उदयपुर. खेलन दयो गणगौर, भंवर म्हाने पूजन द्यो गणगौर.. गीत गाती हुईं, सिर पर गणगौर को लेकर महिलाएं गणगौर घाट पहुंचीं, जहां उन्होंने पूजन रीति के साथ ईसर-गणगौर की पूजा की। गणगौर घाट पर यह सिलसिला शाम 4 बजे से शुरू होकर देर शाम तक चलता रहा।

विभिन्न समाज के महिला-पुरुष और बच्चे भक्ति से सराबोर होकर गणगौर घाट पहुंचे। इस माहौल ने मेवाड़ महोत्सव में चार चांद लगा दिए। इस अवसर पर गणगौर घाट पर पर्यटन विभाग की ओर से विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ गणगौर की सवारी निकाली गई।

लोक कलाकारों की कालबेलिया, घूमर, चरी आदि प्रस्तुतियों ने समां बांध दिया। गणगौर बोट पर निकली यह भव्य गणगौर सवारी देशी और विदेशी सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र रही। गणगौर सवारियों के घाट पर पहुंचने पर महिलाओं ने गुलाबी गणगौर छे.., ए ऊंची मेड़ी उजÝी, ए रुणझुणियो ले.., सरीखे गीत गाए, इस दौरान ‘गवर माता ने घणी खम्मा के जयकारों से गणगौर घाट गूंज उठा।

शहर में रही महोत्सव की धूम : विभिन्न समाजों की गणगौर सवारी के निकलने से शहरभर में उत्सव सा माहौल बना रहा। घंटाघर, मोचीवाड़ा, सर्राफा बाजार, जगदीश चौक से लेकर गणगौर घाट तक लोग गणगौर सवारी की यात्रा में भक्ति भाव के साथ झूम उठे।

प्रस्तुतियों ने मन मोहा : पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के कलाकारों ने घूमर प्रस्तुति दी। सांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज मांड गायिका मोहनदेवी के गायन से हुआ। इस मौके पर भरतपुर के राहुल पाराशर एवं पार्टी की बृज होली प्रस्तुति ने सभी को सराबोर कर दिया।

भरतपुर के कलाकारों ने मयूर नृत्य से माहौल को कृष्णमय कर दिया। संचालन महेंद्र लालस व राजेंद्र सेन ने किया। इस मौके पर पर्यटन के अधिकारी वी.के. जैन, सहायक निदेशक दलीप सिंह सहित विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

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