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-अधिक टेम्परेचर में रखने से कम हो रहा है दवाओं का असर
उदयपुर। शहर के हजारों मरीज ऐसी दवाएं ले रहे हैं, जिनमें असर करने की क्षमता काफी कम हो चुकी है। कारण यह है कि इन दवाओं को अधिकतम 20-25 डिग्री सेल्सियस में ही रखा जा सकता है, लेकिन ये दवाएं 35-45 डिग्री सेल्सियस के बीच रखी हुई हैं। शहर के 800 से अधिक मेडिकल स्टोर में करोड़ों रुपए की सैकड़ों दवाएं इतने ही अधिक तापमान में रखी हैं और मरीजों को दी जा रही हैं। एमबी हॉस्पीटल सहित शहरभर मेें लगी मेडिकल स्टोर्स का जायजा लिया, तो लगभग सभी जगह यही स्थिति थी। मेडिकल स्टोरों में करोड़ों रुपए की दवाएं आवश्यक तापमान से 15 से 20 डिग्री अधिक तापमान में रखी हुई हैं।
जीवनरक्षक दवाओं की भी किसी को परवाह नहीं : सिस्प्लेटिन इंजेक्शन और डोक्सोरयूबिसिन हाइड्रो-क्लोराइड कैंसर में काम आने वाले महत्वपूर्ण एंटीबायटिक इंजेक्शन हैं और इन्हें 15-25 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच ही रखा जाना चाहिए। एंडीनलिन बिट्राटेट इंजेक्शन हार्ट पेशेंट को लगाया जाता है। इसको भी 35 से 45 डिग्री के बीच रखा जा रहा है, जबकि इसको 15 से 25 डिग्री के बीच रखा जाना चाहिए।
दवा, जो पांच में से तीन मरीजों को दी जाती हैं : एमोक्सीलिन एंड पोटेशियम क्लेवनेट और सेफट्राइजोन, ये एंटीबायटिक इंजेक्शन है और लगभग हर मरीज को लगाए जाते हैं। इन इंजेक्शन को 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच ही रखा जाना होता है, लेकिन जिन आईपीडी में ये रखे गए हैं। वहां का तापमान 45 से 47 डिग्री सेल्सियस था। इसी प्रकार फ्लूड को 35 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जाना चाहिए, जबकि दुकानों में ये कार्टनों में 35 से अधिक डिग्री में रखे जाते हैं। डायबिटीज में काम आने वाली मेटफोरमिन टेबलेट को अधिकतम 25 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जाना होता है। यह भी 35-42 डिग्री सेल्सियस के बीच रखी हैं।
फ्रीज में भी नहीं रख सकते दवा : इन दवाओं को न्यूनतम तापमान के चलते फ्रीज में भी नहीं रखा जा सकता है। इसलिए दवा स्टोर को ही कूलिंग सिस्टम से जोड़ा जाना चाहिए। अभी अधिकांश स्टोर में कूलर ही लगे हैं और दवा स्टोर्स में ये बेअसर हैं।
अधिकतर दुकानों में तापमान का कोई कंट्रोल नहीं : अस्पताल में लगी सरकारी उपभोक्ता की दुकानें हो या बाहर लगे मेडिकल स्टोर वहां पर इस भीषण गर्मी में तापमान कंट्रोल की कोई व्यवस्था नहीं है। इक्का-दुक्का दुकानों में ऐसी लगा हुआ है। बाकी स्टोर वालों का कहना है हम कूलर से तापमान मेंटेन कर लेते हैं।

क्या होता है, अधिक तापमान से : विशेषज्ञों के अनुसार जहां पर दवा रखी हुई होती है, वहां पर तापमान 25 से 30 डिग्री ही होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं है, तो 48 घंटे तक तय तापमान से अधिक में रहने पर दवाएं अपना असर करने की शक्ति को 25 फीसदी तक खो देती है। 4 से 5 दिन में 50 प्रतिशत और इंजेक्शन और 7 से 8 दिन रहने पर दवाएं अपना असर पूरी तरह खो देती है। लिक्विड वेक्सीन के खराब होने का सबसे अधिक दर रहता है। इसके लिए ऐसी जरूरी है।
वर्जन…
दवाओं को तय तापमान में रखने के निर्देश दिए हुए हैं और मेडिकल स्टोरों पर अक्सर इनकी जांच की जाती है। अभी यदि किसी स्टोरों में ऐसा है, तो ड्रग इंस्पेक्टर को बोल कर जांच कर वाली जाएगी।
-डॉ. आरएन बैरवा, सीएमएचओ

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