कर्बला के शहीदों को सलाम

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उदयपुर। हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन और कर्बला में शहीद हुए तमाम शहीदों की याद में शनिवार को योमे आशूरा अकीदत और रंजो गम के साथ मनाया गया और शहर भर में ताजियों के जुलुस दो चरण में निकाले गए सुबह और शाम को निकलने वाली ताजियों की सवारी में अपार जन समूह उमड़ा।
शनिवार को ‘या हुसैन-या हुसैन’ की सदाओं के बीच ताजियों का जुलुस अपार जान समूह के साथ निकाला गया। मुहर्रम की दस तारीख को योमे आशुरा मनाया जाता है, ताजियों का जुलुस दो चरण में निकाला गया जिसमे सुबह १० बजे से शहर के सभी मुस्लिम मोहल्लों के के करीब २० ताजिये व् कई छोटी बड़ी मेह्न्दियों का जुलुस हाथीपोल हर्वेन जी के खुर्रे से रवाना हुआ सब से आगे महावत वाड़ी के ताजिये थे उसके बाद सिलावट वाड़ी, कल्ले सात , आदि कई मोहल्लों के सजे धजे ताजिये थे अबरक से बना ताजिया आकर्षण का केंद्र रहा, ताजियों की सवारी पुरे जोश खरोश , और या हुसैन या हुसैन की मातमी गुंजों के साथ आगे बड़ा साथ में युवा ढोल नगाड़ों पर मातमी ताल बजाते चल रहे थे ।
घंटा घर पर घेरा बना कर कई देर तक युवाओं ने या हुसैन या हुसैन कर मातम मनाया जुलुस घंटा घर से गणेशा घाटी होता हुआ पांडू वाड़ी पंहुचा जहा पर ताजियों और मेह्न्दियों को झीलों में ठंडा ना कर के पानी का छींटा दे कर वापस ले आये ।
शाम को शुरू हुआ बड़े ताजियों का दुसरा चरण जिसमे अकीदतमन्द भारी संख्या में मोजूद रहे । दुसरे चरण के ताजियों के लिए तीनों बड़े ताजियों के अलग अलग खंड जुलुस के रूप में १ बजे से तीज के चोक में लाना शुरू हो गए अलीपुरा, बड़ी पलटन, और ढोली बावड़ी के बड़े ताजिये तीज के चोक में जमा होकर वही सरे खंड जमाये गए और करीब ४ बाजे वहां से ताजियों का जुलुस निकला गया तिन बड़े ताजियों के साथ विभिन्न मोहल्लों के छोटे ताजिये भी थे ।

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सबसे आगे धोलीबावड़ी के ताजिये जिसको अलनावाज़ कमिटी के युवाओं ने अपने कंधों पर उठा रखा था सर पर सबके सफ़ेद रुमाल बंधा हुआ और सब युवा या हुसैन के नारों के साथ ताजियों को आगे ले कर बड़ा रहे थे साथ में माइक पर नात और मर्सियाह भी पड़ा जारहा था । धोली बावड़ी के बड़े ताजिये अपने आप में एक कारीगरी और आर्ट का नमूना थे ताजियों पर बड़ी बारीकी से पेपर और सुनहरी पन्नी और थर्मा कोल का खुबसूरत काम किया गया था।
दुसरे न. पर अलीपुरा के ताजिये थे उनको भी स्थानीय युवाओं ने बड़े करीने से काँधे पर उठा रखा था और सबसे आखिर में बड़ी पलटन के बड़े ताजिये थे, सभी ताजिये भडभुजा घटी बड़ा बाजार घंटा घर जगदीश चोक होते हुए रात ८ बजे तक लाल घाट स्थित कर्बला पहुचे जहाँ ताजियों को पानी का छींटा दिया गया ।
इस बिच बड़ा बाजार स्थित चिल्ले की मस्जिद पर ताजियों का मुकाम रुकवा कर सभी रोजदारों का रोजा खुलवाया गया और जगदीश चोक में विहंगम द्रश्य देखने को भरी जन सैलाब उमड़ा अन्धेरा होते ही सभी ताजिये आकर्षक रौशनी से जगमगा उठे ।
झीलों में ताजिये ठन्डे नहीं किये :
झीलों के बचाव के लिए न्यायालय आदेश के अनुसार इस बार समुदाय और समाज की कमेटियों ने तय किया था कि झीलों में ताजिये ठण्डे नहीं किए जाएंगे। इसके लिए जिला प्रशासन पहले ही समाज के प्रतिनिधियों से बैठककर चुका है। सुबह और शाम को जुलुस के साथ लाये गए ताजिये भी झील में ठण्डे होने के बजाय पानी का छींटा लगाकर वापस ले आए।
मन्नतें उतारी :
दुसरे चरण की सवारी में बड़े ताजियों पर कई लोगों ने अपनी मन्नतें उतारी तो कई यों ने मन्नते ली , कोई ताजियों के आगे लोटा तो कोई अपने बच्चे को लेकर ताजियों के निचे से निकला , जगह जगह महिलाओं ने फूल के सेहरे और नारियल पेशा किये ।
हर जगह सबिले लगायी गयी थी जिसमे शरबत चाय , पानी , हलवा , आइस क्रीम , पुलाव हलिम आदि खिलाये गए , हलिम तो शाम होते होते हर मुस्लिम मोहल्ले की हर गली में बनता हुआ दिखाई दिया ।

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