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मुंबई के ज़ीशान अली ख़ान का आरोप है कि एक डायमंड कंपनी ने मुसलमान होने के कारण उन्हें नौकरी देने से मना कर दिया.

ज़ीशान ने कंपनी से मिले कथित लेटर को फ़ेसबुक पर डाला है.

इसमें लिखा है, “डियर जीशान! आपके आवेदन के लिए शुक्रिया. लेकिन आपको ये बताते हुए दुख हो रहा है कि हमारी कंपनी केवल गैरमुस्लिमों को ही नौकरी देती है.”

दरअसल एमबीए छात्र ज़ीशान अली ने ‘हरे कृष्णा एक्सपोर्ट्स लिमिटेड’ में मार्केटिंग की पोस्ट के लिए आवेदन दिया था.

लेकिन 19 मई 2015 को कंपंनी ने उनके ईमेल पर जवाब देते हुए आवेदन को यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि इस कंपनी में मुसलमानों को काम नहीं दिया जाता.

धार्मिक भेदभाव

जीशान अली खान का ईमेल

ज़ीशान ने बीबीसी पत्रकार चिरंतना भट्ट को बताया, “मैंने अपने एमबीए रिज़ल्ट के दो हफ़्ते बाद नौकरी के लिए एप्लाई किया. मेरी एप्लीकेशन के 15 मिनट बाद ही मुझे यह ईमेल आ गया.”

वे बताते हैं, “कंपंनी से मिला ईमेल इतनी जल्दी आया कि इससे साफ़ हो जाता है कि उन्होंने मेरा रिज्यूमे खोल कर भी नहीं देखा, और मुझे मना कर दिया क्योंकि मैं मुसलमान हूं.“

ज़ीशान ने इस मेल को अपने दोस्त की सलाह पर फ़ेसबुक पर डाला. फिर इलाके के स्थानीय नेताओं की मदद से उनकी शिकायत अल्पसंख्यक आयोग तक पहुंची.

ज़ीशान कहते हैं, “लोकल नेताओं ने मुझे सलाह दी कि मुझे पुलिस में इस शिक़ायत को दर्ज करवाना चाहिए और आज मैंने कुर्ला थाने में रिपोर्ट लिखवाई, जहां हमारी एफ़आईआर दर्ज कर ली गई.”

माफी मांगी

लेकिन ज़ीशान ने यह बात भी कही कि कंपनी की ओर से उन्हें फ़ोन आया था. वे बताते हैं, “मुझे कल कंपंनी के वाईस प्रेज़ीडेंट का फ़ोन आ गया था और उन्होंने मुझसे माफ़ी मांगी और मुझे कहा कि ये एक ह्यूमन एरर है. लेकिन मैं दुखी हूं.”

वैसे अभी तक ज़ीशान को नौकरी के लिए बुलावा नहीं आया है.

परेशान ज़ीशान ने ईमेल की तस्वीर जब अपने फ़ेसबुक पर लगाई तो इसे वकील और सामाजिक कार्यकर्ता शहज़ाद पूनावाला ने देखा.

उन्होंने ये मामला राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में दर्ज करवाया.

अल्पसंख्यक आयोग

धार्मिक अल्पसंख्यक आयोग को शिकायत

इस मामले के सामने आने के बाद कंपनी ने सफ़ाई में एक पत्र भी जारी किया है.

पत्र में कहा गया है कि ये एक एचआर ट्रेनी की ग़लती थी और कंपनी धर्म या जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करती है.

लेकिन शहज़ाद बताते हैं, “दीपिका टिके, जिन्हें इस घटना के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है वो एक साल से वहां काम कर रही है और काफ़ी सीनियर हैं, ऐसे में हम उन्हें ट्रेनी नहीं मान सकते और ट्रेनी किसी को नौकरी देने का फ़ैसला नहीं करता.”

इस मामले में अल्पसंख्यक आयोग की ओर से कंपनी को नोटिस जारी किया गया है.

sours : BBC hindi

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