देशभक्ति का अलख जगाती – केसरी “बेटल ऑफ सारागढ़ी”

Date:

फ़िल्म समीक्षा – इदरीस खत्री 
निर्देशक – अनुराग सिंह .
अदाकार – अक्षय कुमार, परिणिती चोपड़ा, गोविंद नामदेव, राजपाल, वंश भारद्वाज, मीर सरवर,
शुरूआत फ़िल्म के गाने से ही हो सकती है
तेरी मिट्टी में मिल जावा,
गुल बनके मैं खिल जावा,
तेरी नदियों में बह जावा,
दोस्तो पूरे फ़िल्म इस खूबसूरत गाने को चरितार्थ करती नज़र आती है . फ़िल्म की कहानी से पहले इतिहास पर नज़र कर लेते है. वक्त है सन 1897 का यानी जब देश मे राज था अंग्रेजो की ईस्ट इंडिया कम्पनी का, तब भारत की सीमाए अफगानिस्तान तक हुवा करती थी वहां पर एक किला होता था सारागढ़ी का किला. जिसमे 36 वी सिख बटालियन रेजिमेंट तैनात थी,  अब चूंकि यह हिस्सा अब बंटवारे के बाद पाकिस्तान के हिस्से में आ गया यहां पर 21 सिख सैनिक तैनात थे, जो कि सीमा पर कोई खतरा हो तो लाल किले को खबर करे. वहां पर 10 हज़ार अफगानी लड़ाके हमला कर देते है, तकनीकी खराबी से सन्देश आगे पहुचता तो है परंतु अंग्रेज मेजर मदद भेजने के लिए समय मांगता है जो कि उस वक्त फ़िज़ूल ही था . फिर अंग्रेज अपनी पृवत्ति अनुसार सैनिकों को आत्मसमर्पण का कहते है . लेकिन 21 जवानों की फौज झुकने से बेहतर लड़ते हुवे माटी का कर्ज उतारने को तैयार होती है और महज 21 जवान उन हज़ारो से भिड़ जाते है निसमे यह जंग सुबह से रात तक चली थी और 21 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे, लेकिन यह 21 जवानों का जूनून ही था कि अफगान आक्रमण को नेस्तनाबूद कर दिया जिसमें 600 से ज्यादा अफगानियों को मारकर अफगान सेना के हौसले पस्त कर दिए थे
यह जंग विश्व की सबसे मशूहर 8 जंगो में शुमार होती है . इस जंग के बारे में ब्रिटेन, फ्रांस, यूरोप के स्कूलों में जिक्र भी है,  हमारे देश मे सन 2000 से पंजाब के स्कूली पाठ्यक्रम में सम्मलित किया गया है, भारतीय सेना 12 सितंबर को शहीद आर्मी सारागढ़ी बनाती है इन बब्बर शेरो की याद में,,
इन 21 सैनिकों को मरणोपरांत यूनेस्को मेरीट सम्मान से भी नवाजा गया था .
अब फ़िल्म पर 
सत्यता और कल्पना का मिश्रण है यह फ़िल्म
दोस्तो फ़िल्म एक माध्यम है आप तक अपनी रचना या बात पहुचाने का और हमारे देश मे पड़ताल यानी रिसर्च तो करते ही नही हम बस विश्वास कर लेते है जैसे फ़िल्म मुग़ले आज़म में अनारकली जैसा कुछ था ही नही,  फ़िल्म दंगल में अंतिम कुश्ती दृश्य रोमांचक बनाने के लिए उसमे कल्पना मिलाई गई थी,, यहां भी यही हुवा है कल्पनाओं का तड़का बखूबी लगाया गया है जिससे आप को फ़िल्म दस्तावेजी साक्ष्य फ़िल्म यानी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म न लगे,  लेकिन सत्यता या इतिहास में उतनी ही कल्पना को झोंका जाए जितना आटे में नमक होता है,  फ़िल्म में  हवलदार ईशर सिंह (अक्षय कुमार) है
जो कि अफगान तालिबानियो से एक शादीशुदा लड़की  प्रियंका कौर को बचाते है वह लड़की अपने पति के साथ नही रहना चाहती, जिसकी शादी ज़बरदस्ती कर दी गई है . तो अफगान तालिबान और सिख रेजिमेंट की लड़ाई की इसे वजह बताया गया जो कि कपोल कल्पना है, इसीलिए मैंने इस फ़िल्म को सत्यता और कल्पना का मिश्रण बताया लेकिन वजह जो भी हो अफगान तालिबानों के दांत खट्टे किये थे सिख रेजीमेंट के महज 21 जवानो ने . फ़िल्म का एक गाना मैं ऊपर लिख चुका हूँ. अरिजीत का गाना वे माही और आज सिंग गरजेगा गाने सुंदर बने है आप बार बार सुनना चाहेगे,,जो कि सही जगह पर फ़िल्म में लगाए गए है,,,पार्श्व संगीत बेकग्राउंड स्कोर दिया मनदीप बोस ने, गानो में तनिष्क बागची, जसबीर जस्सी ने संभाला है . चुकी फ़िल्म एक ही लोकेशन पर आधारित है तो किरदारों के स्थापित होना भी ज़रूरी था तो प्रत्येक किरदार को पूरा पूरा समय दिया गया है जिससे दर्शक उनसे जुड़ाव महसूस करे . फ़िल्म का कहानी लिखी है गिरीश कोहली ने, पटकथा में अनुराग सिंह खुद सम्भाले है
