उदयपुर । आज एक पुलिस के दलाल नुमा पत्रकार द्वारा गलत खबर देने की वजह से पुरे मिडिया को शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है । घटना हुई photo (2)बांसवाडा शहर में ईद के दिन राज तालाब एरिया में एक स्कूली वेन में अचानक आग लग गयी और अन्दर बैठे मासूम बच्चे और महिला शिक्षिकाए रोने चिल्लाने लगी । स्कूल की वेन का ड्राइवर बजाय आग बुझाने के मासूम जिंदगियों को मौत के हवाले कर भाग गया और दूर खड़े ईद की ड्यूटी पर लगे पुलिस कर्मी तमाशा देखते रहे, लेकिन वहां से नमाज़ पढ़ कर गुजर रहे राज तालाब और प्रथ्वी गंज के युवाओं ने किसी भी खतरे की परवाह किये बिना अपनी जान जोखिम में डाल कर वेन में से बच्चों और महिला शिक्षिकाओं बाहर निकाला और कार को धकेल कर तालाब के पास तक ले गए तब कही जा कर तमाश बिन बने राजस्थान पुलिस के जवान वहां आये और अपनी बहादुरी झाड़ने लगे ।
घटना के तुरंत बाद उन्ही पुलिस कर्मियों ने अपने पाले हुए राजस्थान पत्रिका (बांसवाडा एडिशन ) के महान क्राइम रिपोर्टर दिन दयाल को फोन कर बजाय युवाओं के खुद को हीरो बता दिया और कहा की हमने बच्चों को बचाया । उस पर भी कमाल किया राजस्थान के सिरमौर कहे जाने वाले राजस्थान पत्रिका के महान खोजी क्राइम रिपोर्टर ने जिसने पुलिस के पालतू होने का फ़र्ज़ निभाया और जहाँ उन जांबाज़ युवाओं को प्रोत्साहित करना था वहां उसने अपने यारों पुलिस वालों का एहसान चुकाया और उनको अपना आका मानते हुए खबर में उनकी वाहवाही की ।और तो और उसने उन पुलिवालों के कहने पर उस पर खबर में यह तक लिख दिया की वहां सहायता के लिए कोई नहीं आया जब की फोटो में साफ़ दिख रहा है की बच्चों की जान किसने बचाई और पुलिस क्या कर रही थी और भी इन क्राइम रिपोर्टर ने कमाल और बहादुरी का काम ये किया की जब स्थानीय युवा पत्रिका के ऑफिस विरोध दर्ज करने पहुचे और उसको फोटो बताते हुए कहा की बच्चों की जान पुलिस ने नहीं इन युवाओं ने बचाई है तो ये महान खोजी क्राइम पत्रकार कहते है की हम तो पुलिस के हवाले से खबर लगाते । सीधी बात की ये पत्रकार न हो कर पुलिस के खबरी दलाल हो गए।
और जब उदयपुर पोस्ट के रिपोर्टर ने इनसे बात करनी चाहि तो इन्होने अपनी तिसमारी बताते हुए कहा की जो मेने छाप दिया वो ही सही हे जो उखाड़्न है वो उखाड़ लो । और ये जो लोग ऑफिस में आये है वो २० – ३० तो क्या ५०० भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते । ऐसे ही दलाल और फर्जी पत्रकारों की वजह से आज मिडिया पर सवाल खड़े होते है । बांसवाडा में आज हर कोई मिडिया की कार्य शेली पर ऊँगली उठा रहा है । और इसे पुलिस के पाले हुए और बीके हुए पत्रकार कलम को बदनाम कर रहे है । ऐसे लोगों के हाथ में कलम ठीक वेसे ही होती है जेसे किसी बन्दर के हाथ में उस्तरा आजाना ।

फोटो में साफ़ दिख रहा है कि स्कूली वें में बच्चों की जान पुलिस ने नहीं और वहां के युवाओं ने बचाई
फोटो में साफ़ दिख रहा है कि स्कूली वें में बच्चों की जान पुलिस ने नहीं और वहां के युवाओं ने बचाई

इन युवाओं ने दिखाई अपनी जाबांजी :
जेसे ही वेन में से धुँआ निकला और ड्राइवर वेन छोड़ के भागा तो बच्चो और महिलाओं के रोने चिलाने की आवाज़ सुन कर वहां खड़े युवा शाहिद खान उर्फ़ पप्पू स्टेरिंग पर बैठ गया तथा अन्य, युवक नादिर सिन्धी, तौफिक सिन्धी, अनीस पिंटू खान , सैयद जुबेर अली , ज़हिर अहमद , दौड़ कर आये और बच्चों को बहार निकल और वें को धकेल कर दूर किया |

 

गोले में खड़े तमाशबीन बने पुलिस कर्मी
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8 COMMENTS

  1. Hats off to u editor ji..
    please put sharing option here ,,i am searching for facebook sharing but i am not getting how do to??

  2. media to takat hai galat baat ko sahi karne ki par ese repoter jo media ko badnam karte ho unse kalam ki takat hi chin lo

  3. ==puliswalo ko akhr rhi hogi..ki musalmaano ne bachaya…..wo soch rhe honge k muslimo ki rehmdili sab k saamne na aa jae..

  4. Shandaar vishleshan ke saath bikau media ki bikau mediagiri karane wale pulicia dalal ki asliyat ujaagar karane ke liye patrakarita ke liye badhai.

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