उदयपुर. ‘हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की…’, ‘गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो…’ जैसे कीर्तनों की धुनें गूंज रही थी। शहर के विभिन्न कोनों से उमड़ता श्रद्धा का सैलाब झील घाट किनारे की ओर बढ़ता रहा। भक्त जन गुलाल उड़ाते, नाचते गाते हुए चल रहे थे।

 मौका था जलझूलनी एकादशी के मौके पर बुधवार दोपहर शहर के विभिन्न क्षेत्रों से राम रेवाडिय़ां निकलने का। जलझूलनी एकादशी के मौके पर मंदिरों में सुबह से कीर्तनों का दौर चला। दोपहर को पूजन, अर्चन के बाद राम रेवाडिय़ां निकलने का दौर शुरू हुआ।

मुख्य रेवाड़ी जगदीश मंदिर से निकली, जबकि अस्थल मंदिर, मीठा राम जी का मंदिर, बाईजी राज कुंड मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, चारभुजा मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों से राम रेवाडिय़ां निकली। राम रेवाडिय़ां निकलने को लेकर गणगौर घाट, गोवर्धन सागर घाट और गंगू कुंड पर श्रद्धा का सैलाब उमड़ा।

 रजत रथ में विराज जल में झूले बाल गोपाल

राम रेवाडिय़ां पहुंचने का सर्वाधिक माहौल गणगौर घाट पर रहा। जहां बाल गोपाल ठाकुरजी को रजत रथ में विराजित कर पूजन, अर्चन किया गया। इसके बाद पुजारियों द्वारा झील के नवीन जल में ठाकुर जी को स्नान कराया गया। इस दौरान घाट परिसर जयकारों से गूंज उठा।

 

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