उदयपुर. राजसमन्द में मुस्लिम श्रमिक अफ्राजुल की ह्त्या के बाद हत्यारे शम्भूलाल के समर्थन में गुरुवार को हिंदूवादी संगठनों के प्रदर्शनकारियों ने जम कर उत्पात मचाया. खूबसूरती के लिए जाना जाने वाली झीलों की नगरी का शहर दहशत नगर में तब्दील हो गया. प्रदर्शनकारियों ने सारी सीमाएं लांघते हुए न्याय के मंदिर न्यायालय के स्वर्ण जयंती द्वार पर भी अपने संगठन का झंडा फहरा दिया. कोर्ट सर्कल पर हुए उपद्रव में उपद्रवियों ने कोर्ट परिसर के अन्दर एडिशनल एसपी सुधीर जोशी से भी घेर पर मारपीट कर दी जिसमे सुधीर जोशी को काफी चोटें आई . उपद्रवियों द्वारा किये गए पथराव में १० अधिकारियों को चोटें आये कई पुलिसकर्मी घायल हुए. दिन भर शहर में दहशत का माहोल रहा प्रदर्शनकारी धारा 144 की धज्जियां उड़ाते हुए दिन भर शहर में घूमते रहे. पुलिस ने भी चेतक सर्कल, टाउनहाल, आवरीमाता, से लाठी चार्ज कर खदेड़ा . पुलिस ने करीब 207 उपद्रवियों को हिरासत में ले रखा है.
14 दिसंबर को यूँ तो पुलिस प्रशासन ने शहर को शांत रखने के लिए नेट बंद कर धारा 144 लगा दी थी लेकिन इसके बावजूद पुलिस प्रशासन की नाकामी ही कही जाय कि 14 दिसंबर को ही धारा 144 को आँखे दिखाते हुए उपद्रवी दिन भर शहर में उत्पात मचाते रहे. हालाँकि पुलिस प्रशासन सुबह ८ बजे से चुस्त दिखाई दे रहा था और शहर के हर मुख्य चोराहों पर पुलिस बल तैनात था लेकिन अलग अलग झुण्ड में युवा चेटक मोहता पार्क और टाउनहाल जुटते रहे . पहले टाउन हाल से 200 युवा इकट्ठा हो कर नारे बाजी करने लगे जिसके बाद पुलिस बल ने उन्हें वहां से लाठी चार्ज कर खदेड़ा . बाद में यही युवक घूम फिर कर चेटक आगये वहां से भी उन्हें भगाया . शाम को ४ बजे भीड़ के रूप में प्रदर्शनकारी चेटक चौराहे पर पहुचे और चोराहे के बिच लगे घोड़े पर चढ़ कर ध्वज फहराते हुए नारेबाजी करते रहे . समझाने पर नहीं माने तो पुलिस ने इसके बाद उन्हें वहां से लाठीचार्ज कर खदेड़ा . लेकिन कोर्ट सर्कल पर कुछ अधिवक्ताओं शाह पाकर ये उत्पाती कोर्ट परिसर में शरण पा गए और वहां से नारे बाजी करने लगे पुलिस जब कोर्ट परिसर में जाने लगी तो समर्थन में आये आगे अधिवक्ताओं ने पुलिस को रोक दिया काफी जद्दो जहद के बाद जब पथराव हो गया १० पुलिस अधिकारियों जिसमे एएसपी सुधीर जोशी और हर्ष रतनु भी शामिल है चोटिल हो गए ३३ पुलिस कर्मी घायल हो गए उसके बाद पुलिस ने बल का प्रयोग करते हुए कईयों को गिरफ्तार किया और लाठीचार्ज कर माहोल को सम्भाला.

आखिर शांत शहर को क्या हुआ और क्यूँ :
सात दिसंबर को राजसमन्द में हत्यारे शम्भूलाल रैगर ने गैती से बंगाली श्रमिक अफ्राजुल की निर्मम तरीके से ह्त्या कर दे उसको जला दिया और ह्त्या का वीडियों बना कर वायरल कर दिया. हत्यारे शम्भूलाल ने इसके अलावा दो तीन वीडियो वायरल किये जिसमे उसने लव जिहाद, देशभक्ति, महाराणा प्रताप का नाम लेकर भाषण देता नज़र आया. वीडियो वायरल होने के बाद जहाँ एक तरफ हर आम नागरिक ने ह्त्या की कड़ी भर्त्सना करते हुए हत्यारे के लिए फांसी की मांग की वहीँ. मुस्लिम समुदाय में भयंकर आक्रोश उत्पन्न हो गया मुस्लिम समुदाय ने ८ दिसंबर को नफरत फैलाने वाले संगठनों की पाबंदी और शम्भूलाल की फांसी की मांग को लेकर विशाल जुलुस निकाला . जुलुस में एकत्र १२ हज़ार लोग ३ बजे से ४.३० बजे के बिच ज्ञापन देकर वापस अपने अपने घर चले गए . लेकिन जुलुस के दौरान चेटक सर्कल पर कुछ नारों को लेकर हिंदूवादी संगठनों ने आपत्ति जताई .
इधर दूसरी तरफ कई विकृत मानसिकता के लोगों ने शम्भूलाल को महिमा मंडित करने का खेल चालु कर दिया और इन सब का फायदा उठाते हुए बाहरी कुछ लोगों ने नफरत फैलाने वाले वीडियो और मेसेज सोशल मिडिया पर मेसेज वायरल कर माहोल खराब करने में लग गए. यही नहीं मुस्लिम समुदाय के जुलुस पर आपत्तिजनक नारों को लेकर भी तरह तरह के वीडियो मेसेज वायरल होने लग गए. इन सब का फायदा उठाने वाले लोग भी जाग्रत हो गए उन्हें भी नफरत पर रोटियाँ सेंकने का एक अच्छा ख़ासा मोका मिल गया शिवसेना हिन्दुस्तान के महासचिव लखन सिंह पंवार ने पूरी भड़ास निकालते हुए समुदाय विशेष के खिलाफ सोशल मिडिया पर नफरत फैलाने का काम किया साथ ही कोई उपदेश राणा नामक शख्स जो किसी हिंदूवादी संगठन से जुड़ा होना बताया जारहा है उसने इस आग में घी डालने का कार्य किया और उसने १४ दिसंबर को उदयपुर आकर रैली निकालने का आव्हान किया. महोल खराब होने के अंदेशे से १३ दिसंबर की शाम से ही प्रशासन ने नेट बंद कर निषेधाज्ञा लागू कर दी थी. १४ दिसंबर को निषेधाज्ञा के बावजूद भी हिन्दू संगठन से जुड़े लोगों ने शहर में उत्पात मचाया और शांत शहर की फिजां खराब हो गयी .

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