उदयपुर। भारत की एकमात्र और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी एकीकृत जस्ता उत्पादक कंपनी हिन्दुस्तान जिंक वर्ष 2019 तक पूरी तरह से भूमिगत खनन कंपनी बन जाएगी।
हिंदुस्तान जिंक की रामपुरा आगुचा खान, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी जस्ता उत्पादक खदान है जहां कंपनी के कुल उत्पादन का 75 प्रतिषत होता है जिसका धीरे-धीरे ओपन कास्ट खदान से भूमिगत खदान में संचालन होने जा रहा है। वर्ष 2019 तक कंपनी के ओपन कास्ट खनन के कार्य बंद होने की संभावना है तथा खदान का कार्य केवल भूमिगत खदानों में चलेगा। रामपुरा आगुचा खान में शाफ्ट सिंकिंग का 955 मीटर गहराई का कार्य पहले ही पूरा हो चुका है और कार्य शुरू कर दिया है।

वर्ष 2016-17 में रामपुरा आगुचा खदान में अयस्क का उत्पादन ओपन कास्ट और भूमिगत खदान दोनों से हुआ है। उत्पादन में ओपन कास्ट का 3.3 मिलियन टन और भूमिगत खदान का 1.4 मिलियन टन का योगदान रहा है। वर्ष 2019-20 तक रामपुरा आगुचा खदान की अयस्क उत्पादन क्षमता लगभग 4.50 मिलियन टन रह जाएगा। 31 मार्च 2017 को रामपुरा आगुचा खदान की अयस्क उत्पादन क्षमता 6.15 मिलियन टन है।

धातु एवं खनन विशेषज्ञों के अनुसार रामपुरा आगुचा ओपन कास्ट खान एवं भूमिगत खदान दोनों का ग्रेड 13 प्रतिशत है। जैसा कि विश्व स्तर पर औसतन श्रेणी 3 से 6 प्रतिशत के बीच होती है और इससे हिंदुस्तान जिं़़क को वैश्विक बाजार में बड़ा लाभ मिलता है। यद्यपि हिन्दुस्तान जिं़क की उत्पादन लागत लगभग 800 डॉलर प्रति टन आती है जो वैश्विक बाजार की तुलना में 30 प्रतिशत कम है।

हिंदुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री सुनील दुग्गल ने बताया कि ’’हिन्दुस्तान जिंक आधुनिक तकनोलोजी के साथ पूर्ण रूप से भूमिगत खनन की ओर अग्रसर है। यह परिवर्तन वित्त वर्ष के अंत तक या अधिकतम अगले साल की शुरुआत में पूरा हो जाएगा। निश्चित रूप से भूमिगत खदान की तुलना में ओपन कास्ट खदान में उत्पादन बहुत आसान होता है और शुरू में हम आषा करते हैं कि रामपुरा आगुचा में उत्पादन का स्तर थोड़ा चुनौतीपूर्ण होगा। लेकिन हम हमारी सभी अन्य खदानों का विस्तार कर रहे हैं जिससे हम हमारे स्मेल्टर्स की आवश्यकताओं और उत्पादन स्तर को पूरा करने के लिए तैयार रहेंगे। धीरे-धीरे रामपुरा आगुचा भूमिगत खदान में उत्पादन स्तर में सुधार होगा जिससे हमारी भविष्य की विस्तार योजनाओं को सहयोग मिलेगा।’’

’’यह परिवर्तन व्यवस्थित निर्णय की श्रृंखला का हिस्सा है और यही कारण है कि हम हमारी अन्य भूमिगत खदानों का पहले से ही विस्तार कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कंपनी के समग्र खनन उत्पादन प्रभावित न हो’’ सुनील दुग्गल ने कहा।

