उदयपुर। मेवाड़ की आन पद्मावती पर संजय लीला भंसाली की रिलीज़ होने वाली मसाला मूवी पद्मावती के मसाला फिल्मांकन को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और पदमावती की छवि के साथ छेड़छाड़ मेवाड़ के किसी बाशिंदे को कुबूल नहीं। इस बात की हुंकार चित्तोडगढ से उठ चुकी है। रानी पद्मिनी ने अपनी लाज और सम्मान के लिए जोहर किया था। ऐसे इतिहास के साथ अगर कोई फिल्मकार अपनी मसाला फिल्मों के लिए इस्तमाल करेगा तो मेवाड़ इसको बर्दाश्त नहीं करेगा।
चित्तोडगढ में आज सिर्फ राजपूत ही नहीं हर समाज के लोग विरोध में सड़कों पर उतर आये और एक सुर में उन्होंने आवाज़ बुलंद की है कि जिस अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी को कभी देखा भी नहीं उसका फिल्म में चाहे स्वप्न में ही क्यूँ ना हो प्रेम द्रश्य बर्दाश्त नहीं होगा।
मेवाड़ की इस भावना को देखते हुए चाहे चित्तोडगढ के सांसद सीपी जोशी हों चाहे उदयपुर के सांसद अर्जुन मीना हों उन्हें अपनी सरकार से मांग कर जन भावना को देखते हुए इस फिल्म के प्रदर्शन को रुकवाना चाहिए। या फिर अगर इतिहास के साथ छेड़छाड़ नहीं की है तो फिल्म के निर्माता ने जैसा कि पहले विवाद के समय कहा था कि वह राजस्थान के एक प्रतिनिधि मंडल को फिल्म रिलीज के पहले फिल्म दिखाएगा उसके बाद ही रिलीज करेगा तो प्रतिनिधि मंडल को फिल्म दिखाने की व्यव्बस्था करनी चाहिए। जनभावना के विपरीत केन्द्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि पद्मावती फिल्म के रीलिज को लेकर राजस्थान में कोई समस्या नहीं आएगी। जब कि उन्हें खुद फिल्म का विरोध कर इसको सेंसर के पहले सेंसर कर प्रदर्शित करने की इजाजत देनी चाहिए।
बहरहाल मेवाड़ के हर बाशिंदे को अपने इतिहास के साथ छेड़छाड़ की आशंका को लेकर गुस्सा है और यदि फिल्म रिलीज हो जाती है और उसमे एसा कुछ भी द्रश्य हुआ जो मेवाड़ की अस्मिता के हिसाब से सम्मानजनक ना हुआ तो फिर शायद सिनेमा घरों में फिल्म को चलने नहीं दिया जाएगा।

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