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उदयपुर। मुस्लिम समुदाय द्वारा आज रहमतों की रात यानी शब-ए-बरात रोज़े रख और इबादत के साथ मनाई जा रही है। इस्लामी कैलेंडर के आठवें महीने शाबान की 15वीं रात को दुआ-मगफिरत की यह रात शब-ए-बारात के रूप में माई जाती है। मना जाता है कि आज अल्लाह की रहमत के दरवाजे खुल जाएंगे। अकीदतमंद पूरी रात इबादत में बिताएंगे। अल्लाह की खुशी के लिए अकीदतमंद पूरी रात इबादत में गुजारेंगे। कई अकीदतमंदों ने आज के दिन में नफ्ली रोजे भी रखे हंै। शाम को कब्रिस्तान जाकर दिवंगतों की मगफिरत के लिए दुआ की जाएगी। शहर की मस्जिदों में पूरी रात इबादत का दौर चलेगा। अकीदतमंद गुनाहों का प्रायश्चित करेंगे और इबादत में रात गुजारेंगे। परम्परा के अनुसार आज घरों में शब की रात के मौके पर तरह-तरह के हलवे तैयार किए जाएंगे और अपने अजीजो अकारिब को तकसीम किए जाएंगे। ऐसी मान्यता है कि हजरत मोहम्मद साहब ने अपने दिवंगतों के लिए हलवे की फातेहा लगाई थी। मेवाड़ में ये परंपरा हजरत गरीब नवाज के समय से करीब 800 वर्ष से है।
तय होगा आगामी वर्ष का भाग्य : पलटन मस्जिद के मौलाना बताते हैं कि हदीस के मुताबिक शब की रात में ईश्वर मनुष्य के आगामी वर्ष का भाग्य तय करते हैं। इस रात अल्लाह रहमत के दरवाजे खोल देता है और हर उस शख्स को बख्श देता है जो शिर्क करने वाला हो। इस रात में हर शख्स को कुरान की तिलावत में समय गुजारना चाहिए। अकीदतमंदों को शबे बारात के दिन पांच वक्त की नमाज अदा करनी चाहिए। वहीं कुरान ख्वानी कर रोजे रखने चाहिए। महिलाएं घरों में मिलाद शरीफ करें।
इस्लाम में पांच रातें महत्वपूर्ण
इस्लाम में पांच रातें महत्वपूर्ण मानी गई हैं। इनमें इबादत के माह रमजान में शब-ए-कद्र की रात, जिलहिज्जा के महीने में बकरीद के समय की तीन रातें और शाबान के महीने में शब-ए-बारात शामिल हैं।
आज के दिन घरों में बनेगें कई तरह के हलवे
शब-ए-बारात में खास तौर पर विशेष रूप से अलग-अलग तरह के हलवे तैयार किए जाते हैं। जिसकी तैयारियां आज सुबह से चल रही है। आज के दिन मुस्लिम घरों में रवा, सूजी का हलवा, मूंग का हलवा, बेसन का हलवा, गले हुए गेंहू, दूध-मावे का हलवा, पिस्ता, अखरोट, पाइनेपल, आम, तरबूज, केले, अंडे, घीया, शलगम, पपीते के अलावा ड्रायरूट के हलवे बनाए जाते हैं। विशेष तौर पर सूखा हलवा जैसे सूजी का हलवा, बेसन का हलवा और ड्राइ फ्रूट्स का हलवा रोजे के लिए विशेष तैयार किया जाता है।
मोहम्मद साहब को दी जाती है हलवे की फातेहा
शब-ए-बारात बरकतों की रात कहलाती है, इसमें जो भी बंदा अल्लाह की बारगाह में मुरादें मांगता है, वो पूरी होती है। नफ्ल पढऩे, सुन्नत पढऩे से बरकतें मिलती हैं। इस दिन अल्लाह की रहमत के दरवाजे खुल जाते हैं। खास बात ये है कि इस दिन हजरत मोहम्मद साहब और उनके चाचा हजरत अमीर हमजा को हलवे की फातेहा दी जाती है। दिन में तो हलवे पकाते हैं। रात में पूरा समय इबादत में बिताते हैं।

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