सट्टा बाजार ने खोले नेताओं के भाव

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मोदी २७१ पर, तो गांधी ७३ सीटों पर ही ढेर
उदयपुर। नामांकन का दौर खत्म होते ही सट्टा बाजार में नेताओं के भाव खोल दिए हंै, लेकिन चुनाव के पास आते ही इन भावों में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। हर रोज नेताओं का एक नया भाव आ जाता है। स्पष्ट है कि चुनाव कोई भी जीते पर बुकीज मालामाल होंगे ही। शहर में यह काराबार खुलेआम हो रहे हैं। सट्टों का बाजार तेज होते ही सट्टोरियों ने देश के पीएम के दावेदार मोदी को २७१-२७३ सीटें व राहुल गांधी को ७१-७३ सीटों पर बताते हुए भाव शुरू कर दिए हैं। लोकसभा चुनाव के नामांकन के बाद प्रत्याशी Èाइनल हो गए हंै। हर तरÈ चुनावी चर्चाओं का माहौल है। चाय की दुकान से लेकर मल्टीप्लैक्स तक प्रत्याशियों की जीत-हार को लेकर बातें हो रही है। किस प्रत्याशी को कितने वोट मिलेंगे, कौन डमी है और कौन लड़ाई में है? चुनाव के इस गरमा-गरम माहौल के तवे में अपने नोटों की रोटी सेंकने के लिए सटोरियों ने भी अपनी दुकानें सजा ली है। वे चुनाव के बहाने मोटी कमाई की Èिराक में लग गए हैं, जिसके लिए तहत सट्टा लगवाया जा रहा है। क्रमददगारञ्ज ने एक बुकी से बात की, तो सामने आया कि इलेक्शन सट्टा को क्रिके्रट सट्टे से कुछ अलग होता है। इस में नेताओं के भाव के साथ ही सीटों पर दांव लगाए जाते हैं।

मैच से ज्यादा इलेक्शन में बरस रहे नोट
वैसे तो सटोरियों की नजर मैच पर ही होती है, लेकिन एक बुकी ने बताया की मैच से ज्याद कमाई इलेक्शन में होती है। इलेक्शन के सट्टे में बुकियों की चांदी ही चांदी है, लेकिन इस बार आईपीएल से पहले ही इलेक्शन ने सट्टा का बाजार को गर्म कर दिया है। शहर के कई बुकियों ने मैच की तरह ही इलेक्शन पर भी सट्टा लगाना शुरू कर दिया है। सट्टे के बाजार में कौन प्रत्याशी जीतेगा?, कौन-सा प्रत्याशी किस नंबर पर होगा?, जीत का अंतर कितना होगा?, प्रत्याशियों को मिलने वाले वोटों के आखिर के दो नंबर पर भाव दिया जाता है।
वोटिंग पर भी लग रहे हैं सट्टा
जिला प्रशासन ने वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए कई तरह के जागरूक अभियान चला रखे हंै। ऐसे में इन अभियानों को नजर में रखते हुए सटोरियों ने भी मोटी कमाई के लिए भाव खोल दिए हैं। इसमें Èाइनल वोटिंग के आखिरी दो नंबर, प्रत्याशी को मिलने वाले वोट के आखिरी दो नंबर और जीत के अंतर के भी आखिरी दो नंबर पर सट्टा लगाया जा रहा है। इससे सटोरियों को मोटी कमाई हो रही है। इलेक्शन में कोई भी जीतें या हारें सटोरियों ने नोट कमाना शुरू कर दिया है।
जुबान पर चलता है सारा खेल
सट्टा कारोबार पूर्ण रूप से बेईमानी है, लेकिन इसे खेलने वालों पूरी ईमानदारी बरतते हैं। सट्टों का यह बाजार जुबान पर चलता है।
इस धंधे में न कोई लिखता है न ही कोई रिकार्ड रखता है। सारा खेल मोबाइल पर ही चलता है। अगर खिलाड़ी ने बुकी को मोबाइल पर गेम बुक करा दिया है, तो इसके बाद वह पीछे नहीं हट सकता है। सारे गेम में पारदर्शिता लाने के लिए सटोरिए सारी बात रिकार्ड करते हैं, ताकि बाद में कोई परेशानी नहीं हो।
हवाला से होता है लेन-देन
सट्टो का कारोबार देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी होता है। मुख्य रूप से दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलूरू समेत कई मेट्रो सिटी से यह कारोबार शुरू होता है। इस कारोबार में मुख्य रूप से रुपयों का लेन-देन लोकल स्थान पर बैठे हवाला करने वालो कारोबारी करते हंै। रुपयों का लेन-देन हवाला से होता हुआ देश की मेट्रो सिटी में जाता है। हर रोज करोड़ों का यह कारोबार देश के बड़े शहरों में ही नहीं, बल्कि गांव में भी शुरू हो गया है। यह सारा खेल इंटरनेट, मोबाइल और हवाला पर टिका है।

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