2019-20 तक हिंदुस्तान जिं़क बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपनी सभी खानों का विस्तार करेगा। राजपुरा दरीबा खान की मौजूदा उत्पादन क्षमता 0.9 लाख टन से बढ़ाकर 1.5 मिलियन टन तक की जा रही है। प्रचुर मात्रा में चांदी की उपलब्धता सिंदसेर खुर्द खदान की वर्तमान उत्पादन क्षमता 4 मिलियन टन से बढ़ाकर 6 मिलियन टन कर दी गई है। जावर खान की उत्पादन क्षमता चालू वित्त वर्ष में 1.8 मिलियन टन से बढ़कर 2.5 मिलियन टन हो जाएगी और इसके पश्चात् आगामी 3 सालों में उत्पादन क्षमता 4.5 मिलियन टन हो जाएगी। अजमेर में कंपनी की इकाई कायड़ खदान की विस्तार की प्रक्रिया जारी है जिसकी वर्तमान अयस्क उत्पादन क्षमता 1 मिलियन टन है।

सिंदेसर खुर्द खदान में शाफ्ट सिंकिंग का कार्य पूरा हो चुका है, जिसकी गहराई 1050 मीटर तक पहुंच चुकी है, सिंदेसर खुर्द खान में बढ़ाए गए अयस्क उत्पादन में सहयोग के लिए पिछले साल 1.5 मिलियन टन क्षमता की नई मिल पहले ही शुरू हो चुकी है। स्लेग से धातुओं की वसूली में सुधार के लिए कंपनी फ्यूमर प्लांट भी स्थापित कर रही है।

यद्यपि सभी खानों की अयस्क उत्पादन क्षमता 12.20 एमटीपीए है, जबकि वर्ष 2016-17 में वास्तविक अयस्क उत्पादन 11.87 मिलियन टन रहा है। कंपनी चालू वित्त वर्ष में खदान उत्पादन के स्तर का विस्तार 13.10 एमटीपीए तक करना और अगले तीन वर्षों में वर्ष 2020 तक 17.50 एमटीपीए तक विस्तार करना कंपनी का लक्ष्य है।

हिन्दुस्तान जिं़क के हेड-कार्पोरेट कम्यूकिनकेषन पवन कौषिक ने बतया कि ’’2002 में विनिवेश के बाद से हिंदुस्तान जिंक ने दस लाख टन की धातु उत्पादन क्षमता के लिए विस्तार कार्यक्रमों के तहत 4 चरणों में 3 बिलियन यू.एस. डॉलर का निवेश किया है और आगामी तीन सालों के भीतर कंपनी अपनी धातु उत्पादन क्षमता 1.2 मिलियन टन तक बढ़ाने की उम्मीद है। अंततः आगामी 5 वर्षों में 1.5 मिलियन टन हो जाने की संभावना है।’’

2017 से 2021 की अवधि के दौरान वैश्विक जस्ता बाजार में सीएजीआर 3.96 प्रतिषत तक बढ़ने की संभावना है। भारत में जस्ता की खपत हर साल बढ़ रही है और ऑटोमोबाइल, रेलवे, तटीय स्ट्रक्चर के सरियों में गैल्वेनाईज़्ड का उपयोग तथा बिजली वितरण नेटवर्क जैसे नये क्षेत्रों में जंग का मुद्दा भारत में जस्ता खपत का भी संचालन करेगा।

कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जहां जस्ता फसलों की पैदावार में सुधार कर सकती है क्योंकि भारत में कृषि भूमि का एक बहुत बड़ा भाग जस्ता की कमी से खराब हो जाता है, जो न सिर्फ फसलों में खनिज मूल्य को प्रभावित करती है बल्कि समग्र उत्पादन को भी प्रभावित करती है।

हिंदुस्तान जिंक भारत की शीर्ष 50 कंपनियों में गिनी जाती है। न सिर्फ कंपनी में अयस्क ग्रेड की उच्च गुणवत्ता है बल्कि विस्तार योजनाओं को पूरा करने के लिए उत्कृष्ट टेक्नोलोजी का उपयोग, लागत पर नियंत्रण एवं पर्याप्त नकदी जमा करने का भी प्रावधान है।

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