उदयपुर। भारत देश को पैसों का प्रेत शहर नहीं, बल्कि परमात्मा का आंगन बनाना होगा, जहां सिर्फ वात्सल्य हो, प्रेम हो, सम्मान हो, सुशीलता हो, सहयोग की भावना हो, भक्ति हो, त्याग हो, तपस्या हो, तभी भारत विश्व का अग्रणी बनकर विश्वगुरु कहलाएगा।
यह बात साध्वी ऋतम्भरा ने सोमवार को यहां बीएन विश्वविद्यालय के मैदान में शुरू हुई श्रीमद् भागवत कथा में कही। भागवत कथा के पहले दिन विशाल कलश यात्रा में उमड़ी मातृशक्ति को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मेवाड़ मीरा की भक्ति, पद्मिनी के जौहर, महाराणा प्रताप के राष्ट्रप्रेम और संकल्प की धरती है। यहां पन्नाधाय जैसी मां है तो हाड़ी रानी जैसी पत्नी भी है। एक ने देश के लिए पुत्र का बलिदान दिया तो दूसरी ने पति का मोह भंग कर मातृभूमि के प्रति सर्वस्व समर्पण के लिए प्रेरित किया। यहां प्रभु श्रीनाथजी भी विराजमान हैं। ऐसी धरा पर भागवत कथा का आयोजन यहां की भक्ति और शक्ति के संगम को प्रतिपादित कर रहा है।
साध्वी ऋतम्भरा ने सर्व समाज को कथा मंे आमंत्रित करते हुए कहा कि भागवत कथा का श्रवण व्यक्ति का आंतरिक रूपांतरण करता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति यदि अपनी जिन्दगी को मर्यादित तरीके से जी ले, यही उसके लिए सबसे बड़ा वैराग्य है। और यही सभी समस्याओं का समाधान भी है। उन्होंने गोकर्ण और धुंधकारी के प्रसंग को सुनाते हुए कहा कि गोकर्ण ने भी पथभ्रष्ट धुंधकारी की आत्मा के कल्याण के लिए भागवत कथा को सर्वोपरि माना। श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण और उसके मर्म को जीवन में उतारना ही मोक्ष के समान है।

भजनों पर झूमे भक्त
-कथा के दौरान साध्वी ऋतम्भरा ने प्रभु भक्ति के भजन गाए तो पूरा पाण्डाल झूम उठा। वाद्ययंत्रों की सुमधुर धुन पर हुए भजनों ने श्रद्धालुओं को ऐसा मोह लिया कि वे अपनी जगह पर खड़े होकर नृत्य करने लगे। कई लोग तो आसन के समीप आकर भी नाचे।

मानस प्रणाम के साथ शुरू हुई कथा
-कथा के आरंभ में मानस प्रणाम हुआ। इसके बाद मुख्य यजमान प्रकाश अग्रवाल सहित यजमानगण चंचल कुमार गोयल, माणकचंद अग्रवाल, दिनेश भट्ट, राजेश मूंदड़ा, मंदाकिनी कन्हैयालाल धायभाई ने व्यासपीठ का पूजन किया। मुख्य अतिथि राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने दीप प्रज्वलन किया। वंदना आलोक चतुर्वेदी व समिति सदस्यों की ओर से संत सम्मान किया गया।

आरती के साथ हुआ समापन
-कथा का समापन भागवत महापुराण और भगवान बालकृष्ण की आरती के साथ हुआ। आरती में यजमानगण सहित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचार हस्तीमल हिरण, बीएन संस्थान के अध्यक्ष गुणवंत सिंह झाला, बीएन संस्थान के ही महेन्द्र सिंह आगरिया, खेरवाड़ा से आए भंवरलाल अग्रवाल, राष्ट्रीय खेल पुरस्कार से सम्मानित कन्हैयालाल धाबाई आदि ने आशीर्वाद लिया।

