उदयपुर। कुछ दिनों पूर्व उदयपुर के पार्टी कार्यालय पर ग्रामिस विधायक फूल चंद मीना के सम्मान में कार्यकर्ता आतिशबाजी कर रहे थे और यह बात राजस्थान के गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया को नागवार गुजरी जिसके बाद उन्होंने पटाखे नहीं चलाने की नसीहत दे डाली थी। लेकिन वही दशहरे पर हुई आतिशबाजी के गवाह वे खुद बने तो क्या वो नसीहत सिर्फ ग्रामीण विधायक के सम्मान में पटाखे चलाने भर तक सिमित थी।
मेवाड़ में बहूप्रचिलित एक कहावत तो आपने सुनी ही होगी, ‘‘खुद खावे काकड़ी और दूजा ने दे आकड़ी, ऐसा ही उदाहरण पेश किया है गृहमंत्री व् शहर विधायक गुलाबचंद कटारिया ने। जो पार्टी कार्यालय के बाहर कुछ दिनों पूर्व कार्यकर्ताओं द्वारा की गई आतिषबाजी से नाखुश दिखे और उन्होंने सभी को फटकार लगाते हुए आगे से ऐसा न करने की नसीहत दे डाली, लेकिन शहर के गांधी ग्राउण्ड में दशहरा समारोह में शिरकत करने गए तो खुद की आंखों के सामने ही लाखों रूपए की फटाखों को धुआं – धुआं होते देखते रहे और कुछ न कहा। कुछ दिन पूर्व पार्टी कार्यालय में उस दिन ख़ुशी मनाई जा रही थी। क्योंकि ग्रमीण विधायक फुलसिंह मीणा के अथक प्रयासों से खेरवाड़ा से पीडब्लूडी का कार्यालय उदयपुर स्थानांतरित हुआ था। इस प्रयास को भारतीय जनता पार्टी ने हाथोंहाथ भुनाया और फुलसिंह मीणा के सम्मान में समारोह आयोजित कर दिया। जाहिर सी बात है कि समारोह होगा तो आतिशबाजी भी होगी ही। उस दिन भी ऐसा ही हुआ ख़ुशी में मशगुल कार्यकर्ताओं ने समारोह में फटाखें भी छोड़ दिए। लेकिन यह बात कटारिया को नगवार गुजरी और उन्होंने सभी को फटकार लगाते हुए कहा कि ज्यादा पैसे हो तो पार्टी कार्यालय में जमा करवा दो ताकी यहां का बिजली का बिल समय पर चुकाया जा सके। इस दौरान ग्रामीण विधायक फुल सिंह मीणा ने भी आगे से ऐसा नहीं करने की बात कह डाली। लेकिन हाल ही सम्पन्न हुए दशहरा समारोह में जब कटारिया अतिथि के रूप में गांधी ग्राउण्ड में मौजूद थे और उनके सामने लाखों रूपए के फटाखों को आग के हवाले कर दिया गया। उस समय वह कुछ क्यों नहीं बोले। उस दिन भी तो क्षेत्र में काफी प्रदूशण फैला होगा। यहीं नहीं इस समारोह में गुलाबचंद कटारिया के साथ उनके आदेश का अनुसरण करने वाले ग्रामीण विधायक फुलसिंह मीणा के अलावा उच्चषिक्षा राज्यमंत्री किरण माहेष्वरी भी मौजूद थी। आतिषबाजी से प्रदूशित होने वाले षहर की चिन्ता थी तो क्यों न भाईसाहब ने गांधीग्राउण्ड में विरोध किया। अगर वह चाहते तो कम से कम दहन से पूर्व होने वाली आतिषबाजी को तो रूकवा ही देते, खैर अब देखना दिलचस्प होगा कि निगम द्वारा आयोजित दीपावली दषहरे मेले के अंतिम दिन मेलार्थियों के मनोरंजन के लिए होने वाली आतिषबाजी को कटारिया जी रूकवा सकते है कि नहीं क्योंकि यहां तो सबकुछ इनका ही है।
या फिर पार्टी कार्यालय में उन्हें आतिशबाजी इसलिए अच्छी नहीं लगी क्यूँ की उनके रहते ग्रामीण विधायक के सम्मान में कार्यकर्ता आतिशबाजी कर रहे थे, जब की कटारिया अघोषित रूप से मेवाड़ पर सिर्फ अपना ही एक छत्र अधिकार चाहते है किसी और की जयकार ना हो बस कटारिया की जय ही सुनाई दे ?

विडियो देखिये क्या कहा था कटारिया ने …

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