लोकतंत्र का महा उत्सव संम्पन्न – जनता ने सीधी उंगली का खूब किया इस्तमाल .

उदयपुर। लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव मतदान दिवस आज संम्पन हुआ। उदयपुर शहर विधानसभा क्षेत्र में लोगों ने उत्साह के साथ मतदान किया। मतदान को लेकर प्रशासन पूरी तरह मुस्तेद नज़र आया सुरक्षा व्यवस्था चाक चोबंद की गयी थी। युवा और महिलाओं ने पुरे उत्साह के साथ ज्यादा वोटिंग की। ईवीएम मशीनों में वीवी पेड़ लगाए जाने के कारण मतदान में समय कुछ ज्यादा लगा जिसकी वजह से कई केन्द्रों पर शाम पांच बजे बाद भी वोट डाले गए।
लोकतंत्र का उत्सव मतदान का दिन जहाँ एक तरफ राजनैतिक पार्टियों की किस्मत के फेसले का दिन था वहीँ आम मतदाता के लिए अपने हक का दिन रहा। उदयपुर शहरी विधानसभा क्षेत्र में सुबह आठ बजे से वोटिंग शुरू हो गयी थी। सुबह सर्दी के कारण ८ से ९ बजे के बिच एक घंटा  मतदान धीमा रहा और वोटिंग 2 से 4 प्रतिशत ही रही लेकिन 9 बजे के बाद महिलाओं और युवाओं की भीड़ मतदान केंद्र पर बढ़ने लगी १२ बजे तक लगभग शहरी विधान सभा क्षेत्र के अधिकतर बूथों पर लाइने लगी रही १२ बजे तक कई मतदान केन्द्रों पर 30 से अधिक मतदान हो चुका था। शहर के अंदरूनी इलाके जगदीश चोक, मुखर्जी चौक, रावजी का हाटा घंटाघर , धोली बावड़ी आदि जगह मतदाताओं में खासी उत्साह देखा गया। कई लोग अपने बूढ़े माँ बाप दादा दादी को सहारा देकर व्हील चेयर पर बैठा कर मतदान केंद्र तक लेकर आये। सुबह जल्दी एक तरफ जहाँ महिलाओं के तादाद केन्द्रों पर अधिक देखि गयी वहीं दिन में तीन बजे के बाद पुरुषों की संख्या ज्यादा देखि गयी। सभी प्रत्याशी दिन भर मतदान केन्द्रों पर चक्कर काटते रहे।
बूथों पर कार्यकर्ता जमे रहे देर शाम तक :
भाजपा कांग्रेस के कार्यकर्ता अपने अपने बूथों पर पूरी तरह मुस्तेद रहे। इस बार कांग्रेसी कार्यकर्ता कुछ ज्यादा मुस्तेद नज़र आये  यहाँ तक कि खेमपुरा हिरणमगरी जैसी जगह जहाँ भाजपा मजबूत स्थिति में मानी जा रही है वहां पर कांग्रेसी कार्यकर्ता सुबह छह बजे उठ कर आगये और अपने अपना बूथ संभाल लिया जब की भाजपा के कार्यकर्ता आठ बजे बाद आये। मतदान केंद्र से पार्टी के बूथ दूर होने की वजह से कही भी कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आई। जब तक की एवीएम मशीने सिल बंद हो कर रवाना नहीं हो गयी वहां तक कार्यकर्ताओं ने बूथ नहीं छोड़ा। कांग्रेस पार्टी को जहाँ से अपनी बढ़त की उम्मीद थी वहां गड़बड़ी ना हो इस आशंका पर उसने कार्यकर्ताओं की एक एसी टीम भी तय्यार रखी जो ईवीएम मशीनों को स्ट्रोंग रूम तक लेजाने तक पीछे पीछे चलती रही।
जनता सेना और निर्दलीय उम्मीदवार के बूथ भी शहर के 46 वार्डों में से अधिकतर जगह लगाए गए थे। हालाँकि उनके बूथों पर कार्यकर्ताओं की कमी नज़र आई।
धीमी वोटिंग के कारण रात आठ बजे तक चलता रहा मतदान :
इस बार एवीएम मशीनों के साथ वीवी पेड़ भी लगाए गए थे और इसी वजह से हर एक वोट डालने में 15 से 30 सेकण्ड का समय अधिक लगा इस वजह से अधिकतर मतदान केंद्र पर मतदान धीमा रहा। सेक्टर 4 में गुरुनानक स्कूल में मतदान प्रक्रिया इतनी धीमी थी कि एक केंद्र में तो २ बजे तक मात्र 28 प्रतिशत ही वोट डाले जा सके।  ऐसे ही हाल पुला में मुखर्जी चोक में भी रहे। शहर के कई मतदान केन्द्रों पर ८.३० ९ बजे तक एवीएम खराब होने की वजह से शुरू नहीं हो सकी बदले जाने के बाद ही शुरू की गयी। धीमे मतदान और एवीएम में खराबी के कारण कुछ जगह पर मतदान रात आठ बजे तक भी चलता रहा। पांच बजे तक जो मतदाता मतदान केंद्र के क्षेत्र में आगये थे वे मतदाता लाइन में खड़े रहे और उन्होंने पांच बजे के बाद भी अपने मत का प्रयोग किया।
सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता :
मतदान को लेकर पुलिस और प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह मुस्तेद रही। चुनाव आयोग ने स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण चुनाव के लिए सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये हैं। इसके लिए सिविल पुलिस के अलावा भारी संख्या में होमगार्ड और केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान भी तैनात किये गये थे। मुखार्जिचोक जगदीश चोक मगरी स्कूल आदि कई जहग सशश्त्र सुरक्षा बल मतदान केंद्र के बाहर ही मुस्तेद रहे। बिना वोटर स्लिप के किसी को आने नहीं दिया गया। विभिन्न स्कूलों के स्काउड छात्र भी मतदान केन्द्रों पर तैनात थे जिन्होंने मतदाताओं की हर सहायता की।  पुलिस और सुरक्षाबलों की मुस्तेदी के कारण शहर में कही से कोई अप्रिय समाचार नहीं मिले। इक्का दुक्का नारे बाजी की घटना को छोड़ कर कही भी कोई कार्यकर्ता आमने सामने नहीं हुए।
आचार संहिता की अनदेखी लक्ज़री वाहनों में आये मतदाता :
जहाँ प्रशासन और चुनाव आयोग सक्रीय है वही पार्टियों के कार्यकर्ता भी पूरी तरह जमे हुए रहे। सुबह १० बाद से ही लक्ज़री वाहनों में मतदाताओं को लाया जा रहा था। लाते और ले जाते समय कई मतदाताओं को उनकी इच्छा के अनुसार चाय नाश्ता भी करवाया गया। अंदुरनी शहर में अपना पुश्तेनी घर छोड़ कर शहर के बाहर की कोलोनियों में रहने वालों के लिए विशेष वाहनों की व्यवस्था पार्टी के कार्यकर्ताओं ने की थी।
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