उदयपुर। श्‍ाहर की रेडिसन होटल में सोमवार से शुरू हुए दो दिवसीय 18 वें अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन के दूसरे दिन समापन सत्र के बाद राजस्थान विधानसभाध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने विवादित बयान दिया है। सचेतक सम्मलेन के समापन सत्र के बाद पत्रकारों से बातचीत में मेघवाल ने कहा कि मिडिया विधानसभा और लोकसभा में गड़बडिय़ां पैदा कर रहा है । मेघवाल ने कहा कि मीडिया जिस तरह की हल्की-फुल्की बातें लेकर अखबार में छाप देता है, जिसका कोई आधार नहीं होता। मीडिया विधानसभा और लोकसभा में सबसे ज्यादा गड़बडिय़ां पैदा कर रहा है। मेघवाल द्वारा समापन सत्र में मीडिया पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी। इस पर पत्रकारों ने जवाब मांगा था, जवाब में मेघवाल ने मीडिया को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। वहीं दूसरी ओर पत्रकारों से बातचीत में केन्द्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि मीडिया चौथा स्तंभ है, इसे मजबूत करने की जरूरत है। हम इसे और मजबूत बनाएंगे।
उदयपुर की अवैध होटल रेडिसन ब्लू में आयोजित हुए 18 वें अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन का मंगलवार को समापन हो गया। समापन समारोह विधानसभा अध्यक्ष कैलाश ​मेघवाल की अध्यक्षता सम्पन्न हुआ। साथ ही केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल ​केन्द्रीय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर सहित 21 राज्यों से आये मुख्य सचेतक और प्रतिनिधि मौजूद रहे। सचेतक सम्मलेन के समापन सत्र में मेघवाल ने कहा कि स्पीकर का कत्र्तव्य चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। दुर्भाग्य से स्थिति बनती जा रही है । बहस के आधार पर परिणाम लाना और निंदा के आधार पर परिणाम लाना ये चिंता का विषय है। चाहे लोकसभा हो, चाहे राज्य सभा हो या चाहे विधानसभा हो, यहां परिणाम लेने के लिए अपना बिन्दु सही ढंग से कहने की बजाय हंगामा करने की स्थिति पैदा की जाती है, यह दुप्रवृत्ति है। बहस का स्तर गिरता जा रहा है, यह कहने में कही कोई एतराज नहीं है। नवीं लोकसभा में जब मैं था तो पुराने वक्तव्य निकाल कर पढ़ता था, उस समय से अब आज भाषा पर नियंत्रण नहीं, विचारों में तारतम्य नहीं है। इस पर विशेष देने की जरूरत है, इसे सचेतक पूरा कर सकते हैं। बोलने के लिए जो विषय है उस पर बोलने वाला वक्ता आना चाहिए। जीरो ऑवर में जो हंगामा होता है, टोका टोकी होती है, यह अखबारों में सुर्खियों से आता है। अखबारों में सुर्खियां पाने के लिए यह दुष्प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। वैचारिक दृष्टि से जो भाषण होते है, वे बहुत कम छपते हैं। या तो यह प्रतिबंध लगादे कि हंगामें की खबर किसी अखबार में नहीं जाएगी। या ये प्रतिबंध लगादे कि कोई भी विधायक वेल में नहीं आएगा और जो आएगा उसकी खबर नहीं छपेगी, तो छपास रोग से पीडि़त छापा के शौकिन विधायक कम हो जाएंगे।
समारोह में केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल ने कहा कि सभी तकनीकी सत्रों में सामने आए सुझावों और सिफारिशों की विस्तार से चर्चा की गई है और इन निष्कर्षों के अनुरूप बेहतर प्रबंध सुनिश्चित करने के प्रयास किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि ई विधान को पूरी प्राथमिकता से लागू करने के कार्य में तेजी लाने की बात पर जोर दिया गया है जिससे पारदर्शिता को मजबूती मिलेगी साथ ही विधायिका के डिजिटाइजेशन पर भी बल दिया जाएगा।
बाद में पत्रकारों से बात करते हुए विजय गोयल ने कहा कि अभी यह समझा जाता है कि सचेतक का काम यह था कि संसद में ज्यादा से ज्यादा सदस्य किस तरह से उपस्थित रहें पर इस कांफ्रेंस ने यह साफ कर दिया है कि सचेतक का कार्य उपस्थिति को बढ़ाना नही बल्कि सदस्यों को मोटिवेट करने का भी है। जिससे पार्लियामेंट को चलाने में उनका सहयोग किस तरह मिल सके और सुझावों का भी पार्टिसिपेशन ज्यादा से ज्यादा कैसा हो इस पर ध्यान दिया गया है। गोयल ने साफ किया कि सम्मेलन में लगभग सभी सदस्यों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया है और सबसे खास बात यह है कि सभी सदस्य इस बात पर सहमत हुए कि जो वेली में सदस्य निकलकर सामने आ जाते है उनके लिए सबको मिलकर आचार संहिता बनाने की जरूरत है। साठ के दशक में लोकसभाएं 120 दिन चला करती थी अब दिनो की संख्या 80 तक पंहुच गयी ​है यह भी एक चिंता का विषय है। गोयल से जब पत्रकारों ने संसद में वेतन बढोत्तरी को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा ​कि सभी का सुझाव सामने आ रहा है कि सरकार ऐसा कोई सिस्टम बनाये कि सैलरी को लेकर सांसद और विधायक को इस बारे में चर्चा नही करनी पडे़।

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