उदयपुर। पिछले सात दिनों से चल रहे छात्रों का चुनावी दंगल आखिरकार शुक्रवार को मतदान के साथ ही खत्म हो गया। हालाकि ग्यारह दिन बाद परिणाम आने से सभी छात्रनेताओं, उम्मीदवारों और उनके समर्थकों में मायूसी छाई रही। क्यूं कि आज से पहले मतदान के बाद ही मतगणना शुरू हो जाती थी और शाम तक तो परिणाम भी सुना दिया जाता था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होने से चुनावी रंगत फिकी ही देखी गई। वहीं छात्रसंघ चुनाव में केंद्रीय अध्यक्ष पद पर त्रिकोणीय मुकाबले में कांटे की टक्कर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिशद के हिमांषु बागड़ी और एबीवीपी से ही बागी सुखदेव डांगी के बीच देखी गई, अगर बात करें एनएसयूआई के महेश रोत की तो सबसे कमजोर उनकी स्थिति सामने आई, छात्र राजनीति के विष्लेशकों की माने तो श्री रोत तीसरे पायदान पर ही रहेंगे। वहीं हिमांषु बागड़ी के साथ पूरा का पूरा भारतीय जनता युवा मोर्चा लगा रहा और दिन रात एक कर दिए, साथ ही एनएसयूआई से जुड़े कई छात्र नेताओं ने भी अंदरूनी रूप से बागड़ी के समर्थन में ही प्रचार किया। इससे माना जा रहा है कि अगर हिमांषु की जीत होती है तो भाजयुमो का परचम ही चैतरफा लहराएगा और हार होती है तो युवा मोर्चा की काफी फजीती होगी क्यूंकि कांस्टेबल द्वारा थप्पड़ मारने का मसला हो, भूपालपुरा में काॅम्पलेक्स के अवैध निर्माण को तोड़ने के बाद निगम में हंगामा करना हो, या अम्बामाता थाने के एक सिपाही को निलम्बित कराने का मामला। इन तीनों ही मामलों में भाजयुमों के शीर्ष नेतृत्व में काफी जोर आजमाईश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। लेकिन आपको बता दे कि हिमांषु बागड़ी के चुनाव में पूरा का पूरा युवा मोर्चा दल बल के साथ लगा था और मोर्चा से जुडे हर युवा को लग रहा था कि ऐसी जीत होगी जो इतिहास रच देगी। वहीं अगर बात करें एबीवीपी के बागी सुखदेव डांगी की तो उनके समर्थन में पूर्व अध्यक्ष मयूर ध्वज सिंह उनकी टीम, भवानी बोरीवाल सहित साईंस काॅलेज के अध्यक्ष और एबीवीपी के विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष ने जमकर काम किया हैं। ऐसे में लग रहा है कि सुखदेव डांगी भी कमजोर नहीं है,क्यूंकि जो भी लोग हिमांषु के समर्थन में लगे थे वह वर्तमान में काॅलेजों में पढाई कर रहे हैं और उनका वर्चस्व भी काफी है। इन सभी ने बिना हो हुल्लड़ किए ही बंद में जमकर प्रचार किया और छात्र मतदताओं से उनके पक्ष में तक देने की अपील की। कुल मिलाकर इस चुनाव में हिमांषु की जीत हुई तो भाजयुमो की भी जीत होगी और सुखदेव की जीत हुई तो टीम एमडीएस फिर से एमएलएसयू की सिरमौर बन जाएगी।

Previous articleकॉलेज परिसर में पाबन्दी लेकिन रिसोर्ट में खुली छूट, जम कर हो रही है “झुमरू” पार्टी
Next articleपुलिस के सामने भाजयुमो करती रही नारेबाजी, मायूूस हुई एनएसयुआई, बेबस रहे निर्दलीय के समर्थक – सत्ता का सुख का फायदा मिला गुट विशेष को।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here