post news. चिकित्सा विभाग की लापरवाही और अनदेखी के चलते मौसमी बीमारियों का कहर जारी है। डेंगू, स्वाइन फ्लू और स्क्रब टाइफस से इस साल 266 लोग मौत के मुंह में जाने के बावजूद मौत का सिलसिला जारी है।
स्वाइन फ्लू केे मिशिगन वायरस से 239, डेंगू से 10 स्क्रब टाइफस से 17 जाने से चिकित्सा विभाग के दावे फेल साबित और इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। हकीकत ये है कि अकेले डेंगू से 50 से ज्यादा मौत हो गई , लेकिन विभाग सिर्फ एलाइजा को ही कन्फर्म मानता है। अब सवाल उठता है कि यदि विभाग एलाइजा को कन्फर्म मानता है, तो कार्ड टेस्ट पर रोक लगानी चाहिए। इससे पहले निजी अस्पतालों और हरेक जगह एलाइजा जांच सुविधा विकसित करनी चाहिए। इधर, बूंदी जिले की केशोरायपाटन निवासी एक महिला के ब्लड सैंपल की जांच में जापानी एनसिफेलाइटिस यानि जापानी बुखार मिलने पर चिकित्सा विभाग हरकत में आया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी राज्य में पहला मामला आने पर हर तरह से अलर्ट रहने के लिए कहा है। देश में तमिलनाडु के वेल्लोर में 1995 में पहला मामला मिला था।
जापानी एनसिफेलाइटिस : यहएक प्रकार से दिमागी बुखार है, जो वायरल संक्रमण के कारण फैलता है। यह मच्छर से फैलता है। एक बार शरीर के संपर्क में आने पर सीधा दिमाग पर असर डालता है। दिमाग में जाते ही सोचने, समझने, देखने और सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है। यह बीमारी छूने से नहीं फैलती है। इससे 1 से 14 साल तक की उम्र के बच्चे एवं 65 साल से अधिक लोग चपेट में आते हैं। बीमारी का प्रकोप अगस्त, सितंबर और अक्टूबर-नवंबर में ज्यादा होता है। संक्रमण काल 5 से 15 दिन है। और मृत्यु दर 0.3 से 60 फीसदी है।
22राज्य प्रभावित : देशमें जापानी एनसिफेलाइटिस से प्रभावित 22 राज्यों में असम, बिहार, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, ओड़ीशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड तथा वेस्ट बंगाल शामिल हैं।

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