इतिहास में फेर बदल पर मेवाड़ परिवार ने जताई आपत्ति, महाराणा उदयसिंह को बताया बनवीर का हत्यारा

Date:

लगता है की इतिहास  राजनीती की भेंट चढ़ रहा है। अब इतिहास भी बदलती सरकारों के साथ साथ बदलने लगा है। जो सरकार आई वो अपने हिसाब से पाठ्यक्रम में  फेरबदल कर देते है। और सरकार बदली तो फिर से इतिहास भी बदल जायेगा। इस सब में उस इतिहास से जुड़े लोगो की भावनाये तो आहत होती ही  है,विद्यार्थी भी असमंजस में है की उन्हें आखिर क्या पढ़ना है और क्या नहीं।मेवाड़ के पूर्व राज परिवार के वशंजों ने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की किताबों में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ पर कड़ी आपत्ति जताई है।भास्कर में छपी गौरव द्विवेदी की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्वराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि स्कूली किताबों में इतिहास को बेतुके ढंग से पढ़ाना पाठ्यक्रम निर्धारकों की भूमिका में बैठे लोगों की अज्ञानता और कमजोर मानसिकता का प्रदर्शन है।स्वार्थ के लिए इतिहास को विकृत करने वालों को इतिहास माफ नहीं करेगा। लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का कहना है कि स्वतंत्रता और स्वाभिमान के प्रतीक महाराणा प्रताप ने सबको एकसूत्र में बांधा था। महाराणा उदयसिंह ने भी मेवाड़ को सशक्त रखने के साथ नई दिशा दी थी। पाठ्यक्रम में सही जानकारियां नहीं दी गईं तो बच्चे अपने गौरवशाली इतिहास काे कैसे जान पाएंगे।

इतिहास के जानकार डॉ. मोहनलाल गुप्ता ने दैनिक भास्कर की खबर का हवाला देते हुए पुस्तक समीक्षा समिति पर ही सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि ‘महाराणा प्रताप में धैर्य, संयम और योग्यता का अभाव था…’, ऐसी तथ्यहीन जानकारी बच्चों को पढ़ाना शर्मनाक है। यह देश के गौरवपूर्ण इतिहास को विकृत करने का प्रयास है। हल्दीघाटी से लेकर दिवेर के युद्ध तक और उससे भी आगे महाराणा प्रताप ने पूरे जीवन धीरज, संयम और योग्यता का परिचय दिया था। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में इतिहास के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल भादानी ने हल्दीघाटी के नामकरण के तर्क को काल्पनिक और हास्यास्पद बताया। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने एक साहित्यकार का हवाला दिया है, लेकिन साहित्यकार तो कल्पना का अधिकारी होता है, इतिहास का नहीं। इतिहासकार राजेंद्रनाथ पुरोहित का कहना है कि निजामुद्दीन अहमद, बांकीदास और कर्नल जेम्स टॉड ने भी हल्दीघाटी नाम का कारण पीली मिट्टी वाली पहाड़ी को ही बताया है। प्रताप पर शोध कर चुके प्रो. चंद्रशेखर शर्मा हल्दू के वृक्ष बहुतायत में होने के कारण हल्दीघाटी नाम पड़ना बता चुके है। हल्दीघाटी युद्ध में एक भी महिला के युद्ध करने का कोई प्रमाण नहीं मिलता। यदि महाराणा प्रताप की पत्नी लड़ी भी होतीं तो फारसी स्रोतों में प्रमुखता से जिक्र जरूर होता।

आरबीएसई इस बार 10वीं कक्षा में नई किताब ‘राजस्थान का इतिहास और संस्कृति’ पढ़ाने जा रहा है। इसमें महाराणा उदयसिंह को बनवीर का हत्यारा बताया गया है। अध्याय-1 में राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंशों का परिचय है। पेज नंबर 11 पर छापा है- 1537 ई. में उदयसिंह का राज्याभिषेक हुआ। 1540 ई. में मावली के युद्ध में उदयसिंह ने मालदेव के सहयोग से बनवीर की हत्या कर मेवाड़ की पैतृक सत्ता प्राप्त की थी। 1559 में उदयपुर में नगर बसाकर राजधानी बनाया। यही नहीं, हल्दीघाटी के नामकरण में डॉ. महेंद्र भाणावत की किताब ‘अजूबा भारत का’ के हवाले से लिखा है कि हल्दीघाटी नाम हल्दिया रंग की मिट्टी के कारण नहीं पड़ा। ऐसी मिट्टी यहां है भी कहां? लाल, पीली और काली मिट्टी है।

हल्दी चढ़ी कई नव विवाहिताएं पुरुष वेश में इस युद्ध में लड़ मरीं। यही नहीं, हकीम खां सूर के सामने मुगल सेना का नेतृत्वकर्ता जगन्नाथ कच्छवाहा काे बताया है, जबकि इतिहासकार कहते हैं कि मुगल सेना का नेतृत्व मानसिंह ने किया था। कच्छवाहा 1576 में लड़े इस युद्ध के आठ साल बाद पहली बार मेवाड़ आया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Как найти легальный сайт Мостбет в Казахстане: советы

Как найти легальный сайт Мостбет в Казахстане: советыВ связи...

Aviator Online Oyunu Resmi Casino Sitesi

Aviator Oyna ️ Aviator Oyunu Gerçek Pra Türkiye'de 2025ContentAviator...

Наука победы: инсайты от экспертов 1win

Наука победы: инсайты от экспертов 1winПонимание науки победы —...

Le più vantaggiose offerte di benvenuto Crazy Time per casinò italiani

Le più vantaggiose offerte di benvenuto Crazy Time per...