पोलटिकल पोस्ट । कांग्रेस ने सोमवार को घोषणा की है कि 2019के आम चुनावों में वह राफेल लड़ाकू विमान घोटाले का मुद्दा पूरे जोर शोर से उठाएगी और इस प्रकार वह कि 30 वर्ष पूर्व उस पर लगाये गये 64 करोड़ रुपयों के बोफोर्स रिश्वत कांड का बदला लेगी, जिसकी वजह से 1989 में स्वर्गीय राजीव गांधी को सत्ता गंवानी पड़ी थी।
कांग्रेस के अनुसार राफेल लड़ाकू विमान सौदा मोदी सरकार का सबसे बड़ा घोटाला है और राजीव गांधी सरकार पर थोपे गये बनावटी बोफोर्स घोटाले के आरोप से 640 गुना बड़ा है। कांग्रेस दृढ़ है कि वो अगले चुनाव में इसे सबसे बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल करेगी।
प्रधानमंत्री मोदी और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन पर सदन के पटल पर “सीक्रेसी एग्रीमैंट” के बारे में झूठ बोलकर देश को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए पूर्व रक्षामंत्री ए.के.एंटनी ने बताया कि उनके द्वारा जनवरी 2008 में फ्रांस के साथ हस्ताक्षरित “गुप्त समझौते” में विमान की कॉमर्शियल (वाणिज्यिक) लागत बताने से छूट मिली हुई है। इसलिए राफेल विमान की वाणिज्यिक कीमत बतायी जा सकती है। उन्होंने बताया कि उक्त समझौते में विमान की सामरिक जानकारी और प्लेट फार्म की क्षमता के संदर्भ में हथियारों की तकनीकी जानकारी उजागर नहीं करना शामिल है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में एंटनी के साथ बैठे कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा कि 60 हजार 145 करोड़ रुपयों मैं 36 लड़ाकू विमान खरीदने का यह 41 हजार 205 करोड़ का विशालकाय घोटाला है क्योंकि दिसम्बर 2012 में यूपीए के शासनकाल में इस सौदे के लिये 18 हजार 240 करोड़ रुपयों की अन्तर्राष्ट्रीय बोली लगी थी। इसे देखते हुए यह घोटाला राजीव गांधी सरकार पर मढ़े गये फर्जी बोफोर्स घोटाले से 640 गुना बड़ा है। उन्होंने बताया कि भारत के लिए प्रति विमान 526.10 करोड़ लागत
आती, किन्तु मोदी पेरिस गये और उन्होंने उसी विमान को प्रत्येक 1670.70 करोड़ रूपए में खरीदने पर सहमति जताई। (यानि की 36 विमानों
के लिए 7.5 अरब यूरो या 60.145 करोड़ रूपये)। उन्होंने बताया कि हमने यह कीमत विमान की निर्माता फर्म “दासोल्ट एविएशन” की 2016 की वार्षिक रिपोर्ट में से निकलवायी है।” शर्मा ने रक्षा मंत्री सीतारमन पर यह दावा करने का आरोप लगाया और कहा कि “गुप्त समझौता” उन्हें सौदे की कॉमर्शियल लागत को प्रकट करने से रोक रहा है जबकि उनके रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने जब 19 मार्च 2018 में राज्यसभा में आप पार्टी के संसद संजय सिंह के एक प्रश्न के उत्तर में चतुराई से राफेल की कीमत कम करते हुए बताया कि राफेल की प्रति विमान लागत 670 करोड़ रूपये है तब कोई समझौता आड़े नहीं आया। राज्यमंत्री ने बड़ी चतुराई से यह कहकर विमान की वास्तविक कीमत को छिपाया कि “जो कीमत वे बता रहे हैं उसमें उपकरण,
हथियार और भारत की जरूरतों के हिसाब से अलग से जोड़े गये मेन्टीनेंस
सपोर्ट और सर्विसेज की कीमत शामिल नहीं है।” उन्होंने संकेत दिया कि राफेल सौदे पर सदन को कथित रुप से गुमराह करने पर सरकार सीतारमन के खिलाफ एक
विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की सोच रही है, जबकि पार्टी के अन्य सूत्रों ने संकेत दिया कि नेतृत्व इसी प्रकार का प्रस्ताव प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ भी लाने पर लोकसभा में विचार कर रहा है। शर्मा राज्यसभा में सांसद है। उन्होंने बताया कि मोदी और रक्षा मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने का काम लोकसभा में पार्टी के नेता का है। यह बात भाजपा नेताओं अनुराग ठाकुर, निशिकान्त दुबे, दुष्यन्त सिंह और प्रहलाद जोशी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने के बाद आयी। उक्त नेताओं द्वारा लाए गये विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव का आधार था, राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री और सीतारमन के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर सदन को कथित रुप से गुमराह करना तथा आंख मारकर मोदी से अवांछित रुप से गले मिलकर सदन की शालीनता को भंग करना। शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चली बहस के दौरान जहां रक्ष मंत्री ने भारत और फ्रांस के बैच हुए समझौते के एक गुप्त वाक्यांश का हवाला देते हुए बताया कि उसके कारण ये विमान की कीमत नहीं बता सकती वहीं राहुल ने उन पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें फ्रांस के राष्ट्रपति सम्मानुएल मैक्रोन ने बताया है कि ऐसा कोई भी समझौता विमान की कीमत बताने में मोदी सरकार को नहीं रोक रहा संसद में चली इस जद्दोजहद के बाद सरकार को यह स्पष्ट करन पड़ा कि दोनों देशों के बीच वर्ष 2008 में हस्ताक्षरित गुप्त सम्झौता राफेल सौदे पर भी लागू होत है। फ्रांस के इस स्पष्टीकरण से सौतारमन के दावे की पुष्टि हुई किन्तु फ्रांसीसी सरकार द्वारा गांधी और मैक्रोन के बीच हुए कथित वार्तालाप के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा गया यह पूछते हुए कि “फ्रांस सरकार ने आज तक ऐसा कहां कहा है कि राफेल विमान की कीमत प्रकट नहीं की जा सकती। एंटनीव शर्मा ने कहा कि राफेल जेट की कीमत गुप्त नहीं बल्कि इसकी मारक क्षमता और तकनीकी की जानकारी गुप्त है। फ्रांस सरकार का बयान स्पष्ट है कि समझौता कानुनी रुप से दोनों देशों को वाध्य करता है कि वे साझेदार द्वारा उपलब्ध करायी गयी विशिष्ट सूचना को संरक्षित रखेंगे, क्योंकि यदि ऐसी जानकारी बाहर आ जाती है त फ्रांस और भारत की सुरक्षा एवं क्रियाविधि क्षमतएं प्रभावित हो सकता है।
उन्होंने बताया कि किसी भी सूरत में सरकार को इसकी कीमत या पूर्ण जानकारी सीएजी (मुख्य लेखा परीक्षक एवं नियंत्रक),लोकलेखा समिति (पीएसी) और रक्षा पर संसदीय स्थायी समिति को बतानी होगी। अतः मौदी सरकार सौदे की वाणिज्यिक कौमत क्यों छुपा रही है।”

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