दौर जारी रहा।
दीपावली को सुबह से शहर में विशेष चहल-पहल रही। लोगों ने माता लक्ष्मी की आराधना कर जहां सुख- समृद्धि और वैभव की कामना की, वहीं शाम को घर- घर में दीप जलाकर प्रभु श्री राम के वनवास से लौटने की खुशियां मनाई। शाहर के श्री महालक्ष्मी मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं की विशेष भीड़ रही। श्रद्धालुओं ने माता लक्ष्मी के दर्शन कर सुख समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर शहर के विशिष्ट व्यक्तियों ने भी के परिवार सहित माताजी के दर्शन किए। इनमें गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी, मेवाड़ पूर्व राजघराने की अरविंद सिंह मेवाड़, कांग्रेस की डॉक्टर गिरिजा व्यास, त्रिलोक पूर्बिया सहित अन्य लोग शामिल थे। मंदिर पर श्रद्धालुओं की विशेष भीड़ रही।श्रद्धालुओं ने लंबी कतारों में लगकर महालक्ष्मी जी के दर्शन किए। श्रद्धालुओं के लिए दीपोत्सव समिति की ओर से भटियानी चौहट्टा में विशेष सजावट की गई। इसके साथ ही दीपावली पर दर्शन करने आने वाले लोगों के लिए भजन संध्या का आयोजन किया गया।भक्तों ने कतार में लगे हुए भजनों का आनंद उठाया। इधर शाम होने के साथ ही घर-घर में दीपक जलाकर अमावस्या की अंधकार को मिटाया गया। पर्व को लेकर श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह उमंग और श्रद्धा व्याप्त थी। बच्चों, बड़ों और बुजुर्गों ने आतिशबाजी कर प्रभु श्री राम के वनवास से लौटने की खुशियां मनाई। शहरवासियों ने लिया मेले का लुत्फ नगर निगम की ओर से टाउन हॉल परिसर में चल रहे मेले में दीपावली के दिन विशेष भीड़ उमड़ी। मेला परिसर के आसपास के व्यापारियों ने जिसमें बापू बाजार व्यापार मंडल, सूरजपोल व्यापार मंडल और अन्य मंडलों ने विविध प्रकार के आयोजन किए। इसमें स्टेज पर प्रतियोगिता रखी गई। जिसमें शहर वासियों ने भाग लिया। उन्हें उपहार भी प्रदान किए गए। विशेष सजावट से सजे बाजारों में लोगों ने जमकर रोशनी का आनंद उठाया। इसके साथ ही मेले में मनोरंजन के संसाधनों का भरपूर लुत्फ लिया। लोगों ने यहां लगी स्टालों पर जमकर खरीदारी की।

खेखरे के दिन हुई गोवर्धन पूजा :
दीपावली के अगले दिन गुरुवार को अलसुबह महिलाओं ने परंपरानुसार गोवर्धन पूजा की। दीपावली के दूसरे दिन गो पूजा का विशेष महत्‍व होता है। महिलाओं ने अल सुबह गाय की पूजा के बाद गाय पालक (गाय की सेवा करने वाला) को उपहार और अन्‍न दिया। गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर जल, मौली, रोली, चावल, फूल, दही और तेल का दीपक जलाकर पूजा की। ऐसी मान्‍यता है कि इंद्र के कोप से बचने के लिए गोकुल वासियों ने जब गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण ली, तब उन्‍होंने 56 भोग बनाकर श्री कृष्ण को भोग लगाया था। इससे खुश होकर श्री कृष्ण ने आशीर्वाद दिया और कहा इंद्र से डरने की जरूरत नहीं है, वह गोकुल वासियों की हमेशा रक्षा करेंगे। दिवाली के अगले दिन महिलाऐं गोवर्धन पूजा करती है तो घर के पुरुष इस दिन रामा-शामा करते है । जो लोग दीवाली की रात आतिशबाजी में व्यस्त रहे वो लोग शुक्रवार के दिन रामा शामा करने में जुटे रहे। रामा शामा का ये सिलसिला दिन भर चलता रहा। इस दौरान लोगों ने अपने घर आने वाले मेहमानों का स्वागत किया और घर में बनी मिठाइयों से उनका मुंह मीठा कराया। इसी तरह का माहौल सियासी पार्टियों के दफ्तरों और प्राईवेट कंपनियों के संस्थानों में रहा। उधर, दिवाली की छुट्टियों के बाद बाहर के लोगों का घर लौटने का सिलसिला शुरू हो गया।
रोड़वेज और प्राईवेट बसों में सवारियां खचाखच भरी रही। ऐसा ही हाल रेलगाड़ियों का भी रहा… रेलवे स्टेशनों पर रेलों के ज़रिये घर लौटने वालों की रेलमपेल देखि गई।

भाई दूज :
मेवाड़ के उदयपुर जिले में भाई दूज का पर्व पारम्परिक ढंग से उत्साहपूर्वक मनाया गया। इसके साथ ही पांच दिवसीय प्रकाश-पर्व सोल्लास संपन्न हो गया। उदयपुर शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस दिन काफी उल्लासपूर्ण माहौल देखने को मिला। भाई दूज के दिन भाई और भाभियों ने अपनी बहिनों और ननद को उपहार में नकद राशि और वस्त्र भेंट किए। इस दिन सुबह से ही शुभ मुुुुहूर्त में बहिनें अपने भाई के घर पहुंचना शुरू हो गई। उन्होंने भाई के अक्षत तिलक लगाकर उसके दीर्घायु होने की कामना की। देर शाम तक शहर के मुख्य मार्गों एवं गली-मोहल्लों में पारंपरिक वेशभूषा और आभूषणों में लकदक सजी महिलाओं व बालिकाओं की चहल-पहल बनी रही। दूर-दराज के क्षेत्रों एवं ग्रामीण अंचलों से भी कई महिलाएं भाई दूज मनाने यहां पहुंचीं। नगर में मिठाई की दुकानों पर काफी भीड़ देखने को मिली। दुकानदारों ने कई प्रकार की मिठाइयां तैयार कर सजावट की। इस अवसर पर बहिनों ने भाइयों के तिलक लगा कर उन्हें मिठाई खिलाई और उनकी दीर्घायु की कामना की

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