असंतुलित खान-पान और अन्य कारणों के चलते कई महिलाओं का शरीर पूर्ण विकसित नहीं हो पाता है, अगर आपके साथ भी ये समस्या है तो रोजाना कुछ देर गोमुखासन करें। इस आसन के नियमित प्रयोग से महिलाओं को पूर्ण सौंदर्य प्राप्त होता है। साथ ही फेफड़ों से संबंधित बीमारियां तथा अन्य बीमारियों को दूर रखता है गोमुखासन।इस आसन में हमारी स्थिति गाय के मुख के समान हो जाती है, इसलिए इसे गोमुखासन कहते हैं। स्वाध्याय एवं भजन, स्मरण आदि में इस आसन का प्रयोग किया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभकारी हैं।

 

गोमुखासन की विधि

 

किसी शुद्ध वातावरण वाले स्थान पर कंबल आदि बिछाकर बैठकर जाएं। अब अपने बाएं पैर को घुटनों से मोड़कर दाएं पैर के नीचे से निकालते हुए एड़ी को पीछे की तरफ नितम्ब के पास सटाकर रखें। अब दाएं पैर को भी बाएं पैर के ऊपर रखकर एड़ी को पीछे नितम्ब के पास सटाकर रखें। इसके बाद बाएं हाथों को कोहनी से मोड़कर कमर के बगल से पीठ के पीछे लें जाएं तथा दाहिने हाथ को कोहनी से मोड़कर कंधे के ऊपर सिर के पास पीछे की ओर ले जाएं। दोनों हाथों की उंगलियों को हुक की तरह आपस में फंसा लें। सिर व रीढ़ को बिल्कुल सीधा रखें और सीने को भी तानकर रखें। इस स्थिति में कम से कम 2 मिनिट रुकें।

 

फिर हाथ व पैर की स्थिति बदलकर दूसरी तरफ भी इस आसन को इसी तरह करें। इसके बाद २ मिनट तक आराम करें और पुन: आसन को करें। यह आसन दोनों तरफ से ४-४ बार करना चाहिए। सांस सामान्य रखें।

 

गोमुखासन के लाभ

 

इस आसन से फेफड़े से सम्बन्धी बीमारियों में विशेष लाभ होता है। इस आसन से छाती को चौड़ी व मजबूत होती है। कंधों, घुटनों, जांघ, कुहनियों, कमर व टखनों को मजबूती मिलती है तथा हाथ, कंधों व पैर भी शक्तिशाली बनते हैं। इससे शरीर में ताजगी, स्फूर्ति व शक्ति का विकास होता हैं। जिसके घुटनों मे दर्द रहता है या गुदा सम्बन्धित रोग है उन्हें भी गोमुखासन करना चाहिए।

 

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