“राहत” की लापरवाही से हुई मासूम की मौत के बाद इलाज माफियाओं के प्रति बढ़ रहा है शहर वासियों का गुस्सा

Date:

उदयपुर। शहर में राहत हॉस्पिटल के लापरवाही से एक मासूम नवजात की मौत के बाद शहर वासियों में इलाज माफियाँ के प्रति गुस्सा बढ़ता जारहा है। इधर राहत अस्पताल के विरोध में समाजजन कारवाई की मांग कर रहे है तो उधर निजी डॉक्टर्स राहत अस्पताल में की गयी तोड़फोड़ के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कारवाई की मांग कर रहे है।
राहत अस्पताल की वजह से हुई नवजात बच्ची के परिजनों और छात्रों ने पुलिस महानिरीक्षक को निष्पक्ष जांच करवा कर कारवाई करने का ज्ञापन दिया। इसके पहले भी राहत हाॅस्पिटल के पक्षधर चिकित्सक घटना के दौरान गुस्साए परिजनों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ छात्रों और युवाओं का गुस्सा रोद्र रूप ले रहा है। हालाकि मंगलवार को मोहनलाल सुखाड़िया युनिवर्सिटी पूर्व छात्रसंघ ऐसोसिएषन की ओर से कलेक्टरी से लेकर राहत हाॅस्पिटल तक केंडल मार्च भी निकाला गया था। गौर तलब है कि राहत अस्पताल में करीब 7 दिन की बच्ची को बीमार हालत में ही डिस्चार्ज करके एम बी चिकिस्तालय में रैफर किया गया था। उसके कुछ समय बाद आए बच्ची के परिजन और षुभचिंतकों ने हाॅस्पिटल में हंगामा खड़ा कर दिया। वहीं इलाज बिगाड़ने वाले डाक्टर लाखन पोसवाल, डाक्टर सुरेष धाकड़ और डाक्टर देवेंद्र को बुलाने की बात पर अड़ गए। माहौल इतना गर्मा गया था कि अस्पताल प्रषासन को पुलिस की मदद लेनी पड़ी, लेकिन तब तक भी जिम्मेदार चिकित्सक जिनके नाम बार -बार परिजनों द्वारा लिए जा रहे थे, मौके पर नहीं आए। इस पर परिजनों का गुस्सा और भी तेज हो गया और वह अपना आपा खो गए। ऐसे में अस्पताल में तोड़फोड़ और पिटाई की घटना को भी अंजाम दिया गया, इस पर खाकी ने अस्पताल का समर्थन करते हुए कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया। बाद में दोनो ही पक्षों की ओर से थाने में मुकदमा भी दर्ज हो गया। लेकिन सात दिन की उस बच्ची का एम बी चिकित्सालय में भी इलाज नहीं हो पाया और वह इस आई तो थी दुनिया को देखने लेकिन लापरवाही की ऐसी भेंट चढ़ी कि आंखें खोलने से पहले ही दुनिया से चल बसी। वैसे अपुश्ट सूत्रों की माने तो दो दिन पूर्व ही मासूम बच्ची ने दम तोड़दिया था और उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इन्फेक्षन के सदमे से हुई मौत का कारण सामने आ रहा है। ऐसे में यह बात तो साबित हो गई हैकि बच्ची की मौत लापरवाही की वजह से ही हुई थी। लेकिन चिकित्सकों ने भी अपने ज्ञापन के दौरान साईन्टिफिक कारण बताते हुए हवाला दिया था कि प्रीमैच्योर बेबी को गैंगरीन का खतरा रहता है और ऐसा ही उस बच्ची के साथ हुआ था। लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि सबसे महंगे बच्चों के हाॅस्पिटल मंे षूमार ‘‘राहत’’ अस्पताल में भर्ती बच्ची को परिजनों को दिखाया क्यों नहीं गया और जब भी जिम्मेदार चिकित्सक ने बात की तो यह क्यों नहीं बताया कि बच्ची का पैर खराब होता जा रहा है। क्योंकि कल्पना नर्सिंग हाॅम से जब बच्ची को लाकर भर्ती कराया गया था तो उसके सभी अंग सही थे। ऐेसे में यह बात तो साबित होती ही है कि बच्ची का पांव ‘‘राहत’’ में ही ‘‘आहत’’ हुआ था। अब जब दोनो ही पक्षों का मामला पुलिस के पास लम्बित है तो देखना दिलचस्प होगा कि पुलिस पहले किस नतीजे पर पंहुचती है। क्योंकि एक अपराध तो सामने दिख रहा है और दूसरा अपराध गोपनीय था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Cold Monkey Madness Slot As Ice Slot Review 2025 Free Play Demo Sultan Bahoo Forum

ContentSpartacus Gladiator of Rome - Monkey Madness SlotBesichtigen Eltern...

Age slots online the fresh Gods Trial Enjoy 100 percent free Position Game

BlogsSlots online: Play Period of The brand new GODS...

Coin Master-Freispiele:Jeden tag kostenlose Herr Bet 25 freie Spins Gestalten ferner Spins November 2022

ContentHerr Bet 25 freie Spins: Guides & TippsEntsprechend bekomme...