आज की कथा
-मंगलवार को कपिल भगवान की कथा, सती-ध्रुव चरित्र, शिव-पार्वती विवाह, जड़ भरत कथा आदि प्रसंग होंगे।
महज कथा नहीं, जीवन आदर्शों की कक्षा
-साध्वी ऋतम्भरा की भागवत कथा युवाओं के लिए जीवन के आदर्शों की सीख देने वाली कक्षा है। पौराणिक प्रसंगों को आज के परिप्रेक्ष्य में जोड़कर उनसे मिलने वाले संदेशों को बताना और भारतीय प्राचीन ग्रंथों में कथाओं में छिपे ज्ञान और वैज्ञानिकता को समझाना उनकी विशेषता है।

मानो केसर की धाराओं का हुआ संगम
-चतुर्वेणी कलश यात्रा से भक्तिमय हुआ शहर
-मंगल गीतों के साथ निकली कलश यात्रा
उदयपुर। साध्वी ऋतम्भरा की कथा से पूर्व चतुर्वेणी मंगल कलश यात्रा का आयोजन हुआ। मंगल कलश यात्रा शहर में चार अलग-अलग स्थानों से शुरू हुई और बीएन मैदान में भागवत धाम पर आकर उनका संगम हुआ। चारों दिशाओं से शुरू हुई यात्राओं में साध्वी सत्यव्रता, साध्वी सर्वसिद्धा, साध्वी सत्यकीर्ति, साध्वी सत्यश्रुति का सान्निध्य रहा।
मंगल कलश यात्रा में श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह से ही यात्रा प्रारंभ स्थलों पर महिलाओं का पहुंचना शुरू हो गया। वहां पंजीकरण कराने के लिए कतारें लग गईं। ऐसा लग रहा था कि कोई भी कलश यात्रा से वंचित नहीं रहना चाहती थीं। दोपहर में अभिजीत मुहूर्त पर चारों दिशाओं से मंगल गीतों के साथ सिर पर कलश लिए केसरिया परिधान पहने महिलाएं जब भागवत धाम की ओर बढ़ीं तो शहर का माहौल भक्तिमय हो उठा। भागवत धाम के बाहर सेवाश्रम तिराहे पर जैसे ही कलश यात्राएं पहुंचीं तो ऐसा लगा मानों केसर की धाराएं बही चली आ रही हों। वहां मौजूद महिला-पुरुषों ने नारों से गगन गुंजा दिया। इस यात्रा के माध्यम से ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ का भी संदेश दिया गया।
महिला समिति की वीणा अग्रवाल एवं अलका मूंदड़ा ने बताया कि पहली मां गोदावरी कलश यात्रा बालाजी मंदिर से प्रारंभ हुई जिसमें पुराने शहर सहित सेक्टर 11, 13, 14 तक के क्षेत्र की सभी महिलाएं सम्मिलित हुई। दूसरी अलकनंदा कलश यात्रा शिव मंदिर (एमबी) से शुरू हुई जिसमें भूपालपुरा, सुभाष नगर, अशोकनगर, न्यू भूपालपुरा, बड़गांव, बेदला, गोगुंदा तक के क्षेत्र की महिलाएं सम्मिलित हुईं। तीसरी गंगोत्री कलश यात्रा धूलकोट चैराहा सत्यम गार्डन से प्रारंभ हुई जिसमें आयड़, सुंदरवास, प्रताप नगर, देबारी से लेकर मावली तक के क्षेत्र की महिलाएं सम्मिलित हुईं। चैथी नर्मदा कलश यात्रा विद्या निकेतन स्कूल सेक्टर 4 से प्रारंभ हुई जिसमें सेक्टर 3, 4, 5 कलड़वास, एकलिंगपुरा से लेकर झामरकोटड़ा तक की महिलाएं सम्मिलित हुईं। यात्राओं की विभिन्न व्यवस्थाओं में कार्तिकेय नागर, मुकेश पंवार के नेतृत्व में कई कार्यकर्ता जुटे।

प्रताप गौरव केंद्र देख साध्वी ऋतम्भरा हुईं अभिभूत
उदयपुर। साध्वी ऋतंभरा आज सुबह प्रताप गौरव केंद्र का अवलोकन करने पहुंची। इस दौरान उन्होंने मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास की जीवंत झांकियों को देखा तो वह अभिभूत हो गई। हाड़ी रानी के बलिदान की गाथा सुनकर उन्होंने कहा कि मेवाड़ का इतिहास राष्ट्र को समर्पित त्याग और बल

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