फ़िल्म में एक्शन दृश्य अच्छे और खूबसूरत बने है जिसके लिए मौर्चा सम्भाला है परवेज शेख और लारेंस वुडवर्ड ने,
फ़िल्म में सिख मार्शल आर्ट के दृश्य देखते ही बनते है, अक्षय का सोलो फाइट सीन धड़कने बेकाबू कर देता है, फ़िल्म का दूसरे हाफ में अंतिम 30 मिंट आपको पूरा पैसा वसूल कर देंगे,,फ़िल्म में कुछ लांग शॉट्स बेहद खूबसूरती से फिल्माए गए है अदाकारी पर बात करे तो  फ़िल्म की कास्टिंग ऋचा गुप्ता ने मोर्चा संभाला और फतेह हासिल की है . वेषभूषा मनीष मोरे ने संभाली है जो कि काबिलेतारीफ है,,
अक्षय ने हवलदार ईश्वर सिंह को ज़िंदा कर दिया है, परिणीति नए कलाकारों में असीम सम्भावनाओ से भरी हुई है जो कि हर किरदार को अपना सम्पूर्ण देती है किरदार छोटा होते हुवे भी वह अपना वजूद दर्ज करा जाती है, अफगान लड़ाके के किरदार में राकेश चतुर्वेदी ओम, गोविंद नामदेव, आश्वत भट्ट सराहनीय काम कर गए है . फ़िल्म में एक्शन, संगीत, साउंड, वेषभूषा, सेट, एडिटिंग, कैमरा वर्क सभी आयाम पर पूरी ईमानदारी से काम हुवा है जो कि फ़िल्म में दिखता भी है
अंत मे फ़िल्म में  जो बोले सो निहाल से सभग्रह में दर्शको का उत्साह देखते ही बनता है,,
फ़िल्म में कुछ छोटी छोटी गलतियां है जिसे आप जल्द ही भूल जाते है
जैसे परिणीति का गाने में घास फेकने वाला दृश्य, जंग के ठीक पहले अक्षय का ढोल बजाने का दृश्य फिर एक दुख भरा गाना जिसमे सैनिक अपने परिवार या माशूकाओ या पत्नियों को याद करते है
इस हालत में ये गाना खलता है,,
फ़िल्म में कही कहि हास्य भी रखा गया है जो फ़िल्म को डॉक्युमेंट्री से बचाने के लिए गढ़ा गया होगा,,
निर्देशक अनुराग सिंह ने पंजाबी फिल्मे बनाई है, जिसमे उन्हें मकबूलियत भी हासिल हुई, उन्हें कई सम्मान भी मिले है, इस फ़िल्म का परिदृश्य क्योकि पंजाबी था तो उन्हें निर्देशन की कमान सौपी गई
बजट
80 करोड़ का बजट है
4000 स्क्रीन्स पर होली की छुट्टी पर प्रदर्शन किया गया है,
फ़िल्म 8 से 13 करोड़ की शुरुआत दे सकती है
5 दिन का सप्ताहन्त फ़िल्म को जल्द ही 100 करोड़ी बना देगा और फ़िल्म
फ़िल्म को स्टार्स 
3.5/5
समीक्षक
इदरीस खत्री

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Discover Profitable Hobbies that Increase Your Income and Bring Happiness

```html Discover Profitable Hobbies that Increase Your Income and...

Is Win Diggers Casino fair and risk-free? Security Index discussed

We compute a casino' s Safety Index based upon...

Win Diggers Betting Establishment

Gaming facility Info WebsiteWin Diggers Gambling Establishment Website Established2020 LicenseCuracao Minutes Deposit10 Max Deposit30,000 Pros Considerable...

Benefits of Glory Casino’s Popular Prize Wheel Spins

Benefits of Glory Casino’s Popular Prize Wheel SpinsGlory Casino’s...