उदयपुर। महंगाई के इस युग में राज्य सरकार अद्र्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षा का खर्चा महज चार रुपए प्रति विद्यार्थी देती है। शहर के कई स्कूलों में तो यह राशि भी अब तक बकाया चल रही है। इस सत्र की राशि तो राज्य सरकार ने जारी ही नहीं की, जबकि कल से अद्र्धवार्षिक परीक्षा प्रारंभ हो रही है। कई संस्था प्रधान इस राशि को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। यह राशि स्कूल स्तर पर होने वाली तीसरी से आठवीं तक की कक्षाओं के लिए दी जाती है। इस राशि से दोनों परीक्षाओं का आयोजन कराना संस्था प्रधानों के लिए मुश्किल होता जा रहा है। दो साल से आठवीं तक की परीक्षा स्कूल स्तर पर आयोजित की जा रही है। तब से यह परेशानी खड़ी हुई है। संस्था प्रधानों ने शिक्षा विभाग की वाक्पीठ संगोष्ठियों और अन्य बैठकों में इस मुद्दे को कई बार उठाया, लेकिन सरकार ने अब तक इस राशि को बढ़ाने पर कोई ध्यान नहीं दिया है। संस्था प्रधानों और कई वरिष्ठ शिक्षकों का कहना है कि इस राशि को बढ़ाकर 50 रुपए किया जाना चाहिए। यह राशि भी परीक्षा से पहले स्कूलों के खाते में पहुंचनी चाहिए। पिछले साल की राशि जिन स्कूलों में नहीं पहुंची, उसे भी जल्दी जारी किया जाए। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के अधिकारी कहते हैं कि इस संबंध में विभाग की बैठकों में कई बार मुद्दा उठा है, लेकिन बजट बढ़ाने का निर्णय सरकार के स्तर पर होना है। संस्था प्रधानों का कहना है कि कक्षा तीन से पांच तक चार पेपर हिंदी, अंग्रेजी, गणित व पर्यावरण के होते हैं। दोनों परीक्षाओं के कुल आठ पेपर हो गए। इसी प्रकार कक्षा छह से आठ तक छह पेपर हिंदी, अंग्रेजी, गणित, सामाजिक, विज्ञान व संस्कृत के होते हैं। दोनों परीक्षाओं के कुल 12 पेपर हो गए। इसके अलावा परीक्षा पुस्तिका, कॉपियां बांधने की डोर, अंक तालिका सहित अन्य खर्च भी होता है। कई बार तो संस्था प्रधानों को परीक्षा का खर्चा स्कूलों को दिए जाने वाले दूसरे अन्य बजट से एडजस्ट करना पड़ता है।

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