भाईसाब फिश एक्वेरियम का शुल्क कम हुआ तो बर्बाद हो जायेगें ये

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उदयपुर। भाईसाहब गजब हो जायेगा बर्बाद हो जायेगें ये फिश एक्वेरियम के मालिक, अगर इन्होने आपके कहने पर 10 रुपया भी कम कर दिया। भाईसाहब आप 69 दिन बाद टहलते हुए फतहसागर पर आये और कह कर चले गए “भय्या Fish Aquarium का प्रवेश शुल्क ज्यादा है कम करो” , क्या आपने सोचा अगर ये “अंडर द सन ” और मंशा पूर्ण ” रोपवे ” के मालिक श्री कैलाश खंडेलवाल का क्या होगा। ये तो बर्बाद हो जायेगें, Fish Aquarium हो चाहे रोपवे हो कोई शहर वासियों और Tourist की सुविधा ला लुभाने के लिए नहीं बनाएं है, ये तो इनको लूटने खसोटने के लिए बनाये है।
आखिर बेचारे खंडेलवाल जी भी इन पर्यटकों या शहरवासियों को लूटें नहीं तो क्या करें इन्हें भी तो इस जेब कटाई प्रोजेक्ट के लिए कितने “ऊपर” के लोगों को खुश करना पड़ता है तभी तो धडाधड एक के बाद एक मलाई वाले प्रोजेक्ट इनकी झोली में आते है। ये ऊपर के लोगों खुश ही इसलिए करते है कि जब इनकी बारी आये लुटमारी प्रोग्राम की तो कोई भी बोले नहीं,.. सब के सब ऐसे बैठ जाएँ जैसे “मूंह में बिल्ली ने बच्चा दे दिया है।
अब इन्हें या सरकार में बैठे आकाओं को क्या फर्क पड़ता है कि फिश एक्वेरियम के इतने मंहगे प्रवेश शुल्क से कोई शहर वासी देख पाए या नहीं। सीधी बात है एक परिवार की अगर रूपये खर्च करने की ओकात है तो ना देखों। फतहसागर पर 10 रूपये का चना जोर गरम खा कर घर को चले जाओ, माफ़ कीजिये वो भी आजकल 20 रूपये का हो गया है।
अगर हिम्मत करके किसी ने अपने बच्चों को एक बार यह फिश एक्वेरियम दिखा दिया तो दौबारा बेचारा वो फतहसागर की पाल की तरफ का रुख भी नहीं करता क्यूँ कि अगर बच्चों ने फिर से जिद्द कर ली तो फिर से 500 – १००० की लग जायेगी जो शायद उसकी कमाई का 10 वां या 20 वां हिस्सा हो। सुन लो वैसे भी गरीबों मजदूरों के के लिए जरूरी नहीं कि फिश एक्वेरियम देखें उनके बच्चों को कोई हक नहीं की 260 तरह की मछलियाँ देख कर खुश हो।
बेचारे फिश एक्वेरियम के मालिक के सामने अब बड़ी समस्या आगयी है। भाई साहब ने कह दिया है तो शुल्क कम करना ही पड़ेगा। लेकिन फ़िक्र मत करो ज्यादा कम करने की जरूरत नहीं 5 या 10 रुपया कम कर के सभी को खुश कर देना। वेसे भी 10 रूपये में कोनसा ताजमहल उजड़ जायेगा। जो ऑटो वाले पर्यटकों को लेकर आते है उनको थोड़ा कमीशन कम देदेना आपका हिसाब उधर पूरा हो जाएगा। वेसे भी कमीशन का यह खेल 20 से 30 प्रतिशत चलता है।

वैसे श्री गुलाबचंद कटारिया जी का बहुत बहुत आभार की उन्हें 69 दिन के बाद आखिर लगा कि फिश एक्वेरियम का शुल्क ज्यादा है। बहुत जल्दी इसका शुल्क 100 रूपये से 90 रूपये हो जायेगा बाकी जीएसटी लगा कर 107 रुपया ही देना पड़ेगा इतनी बड़ी राहत मिलते ही शहर में पर्यटकों का हुजूम उमड़ पडेगा शहर के हर खासो आम फिश एक्वेरियम के लिए दौड़ पड़ेगें आखिर इतनी बड़ी राहत जो मिलने वाली है। ( पोस्ट का पंच 1 )

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