रक्षाबंधन कल

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अबकी बार रात में बंधेंगे रक्षासूत्र
DSC_7738-211x300उदयपुर। भाई-बहन के अटूट प्यार का त्योहार रक्षा बंधन कल हैं। राखी के दिन बहनें अपने प्यार को रेशम की डोर में पिरोकर भाई की कलाई सजाएगी और बदले में भाई उसकी रक्षा करने का वादा करेगा। सालों से चले आ रहे इस त्योहार की यहीं परंपरा हैं, हालांकि इस में कुछ बदलाव आया है, लेकिन वह बदलाव मात्र राखी के स्वरूप में ही है। पुराने दिनों में राखी रेशम और स्पंज की होती थी, जो कि आज कल बाजारों में कुंदन, मोती, जरी व बच्चों के लिए अगल-अलग तरह की उपलब्ध हैं। शहर के कई जगह स्टॉल लगाकर राखियां बेची जा रही है।
भैया-भाभी के नाम पर स्पेशल लव
भैया के साथ ही भाभी को लुम्बा राखी बंाधी जाती है। अब लुम्बा की जगह फैशनेबल ब्रेसलेट वाली राखी का चलन शुरू हो गया हैं। शहर में यह लुम्बा कुंदन व मोती की खास तौर पर चल रहीं हैं। मुख्य रूप से भैया की राखी से मैच करती भाभी का लुम्बा प्रचलित हो रही हैं।
बच्चों के लिए भी राखी
बच्चे टीवी काटॅून के कैरेक्टर वाली राखियों के दीवाने हो रहें हैं। पेरेंट्स के साथ पसंदीदा कॉर्टून कैरेक्टर की राखियां खरीदने ही बाजार में जा रहे हैं। इसमें मुख्य रूप से भीम, कृष्णा, गणेशा, बेन टेन, डोरेमोन को सबसे ज्यादा पसंद कर रहा हैं। ये राखियों बाजार में लगभग ५० से १५० रुपए तक की मिल रही हैं।
चांदी की राखी का के्रज
भाई व बहन के इस त्योहार पर स्पेशल रक्षाबंधन के पहले बाजार में खासी रौनक हैं। रंग-बिरंगी राखियों के साथ ही शहर के कई ज्वैलर्स की दुकानों पर चांदी की राखियों का भी क्रेज बढ़ रहा है। बहन के लिए भाई की राखी का कोई मोल नहीं हैं, तो भाई राखी के त्योहार पर उसकी रक्षा के साथ ही उसके लिए खास उपहार खरीदकर उसे भेंट करता हैं।
महंगाई की मार त्योहार पर
रुपए के टूटने का असर अब त्योहारों पर भी दिखाई पडऩे लगा है। शहर में राखियों के दाम पिछले साल से लगभग २० से ३० प्रतिशत बढ़ गए हैं। साथ ही मिठाइयों की दुकान पर भी महंगाई की मार देखी जा सकती हैं।
रसगुल्ले से करें परहेज
राखी के त्योहार पर ही नहीं बल्की सभी त्योहारों पर रसगुल्लें का प्रयोग नहीं करना चाहिए। प. गौरव शर्मा बताते है कि रसगुल्लें को बनाने के लिए दूध को फाड़कर बनया जाता हैं, इससे रिश्तों में भी खटास आ सकती हैं। जिसके कारण त्योहारों पर मुख्य रूप से इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

दिनांक 20 अगस्त 2013 वार मंगलवार, विक्रम संवत् 2070 शाके 1935 श्रावण मास शुक्ल पक्ष को प्रात: 10.23 के पश्चात् पूर्णिमा का उदय होता हे इसी समय भद्रा भी प्रारम्भ होती है जो कि रात्री 8.45 तक रहती है। भद्रा में रक्षा बन्धन के दिन राखी बांधना उपयुक्त नहीं माना जाता है, भद्रा पुच्छ और भद्रा वास स्वर्ग लोक में शुभ माना गया है। प्रथम रक्षाबन्धन (पहली राखी) और शोक के पश्चात् बांधी जाने वाली राखी को द्रा पश्चात् ही बांधना चाहिए जो कि रात्रि 08.45 से रात्रि 9.50 तक का समय रहता है।
राखी बांधने के मुहूर्त
॥ दोपहर 11.00 से 12.45 लाभ वेला
॥ दोपहर 1.00 से 2.15 अमृत वेला। रवियोग-राजयोग में
॥ रात्रि 8.45 से 9.50 भद्रा पश्चात्।
दोहे रक्षाबंधन के
(१) सागर छलकी प्रीत से, होकर भाव-विभोर।
कोरे कलशों के बंधी, जब रेशम की डोर।
(2) दुर्लभ, सुंदर राखियां, लेकर भी बेचैन।
वो ले लूं, यह छोड़ दूं, असमंजस में बहेन।
(3) दिखने मेें छोटी लगे, यह रेशम की डोर।
एक बहन का प्यार है, जिसका ओर न छोर।
(4) उस भाई से पूछिए, अपने दिल का हाल।
सूनी रही कलाइयां, राखी पर हर साल।

Shabana Pathan
Shabana Pathanhttp://www.udaipurpost.com
Contributer & Co-Editor at UdaipurPost.com

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