उदयपुर। उदयपुर जिले की जनता ने वंशवाद को नकार दिया और इसका सबुत दिया सलुम्बर से कांग्रेस के रघुवीर मीना को और उदयपुर ग्रामीण से विवेक कटारा को हार का मूंह दिखा कर।
कांग्रेस को वंशवाद में कैद रहने की नियति ने सलुम्बर और उदयपुर ग्रामीण जैसी सीटें गंवानी पड़ी। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस की जीत टी मानी जा रही थी। एक्जिट पोल भी कांग्रेस के पक्ष में ही थे लेकिन जनता ने इसको नकार दिया। सलुम्बर से रघुवीर मीना के सामने भाजपा के अमृत मीना खड़े थे लेकिन उनके रास्ते का काँटा बनी हुई थी रेशमा मीना रेशमा मीना खुद कांग्रेस की दावेदार थी लेकिन कांग्रेस ने रेशमा को टिकिट ना देकर रघुवीर मीणा को टिकिट दिया इधर अपनी जीत सुनिश्चित मान चुके रघुवीर मीना ने रेशमा को कम आंका जब की रेशमा जनता में अपनी पकड़ मजबूत करती जा रही थी। इब तक रघुवीर मीना को अहसास होता तब तक काफी देर हो चुकी थी आखिरी दिनों में रघुवीर मीना के विशेष आग्रह पर राहुल गांधी की सभा भी करवाई गयी लेकिन फिर भी जीत नहीं दिलवा पाए। रघुवीर मीणा सलुम्बर से विधायक रह चुके है फिर सांसद भी रहे जब सांसद रहे तो उन्होंने टिकिट अपनी पत्नी बसंती देवी को दिलवा दिया। अब एक बार फिर वे ही टिकिट लेकर आगये और वंश वाद को जनता ने समाप्त किया।
इसी वंश वाद का उदाहरण है विवेक कटारा। विवेक कतरा खेमराज कटारा और सज्जन कतरा के पुत्र है। पहले खेमराज कटारा विधायक रहे उनकी म्रत्यु के बाद उनकी माँ सज्जन कटारा विधायक रही। उनकी पत्नी भी प्रधान है और अब ग्रामीण का टिकिट विवेक कटारा लेकर आगये। जनता में इतने लम्बे वंश वाद का मेसेज सही नहीं गया और विवेक कटारा को भाजपा के फूल सिंह मीना ने १८७०७ वोटों से हराया।

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